back search
Browse faster in app
ADDED TO CART SUCCESSFULLY GO TO CART
  • Home arrow
  • Diapering arrow
  • How to Change Baby Diaper in Hindi | बेबी का डायपर कैसे बदलें? arrow

In this Article

    How to Change Baby Diaper in Hindi | बेबी का डायपर कैसे बदलें?

    Diapering

    How to Change Baby Diaper in Hindi | बेबी का डायपर कैसे बदलें?

    12 September 2023 को अपडेट किया गया

    डिस्पोज़बल डायपर किस से बना होता है?

    बच्चों के डिस्पोज़बल डायपर porous film से बने होते हैं जिसमें वुड पल्प, प्लास्टिक (अब अधिकांश डायपर में SAP होता है), टिशू पेपर और पॉलिएस्टर, नॉन-वूवन कपड़ा लगा होता है. पॉलीथीन, पॉलीप्रोपाइलीन, अधेसिव, और हुक टेप आदि की बनी होती है. लंबे समय तक गीला डायपर पहनने से बच्चे को रैशेज हो सकते हैं.

    बच्चों के डिस्पोज़बल डायपर को कब बदलें

    नए माता-पिता होने के नाते, ऐसी बहुत सी बातें हैं जो आपको परेशान करती हैं और इनमें से सबसे मुश्किल है बच्चे का डायपर बदलना. नए माता-पिता, हालाँकि डॉल्स और सॉफ्ट टॉय पर डिस्पोजेबल डायपर बदलने की प्रैक्टिस करते हैं. इसमें कोई शक नहीं कि बच्चों का डायपर बदलना बहुत मुश्किल काम हो सकता है क्योंकि बच्चे चार महीने के होते ही घूमना फिरना शुरू कर देते हैं.

    याद रखिएगा कि छोटे बच्चे अपने जीवन के शुरुआती दिनों में, एक दिन में 10-20 बार पेशाब करते हैं, और लगभग 4 बार potty करते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि वह 6 महीने तक केवल अपनी मां का दूध पीते हैं. बड़े बच्चे का डायपर 6-8 बार बदलना चाहिए.

    छोटे बच्चों का डायपर दिन में 2-3 घंटे बाद बदलना चाहिए.

    डिस्पोज़बल डायपर को सोने के पहले बदलना चाहिए ताकी बच्चा चैन की नींद ले सके और हेवी डायपर की वजह से हुए रैशेज होने से बच सकें.

    ये भी पढ़े :डायपर का इस्तेमाल दे सकता है आपके बच्चे को यूटीआई की समस्या- जानिए कारण और उपचार

    बच्चों का डायपर बदलने में देरी होने पर:

    बच्चों का डायपर बार-बार बदलने की जरूरत होती है. इनकी त्वचा बहुत नाजुक होती है, इसलिए डायपर गीला होते ही बदल लेना चाहिए. गीला रहने से रैशेज हो सकते हैं. जब ऐसा होता है, तो जांघ, प्राइवेट पार्ट्स और बम्स के पास त्वचा लाल और रूखी दिखाई देती है. हो सकता है डायपर बदलने के समय बच्चा परेशान करेगा. यह आमतौर पर घरेलू उपचार की तरह जैसे हवा में सुखाने, मलहम और डिस्पोजेबल डायपर के बार-बार बदलने से खुद ब खुद ठीक हो जाते हैं.

    निम्नलिखित कारणों से रैशेज हो सकते हैं:

    • डिस्पोजेबल डायपर बदलने में देरी करने पर,
    • अगर डायपर टाइट है जिस से स्किन रगड़ रही है,
    • डायपर बदलने के दौरान नए प्रोडक्ट उपयोग करने से बच्चे को एलर्जी हो सकती है
    • यीस्ट, वेक्कटीरिया या फंगल इन्फेक्शन
    • सेन्सिटिव त्वचा के कारण
    • या तो मां ने कुछ नई चीज़ खाई हो या बच्चे के खाने में बदलाव किया हो. इसके कारण दस्त और लूज़ मोशन हो सकते हैं.

    अगर घरेलू नुस्खों से त्वचा नहीं ठीक होती, तो अब समय है डॉक्टर के पास जाने का. इन संकेतों पर नज़र डालें:

    • बुखार
    • अजीब से रैशेज
    • रैशेज जो घरेलू उपचार और मलहम के बावजूद नहीं ठीक होते.
    • रैशेज जिसमें खून, ऊज़िंग या पस दिखाई दे.
    • रैशेज जिसके कारण बच्चे के पेशाब या potty में रुकावट आ रही हो.

    डायपर रैशेज से बचने के उपाय

    • डायपर गीला होते ही तुरंत बदलें.
    • बदलने से पहले अपने हाथ अच्छी तरह धोएँ.
    • बच्चे की हल्के गरम पानी, कॉटन वुल, या बेबी वाइप्स से सफाई करें, चाहें उन्होंने potty या पेशाब किया हो या नहीं.
    • डायपर वाली जगह ध्यान दें कि बच्चे की फोल्ड स्किन को ठीक से और हल्के से साफ करें
    • अगर पानी गरम है, तो बच्चे को नैपी मैट पर लेटने दें. नैपी पहनने से स्किन पर रैशेज होने का डरअक्सर बना रहता है.
    • डायपर बदलते समय नया डायपर पहनाने से पहले सुनिश्चित करें की नैपी के आसपास चारों और बच्चे की स्किन सुखी हुई हो.
    • सही आकार का नैपी सिलेक्ट करें जो की ना ज़्यादा बड़ा हो ना ज़्यादा छोटा.
    • नियमित रूप से क्रीम या कोई भी दवाई लगाते रहें. डायपर में जहां अधेसिव लगा है वहाँ क्रीम न लगायें नहीं तो वह चिपकेगा नहीं.

    दुबारा उपयोग करने योग्य डायपर:

    1. डायपर कई आकार में उपलब्ध होते हैं. अलग-अलग डायपर के साथ एक्सपेरिमेंट करके नए माता-पिता को देखना चाहिए कि उनके बच्चे के लिए कौन सा डायपर बेहतर है. डिस्पोज़बल डायपर के लाभ भी है तो नुकसान भी, जैसे कि कोस्ट, सस्टैनिबिलिटी, और सुविधा इत्यादि.

    2. कपड़े के डायपर एक बहुत अच्छा विकल्प हैं. लेकिन इसके उपयोग करने से पहले इनकी सफाई और स्टरलाइज़ करने में बहुत समय लगता है. इन्हें मशीन में 60 डिग्री सेल्सियस पर धोया जा सकता है.

    3. बच्चों के रीयूज़ेबल डायपर के अंदर लाइनर (कपड़ा) लगाना ना भूलें.

    4. बच्चों इनमें आरामदायक महसूस करते हैं. उन्हें लंबे समय तक नहीं पहना जा सकता और बहुत जल्दी बदलना पड़ता है. अगर बच्चे को बार बार रैशेज हो जाते हैं तो नाज़ुक मसलीन कपड़ा उनके लिए एक बहुत ही बढ़िया विकल्प रहेगा.

    ये भी पढ़े : न्यूबॉर्न बेबी एसेंशियल्स: आपके लिए जरूरी सामान की लिस्ट

    निरीक्षण

    नए माता-पिता होने के नाते, डायपर बदलना बहुत मुश्किल काम हो सकता है. इसमें कोई नियम कानून नहीं है; समय के साथ आप भी सीख जाएंगे. हर बच्चा अलग होता है, और मां-बाप के लिए अपने बच्चे के रूटीन और उसके डायपर बदलने के समय के बारे में जानना बहुत आवश्यक है. इस प्रक्रिया को डायपर चेंज चार्ट के माध्यम से और भी सुधारा जा सकता है.

    Is this helpful?

    thumbs_upYes

    thumb_downNo

    Written by

    newagemum

    newagemum

    Read from 5000+ Articles, topics, verified by MYLO.

    Download MyloLogotoday!
    Download Mylo App

    RECENTLY PUBLISHED ARTICLES

    our most recent articles

    100% Secure Payment Using

    Stay safe | Secure Checkout | Safe delivery

    Have any Queries or Concerns?

    CONTACT US
    +91-8047190745
    shop@mylofamily.com
    certificate

    Made Safe

    certificate

    Cruelty Free

    certificate

    Vegan Certified

    certificate

    Toxic Free

    About Us
    Mylo_logo

    At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:

    • Mylo Care: Effective and science-backed personal care and wellness solutions for a joyful you.
    • Mylo Baby: Science-backed, gentle and effective personal care & hygiene range for your little one.
    • Mylo Community: Trusted and empathetic community of 10mn+ parents and experts.

    All trademarks are properties of their respective owners.2017-2023©Blupin Technologies Pvt Ltd. All rights reserved.