Feeding from a Bottle
11 September 2023 को अपडेट किया गया
बच्चों को बॉटल फ़ीड कराना (bottle feeding in Hindi) बेहद सिंपल काम है लेकिन इस आसान से दिखने वाले काम को करने में भी कुछ ख़ास सावधानियाँ बरतनी ज़रूरी हैं; जैसे- फ़ीडिंग पोज़ीशन और सही तरह की फ़ीडिंग बॉटल (feeding bottle in Hindi) का चुनाव जिससे बच्चा आसानी से दूध पी सके. आइये सबसे पहले जानते हैं कि फ़ीडिंग पोजीशन बच्चे को कैसे प्रभावित करती है.
बॉटल फ़ीडिंग (bottle feeding meaning in Hindi) के दौरान माँ और बच्चे की पोज़ीशन और पोश्चर का सही होना ज़रूरी है. सही पोश्चर और सही फ़ीडिंग पोज़ीशन में बैठने से अच्छी लैचिंग में हेल्प मिलती है. कई माँओं को यह समस्या रहती है कि बच्चा बॉटल से ठीक तरह से दूध नहीं पी रहा है (baby not drinking milk in feeding bottle in Hindi) इस समस्या को भी सही फ़ीडिंग पोज़ीशन से ठीक किया जा सकता है क्योंकि इससे मिल्क ट्रांसफर में मदद मिलती है जिससे बच्चे का पेट अच्छे से भरता है और उसका वज़न ठीक से बढ़ता है. इसके अतिरिक्त, एक सही फ़ीडिंग पोज़ीशन से बच्चे को गैस या रिफ्लेक्स की समस्या से भी बचाया जा सकता है. सही और आरामदायक पोज़ीशन में बैठ कर दूध पिलाने से माँ की पीठ, गर्दन और कंधे पर प्रेशर नहीं आता है. इस तरह एक सही फ़ीडिंग पोज़ीशन से माँ और बच्चे दोनों के लिए फ़ीडिंग टाइम एक बॉंडिंग टाइम बन जाता है.
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बॉटल फ़ीडिंग को बॉंडिंग टाइम बनाने के लिए हम आपको बताएँगे सात ऐसी बॉटल फ़ीडिंग पोज़ीशन. (feeding bottle meaning in Hindi) जो बहुत काम की हैं. आइये इन के बारे में जानते हैं!
बच्चे को अपनी बाहों में पकड़ें और उसके सिर को अपनी कोहनी के जाइंट पर टिकाएँ और अपने फोरआर्म से उसकी पीठ और बॉडी के निचले हिस्से को सहारा दें.
ये पोज़ीशन क्रैडल होल्ड की तरह ही है लेकिन इसमें आप अपने दूसरे हाथ से बच्चे के सिर को सहारा देते हैं जिससे ज़्यादा अच्छा ग्रिप बनता है और फ़ीडिंग का एक अलग एंगल मिलता है.
जिस साइड से दूध पिलाना हो बच्चे को उसी तरफ़ की बाँह के नीचे दबाएँ और अपने हाथ को सिर के नीचे टिका दें. ऐसा करते हुए बच्चे का मुँह आपके ठीक सामने और पैर आपकी पीठ की तरफ़ आ जाएँगे अब उसे फ़ीड कराएँ.
बच्चे को अपने बगल में लेकर लेटें ताकि आप दोनों एक-दूसरे के सामने हों. अब उसके सिर को सहारा देते हुए ठीक से लैचिंग करते हुए बॉटल मुँह में लगाएँ.
सेमी रिक्लाइंड या पीठ पीछे टिका कर आराम करने की स्थिति में बैठ जाएँ और बच्चे को अपनी चेस्ट पर लिटा दें. ऐसे में ग्रेविटी की वजह से दूध का फ़्लो अपनेआप बना रहता है.
बच्चे को अपनी गोद में बिठाएँ ताकि उसका मुँह आपकी ओर हो. उसके पैर अपनी जाँघों पर फैलाएँ और एक हाथ से उसके सिर और गर्दन को सहारा देते हुए दूसरे से बॉटल को थामें.
अपने बच्चे को एक सॉफ्ट बेड पर पेट के बल लिटाएँ और अब नीचे से उसके मुँह में बॉटल दें इससे वह दूध पीते हुए अपनी गर्दन और पीठ की मसल्स का यूज़ करेगा.
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बच्चे को दूध पिलाने के लिए बॉटल को कभी भी तकिये या कंबल के सहारे से खड़ा न करें और बच्चे अकेला भी न छोड़ें. इससे चोकिंग का रिस्क बना रहता है.
बच्चे को पीठ के बल लिटाकर दूध पिलाने से भी बचें. इससे कान में इन्फेक्शन के अलावा एस्पिरेशन का खतरा रहता है.
बॉटल को बहुत अधिक ऊँचा रखकर पकड़ने से दूध का फ़्लो बहुत तेज़ हो जाता है और बच्चे के निगलने की क्षमता से कहीं अधिक दूध उसके मुँह में जाने लगता है. इससे दम घुट सकता है या फिर बहुत ज़्यादा गैस हो सकती है.
जल्दबाजी में फ़ीड कराने से बचें. दूध पिलाने के दौरान अपने बच्चे के साथ बॉंडिंग को समय दें इससे बच्चा फ़ीड को एंजॉय करता है और ड़ाइज़ेशन भी ठीक रहता है.
इस बात का भी ध्यान रखें कि फ़ीडिंग के दौरान आपके बच्चे की गर्दन मुड़े नहीं, क्योंकि इससे उसे दिक्कत और निगलने में कठिनाई हो सकती है.
अपने बच्चे के हाव-भाव को ध्यान से देखें. अगर उसका पेट भरा हुआ दिखे तो उसे पूरी बॉटल खत्म करने के लिए पुश न करें.
बच्चे की उम्र के हिसाब से सही फ़्लो वाले निप्पल का उपयोग करें. ज़्यादा तेज़ फ़्लो होने से चोकिंग हो सकती है साथ ही निप्पल चूसने, दूध को निगलने और साँस लेने के बीच का समन्वय ख़राब होता है.
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अब आपको देंगे बॉटल फ़ीडिंग (bottle feeding tips in Hindi) से जुड़े कुछ बड़े काम के टिप्स.
1. बच्चे को अपने नजदीक रखें और बॉंडिंग के लिए आई-टू-आई कांटेक्ट करें.
2. बच्चे की उम्र के अनुसार सही फ़्लो वाला निप्पल यूज़ करें.
3. हमेशा एक शांत और आरामदायक जगह पर फ़ीड कराएँ.
4. बच्चे को जल्दी-जल्दी बॉटल ख़त्म करने के लिए पुश न करें.
5. गैस और रिफ्लेक्स को कम करने के लिए बच्चे को डकार दिलाएँ.
6. बॉटल और निप्पल्स को साफ़ और बैक्टीरिया फ्री रखें.
7. बच्चे की उम्र के अनुसार फॉर्मूला मिल्क का प्रयोग करें.
8. फ़ीडिंग के दौरान सिर और गर्दन को पूरा सहारा दें.
9. बच्चे के पेट भरने के संकेतों पर ध्यान दें.
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बॉटल से दूध पिलाने की "अपराइट पोज़ीशन" बेस्ट है जो बच्चों में कोलिक से बचाव करती है. इस पोज़ीशन में ग्रेविटी के कारण हवा के बुलबुले बॉटल के टॉप में रहते हैं और बच्चे के पेट में नहीं जा पाते. इससे बच्चे को गैस और रिफ्लेक्स से बचाने में मदद मिलती है.
जी नहीं. बच्चे को पूरी तरह से लिटाकर दूध नहीं पिलाना चाहिए इसके बदले रिक्लाइंड पोज़ीशन जिसमें सिर और गर्दन को किसी सहारे से थोड़ा ऊपर उठाकर रखना चाहिए या हाथ से सहारा देना चाहिए.
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फ़ीडिंग को आसान बनाने के लिए सही पोज़ीशन के साथ-साथ एंटी कोलिक निप्पल वाली 100% फ़ीड ग्रेड और बीपीए फ्री अनब्रेकेबल मटीरियल से बनी बॉटल्स बेस्ट और सुरक्षित होती हैं जिससे कोलिक, गैस और रिफ्लेक्स की समस्या को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. इसके अलावा ब्रेस्ट जैसे शेप वाला निप्पल का प्रयोग करें जिससे लैचिंग में मदद मिलती है और बच्चे के लिए फ़ीडिंग और भी ज़्यादा आसान हो जाती है.
1. Dawson, J. A., Foster, J. P., Jacobs, S. E., Myers, L., & Burns, E. (2022). Cradle hold versus alternate positions for bottle feeding preterm infants. Cochrane Database of Systematic Reviews
2. Raczyńska, A., & Gulczyńska, E. (2019). The impact of positioning on bottle-feeding in preterm infants (≤ 34 GA). A comparative study of the semi-elevated and the side-lying position - a pilot study. Developmental Period Medicine
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kavitauprety
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