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    Vricocele in Hindi | पुरुषों के लिए मुश्किल का कारण बन सकता है वेरीकोसील!

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    Vricocele in Hindi | पुरुषों के लिए मुश्किल का कारण बन सकता है वेरीकोसील!

    7 December 2023 को अपडेट किया गया

    वेरीकोसील एक ऐसी कंडीशन है (varicocele in Hindi) जिसमें टेस्टीकल्स की नसें असामान्य रूप से सूज जाती हैं. यह पैरों में होने वाली वेरिकोस नसों की तरह है जिसमें टेस्टीकल्स की नसें भी पैर की वेरिकोस नसों की तरह सूज कर विकृत हो जाती हैं. डॉक्टर्स का मानना है कि यह समस्या टीनएज से ही शुरू हो जाती है और समय के साथ बढ़ती जाती है. आइये जानते हैं कि वेरीकोसील (varicocele meaning in Hindi) होने की स्थिति में क्या होता है.

    वेरीकोसील क्या होता है? (Varicocele meaning in Hindi)

    टेस्टीकल्स किसी भी पुरुष के लिंग के पीछे की स्किन में बनी हुई ऐसी थैली है जिसमें उसके वृषण (testes) यानी टेस्टीकल्स होते हैं. वेरीकोसील एक ऐसा डिसऑर्डर है जिसमें स्क्रोटम यानी कि इस थैली की नसें सूज जाती हैं. जिससे इसमें सूजन और टेस्टीकल्स में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. कई बार इसमें कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देता है लेकिन फिर भी ये इनफर्टिलिटी जैसी समस्या का कारण बन सकता है.

    वेरीकोसील के लक्षण क्या होते हैं? (Varicocele symptoms in Hindi)

    वेरीकोसील आमतौर पर टेस्टीकल्स के बाईं तरफ होता है और इसके लक्षण (varicocele symptoms in Hindi) इस प्रकार होते हैं;

    1. देर तक खड़े रहने पर हल्का दर्द या बेचैनी होना लेकिन लेटने पर दर्द से राहत मिलना.

    2. छोटे वेरीकोसील को छूने से पता चलता है लेकिन काफी बड़ा हो जाने पर आप इसे टेस्टीकल्स के ऊपर एक थैली की तरह देख सकते हैं.

    3. दोनों टेस्टीकल्स के साइज में अंतर. ऐसे में इफेक्टेड टेस्टीकल दूसरे की तुलना में काफ़ी छोटा होता है.

    4. वेरीकोसील के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या भी हो जाती है लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है.

    वेरीकोसील के कारण होने वाले कॉम्प्लिकेशन (Complications caused by varicoceles in Hindi)

    वेरीकोसील होने की स्थिति में कुछ इस प्रकार के कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं;

    1. इनफर्टिलिटी (Infertility)

    वेरीकोसील की समस्या से परेशान ज़्यादातर लोगों में इंफर्टिलिटी की समस्या नहीं होती है. लेकिन वेरीकोसील से पीड़ित लोगों में इनफर्टिलिटी का प्रतिशत सामान्य लोगों की तुलना में अधिक पाया जाता है. यह अंतर इसलिए हो सकता है क्योंकि वेरीकोसील स्पर्म बनाने और स्टोर करने में रुकावट पैदा करता है. सूजी हुई नसें स्पर्म्स को नुकसान पहुँचा सकती हैं और इससे उनकी संख्या में कमी आ सकती हैं. जिन लोगों का स्पर्म काउंट एवरेज से थोड़ा कम होता है, उनमें वेरीकोसील के कारण इंफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है.

    2. टेस्टिकुलर एट्रोफी (Testicular atrophy)

    टेस्टीकल्स की नसों में एक-तरफ़ वाल्व होते हैं जो ब्लड को टेस्टीकल्स (testicles) और स्क्रोटम से हार्ट तक वापस जाने देने का काम करते हैं. वेरीकोसील में जब यह नसें सूज जाती हैं तो टेस्टीकल्स (testes) के साइज में फ़र्क आ जाता है. टेस्टीकल्स (testes) के अपने नॉर्मल साइज़ से छोटा होने को टेस्टिकुलर एट्रोफी कहते हैं और ऐसा एक या दोनों टेस्टीकल में देखा जा सकता है.

    इसे भी पढ़ें : टेस्टिकुलर अल्ट्रासाउंड क्या होता है जानें इसकी कंप्लीट प्रोसेस

    3. दर्द और बेचैनी (Pain and discomfort)

    आमतौर पर वेरीकोसील की समस्या में टेस्टीकल्स और जाँघोंं के जोड़ के बीच (groin area) में हल्का दर्द महसूस होता है. कुछ मामलों में शार्प पेन भी हो सकता है. साथ ही, टेस्टीकल्स में हमेशा भारीपन का अनुभव होता है. एक्सरसाइज करने, ज़्यादा चलने या देर तक खड़े रहने पर दर्द और बेचैनी भी महसूस होती है.

    4. टेस्टिकुलर ग्रोथ को नुक़सान (Testicular growth impairment)

    जैसे कि वेरीकोसील की समस्या से पीड़ित पुरुषों के टेस्टीकल्स के साइज में अंतर आ जाता है. उसी तरह जो टीनएज लड़के भी वेरीकोसील की समस्या का सामना करते हैं उनके भी टेस्टीकल्स की ग्रोथ, फंक्शन और हार्मोनल डेवलपमेंट में प्रॉब्लम आ सकती है.

    वेरीकोसील का ट्रीटमेंट (Varicocele treatment in Hindi)

    आइये अब जानते हैं इसके ट्रीटमेंट के बारे में!

    1. फिजिकल एग्जामिनेशन (Physical examination)

    डॉक्टर वेरीकोसील की जाँच करने के लिए आपकी मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों के बारे में पूछेंगे. इसके अलावा फिज़िकल एग्जामिनेशन भी करेंगे जिसमें आपसे खड़े होने, गहरी साँस लेने, फिर नाक और मुँह बंद रखकर हवा को बाहर निकालने के लिए ज़ोर लगाने के लिए कहेंगे. जब आप अपनी साँस रोक रहे होंगे और ज़ोर लगाते हुए स्ट्रेस में होंगे तो डॉक्टर फूली हुई नसों को चेक करने के लिए टेस्टीकल्स और स्क्रोटम की जाँच करेंगे.

    2. स्क्रोटल अल्ट्रासाउंड (Scrotal ultrasound)

    वेरीकोसील की जाँच के लिए यूरोलॉजिस्ट (Urologist) स्क्रोटल अल्ट्रासाउंड भी करा सकता है. इस अल्ट्रासाउंड में उन 3 मिलीमीटर से ज़्यादा चौड़ी नसों का पता चल जाता है जिनमें ब्लड फ़्लो ख़राब हो रहा है. अल्ट्रासाउंड से ही टेस्टीकल्स का साइज़ भी देखा जाता है जिससे इलाज करने में आसानी होती है. अगर फिजिकल एग्जामिनेशन में कोई प्रॉब्लम महसूस नहीं होती है तो ऐसे में अल्ट्रासाउंड नहीं करवाया जाता है.

    3. सीमन एनालिसिस (Semen analysis)

    अगर वेरीकोसील से आपकी फर्टिलिटी (fertility) पर असर पड़ रहा हो तो डॉक्टर सीमन एनालिसिस के लिए कहते हैं. इस टेस्ट में एक साफ़ कंटेनर में सीमेन का सैंपल लिया जाता है जिसे लैब में भेजते हैं और स्पर्म्स की हेल्थ और काउंट की जाँच की जाती है.

    4. ट्रीटमेंट के विकल्प (Treatment options)

    वेरीकोसील का ट्रीटमेंट (varicocele treatment in Hindi) स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है. साथ ही क्या इस समस्या का कोई नेगेटिव इम्पैक्ट मरीज़ के ऊपर हो रहा है या नहीं. इस के अनुरूप कई तरह से इसका ट्रीटमेंट किया जाता है.

    • अगर इससे फर्टिलिटी से संबन्धित कोई प्रॉब्लम नहीं आ रही है तो फिर ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं है.

    • लक्षणों में सुधार के लिए अपने डेली रूटीन में बदलाव करें. साथ ही कुछ ख़ास एक्सरसाइज, टाइट अंडरवियर और देर तक खड़े रहने से बचें.

    • टेस्टीकल्स पर बर्फ या ठंडी पट्टी लगाने से दर्द और परेशानी से राहत मिलती है. बर्फ को सीधे स्किन पर लगाने के बजाय तौलिये में लपेटकर या आइस पैक के रूप में प्रयोग करें. एक बार में 15 मिनट से ज़्यादा देर तक न लगायें.

    • डॉक्टर की सलाह से सूजन कम करने वाली दवाइयाँ और पैन किलर्स लें.

    • ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर वेरीकोसेलेक्टॉमी की सलाह दे सकते हैं. ये एक ऐसी सर्जरी है जिससे फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाले गंभीर वेरीकोसील का ट्रीटमेंट किया जाता है.

    वेरीकोसील सर्जरी क्या होती है? (What is varicocele surgery in Hindi)

    वेरीकोसील के लिए की जाने वाली सर्जरी को वेरीकोसेलेक्टॉमी कहते हैं. इसमें सर्जन फूली हुई प्रभावित नसों को काट कर सील कर देता है. जिससे ब्लड का फ़्लो टेस्टीकल्स की हेल्दी नसों में बिना रुकावट के जाने लगता है.

    1. ओपन सर्जरी (Open surgery)

    ओपन सर्जरी (varicocele surgery in Hindi) में सर्जन स्किन और टिश्यू को काट देता है. जिससे वेरीकोसील से प्रभावित एरिया को ठीक से देख सके. इसके लिए सर्जन कई तरीके अपनाते हैं. जैसे -

    • पेट के सबसे निचले हिस्से यानी ग्रोइन एरिया (groin) में मौजूद इनजुइनल कैनाल (inguinal canal) के रास्ते वेरीकोसील तक पहुँचते हैं.

    • या फिर ग्रोइन में मौजूद इनजुइनल लिगामेंट (inguinal ligament) के रास्ते वेरीकोसील तक पहुँच सकते हैं.

    • या आपके पेरिटोनियम (peritoneum) के पीछे से वेरीकोसील तक पहुँच सकता है. पेरिटोनियम एक पारदर्शी, पानीदार झिल्ली होती है जो पेट को को कवर करती है.

    2. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic surgery)

    सर्जरी के इस प्रोसेस में सर्जन आपके पेट के निचले हिस्से में कई छोटे कट (चीरे) लगाते हैं . फिर वो आपके वेरीकोसील को कंप्यूटर स्क्रीन पर देखने के लिए इन चीरों में एक लेप्रोस्कोप (laparoscope) यानी कि एक पतली रॉड जिसके साथ एक कैमरा जुड़ा होता है उसे डालते हैं. कैमरे से वेरीकोसील की स्थिति देखने के बाद उसकी सर्जरी करने के लिए इन्हीं चीरों में से छोटे इन्स्ट्रुमेंट का उपयोग किया जाता है.

    3. माइक्रोसर्जिकल सर्जरी (Microsurgical surgery)

    वेरीकोसेलेक्टॉमी के इस प्रोसेस में ग्रोइन एरिया के थोड़ा ऊपर कई छोटे कट (चीरे) लगाए जाते हैं. यहाँ वेरीकोसील को देखने के लिए एक शक्तिशाली ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप (operating microscope) का उपयोग किया जाता है. वेरीकोसील की जाँच के बाद इन्हीं चीरों के माध्यम से कई छोटे इन्स्ट्रुमेंट की मदद से सर्जरी की जाती है. इन सर्जरी के आमतौर पर कोई गंभीर (varicocele surgery side effects in Hindi ) साइड इफेक्ट नहीं होते हैं.

    इसे भी पढ़ें : पुरुषों से पिता बनने का सुख छीन सकता है एजुस्पर्मिया!

    क्या सर्जरी के बिना वेरीकोसील का ट्रीटमेंट हो सकता है? (Varicocele treatment without surgery in Hindi)

    वेरीकोसील का इलाज बिना सर्जरी (varicocele treatment without surgery in Hindi) के भी हो सकता है. यह एक ऐसा प्रोसेस है जिसे इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट (interventional radiologist ) करता है जिसे वैरिकोसेले एम्बोलिज़ेशन या कैथेटर-निर्देशित एम्बोलिज़ेशन (Varicocele embolization or Catheter-directed embolization) कहते हैं.

    वैरिकोसेले एम्बोलिज़ेशन एक नॉन-सर्जिकल प्रोसेस है जो इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट करता है. इसे वेरीकोसील के ट्रीटमेंट के लिए बेहद प्रभावी रूप से उपयोग किया जाता है. वैरिकोसेले के फ़ायदे इस प्रकार हैं:

    1. इसमें नार्मल सर्जरी से ज़्यादा तेजी से ठीक होते हैं.

    2. जनरल एनेस्थीसिया की कोई जरूरत नहीं पड़ती.

    3. कोई चीरा (कट) नहीं लगता

    4. अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है

    5. सर्जरी के जोखिम कम के साथ ही स्पीडी रिकवरी.

    6. टांके नहीं लगते.

    7. इन्फेक्शन का रिस्क न के बराबर होता है.

    इसे भी पढ़ें: स्पर्म मोटिलिटी का क्या होता है फर्टिलिटी से कनेक्शन?

    प्रो टिप (Pro Tip)

    वेरीकोसील प्रत्येक 100 में से 10-15 पुरुषों में देखने को मिलती है. हालाँकि, इससे आमतौर पर कोई समस्या पैदा नहीं होती है और ज़्यादातर मामलों में इलाज की जरूरत भी नहीं पड़ती है. लेकिन इससे टेस्टीकल्स में दर्द, लो स्पर्म प्रोडक्शन और स्पर्म काउंट में कमी आ सकती है जो इंफर्टिलिटी का कारण बन सकता है. इसलिए वेरीकोसील के लक्षण होने पर डॉक्टर से मिलें क्योंकि अब इसका इलाज कई तरह से संभव है.

    रेफरेंस

    1. Leslie, S. W., Sajjad, H., & Siref, L. E. (2020). Varicocele.

    2. Zini, A. (2007). Varicocelectomy: microsurgical subinguinal technique is the treatment of choice. Canadian Urological Association Journal = Journal de l’Association Des Urologues Du Canada, 1(3), 273–276.

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    Varicocele Surgery in English

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