Feeding from a Bottle
21 August 2023 को अपडेट किया गया
छोटे बच्चों की फीडिंग से जुड़ी एक चुनौती है निप्पल कंफ्यूजन. जब कोई बच्चा दूध पिलाने के अलग-अलग तरीक़ों के बीच स्विच करता है, ख़ासकर ब्रेस्टफीड और बोतल से दूध पीने के बीच तब अक्सर यह समस्या आने लगती है. आइये इसे विस्तार से समझते हैं.
एक बच्चे को जब आर्टिफिशियल निपल्स; जैसे कि बोतल या पैसिफायर को चूसने की आदत पड़ जाती है तो फिर वह अक्सर ब्रेस्ट को ठीक से लैच नहीं कर पाता यानी कि ब्रेस्ट के निप्पल पर ठीक तरह से अपनी पकड़ नहीं बना पाता है और इस तरह उसको स्तनपान में दिक्कत महसूस होने लगती है. इसे ही निप्पल कंफ्यूज़न (Nipple confusion meaning in Hindi) कहते हैं.
ब्रेस्टफ़ीडिंग में एक ख़ास तरह से चूसने की टेक्निक काम करती है जो निप्पल को चूसने के तरीक़े से अलग होती है. जब कोई बच्चा सीधे ब्रेस्ट से दूध पीना शुरू करता है, तो वह वैक्यूम बनाने और दूध निकालने के लिए जीभ और जबड़े से एक साथ प्रेशर बनाता है जबकि, बोतल से दूध पिलाने में एक बिल्कुल अलग मोशन प्रयोग में आता है.
जन्म के बाद ब्रेस्टफ़ीडिंग की आदत पड़ने से पहले ही बच्चे को पेसिफायर देने या बोतल से फीड कराने से बच्चा बोतल के निप्पल का आदी हो जाता है और फिर ब्रेस्ट फीडिंग कराने पर उसके लिए अपने पुराने तरीक़े को बदलना मुश्किल हो सकता है.
निप्पल कंफ्यूज़न को लेकर एक्सपर्ट्स एकमत नहीं हैं. कुछ का मानना है कि यह एक आम समस्या है, जबकि अन्य का मानना है कि यह प्रॉब्लम बहुत कम बच्चों के साथ आती है जिसमें बच्चे की अपनी पसंद और सुविधा, पहली बार आर्टिफ़िशियल निप्पल इंट्रोड्यूस करने का समय और बच्चे की दो अलग-अलग फ़ीडिंग मेथड्स को अडॉप्ट करने की क्षमता जैसे फैक्टर महत्वपूर्ण हैं.
निप्पल कंफ्यूज़न के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं जिनमें से कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं.
लैचिंग में कठिनाई (Difficulty latching onto the breast): निप्पल कंफ्यूज़न होने पर बच्चे को लैचिंग यानी कि ब्रेस्ट पर ठीक तरह से ग्रिप बनाने में कठिनाई होती है. कई बार उन्हें अपना मुँह पूरा खोलने में या निप्पल को पूरी तरह से अपने मुँह में लेने में दिक्कत आती है.
ब्रेस्टफ़ीडिंग के दौरान चिड़चिड़ापन (Fussiness or frustration at the breast): निप्पल कंफ्यूज़न होने पर बच्चा ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान बेचैन या चिड़चिड़ा होकर रोता है और ब्रेस्ट को हाथों से दूर करने लगता है.
दूध ना पी पाना (Ineffective milk transfer): निप्पल कंफ्यूज़न होने पर बच्चा ब्रेस्ट से ठीक तरह से दूध नहीं चूस पाता जिससे उसका पेट खाली रह जाता है और न्यूट्रिएंट्स की कमी होने से वज़न ना बढ़ने की समस्या भी हो सकती है.
बॉटल से ही दूध पीना (Preference for artificial nipples): ऐसे बच्चे बोतल से दूध पीना पसंद करते हैं और उससे आसानी से फीड ले लेते हैं जबकि ब्रेस्टफीड कराने पर रोने लगते हैं.
माँ के निपल या ब्रेस्ट में दर्द (Nipple or breast pain for the mother): निप्पल कंफ्यूज़न माँ को भी दर्द और असुविधा दे सकता है क्योंकि बच्चे द्वारा ग़लत तरह से निप्पल को चूसने पर निपल्स में दर्द और क्रैक्स आ सकते हैं.
अगर आपको लग रहा है कि आपका बच्चा भी निप्पल कंफ्यूज़न से जूझ रहा है तो आप इन तरीक़ों को आज़मा सकते हैं.
लैक्टेशन एक्सपर्ट से मदद लें (Seek support): अपने डॉक्टर या लैक्टेशन एक्सपर्ट से फीड कराने का सही तरीक़ा सीखने में मदद लें जिससे बच्चे को ब्रेस्टफ़ीडिंग में आसानी हो सके.
ब्रेस्टफ़ीडिंग पोजीशन और लैचिंग (Optimal breastfeeding positioning and latch): सही पोजीशन में बेबी को ब्रेस्टफ़ीड करवाएँ और लैचिंग में बच्चे को मदद करें. बेबी को ब्रेस्ट के ठीक सामने रखना, उसके गर्दन और कंधों को एक हाथ से सहारा देना और अच्छी लैचिंग के लिए बच्चे का मुँह पूरी तरह से खुलना ज़रूरी है.
आर्टिफिशियलल निप्पल का उपयोग कम करें (Limit artificial nipple use): बोतल और पेसिफायर का यूज़ कम से कम करें.
पेस्ड बॉटल फ़ीडिंग टेक्निक (Paced bottle-feeding technique): यदि आप ब्रेस्ट पंप से निकाला हुआ दूध या फॉर्मूला मिल्क पिलाती हैं तो ‘पेस्ड बॉटल फीडिंग’ टेक्निक यूज़ करें. इसमें बोतल को वर्टिकल पोजिशन में पकड़ा जाता है जिसे बच्चे को ब्रेस्टफ़ीडिंग की तरह चूसना पड़ता है. इससे निपल कंफ्यूज़न की दिक्कत को कम करने में मदद मिलती है.
फ़ीडिंग के दौरान बच्चे की हेल्प करें (Offer support during feeding): हमेशा शांत और आरामदायक वातावरण में फीडिंग करवाएँ. ब्रेस्ट मिल्क फ्लो को बनाए रखने और अच्छी लैचिंग के लिए ब्रेस्ट को अपने हाथों से दबाकर बच्चे के मुँह में ठीक से प्लेस करें.
निप्पल कंफ्यूज़न से बच्चे को कई दिक्कतें हो सकती हैं; जैसे कि
बच्चा ब्रेस्टफ़ीडिंग नहीं कर पाता क्योंकि निप्पल की गड़बड़ी से बच्चे के लिए ब्रेस्ट को ठीक से मुँह में लेना और चूसना कठिन हो जाता है.
माँ को भी दूध पिलाने में कठिनाई होती है जिससे बच्चे की ग्रोथ और पोषण की कमी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं.
बार-बार ब्रेस्टफ़ीडिंग ट्राई करने पर बच्चे फ्रस्टेट हो जाते हैं और अक्सर दूध पीने से पूरी तरह से इंकार कर देते हैं.
निप्पल में गड़बड़ी बच्चे के फ़ीडिंग रूटीन को खराब कर देती है.
जब बच्चा पर्याप्त दूध नहीं पीता है तो इससे ब्रेस्टमिल्क प्रोडक्शन भी प्रभावित हो सकता है.
ऐसे बच्चों को आर्टिफ़िशियल निपल्स से दूध पीना ज़्यादा आसान लगने लगता है.
निप्पल कंफ्यूज़न से बचने में कुछ ख़ास तरह की फीडिंग बोतल और निप्पल का प्रयोग मददगार साबित हो सकता है; जैसे कि
धीमे फ्लो वाले निपल्स (Slow flow nipples): ऐसे निपल्स से दूध लगभग उसी तरह बाहर आता है जैसे ब्रेस्टफ़ीडिंग में, जहाँ दूध निकालने के लिए बच्चे को थोड़ी अधिक मेहनत करनी पड़ती है.
स्तन जैसा आकार (Breast-like shape): ऐसे निपल्स चुनें जिनका आकार ब्रेस्ट के साइज़ और शेप से मिलता-जुलता हो.
एंटी कोलिक फ़ीचर (Anti-colic features): एंटी कोलिक टेक्निक वाली बोतलें प्रयोग करें जिनका वेंटिंग सिस्टम या एयर वाल्व, बच्चे के पेट में हवा जाने से रोकता है और उसे गैस नहीं होती.
चौड़ी मुँह वाली बोतलें (Wide-neck bottles): चौड़ी गर्दन वाली बोतलों को साफ़ करना आसान होता है और इनमें बच्चे को अच्छी पकड़ बनाने में मदद मिलती है. इनके प्रयोग से बच्चे को बोतल से ब्रेस्टफीड में स्विच करने में आसानी होती है.
छोटे बच्चों को फ़ीडिंग के जरिये ही पर्याप्त पोषण मिलता है और ऐसे में निप्पल कंफ्यूज़न उनके पोषण से जुड़ी एक बड़ी चुनौती पैदा कर देता है. हालाँकि, यह भी सच है कि सभी बच्चों को यह समस्या नहीं आती. ऐसे में पेरेंट्स को शुरू से इस बारे में सावधानी रखनी चाहिए और नवजात शिशु के लिए पेसिफायर या निप्पल के प्रयोग से बचना चाहिए.
1. Mulford C. (1993). Nipple confusion.
2. Fisher C, Inch S. (1996). Nipple confusion-who is confused?
3. Zimmerman E, Thompson K. (2015). Clarifying nipple confusion.
4. Neifert M, Lawrence R, Seacat J. (1995). Nipple confusion: toward a formal definition.
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