Fertility Problems
12 December 2022 को अपडेट किया गया
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं के सेक्स हॉर्मोन्स एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का संतुलन बिगड़ जाता है. इससे ओवेरियन सिस्ट बन जाती है. पीसीओएस एक महिला के मासिक धर्म चक्र, प्रजनन क्षमता, हृदय की कार्यवाही और रूप-आकार को प्रभावित कर सकता है.
महिलाओं को होने वाली आम बीमारी में से एक है पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस). यह परेशानी मुख्य रूप से 15 से 30 वर्ष की उम्र की महिलाओं में ज़्यादा पाई जा रही है. भारत में लगभग 10% महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं.
पीसीओएस के लक्षण लक्षण शुरुआत में हल्के ही होते हैं. किसी भी महिला में ये लक्षण कम से कम और ज़्यादा से ज़्यादा भी हो सकते हैं. सबसे आम लक्षण हैं:
हालांकि यह परेशानियां पीसीओएस के कारण ही हो रहीं हैं, ऐसा आवशयक नहीं है.
गर्भावस्था में आपकी अतिरिक्त देखभाल की जाएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि पीसीओएस होने से गर्भावस्था में वजन संबंधी जटिलताएं होने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे कि:
बता दें कि गर्भधारण के समय स्वस्थ वजन होना इन सभी जोखिमों को कम कर सकता है.
पीसीओएस का उपचार नहीं किया जा सकता, मगर आपको अपने लक्षणों को बेहतर करने में मदद मिल सकती है. हो सकता है आप बिना दवाइयों के पीसीओएस को नियंत्रित कर सकें. अगर,आपका वजन सामान्य से अधिक है, तो आपको सबसे पहले डॉक्टर से स्वस्थ खान-पान और व्यायाम के बारे में सलाह लेनी होगी. स्वस्थ बी.एम.आई. हासिल करने और उसे बनाए रखने से हार्मोन स्तरों के संतुलन और लक्षणों में सुधार में मदद मिलती है. व्यायाम और स्वस्थ आहार से आपको पीसीओएस की वजह से मनोभावों में होने वाले बदलावों पर काबू पाने में मदद मिल सकती है.
पीसीओएस एक विकार है, जो महिला सेक्स हार्मोन में असंतुलन का कारण बनता है. असंतुलन कई प्रकार के लक्षण पैदा कर सकता है और एक महिला की प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है.
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Written by
Mittali Khurana
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