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Caring for your Newborn
10 August 2023 को अपडेट किया गया
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नवजात शिशुओं में फटे होंठों की समस्या सामान्य बात है। आमतौर पर यह बहुत चिंता की बात नहीं है, लेकिन अगर इनको नज़रअंदाज कर दिया जाए तो यह छोटे शिशु को दूध पीने में तकलीफ दे सकता है। इसलिए इसपर ध्यान रखने की जरूरत होती है। यहां हम नवजात शिशुओं में फटे होंठों की समस्या की उन सभी बातों पर विस्तार से चर्चा करेंगे जो हर कोई जानना चाहता है।
मौसम: जब मौसम बहुत ठंडा या गरम होता है, और शुष्क हवा चलती है, शिशु के होंठ नमी खो देते हैं और सूखे हो जाते है।
मुंह से सांस लेना: सर्दी की वजह से जब नवजात शिशुओं की नाक बंद हो जाती है तो वे अपने मुंह से सांस लेते हैं। इस कारण हवा सीधे होंठों से संपर्क में आती है, जो उन्हें सूखा और दरार युक्त बना देती है।
पानी की कमी: गरम मौसम और अपर्याप्त दूध की मात्रा के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। यह सूखेपन की वजह हो सकती है।
एलर्जी का प्रभाव: लिप बाम, स्किन केयर प्रोडक्ट,रूई के खिलौने , कपड़े या कंबल आदि एलर्जी की वजह हो सकते हैं।
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दवाइयां: दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण बच्चों को फटे होंठों की समस्या हो सकती है।
होंठ चूसना और लार टपकाना: जब शिशु अपने होंठों को लगातार चूसते रहते हैं, तो उनकी लार मुंह से भाप बन जाती है। इसके कारण होंठों का सूखना शुरू हो जाता है और बाद में फटने लगता है।
जन्म के कुछ सप्ताह बाद तक नवजात शिशु की पपड़ी निकलती है। इसका कारण ये होता है की नवजात की त्वचा बाहरी वातावरण में सामंजस्य बनाती है। कई महीनों तक नवजात पेट के अंदर पानी में नहाया रहता है। फटे हुए होंठ पपड़ी निकालने की ही आगे की कड़ी है।
इसके अलावा नवजात की त्वचा बहुत पतली, कोमल और संवेदनशील होती है। होंठ की तेल ग्रन्थि नहीं होती है। तेल वाहक की कमी की वजह से नवजात शिशुओं के होंठ सूख जाते हैं और जल्दी फटने लगते हैं।
कावासाकी रोग जैसी गंभीर स्थिति कम ही आती है। यह रक्त वाहिकाओं के सूजन का कारण होता है। अगर बच्चे को बुखार और फटे होंठों की समस्या हो तो बेहतर यही होगा कि तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
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यह कैसे जानेंगे कि आपके शिशु के शरीर में पानी की कमी है?
पेशाब कम होना: अगर शिशु का डाईपर छः घंटे या उससे अधिक देर तक सूखा रहे
मल कम होना या कब्ज़ होना
हाथ पैर ठंडे होना
काम या बिना आंसू से रोना
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सामान्य समय से कम खेलना
सिर के ऊपर की ओर धंसा हुआ निशान
गहरी तेज़ सांस चलना
सूखी त्वचा और होंठ
अगर आपके शिशु के फटे होंठों में कुछ हफ्ते बाद भी सुधार नहीं आता, तो ये दूसरी स्वास्थ्य समस्या के लक्षण हो सकते हैं।
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माँ का दूध : शिशु के फटे होंठों के उपचार के लिए यह सबसे उत्तम विधि है। शिशु के होंठ पर मां के दूध की बस कुछ बूंदे डालें।
नारियल का तेल: बिना खुशबू वाले शुद्ध नारियल के तेल में लौरिक एसिड होता है जो मां के दूध में पाया जाता है। नारियल का तेल लगाने से होंठों की नमी बने रखने में मदद मिलती है।
लेनोलिन क्रीम: लेनोलिन फटे हुए निपल के उपचार में सहायक होते हैं। उसी तरह यह शिशु के फटे होंठों के उपचार के लिए भी इस्तेमाल किए जाते हैं।
शिशु के कमरे को शुष्क हवा से बचाने के लिए हयूमेडिफायर (हवा में नमी बनाए रखने वाला उपकरण) का इस्तेमाल करें।
खराब मौसम से बचाने के लिए शिशु के अच्छे से कपड़े में लपेट कर रखें। यह ध्यान रहे कि बच्चे का कपड़ा मौसम के अनुकूल हो।
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अगर ठंड या शुष्क मौसम है तो नारियल तेल या बेबी सेफ लिप बाम लगाएं।
शिशु के फटे होंठों की समस्या सामान्य बात है और यह घरेलू उपचार से दूर हो सकती है। हालांकि अगर यह अधिक समय के लिए बनी रहे और कुछ अन्य लक्षण भी दिखाई दें तो यही बेहतर होगा कि डॉक्टर को दिखा लें।
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Written by
Parul Sachdeva
A globetrotter and a blogger by passion, Parul loves writing content. She has done M.Phil. in Journalism and Mass Communication and worked for more than 25 clients across Globe with a 100% job success rate. She has been associated with websites pertaining to parenting, travel, food, health & fitness and has also created SEO rich content for a variety of topics.
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