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    Caring for your Newborn

    तीन महीने के बच्चे का कैसे रखें खास ख़याल

    12 December 2022 को अपडेट किया गया

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    अब तक तो आप नैप्पी बदलने और उसकी हर छोटी जरुरत का ध्यान रखने में एक्सपर्ट हो चुकी होंगी लेकिन एक तीन महीने के बच्चे का ध्यान रखने के लिए और उसके ठीक विकास को सुनिश्चित करने के लिए आपको एक सही सलाह और साथ की जरूरत पड़ती है. आपके तीन महीने के बच्चे के लिए क्या खाना, कितना खाना व किस तरह की देखभाल की जरुरत है, इन सबके बारे में आज हम आपको बताएँगे क्योंकि आपका और हमारा साथ करेगा आपके बच्चे का पूर्ण विकास!

    तीन महीने के बच्चे का क्या खिलाना है सही?

    एक तीन महीने के बच्चे के लिए ब्रैस्टमिल्क के सिवा कोई ऐसा आहार नहीं जो हर रूप में सम्पूर्ण हो. और इतना छोटा बच्चा पूरी तरह माँ के दूध पर ही निर्भर करता है. कुछ एक परिस्थितियों जैसे माँ का मौजूद न होना या फिर किसी और प्रॉब्लम के चलते ही उसे बाहर का खाना दिया जाता है. ऐसा तब भी होता है जब शिशु को दूध से एलर्जी हो. ये सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर की सलाह के साथ ही किया जाता है क्योंकि बच्चा इस वक़्त ज़िन्दगी के बहुत ही नाज़ुक मोड़ पर होता है जहाँ छोटी सी चीज़ भी उस पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है.

    कैसे रख सकते हैं आप अपनी नन्ही जान का ख़ास ख्याल?

    1. ब्रैस्टफीडिंग का कोई सप्लीमेंट नहीं

    तीन महीने के बच्चे के लिए ब्रैस्टमिल्क से हेअल्थी कुछ भी नहीं. इस पड़ाव में बच्चा धीरे-धीरे एक फीडिंग शेड्यूल बनाने की कोशिश कर रहा है तो ऐसे वक़्त में बेबी जूस, गाय का दूध या किसी भी तरह का सॉलिड फ़ूड देने की गलती न करें. यदि आप वर्किंग है तो आप ब्रैस्टपंप की हेल्प से मिल्क को स्टोर करके फ्रीज़ में रख सकती हैं. और ये दूध 48 घण्टों तक खराब नहीं होता.

    2. अपने बच्चे से एक बॉन्डिंग बनाएं

    तीसरे महीने में आपका बच्चे पहले के मुकाबले आवाजों और इशारों को समझने लगा है और कई बार उस पर रिस्पॉन्ड भी करने लगा है. उसका ध्यान खींचने के लिए सांग्स और राइम्स का यूज़ करें. जैसे कि अब आपका बेबी चीज़ों को पकड़ने लगा है तो उसके हाथ में सॉफ्ट टॉयज दें ताकि उसकी पकड़ बने. उससे बातें करें. ऐसा करने से आपकी बॉन्डिंग मजबूत होगी.

    3. बच्चे का स्लीपिंग शेड्यूल बनायें

    एक तीन महीना का बच्चा 5 से 6 घंटे लगातार सो सकता है ऐसे में जरुरी है कि आप उसे रात में सुलाना शुरू करें. कोशिश करें कि उसे पीठ के बल सुलाएं और उसे अपने आप सोने दें. चाहे बेबी बीच में उठे या रोये, तो परेशान न हो, थोड़ी देर में वह अपने आप सो जाएगा. बच्चों का तो काम ही है ऐसा करना!

    4. बच्चे के विकास का रखें ख़ास ख़याल

    ये ऐसा वक़्त है जब बच्चे के शरीर में, हाव-भाव में कई बदलाव आते हैं जैसे चबाने की आदत,सकिंग (चूसना), आवाज़ करके चबाना, लार टपकाना और भी बहुत कुछ. चाहे इस समय तक आपके बेबी के दांत आने का कोई चांस नहीं लेकिन उन्हें टीदर से प्यार हो जाता है और उन्हें उसे मुँह में लेने में बहुत मज़ा आता है. बेबी को रोज पार्क ले जाएँ क्योंकि नेचर से बड़ा कोई दोस्त कोई सुकून नहीं.

    5. सुरक्षा है सबसे जरुरी

    आपका छोटा बच्चा अब चालाक होने लगा है और अपने आस-पास की चीज़ों को लेकर बहुत एक्ससाइटेड भी. इसीलिए तो जो चीज़ उसे अपनी पहुंच में लगती है वो जाती है सीधा उसके मुँह में. तभी जरूरी है आपको हर दम उसका साया बनकर उसके साथ रहना.

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    Written by

    Shaveta Gupta

    An expert in content marketing, Shaveta is an alumnus of IIT, Bombay, she knows what the audience is looking for. Mother of a 6 year old, she has been instrumental in planning the content strategy at Mylo.

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