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7 March 2024 को अपडेट किया गया
छोटे बच्चों में डायपर रैशेज होना एक कॉमन प्रॉब्लम है. यह रैशेज शरीर के उस हिस्से में हो जाते हैं जहाँ बच्चे ने डायपर पहना होता है; जैसे- बटक्स, जेनिटल या थाइज़. ऐसा अक्सर डायपर समय से ना बदलने, सेंसिटिव स्किन होने या नमी रह जाने के कारण होता है. आइये आपको विस्तार से बताते हैं कि डायपर रैशेज क्यों और कैसे होते हैं.
छोटे शिशुओं की स्किन सेंसिटिव होती है और उनके बार-बार सुसू- पॉट्टी करते रहने से डायपर के अंदर का एरिया गीला और भीगा हुआ रहता है. ऐसे में स्किन को पूरी तरह सूखने का मौक़ा नहीं मिलता है और इसमें जर्म्स की ग्रोथ होने लगती है. रैशेज होने पर बच्चे की स्किन लाल और सेंसिटिव हो जाती है और इससे बच्चा बहुत परेशान हो जाता है. हालाँकि डायपर रैश आमतौर पर सरल घरेलू उपचारों (Diaper rash ka gharelu ilaj) से तीन से चार दिनों में ठीक हो सकते हैं लेकिन बहुत ज्यादा गंभीर डायपर रैश होने पर दर्द और घाव तक हो जाते हैं जिसके लिए डॉक्टर से सलाह लेकर उचित इलाज करवाना ज़रूरी है.
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आगे बात करेंगे डायपर रैशेज के घरेलू उपचार की (diaper rash treatment at home) लेकिन उससे पहले आपको बताते हैं डायपर रैशेज कितने तरह के होते हैं.
बच्चे की त्वचा पर खुजली या जलन पैदा करने वाले रैशेज सबसे कॉमन हैं और इन रैशेज में बच्चे की स्किन को छूने पर उसे इरिटेशन होने लगती है. इस तरह के डायपर रैशेज के मुख्य कारण हैं पेशाब या पतले दस्त होना जिससे बच्चे की त्वचा लगातार भीगे रहने के कारण सेंसेटिव हो जाती है. कई बार डायपर और कई बार डायपर एरिया की क्लीनिंग में इस्तेमाल होने वाले वेट वाइप्स में लगे केमिकल्स के कारण भी रैशेज हो सकते हैं. इसके अलावा डायपर एरिया में लगाए गए लोशन या मलहम के कारण भी ऐसा हो सकता है.
इस तरह के रैशेज में बच्चे के डायपर एरिया की स्किन गुलाबी और लाल हो जाती है और उसे छूने या साफ करने में बेहद दर्द होने लगता है.
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कैंडिडा एल्बिकैंस (candida albicans) एक ऐसा यीस्ट है जो आँतों के अंदर रहता है और यहीं से यह स्टूल में भी आ जाता है. जब बच्चा डायपर में पॉटी करता है और कुछ समय तक उसे ऐसे ही छोड़ दिया जाता है तो डायपर के अंदर का गर्म और नम वातावरण यीस्ट को तेज़ी से पनपने में मदद करता है. सूखी स्किन की तुलना में बच्चे के डायपर एरिया की नम त्वचा पर कीटाणु आसानी और ज़्यादा तेज़ी से फैलते हैं. जब कैंडिडा एल्बिकैंस यीस्ट बच्चे की भीगी हुई सेंसिटिव और कोमल त्वचा पर लंबे समय तक रहता है, तो वहाँ पर ऐसे रैशेज हो जाते हैं, जिनमें बहुत दर्द होता है और कई सारे छोटे गोल धब्बे बन जाते हैं जो हल्के गुलाबी से लेकर लाल रंग के हो सकते हैं.
कभी-कभी बैक्टीरिया के कारण भी डायपर रैशेज की समस्या ज़्यादा गंभीर हो जाती है. ऐसा ख़ासकर तब होता है जब पहले से ही रैशेज के कारण त्वचा में सूजन हो और उसकी ऊपरी परत डैमेज हो गयी हो. इस स्थिति में बैक्टीरिया स्किन के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और फिर गहरा संक्रमण पैदा करते हैं. इसके लिए स्टैफिलोकोकस ऑरियस ((staphylococcus aureus) नाम का बैक्टीरिया ज़िम्मेदार होता है. जिससे रैशेज वाली जगह पर लाल दाने बन जाते हैं, जिनके बीच का हिस्सा सफ़ेद या पीला होता है. इन दानों के फूटने पर पस और मवाद भी निकलता है.
इसी तरह स्ट्रेप्टोकोकस पायोजेनेस (streptococcus pyogenes) एक दूसरे तरह का बैक्टीरियल डायपर रैश है जिसके कारण बड़ों में गले से संबन्धित समस्याएँ होती हैं लेकिन बच्चों में गंभीर डायपर रैशेज हो सकते हैं, जिसे पेरिअनल स्ट्रेप ( perianal strep) कहा जाता है. इसमें गुदा के चारों तरफ़ लाल रैशेज पड़ जाते हैं.
बच्चों की देखभाल के लिए अक्सर बेबी प्रोडक्ट्स; जैसे कि पाउडर, लोशन, मलहम का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन कभी-कभी इन प्रोडक्ट्स के कारण भी एलर्जी और रैशेज जैसे डायपर रैश के लक्षण उभरने लगते हैं. ये रैशज अक्सर इन प्रोडक्ट्स के पहली बार इस्तेमाल करने पर दिखाई देते हैं, लेकिन कई बार हफ़्तों तक इस्तेमाल के बाद भी ये समस्या हो शुरू हो सकती है. एलर्जिक कॉन्टैक्ट डर्मटाइटिस संक्रमण का सबसे बड़ा कारण इन प्रोडक्ट्स में मिलाई गयी खुशबू, कलर या केमिकल्स होते हैं.
कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स जो अक्सर एलर्जी का कारण होते हैं, वो हैं डायपर एरिया को साफ़ करने के लिए यूज़ किए जाने वाले बेबी वाइप्स, मलहम और क्रीम, क्लॉथ डायपर को साफ़ करने के लिए इस्तेमाल किया गया डिटर्जेंट या डिस्पोजेबल डायपर बनाने के लिए प्रयोग किया गया केमिकल, आदि.
एलर्जिक कॉन्टैक्ट डर्मटाइटिस संक्रमण में बच्चे की स्किन का जो हिस्सा एलर्जेन से प्रभावित होता है. वहाँ लाल, पपड़ीदार दाने हो जाते हैं. कई बार यह दाने डायपर एरिया से बाहर भी फैल सकते हैं. इस तरह के डायपर रैशेज शुरुआत में धीमे -धीमे बढ़ते हैं लेकिन अगर आपने जल्द ही एलर्जी वाले प्रोडक्ट को पहचान कर उसका प्रयोग बंद नहीं किया तो ये स्थिति गंभीर भी हो सकती है.
डायपर रैशेज के शुरुआती हल्के लक्षणों का इलाज घर पर ही (diaper rash home remedies in Hindi) किया जा सकता है. इसके कुछ असरदार घरेलू उपाय इस प्रकार हैं.
बच्चे को रैशेज से बचाने के लिए उसके डायपर को सूखा और साफ़ रखना बेहद ज़रूरी है. डायपर गंदा होने पर जितनी जल्दी हो सके उसे बदल देना चाहिए. डायपर बदलते समय उस एरिया को मुलायम कपड़े या एक बोतल से पानी की हल्की धार डालकर आराम से साफ़ करें. वाइप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन स्किन को बहुत ज़ोर से न रगड़ें और साथ ही अल्कोहल वाले वाइप्स के बजाय 98% वाटर वाले वेट वाइप्स का प्रयोग करें जो त्वचा को ड्राई नहीं करते; बल्कि सौम्यता से साफ़ करते हैं. माइलो के जेंटल बेबी वाइप्स जो विटामिन ई, कोकोनट ऑइल और नीम के एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर हैं आपके बच्चे के रैशेज़ वाली स्किन को साफ़ करने का एक बढ़िया ऑप्शन है. स्किन में दाने हो जाने पर बच्चे को कुछ समय के लिए बिना डायपर के ही रहने दें.
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डिस्पोज़ेबल डायपर के बजाय क्लॉथ डायपर को यूज़ करें क्योंकि इसके कई फ़ायदे हैं, लेकिन जब आपके बच्चे को डायपर रैश हों तो उस दौरान इनका इस्तेमाल ना करें. डायपर रैश ठीक होने तक ज्यादा सोखने वाले डिस्पोज़ेबल डायपर का उपयोग करें जिसके लिए ADL टेक्नोलोजी से बने डायपर बेस्ट हैं जो 360 डिग्री अब्सॉर्प्शन करते हैं और बच्चा देर तक सूखा रहता है. याद रखें सूखापन रैशेज़ को जल्दी ठीक करने का पहला और प्राकृतिक उपाय है. इसके अलावा ग़लत आकार का डायपर पहनाने से भी रैशज़ होने की संभावना बढ़ सकती है और अगर पहले से रैशेज़ हों तो उन्हें जल्दी ठीक होने में दिक्कत आती है. बहुत अधिक टाइट डायपर से भी स्किन नमी के डायरेक्ट टच में रहती है और यह तेजी से दाने बढ़ने का कारण बन सकता है. इसी के साथ बहुत बड़ा डायपर रगड़ पैदा करता है जिससे रैशेज के चकत्ते और भी ज्यादा बदतर हो सकते हैं.
हालाँकि, बाजार में बहुत सी डायपर रैश क्रीम उपलब्ध हैं लेकिन आप कुछ ख़ास सामग्रियों का उपयोग करके आसानी से घर पर भी रैश क्रीम बना सकते हैं. इसे बनाने के लिए चाहिए 1 कप नारियल तेल, 1 कप जैतून का तेल, 8 बूंदें लैवेंडर एसेंशिअल ऑइल, 6 बूँदेंं लेमन एसेंशिअल ऑइल और 4 बूँदें टी ट्री एसेंशियल ऑइल. इन सभी को एक साथ मिला कर फ्रिज में स्टोर करें. हर बार बच्चे का डायपर बदलते हुए इसे लगाएँ.
ब्रेस्टफ़ीडिंग कराने वाली अधिकतर महिलाएँ जानती हैं कि ब्रेस्टमिल्क बच्चे का पेट भरने के अलावा भी बहुत काम ही चीज़ है. बच्चे को रैशेज हो जाने पर उन पर ब्रेस्ट मिल्क लगाने की सलाह दी जाती है. हालाँकि, इसका कोई मेडिकल प्रूफ तो नहीं है लेकिन इसे ट्राई करने में कोई नुक़सान भी नहीं है.
ब्रेस्ट मिल्क में बायोडायनामिक गुणों के साथ-साथ एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ भी होती हैं और यह एंटी बॉडीज़ से भरपूर होता है जिसे त्वचा पर लगाने से राहत मिलती है.
एप्पल साइडर विनेगर या सेब का सिरका फंगल और यीस्ट इन्फेक्शन पर बेहद प्रभावी ढंग से काम करता है. इसके प्रयोग से डायपर रैश जल्दी ठीक हो जाते हैं. यह रैशेज को खराब करने वाले बैक्टीरिया को ख़त्म करता है जिससे यीस्ट की ग्रोथ रुक जाती है. एक कप पानी में एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिलाएँ और हर बार जब भी आप अपने बच्चे का डायपर बदलें तो उसके डायपर एरिया को इससे धोएँ.
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नारियल का तेल काफ़ी हाइड्रेटिंग होता है. साथ ही इसमें एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो यीस्ट रैश पर बहुत अच्छा काम करते हैं. अपनी एंटी इन्फ़्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज़ के कारण, जैतून का तेल दर्द भरे रैशेज से छुटकारा पाने में बेहद मदद करता है. अपने बच्चे के दानों पर जैतून के तेल की कुछ बूँदें मलने से उसे खुजली वाली स्किन से राहत मिलेगी.
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डायपर रैश के प्रिवेंशन और इलाज़ के लिए इस बात का ध्यान रखें कि आप डायपर एरिया को अधिक से अधिक सूखा रखें और बच्चे के हाइजीन को बनाए रखें. ऐसा करने के लिए डायपर को बार-बार बदलना और डायपर एरिया को हल्के, खुशबू रहित बेबी वाइप्स या गर्म पानी से आराम से साफ़ करना ज़रूरी है. किसी भी डायपर रैश ट्रीटमेंट का प्रयोग करने से पहले बच्चे की स्किन को हवा लगने दें. इन छोटी -छोटी बातों से डायपर रैश को रोकने और ठीक करने में आपको काफ़ी मदद मिलेगी.
1. Prasad HR, Srivastava P, Verma KK. (2003). Diaper dermatitis--an overview. Indian J Pediatr.
2. Blume-Peytavi U, Kanti V. (2018). Prevention and treatment of diaper dermatitis. Pediatr Dermatol.
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