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    Walker For Baby In Hindi | बच्चे के लिए वॉकर का उपयोग कब और कैसे करें?

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    Walker For Baby In Hindi | बच्चे के लिए वॉकर का उपयोग कब और कैसे करें?

    26 October 2023 को अपडेट किया गया

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    अपने नन्हें शिशु को पहला कदम रखते हुए देखने का आप को भी बेसब्री से इंतज़ार होगा. पुराने जमाने में बड़े बुजुर्ग सीख देते थे कि जब बच्चा पहली बार खुद से कदम बढ़ाए तो उसके पाँव पर एक चाँदी का सिक्का रखना चाहिए और नज़र उतारनी चाहिए. असल में चलने की शुरुवात का यही मतलब है कि अब धीरे धीरे आपका बच्चा इंडिपेंडेंट होता जाएगा और इस माइलस्टोन को थोड़ा आसान बनाने के लिए आप अपने नन्हे मुन्ने को एक वॉकर ला कर दे सकते हैं जिसके सहारे से उसे चलना सीखने में मदद मिलेगी. अब आप पूछेंगे कि बच्चे को वॉकर कब दे? तो आइये सबसे पहले जानते हैं कि वौकर किस स्टेज में लाना चाहिए. (baby ko walker kab dena chahiye)

    शिशु के लिए बेबी वॉकर का उपयोग करना कब उचित है?

    बच्चे के लिए वौकर का इस्तेमाल शुरू करने की कोई फिक्स एज़ नहीं है. सही समय जानने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जैसे कि

    • बच्चे की फिजिकल स्ट्रेंथ कितनी है
    • उसकी ग्रोथ उसकी उम्र के अनुसार कैसे हो रही है
    • बच्चा अपने सिर को स्थिर रखने में सक्षम है या नहीं
    • और वॉकर में बैठाने पर उसके पैर फर्श को छू रहे है या नहीं

    इन बातों के आधार पर आप को ये पता चल जाएगा कि क्या आपका शिशु वौकर में बैठाने और उसके सहारे से चलना सीखने के लिए तैयार है या नहीं? बच्चा वौकर का सही इस्तेमाल तब कर पाता है जब उसके पैर फर्श को छूने लगें. वॉकर आमतौर पर 4 से 16 महीने की उम्र के बच्चों के लिए बनाया जाता है और इस अवधि के दौरान ऊपर बताई गयी बातों को चैक करके आप अपने बच्चे की रेडिनेस का अंदाज़ा लगा सकते हैं.

    बेबी वॉकर के फायदे

    बेबी वौकर के इस्तेमाल के कई फायदे हैं. जैसे कि

    • वॉकर के इस्‍तेमाल से बच्‍चे एक्‍ट‍िव रहते हैं और चलने की कोशिश करते रहते हैं.
    • ज्यादातर बेबी वॉकर में बच्चों को आकर्षित करने वाले म्यूजिकल टौएज लगे होते हैं जिन्हें बच्चा प्ले करता है और इसमें मेंटली और फिजिकली एंगेज रहता है.
    • इसकी मदद से उन्‍हें एक जगह से दूसरी जगह जाने में हेल्प मिलती है और इस तरह अपनी क्यूरोसिटी के अनुसार वो घर के एक बड़े हिस्से को एक्सप्लोर करते रहते हैं.
    • वॉकर बच्‍चे को चलने के लिए इंडिपेंडेंट बनाता है लेकिन साथ ही उसे ग‍िरने से भी बचाये रखता है.
    • वौकर की मदद से बच्चे को यह समझने में मदद मिलती है कि उसे कैसे खड़ा होना है.
    • ज‍िन बच्‍चों को क‍िसी भी वजह से खड़े होने या इंडिपेंडेंटली चलने में द‍िक्‍कत होती है उनके ल‍िए वॉकर अच्‍छा ऑप्शन है.
    • छोटे बच्‍चों को चलने में मदद करने के ल‍िए ही वॉकर बनाया गया और इसकी मदद से बच्‍चा आसानी से चलना सीख सकता है.

    बेबी वॉकर का उपयोग करने के नुकसान

    बेबी वॉकर के उपयोग के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं जैसे कि,

    • बच्चे के सामान्य विकास में रौल-सिटअप-क्रॉल और फिर वॉकिंग का क्रम होना चाहिए. इस विकास क्रम के पहले तीन चरणों के लिए उसे जमीन पर ज्यादा से ज्यादा रहना जरूरी है. इससे शिशु के खड़े होने और चलने के लिए ज़रूरी सभी मांसपेशियों में मजबूती आती है लेकिन वॉकर के इस्तेमाल से बच्चा ज़मीन पर कम रहता है और इससे उसका सामान्य शारीरिक विकास बाधित हो सकता है.
    • वौकर में बैठने पर बच्चे अपने पैरों पर ज़ोर लगाते हैं जिससे वह आगे बढ़ते हैं. बच्चा अगर उस उम्र में ऐसा करने लगे जब उसका शरीर ठीक से खड़े होने के लिए तैयार ही नहीं है तो इससे बच्चे को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है. इसलिए पेरेंट्स होने के नाते ये आपको ही डिसाइड करना होगा कि बच्चे को वॉकर कब दे। (baby ko walker kab dena chahiye)
    • वॉकर के साथ चलने पर बच्चे के घुटनों के नीचे की हड्ड‍ियों का ज्यादा इस्‍तेमाल होता है ज‍िससे इन हड्ड‍ियों में क्रैम्‍प की समस्‍या पैदा हो सकती है.
    • कई बार ये भी देखा जाता है कि अगर आपने बच्चे को समय से पहले वौकर पर बैठाना शुरू कर दिया तो इससे बच्‍चे के पैर पर लगातार दबाव पड़ने से पैर अंदर की ओर झुक जाते हैं.
    • कई र‍िसर्च ये भी कहती हैं कि जो बच्‍चे वॉकर की मदद लेकर चलना सीखते हैं उनका व‍िकास वॉकर इस्‍तेमाल न करने वाले बच्‍चों के मुकाबले धीमा होता है.
    • सुरक्षा की दृष्टि से भी वॉकर छोटे बच्‍चों के लिए कई बार चोट का कारण बन जाता है. इसमें बैठ के चलने हुए बच्चा सीढ़ी या ऊंची नीची सतह से ग‍िर सकता है.
    • वौकर में लगे हुए पहिये तेज़ी से चलते हैं और उनके साथ बच्चा भी तेज़ गति से आगे बढ़ता है. इस कारण बच्चे को चोट लगने का खतरा भी होता है.

    क्या बेबी वॉकर बच्चे को बैलेंस करने में मदद करता है?

    बच्चे का ज़मीन पर पलटना, घुटने के बल चलना और फिर खड़े होने की कोशिश करते हुए धीरे धीरे चलने लग जाना एक नेचुरल प्रक्रिया है. इससे बच्चा ये सीखता है कि उसे खुद को कैसे बैलेंस करना है. जब बच्चा वॉकर ले कर चलना सीखता है तो उसके पहियों के घूमने के साथ बच्चा अपने कूल्हों की मदद से आगे बढ़ने लगता है. लेकिन इस वजह से बच्चे को बैलेंस बनाना सीखने में कोई मदद नहीं मिलती है. वॉकर के इस्तेमाल के बाद भी बच्चे को बैलेंस बनाना खुद से ही सीखना पड़ता है. खुद से चलने वाले बच्चों के शरीर में कई तरह का मसल मूवेमेंट होता रहता है जो वॉकर में बैठने वाले बच्चों में नहीं होता. यह एक बड़ा कारण है कि ऐसे बच्चों को चलना सीखते हुए बैलेंस बनाने में समय लगता है.

    बेबी वॉकर का उपयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

    वॉकर का इस्तेमाल करना शुरू करते हुए बच्चे की सेफ़्टी से जुड़ी कुछ सावधानियां बरतनी बहुत ज़रूरी हैं. आइये जानते हैं कि हमें किन बातों का ख्याल रखना चाहिए.

    • ध्यान दें कि बेबी वॉकर में बच्चे को केवल फ्लैट सरफेस पर ही चलने दें.
    • वॉकर में बैठने के बाद बच्चे को सीढ़ियों और पानी वाली जगहों से दूर रखें.
    • बच्चे के वॉकर में बैठने के दौरान आप उसकी निगरानी करते रहें.
    • शार्प और पॉइंटेड वस्तुओं को बच्चे के आस पास से हटा दें.
    • किसी भी तरह की भारी या टूटने वाली चीजों को भी बच्चे की पहुँच से दूर ही रखें.
    • बच्चे को वॉकर में चलने की आदत लंबे समय तक के लिए न लगाएं.
    • ज्यादा समय तक वॉकर में रहने से बच्चे की रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंच सकता है.

    बच्चों के लिए बेबी वॉकर के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं. लेकिन पेरेंट्स होने के नाते आपके लिए ये ज़रूरी है कि अपने बच्चे की शारीरिक ग्रोथ और क्षमता के अनुरूप सही उम्र में ही उसे बेबी वौकर में बैठाएँ. दिन में कुछ समय के लिए ही इसका इस्तेमाल करें और इस दौरान बच्चे को अपनी नज़रों के सामने रखें. इस तरह से बच्चे के विकास में रुकावट आए बिना उसे चलना सीखने में मदद मिलेगी और वह सुरक्षित भी रहेगा.

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    Written by

    Kavita Uprety

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