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    PCOS Symptoms And Treatment in Hindi | पीसीओएस होने पर कैसे रखें ख़ुद का ख़्याल?

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    PCOS Symptoms And Treatment in Hindi | पीसीओएस होने पर कैसे रखें ख़ुद का ख़्याल?

    21 September 2023 को अपडेट किया गया

    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) महिलाओं की ओवरी को युवावस्था के सबसे फर्टाइल वक़्त के दौरान बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. इसके कारण अनियमित पीरियड्स, एक्सट्रा एण्ड्रोजन का प्रोडक्शन, और ओवरीज़ पर छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं. पीसीओएस के कुछ और लक्षणों में (PCOS symptoms and treatment in Hindi) पीरियड्स के दौरान भारी ब्लीडिंग, हिर्सुटिज़्म (hirsutism) और प्रेग्नेंसी होने में कठिनाई होना भी शामिल हैं. ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि क्या मेडिकल ट्रीटमेंट (PCOS treatment in Hindi) के अलावा भी पीसीओएस को कंट्रोल किया जा सकता है?

    पीसीओएस से राहत पाने के घरेलू उपाय (Home remedies for PCOS in Hindi)

    जी हाँ, लाइफस्टाइल में बदलाव, कुछ खास वस्तुओं का सेवन और योगासन से आप पीसीओएस को असरदार रूप से कंट्रोल कर सकते हैं. आइये सबसे पहले बात करते हैं लाइफस्टाइल से जुड़े बदलावों की.

    1. एप्पल साइडर विनेगर (Apple cider vinegar)

    एप्पल साइडर विनेगर कई हेल्थ प्रॉब्लम के लिए एक नेचुरल ट्रीटमेंट है. पीसीओएस में यह बढ़े हुए वज़न को असरदार रूप से कम करने और इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाकर इसके सिम्प्टम्स को कंट्रोल करने में मदद करता है. माइलो की 100% नेचुरल एप्पल साइडर विनेगर (Mylo 100% Natural Apple Cider Vinegar) से बनी ACV टेबलेट्स इस के सेवन का एक आसान तरीक़ा है.

    इसे भी पढ़ें : एप्पल साइडर विनेगर के फ़ायदे और नुक़सान

    2. पीसीओएस टी (PCOS Tea)

    घर पर कुछ ख़ास आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को काढ़े या चाय तो तरह बना कर नियमित सेवन करने से भी पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में असरदार रूप से मदद मिलती है. इसमें आसानी के लिए आप

    माइलो पीसीओएस और पीसीओडी टी (Mylo PCOS & PCOD Tea) भी ट्राई कर सकते हैं जो शंखपुष्पी, कैमोमाइल, मंजिष्ठा और शतावरी से बने 100% नेचुरल टी बैग्स हैं और पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में बेहद इफेक्टिव है.

    3. नियमित एक्सरसाइज (Regular exercise)

    रेगुलर एक्सरसाइज, इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार और हार्मोन्स रेगुलेशन में मददगार है जिससे बढ़े हुए वज़न को कम करने में मदद मिलती है. इसके लिए नियमित रूप से कार्डिओवेस्कुलर एक्सरसाइज़ जैसे; कि ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, साइकिलिंग, जैसे व्यायाम करें.

    4. पटसन के बीज (Flaxseeds)

    पटसन के बीज लिगनेन, फाइबर और ओमेगा-3 फैटी रिच होते हैं जिनसे हार्मोनल बैलेंस और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है. साथ ही फाइबर से डाइज़ेशन तथा वेट मैनेजमेंट में मदद मिलती है.

    5. रिलेक्सेशन टेक्निक (Relaxation techniques)

    पावरफुल रिलेक्सेशन टेक्निक स्ट्रेस मैनेजमेंट में लाभदायक हैं जो पीसीओएस के मुख्य कारणों में से एक है. गहरी साँस, मेडिटेशन, प्रोग्रेसिव मसल्स रिलैक्सेशन (progressive muscle relaxation) और योग का अभ्यास, कोर्टिसोल के लेवल को घटा सकता ओवर ऑल वेल बीइंग में सुधार आता है.

    योग भी करता है पीसीओएस को ठीक करने में मदद (Yoga for PCOS in Hindi)

    अब बात करते हैं कुछ ऐसे योगासनों (Yoga for pcos in Hindi) की, जो पीसीओस के लक्षणों को कंट्रोल करने में बेहद कामयाब हैं. जिनमें से पहला है,

    1. सुप्त बद्ध कोणासन (रिक्लाइनिंग बाउंड एंगल पोज़) (Supta Baddha Konasana (Reclining Bound Angle Pose)

    सुप्त बद्ध कोणासन (Reclining Bound Angle) में धीरे से कमर और कूल्हों को फैलाकर लोअर बॉडी के रिलेक्स किया जाता है जिससे ओवरीज़ और पेल्विस एरिया को बल मिलता है और हार्मोनल बैलेंस आता है.

    2. भारद्वाजासन (Bharadvajasana Seated Twist)

    भारद्वाजासन (Bharadvaja's Twist) एक योग मुद्रा है जिसमें शरीर को इस तरह से मोड़ा जाता है कि डाइज़ेशन बेहतर होने लगे. इससे इंसुलिन रेसिस्टेंट व्यक्तियों को फायदा होता है. यह हल्का ट्विस्ट रीढ़ की हड्डी में लचीलेपन को बढ़ाता है और पेट के हिस्से में स्ट्रेस को कम करता है.

    3. धनुरासन (धनुष मुद्रा) (Dhanurasana (Bow Pose)

    धनुरासन में बॉडी धनुष के समान स्ट्रेच होती है जिसे इससे पेट का एरिया और रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स स्टिमुलेट होते हैं. ब्लड सर्कुलेशन और हार्मोनल बैलेंस बढ़ता है. साथ ही, कोर मसल्स की टोनिंग होती है जिससे डाइज़ेशन मज़बूत होता है.

    4. जानु शीर्षासन (सिर से घुटने तक आगे की ओर झुकना) (Janu Sirsasana (Head-to-Knee Forward Bend)

    सिर से घुटने तक आगे की ओर झुकने वाली योग मुद्रा, जानु शीर्षासन में आगे की ओर झुकने से हैमस्ट्रिंग मसल, पीठ के निचले हिस्से और पेल्विस एरिया में खिंचाव पड़ता है जिसे वहाँ ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. हार्मोनल संतुलन के साथ ही ओवरीज़ को भी बल मिलता है.

    5. विपरीत करणी (Viparita Karani (Legs-Up-The-Wall Pose)

    विपरीत करणी, या लेग्स अप द वॉल पोज़ में पैर ऊपर स्थिर करने से खून का बहाव पेल्विस एरिया की तरफ होने लगता है जिसे वहाँ ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स का स्ट्रेस कम होकर उन्हें बल मिलता है.

    इसे भी पढ़ें: जानें फर्टिलिटी योग से कैसे बढ़ती है गर्भधारण की संभावनाएँ

    1. पीसीओएस होने पर क्या खाएँ? (Foods for PCOS in Hindi)

    लाइफस्टाइल और योग के जुड़े बदलावों के बाद अब बात करते हैं पीसीओएस डाइट (PCOS diet chart in Hindi) की. इसमें आपको कुछ चीज़ें नियमित रूप से खानी चाहिए वहीं कुछ फूड आइटम्स को पूरी तरह से बंद कर देना होगा.

    पहले बात करेंगे उन चीज़ों की (PCOS diet in Hindi) जो आपको ज़रूर खानी चाहिए; जैसे कि-

    2. पत्तेदार सब्ज़ियाँ (Leafy greens)

    हाई न्यूट्रिएंट डेंसिटी के कारण पीसीओएस में हरी सब्जियों को ज़रूर खाना चाहिए. लो कैलोरी होने के साथ ही फाइबर, विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर पालक, केल, जैसी हरी सब्जियाँ ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करके फूड क्रेविंग्स को कम करती हैं जिसे वज़न कम करने में मदद मिलती है.

    3. लीन प्रोटीन (Lean proteins)

    पोल्ट्री, फिश, अंडे, टोफू और बीन्स जैसे लीन प्रोटीन सोर्सेज ज़रूरी हैं जिनसे टिशू रिपेयर और हार्मोनल बैलेंस के लिए ज़रूरी अमीनो एसिड मिलते हैं. ये एनर्जी लेवल को भी स्थिर बनाए रखते हैं और मसल्स की ग्रोथ में भी मदद करते हैं. भोजन में इन प्रोटीन सोर्सेज़ को शामिल करने से एपेटाइट कंट्रोल मैनेजमेंट, और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद मिलती है.

    4. हेल्दी फैट (Healthy fats)

    हेल्दी फैट्स; जैसे- एवोकाडो, नट्स, सीड्स, ऑलिव ऑइल, फैटी फिश जैसे सैल्मन और नारियल तेल जैसे सोर्सेस से ओमेगा-3 फैटी एसिड मिलते हैं जिनमें एंटी इन्फ़्लेमेटरी गुण होते हैं. इनसे हार्मोनल असंतुलन को कंट्रोल करने में आसानी होती है.

    5. फाइबर से भरपूर फूड्स (Fiber-rich foods)

    पीसीओएस डाइट में, फाइबर रिच फूड; जैसे- क्विनोआ, ब्राउन राइस और गेहूँ जैसे होल व्हीट के अलावा दाल, छोले और बीन्स को शामिल करें. इसके अतिरिक्त कई रंगों वाली सब्ज़ियाँ और फल जो सोल्यूबल और इंसोल्यूबल दोनों तरह के फाइबर से भरपूर होते हैं और डाइज़ेशन में सहायक होने के अलावा भोजन के ग्लाइसेमिक इम्पैक्ट को भी कम करते हैं.

    इसे भी पढ़ें: फर्टिलिटी डाइट से कैसे बढ़ती है गर्भधारण की संभावनाएँ?

    पीसीओएस होने पर क्या न खाएँ? (Foods to avoid with PCOS in Hindi)

    प्रोसेस्ड फूड्स (Processed foods)

    इंसुलिन सेंसिटिविटी, वेट मैनेजमेंट और हार्मोनल संतुलन को गड़बड़ाने वाले प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए. इनमें रिफाइंड शुगर, अनहेल्दी फैट और एडिटिव्स होते हैं जिसे ब्लड शुगर तेज़ी से बढ़ती है हार्मोन असंतुलन का खतरा बढ़ता.

    शुगर वाली चीज़ें (Sugary beverages)

    पीसीओएस डाइट में मीठी ड्रिंक्स से परहेज़ करना भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि इससे इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ता है जो पीसीओएस में एक आम समस्या है. अधिक चीनी का सेवन हार्मोनल असंतुलन भी पैदा करता है जिसे वज़न बढ्ने की समस्या होई सकती है.

    ट्रांस फैट (Trans fats)

    कई प्रोसेस्ड और तले हुए फूड आइटम्स जैसे जंक फूड आदि में ट्रांस फैट होता है जो पीसीओएस के लक्षणों को बढ़ाता है. वहीं ट्रांस फैट के कम से कम सेवन से इंसुलिन सेंसिटिविटी, हार्मोनल रेगुलेशन और वेट मैनेजमेंट में मदद मिलती है.

    इसे भी पढ़ें: पीसीओएस और फर्टिलिटी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

    प्रो टिप (Pro Tip)

    पीसीओएस एक चिंताजनक स्थिति है जिससे इंफर्टिलिटी जैसी बड़ी समस्या तक पैदा हो सकती है. शुरुआत से ही एक बैलेंस लाइफस्टाइल अपनाने पर आप इस समस्या से बच सकते हैं. वहीं, अगर आप को पीसीओएस से जुड़े लक्षण दिखाई देने लगें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें.

    रेफरेंस

    1. Legro RS. (2017). Evaluation and Treatment of Polycystic Ovary Syndrome.

    2. Rasquin LI, Anastasopoulou C, Mayrin JV. (2022). Polycystic Ovarian Disease.

    3. Ndefo UA, Eaton A, Green MR. (2013). Polycystic ovary syndrome: a review of treatment options with a focus on pharmacological approaches.

    4. Sadeghi HM, Adeli I, Calina D, Docea AO, Mousavi T, Daniali M, Nikfar S, et al. (2022). Polycystic Ovary Syndrome: A Comprehensive Review of Pathogenesis, Management, and Drug Repurposing.

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    PCOS self-care in English, Polycystic Ovary Syndrome: Treatment, Management in Telugu, Polycystic Ovary Syndrome: Treatment, Management in Bengali, Polycystic Ovary Syndrome: Treatment, Management in English

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