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    6 Month Pregnancy in Hindi | माँ और बेबी के लिए कैसा होता है प्रेग्नेंसी का 6वाँ माह?

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    6 Month Pregnancy in Hindi | माँ और बेबी के लिए कैसा होता है प्रेग्नेंसी का 6वाँ माह?

    4 December 2023 को अपडेट किया गया

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    प्रेग्नेंसी का एक बहुत ही ख़ूबसूरत सफ़र होता है. हालाँकि, जैसे-जैसे यह सफ़र आगे बढ़ता है गर्भवती महिलाओं की चिंता बढ़ने लगती है. चलिए इस आर्टिकल के ज़रिये आपको बताते हैं कि आख़िर प्रेग्नेंसी का 6वाँ माह कैसा होता है, प्रेग्नेंसी के 6वें माह में किस तरह के लक्षण महसूस होते हैं, और प्रेग्नेंसी के 6वें माह (24 week pregnancy in Hindi) में बेबी गर्भ में क्या करता है!

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह के लक्षण (6 month pregnancy symptoms in Hindi)

    जब बेबी और आप प्रेग्नेंसी के 6वें माह (24 week pregnancy in Hindi) में होते हैं, तो आपको कुछ इस तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं!

    1. सीने में जलन (Heartburn)

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह (6 month pregnancy in Hindi) तक पहुँचते-पहुँचते सीने में जलन होना या हार्टबर्न एक आम समस्या बन जाती है. दरअसल, जैसे-जैसे बेबी की ग्रोथ होती है, वैसे-वैसे पेट में जगह कम होती जाती है, जिसके कारण खाना ठीक से डाइजेस्ट नहीं हो पाता और आपको हार्टबर्न की शिकायत होने लगती है. ऐसे में ज़रूरी है कि आप प्रेग्नेंसी के दौरान एक साथ अधिक खाना न खाएँ; बल्कि थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाना खाने की कोशिश करें. साथ ही, इस दौरान अधिक तला-भुना और मसालेदार खाना न खाएँ.

    2. पैरों में सूजन (Swollen ankles)

    प्रेग्नेंसी के दौरान (26 week pregnancy in Hindi) ब्लड सर्कुलेशन पर भी असर पड़ता है, जिसके कारण पैरों में सूजन आने लगती है. इसके अलावा प्रेग्नेंसी के 6वें माह (6th month pregnancy in Hindi) में आपका वज़न भी बढ़ने लगता है, जिससे आपका सेंटर ऑफ़ ग्रेविटी भी बदल जाता है. इस कारण आपको चलने के दौरान पैरों में अकड़न महसूस हो सकती है. इसलिए इस दौरान आपको कंफर्टेबल चप्पल या जूते पहनना चाहिए.

    3. त्वचा पर खुजली महसूस होना (Itchy skin)

    हार्मोन्स में बदलाव होने कारण इस दौरान (26 week pregnancy in Hindi) आपको त्वचा में खुजली महसूस हो सकती है, ख़ासकर पेट के ऊपर. दरअसल, इस दौरान आपके पेट का आकार बढ़ रहा होता है, जिससे त्वचा स्ट्रेच होती है. इसके कारण त्वचा पर स्ट्रेच मार्क्स भी दिखने लगते हैं और इचिंग भी होने लगती है. प्रेग्नेंसी के 6वें माह (27 week pregnancy in Hindi) में आपको स्ट्रेच मार्क्स क्रीम, ऑइल या स्ट्रेच मार्क्स किट को अपने रूटीन में शामिल करना चाहिए.

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    4. कमर दर्द (Backache)

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह (pregnancy ka 6 month in Hindi) में कमर दर्द भी आम होता है. आपका बढ़ा हुआ पेट कमर पर दबाव डालता है, जिसके कारण दर्द होता है. कमर दर्द से बचने के लिए आपको अपने उठने-बैठने के पोस्चर पर विशेष ध्यान देना चाहिए

    5. भूख का बढ़ना (Increased appetite)

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह (six month pregnancy in Hindi) में आपको अधिक भूख लग सकती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप ओवर ईटिंग करने लग जाये. थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ हेल्दी चीज़ें खाते रहें और जंक फूड से दूरी बनाए रखें! वैसे, इस दौरान आप अपने डॉक्टर से डाइट प्लान के बारे में बात कर सकते हैं.

    इसे भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी में स्ट्रीट फूड्स की क्रेविंग से कैसे निपटें?

    6. नाक का बंद होना (Nasal problems)

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह (pregnancy ka 6 month in Hindi) में आपको नाक बंद होने की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है. इस समस्या से बचने के लिए आप गर्म पानी से स्टीम ले सकते हैं और डॉक्टर की सलाह से मेडिसिन भी ले सकते हैं.

    7. चक्कर आना (Dizziness)

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह में (6 month pregnancy in Hindi) आपको ब्लड प्रेशर से संबंधित शिकायत भी हो सकती है, जिसके कारण आपको इस दौरान चक्कर आने का एहसास भी हो सकता है. इस समय आपको धीरे-धीरे उठना-बैठना चाहिए. साथ ही, आपको ज़्यादा देर तक खड़े रहने से भी बचना चाहिए.

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    8. नींद न आना (Insomnia)

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह (pregnancy ka 6 month) में आपकी रातों की नींद उड़ सकती है. जी हाँ, इस दौरान आपको नींद न आने की परेशानी भी हो सकती है. ऐसा बेबी बंप के कारण भी हो सकता है. ऐसे में आप प्रेग्नेंसी पिलो की मदद ले सकती हैं.

    9. वेरिकोज वेंस (Varicose veins)

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह (6 mahine ki pregnancy) में आपको वेरिकोज वेंस का सामना भी करना पड़ सकता है. वेरिकोज एक ऐसी समस्या है, जिसमें वेंस यानी कि नसों में सूजन आ जाती है और फिर इसके कारण दर्द भी होने लगता है. इसलिए इस समय आपको देर तक खड़े होने से बचना चाहिए.

    10. लेग क्रैम्प (Leg cramps)

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह (pregnancy ka 6 mahina) में पिंडियों या पैरों में क्रैम्प होना भी बहुत ही कॉमन है. अपने पैरों को स्ट्रेच करते रहें. साथ ही, आपको अपनी डाइट में कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर चीज़ों को शामिल करना चाहिए.

    ध्यान रखें कि हर महिला की प्रेग्नेंसी अलग होती है, इसलिए यह ज़रूरी नहीं है कि आपको ऊपर बताए गए हर तरह के लक्षण (24th week pregnancy symptoms in Hindi) महसूस हो.

    चलिए अब जानते हैं कि प्रेग्नेंसी का 6वाँ महीना (27 week pregnancy in Hindi) बेबी के लिए कैसा होता है. इस दौरान वह गर्भ में क्या कर रहा होता है और किस प्रकार से उसका विकास होता है!

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    प्रेग्नेंसी के 6वें माह में बेबी गर्भ में क्या करता है? (6 month pregnancy baby movement in Hindi)

    जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी का सफ़र आगे बढ़ता है, बेबी का विकास भी तेज़ी से होने लगता है. जब बेबी गर्भ में होता है, तो वह अपने अंदर कुछ ख़ास स्किल्स को डेवलप करता है. इस दौरान बेबी की मूवमेंट का मतलब होता है कि वह अपनी मांसपेशियों को मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है. साथ ही, बेबी मूवमेंट (six month pregnancy baby movement in Hindi) से यह भी पता चलता है कि आपका बेबी गर्भ में एक्टिव है और उसकी ग्रोथ सही तरीक़े से हो रही है. प्रेग्नेंसी के 6वें माह में बेबी काफ़ी एक्टिव रहता है और आप उसकी मूवमेंट को महसूस कर सकते हैं. यह मूवमेंट हल्की-हल्की चुभन या धक-धक की तरह हो सकती है. आपको महसूस हो सकता है कि आपका बेबी आपको पेट के अंदर छू रहा है.

    इसे भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में कुछ ऐसी होनी चाहिए आपकी डाइट

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह के लिए टिप्स (6th month pregnancy tips in Hindi)

    प्रेग्नेंसी के 6वें माह (6 month pregnancy symptoms in hindi) में आपको इन टिप्स पर ग़ौर करना चाहिए!

    1. हेल्दी डाइट फॉलो करें. एक साथ अधिक खाने की बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में कम मात्रा में खाना खाते रहें. हरी सब्ज़ियों, दाल, दूध के प्रोडक्ट्स जैसे कैल्शियम और आयरन से भरपूर चीज़ों को अपनी डाइट में शामिल करें.

    2. शरीर में पानी की कमी न होने दें. दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पिएँ.

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    3. योग को अपने रूटीन में शामिल करें. लेकिन अगर आपकी प्रेग्नेंसी में कोई कॉम्प्लिकेशन है, तो आपको कोई भी योगासन या एक्सरसाइज करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए.

    4. संभलकर चलें. अब आपका और आपके बेबी का वज़न बढ़ रहा है. इसलिए आपको तेज़ चलने से बचना चाहिए.

    5. अपने डॉक्टर से रेगुलर चेकअप करवाते रहें. डॉक्टर द्वारा बताए गए टेस्ट ज़रूर करवाएँ.

    6. अब बेबी की मूवमेंट ज़रूरी होती है. इसलिए आपको बेबी के किक काउंट को मॉनिटर करते रहना चाहिए.

    7. अब समय आ गया है कि आप अपने बेबी के जन्म की तैयारी करना शुरू कर दें. हॉस्पिटल बैग, बेबी के सामान और अपने डिलीवरी प्लान पर फोकस करें.

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    8. स्ट्रेस से दूर रहें. ध्यान रखें प्रेग्नेंसी के दौरान अगर माँ स्ट्रेस में रहती है, तो बेबी के दिमाग़ पर इसका नेगेटिव असर पड़ता है.

    इन टिप्स को फॉलो करके आप अपने प्रेग्नेंसी के 6वें माह को स्मूथ और हेल्दी बना सकते हैं.

    प्रो टिप (Pro Tip)

    प्रेग्नेंसी का 6वाँ माह यानी कि प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही का समाप्त होना. इस दौरान आपको अपना ख़ूब ख़्याल रखना चाहिए. इसलिए खुश रहें और अपने प्रेग्नेंसी के सफ़र का आनंद लें.

    रेफरेंस

    1. Bang SW, Lee SS. (2009). The factors affecting pregnancy outcomes in the second trimester pregnant women.

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    2. Pathirathna ML, Sekijima K, Sadakata M, Fujiwara N, Muramatsu Y, Wimalasiri KMS. (2017). Impact of Second Trimester Maternal Dietary Intake on Gestational Weight Gain and Neonatal Birth Weight.

    3. Pascual ZN, Langaker MD. (2023). Physiology, Pregnancy.

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    Written by

    Jyoti Prajapati

    Jyoti is a Hindi Content Writer who knows how to grip the audience with her compelling words. With an experience of more

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