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    How to Bottle-Feed a Baby in Hindi | अपने बच्चे को बोतल से दूध कैसे पिलाएं?

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    How to Bottle-Feed a Baby in Hindi | अपने बच्चे को बोतल से दूध कैसे पिलाएं?

    12 September 2023 को अपडेट किया गया

    नवजात शिशु को बोतल से दूध पिलाने के लिए माता-पिता फॉर्मूला या ब्रेस्ट मिल्क का इस्तेमाल कर सकते हैं. बच्चे के लगभग छह महीने के हो जाने पर माता-पिता आमतौर पर बोतल से दूध पिलाना पसंद करते हैं.

    नवजात शिशु को बोतल से दूध पिलाना

    बोतल फीडिंग स्तनपान का एक सुरक्षित विकल्प है और यह उस स्थिति में मददगार साबित हो सकता है जब माँ बच्चे को स्तनपान नहीं करा पाती है या जब बच्चा छह महीने से ज्यादा का हो जाता है.

    शिशु को बोतल से दूध पिलाना कब शुरू करना चाहिए?

    स्तनपान कराने वाली माताओं को बच्चे के कम से कम एक महीने के होने के बाद ही बोतल देनी शुरू करनी चाहिए। यह बच्चे को स्तनपान कराने की आदत डालने में मदद करता है और दूध का उत्पादन भी बढ़ाता है. जो माता-पिता बोतल से दूध पिलाना चाहते हैं, वे जन्म के बाद से ही अपने नवजात शिशु को बोतल देना शुरू कर सकते हैं.

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    बच्चे को बोतल से दूध पिलाने का सबसे अच्छा तरीका

    बोतल से दूध पिलाने का अनुभव हर बच्चे के लिए अलग हो सकता है. कुछ बच्चे जल्दी ही दूध पीना शुरू कर देते हैं, जबकि कुछ को थोड़े प्रोत्साहन की जरूरत पड़ती है. इसे आसान बनाने के लिए माता-पिता इन सरल चरणों का पालन कर सकते हैं:

    1. बोतल तैयार करना

    फॉर्मूला मिल्क का इस्तेमाल करते समय पानी और फॉर्मूला के सही अनुपात का इस्तेमाल करके दूध तैयार करें। बोतल को गर्म पानी में रखकर नरम कर लें. ताजा निकाला हुआ दूध बच्चे को तुरंत दिया जा सकता है. लेकिन अगर मां के दूध को फ्रिज में रखा गया है तो बाहर निकालने के बाद उसे गर्म करना जरूरी होता है.

    2. बोतल की जांच करना

    बच्चे को बोतल देने से पहले माता-पिता को दूध के तापमान की जांच करनी चाहिए. यदि दूध आपकी कलाई पर गुनगुना लगता है, तो यह बच्चे को देने लायक है लेकिन अगर यह गर्म है, तो पहले इसे ठंडा कर लेना चाहिए.

    3. बोतल से दूध पिलाने के लिए आरामदायक स्थिति में बैठना

    बोतल से दूध पिलाने से पहले माता-पिता को आरामदायक स्थिति में बैठना चाहिए. साथ ही उन्हें बोतल को थोड़ा झुका कर रखना चाहिए ताकि दूध आराम से बच्चे के मुंह में जा सके.

    4. निप्पल की जाँच करना

    यदि शिशु स्तनपान के दौरान असहज महसूस करता है, तो माता-पिता को निप्पल की जांच करनी चाहिए. बच्चे के आराम के हिसाब से दूध का प्रवाह बहुत अधिक या बहुत कम हो सकता है. उन्हें निप्पल को बदलना चाहिए और सही तरह से बच्चे को दूध पिलाने के लिए एक बार उसे बच्चे के हिसाब से चेक कर लेना चाहिए.

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    बोतल से दूध पिलाने से संबंधित समस्याएं और समाधान

    1. बच्चा बोतल नहीं ले रहा है: माता-पिता को एक नई बोतल या निप्पल देकर देखनी चाहिए और उससे बच्चे को दूध पिलाने की कोशिश करनी चाहिए.
    2. बोतल का दूध खत्म किए बिना बच्चा सो जाता है: माता-पिता को बच्चे को दूध पिलाने के लिए धीरे से जगाना चाहिए. बेहतर फीडिंग के लिए उन्हें बच्चे का एक शेड्यूल तैयार करना चाहिए.
    3. दूध पिलाते समय बच्चा रोता है: कभी-कभी बच्चे तब रोते हैं जब उनके पेट में गैस बन गयी हो या उन्हें डकार दिलवाने की जरूरत हो.
    4. बच्चे को जुकाम है और वह दूध नहीं पी पा रहा है: जुकाम होने पर बंद नाक के कारण बच्चे मुंह से सांस लेते हैं जिसके कारण वे दूध नहीं पी पाते हैं. इस स्थिति में माता-पिता को पहले उनके जुकाम का इलाज करना चाहिए और तब बच्चे को दूध पिलाने की कोशिश करनी चाहिए.

    संकेत जिनसे पता चलता है कि बच्चा भूखा है

    माता-पिता निम्नलिखित कारणों से जान सकते हैं कि उनका बच्चा भूखा है:

    1. अगर बच्चा दूध पीने के बाद भी रोता है.
    2. वह अपने हाथ चूसता है और चटखारे जैसी आवाज़ निकालता है.
    3. बार-बार मुंह खोलता है और लार टपकाता है.
    4. मुंह से बोतल या ब्रेस्ट ढूंढ़ता है.

    नवजात शिशु को कितनी मात्रा में दूध पिलाना चाहिए?

    नवजात शिशु को रोजाना कितना दूध पिलाना चाहिए इसका कोई सटीक माप नहीं है. यह प्रत्येक बच्चे की भूख पर निर्भर करता है. लेकिन माता-पिता का सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अपने बच्चे के सही विकास के लिए उसे हर तीन से चार घंटे मेंएक बार दूध जरूर पिलाएं.

    माता-पिता को अपने बच्चों के लिए किस तरह की बोतल का इस्तेमाल करना चाहिए?

    माता-पिता किसी भी ऐसी बोतल और निप्पल का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसके साथ बच्चा सहज हो पाए. सलाह के लिए वे अन्य नए माता-पिता और बाल रोग विशेषज्ञों से भी बातचीत कर सकते हैं.

    बोतल से दूध पिलाने के दौरान बच्चे के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करना

    बोतल से दूध पिलाने से बच्चे का परिवार के उन सदस्यों के साथ एक मजबूत रिश्ता बन जाता है जो उन्हें दूध पिलाते हैं.

    ब्रेस्ट मिल्क हटाकर बोतल की शुरुआत करना

    दूध छुड़ाना बच्चे और मां दोनों के लिए मुश्किल होता है, इसलिए माता-पिता को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय, धीरे-धीरे बच्चे का दूध छुड़ाएं और बोतल से दूध पिलाना शुरू करें।

    जब बच्चा बोतल के लिए मना करता है

    आमतौर पर बच्चे भूख न लगने पर ही बोतल के लिए मना करते हैं। कुछ बच्चों को दूध पीने से पहले नहाना अच्छा लगता है, जबकि अन्य अपनी बोतल बोतल का निप्पल बदलना चाहता है.

    फीडिंग कप का इस्तेमाल

    माता-पिता छह महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए फीडिंग कप का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह एक साल का होने के बाद बच्चे को बोतल से ज्यादा कप में दूध पीने के लिए प्रेरित करता है.

    बिस्तर पर बोतल से दूध पिलाने के जोखिम और कठिनाइयाँ

    नवजात शिशुओं को बिस्तर पर बोतल से दूध पिलाने से उन्हें इसकी आदत हो जाती है और फिर उन्हें बोतल के बिना नींद नहीं आती है. इसके कारण उन्हें दम घुटने जैसा खतरा भी हो सकता है और यह दांतों की सड़न या कान के संक्रमण का कारण भी बन सकता है.

    ये भी पढ़े : जब दूध पिलाते वक़्त बच्चा लेने लगे हिचकी, तो क्या करें ?

    बोतल से दूध पिलाने के टिप्स

    माता-पिता को चाहिए कि:

    1. वे बच्चे के रोने से पहले ही बोतल तैयार कर लें.
    2. स्तनपान कराने वाली माताओं को अपने साथी की मदद लेकर बच्चे को बोतल से दूध पिलाना चाहिए.
    3. शुरुआत में कम मात्रा में दूध पिलाएं और अगर बच्चे अधिक भूख है तो उसमें थोड़ा सा और डाल दें.

    ध्यान रखने योग्य बातें

    1. माता-पिता को बच्चे को जबरदस्ती दूध नहीं पिलाना चाहिए.
    2. माता-पिता को बोतल से दूध पिलाते समय बच्चे को पकड़ कर रखना चाहिए और बोतल को थोड़ा झुका लेना चाहिए.
    3. बच्चे को लिटाकर उसके मुँह में बोतल नहीं देनी चाहिए क्योंकि यह बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
    4. बच्चे की भूख में हमेशा बदलाव आता रहता है.
    5. उन्हें बोतल में शिशु आहार नहीं डालना चाहिए. केवल फॉर्मूला और स्तन के दूध का इस्तेमाल किया जा सकता है.

    Tags: How to Bottle-Feed a Baby in English

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