PCOS & PCOD
7 December 2023 को अपडेट किया गया
एक बैलेंस्ड डाइट, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के सिम्प्टंस को कंट्रोल करने में वाकई अहम भूमिका निभाती है. हेल्दी लाइफ स्टाइल के साथ संतुलित और पौष्टिक आहार (PCOS diet in Hindi) अपनाने से इंसुलिन लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है जो बेहद ज़रुरी है क्योंकि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में ज़्यादातर इंसुलिन रेसिस्टेंस पाया जाता है. आप एक ऐसी डाइट फॉलो करें (PCOS diet tips in Hindi) जिसमें होलग्रेन्स, लीन प्रोटीन, हेल्दी फैट और विभिन्न प्रकार के फलों और सब्ज़ियों का सही कंबिनेशन हो. इससे न केवल वेट कंट्रोल में रहता है; बल्कि ब्लड शुगर लेवल को भी स्थिर रखा जा सकता है. इन पेरामीटर्स के कंट्रोल में आने पर इरेगुलर पीरियड्स, एक्सेस हेयर ग्रोथ और मुँहासे जैसे लक्षण तुरंत कंट्रोल में आने लगते हैं.
प्रोसेस्ड शुगर से बने ड्रिंक्स और फूड आइटम्स तथा कैफ़ीन का सेवन कम करने से पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं में बेहतर हार्मोनल बैलेंस और ओवर ऑल हेल्थ इंप्रूव करने में मदद मिलती है
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आगे हम आपको बताएँगे 10 ऐसे फूड आइटम्स (10 foods for PCOS in hindi) के बारे में जिन्हें अपनी डाइट में शामिल करने से आपको बेहतरीन रिजल्ट्स मिल सकते हैं.
पीसीओएस में गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्ज़ियाँ बेहद लाभकारी हैं जो आयरन, मैग्नीशियम और फोलेट जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं. ये हरी सब्ज़ियाँ बेहतर इंसुलिन सेन्स्टिविटी और हार्मोन रेगुलेशन में मदद करने के अलावा फूड क्रेविंग्स को कम करने वज़न घटाने में भी सहायक हैं. एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी कंपाउंड से भरपूर, गहरे हरे पत्ते, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन को घटाते हैं इसलिए डाइट में पालक, चौलाई, केल और स्विस चार्ड जैसी हरी सब्ज़ियों को शामिल करना चाहिए.
ब्रोकोली और फूलगोभी जैसी क्रूसिफेरस (cruciferous) सब्ज़ियों में सल्फोराफेन और इंडोल-3-कार्बिनोल कंपाउंड होते हैं जो डिटॉक्सिफिकेशन और हार्मोनल बैलेंस लाने में मदद करते हैं. इनसे एक्सट्रा एस्ट्रोजन के प्रोडक्शन में कमी आती है और इनमें मौजूद फाइबर, शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. इसके अतिरिक्त, इन सब्ज़ियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो अनियमित मासिक धर्म और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में सहायक हैं.
जामुन एंटीऑक्सिडेंट, ख़ासतौर पर एंथोसायनिन से भरपूर होते हैं, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इंसुलिन रेसिस्टेंस को कंट्रोल करते हैं. इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और फाइबर ज़्यादा होने के कारण हार्मोनल बैलेंस बढ़ता है, ब्लड शुगर में स्थिरता आती है साथ ही वेट कम करने में मदद मिलती है.
डाइट में होल ग्रेन्स या साबुत अनाज; जैसे कि ब्राउन राइस, क्विनोआ और होल व्हीट जैसे फूड आइटम्स से कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट मिलता है जो बहुत धीरे-धीरे पचता है जिससे ब्लड में ग्लूकोज़ मिलने की गति धीमी हो जाती है. इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाने में मदद मिलती है. साबुत अनाज में फाइबर की अधिक मात्रा से पेट देर तक भरा रहता है और भूख नियंत्रित रहती है. ये विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट की भी पूर्ति करते हैं जो अनियमित पीरियड्स को ठीक करने में सहायक है.
कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ भी ब्लड शुगर, हार्मोनल इंबैलेंस और स्किन प्रॉब्लम को कम करने में बेहद प्रभावी होती हैं; जैसे कि मंजिष्ठा, शतावरी, शंखपुष्पी और कैमोमाइल. पीसीओएस में इनकी चाय या काढ़ा असरदार रूप से मदद करता है. इसके प्रयोग में आसानी के लिए आप इन जड़ी-बूटियाँ से बने माइलो पीसीओए और पीसीओडी टी (Mylo - PCOS & PCOD Tea) बैग्स को भी आज़मा सकते हैं जो 100% नेचुरल हैं और प्रयोग में बेहद आसान हैं.
इन टी-बैग्स के अलावा आप माइलो की एक्टिव फोलेट से बनी हुई च्युएबल मायोइनोसिटोल टैबलेट के साथ पीसीओएस/पीसीओडी (Myo-inositol Chewable Tablets for PCOS & PCOD) का मुकाबला करना और भी ज़्यादा आसान हो जाता है क्योंकि ये शुगर लेवल कंट्रोल करने के साथ-साथ फर्टिलिटी और हार्मोनल बैलेंस को भी बढ़ाती हैं. लंच के बाद बस एक टेबलेट और आपको इसके अद्भुद लाभ मिलेंगे.
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एवोकाडो में हेल्दी मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है जो इंसुलिन के स्तर को रेगुलेट करने और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने के अलावा वज़न घटाने में भी सहायक है. पोटेशियम और मैग्नीशियम से भरपूर, एवोकाडो बीपी को नियंत्रित करने में मदद करता है और हार्ट प्रॉब्लम के खतरे को कम करता है. इसके अलावा, एवोकाडो में विटामिन ई, सी और पावरफुल एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को घटाते हैं जिससे इरेगुलर पीरियड्स और एक्ने में राहत मिलती है.
शकरकंद के कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट धीरे-धीरे पचते हैं, जिससे ब्लड शुगर लेवल को स्थिर बनाए रखने और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने में मदद मिलती है जो पीसीओएस का एक ज़रूरी पहलू है. फाइबर से भरपूर, शकरकंद डाइज़ेशन में मदद करता है, और पेट को देर तक भरे रखता है जिससे ओवर ईटिंग में कमी आती है. इसमें विटामिन ए, सी और एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके अनियमित पीरियड्स और स्किन प्रॉब्लम में कमी लाते हैं.
लाइकोपेन और एंटीऑक्सीडेंट से पैक्ड टमाटर, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने के अलावा इंसुलिन रेसिस्टेंस और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है. टमाटर में कैलोरीज़ और कार्बोहाइड्रेट कम मात्रा में होते हैं जिससे वेट मैनेजमेंट और ब्लड शुगर कंट्रोल होता है. इसके अलावा, विटामिन सी, पोटेशियम, विटामिन्स और मिनरल्स वाले टमाटर के नियमित सेवन से इरेगुलर पीरियड्स और पीसीओएस के कारण होनी वाली स्किन प्रॉब्लम के लक्षणों को कम करने में भी मदद मिलती है.
पीसीओएस की समस्या होने पर अपने डाइट में ड्राइ फ़्रूट्स और सीड्स को भी ज़रूर शामिल करें जो हेल्दी फैट, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण भूख को शांत रखते हैं जिससे वेट कम करने में मदद मिलती है. यह जिंक, मैग्नीशियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे आवश्यक न्यूट्रीएंट्स का रिच सोर्स हैं जो इंसुलिन रेसिस्टेंस और हार्मोनल इंबैलेंस के साथ इरेगुलर पीरियड्स और स्किन प्रॉब्लम घटाते हैं और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं.
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सैल्मन, मैकेरल और सार्डिन जैसी फैटी मछलियाँ पीसीओएस से पीड़ित व्यक्तियों को विशेष लाभ प्रदान करती हैं. ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होने के कारण इससे अनियमित पीरियड्स और मुँहासे जैसे लक्षणों कंट्रोल होते हैं. ओमेगा-3एस इंसुलिन सेन्स्टिविटी को बढ़ाने के अलावा ब्लड शुगर रेगुलेशन और वेट मैनेजमेंट में बढ़िया रिजल्ट्स दिखाता है. ये मछलियाँ लीन प्रोटीन का रिच सोर्स हैं जिनसे भूख शांत होती है और मसल्स में मजबूती आती है. इसके अलावा, फैटी फिश में पाया जाने वाला विटामिन डी ओवर ऑल हेल्थ को बेहतर बनाता है और हार्मोनल बैलेंस को बढ़ाने के अलावा,मेटाबॉलिज्म को भी मज़बूत करता है.
पीसीओएस के ट्रीटमेंट के लिए आपको एक हॉलिस्टिक अप्रोच अपनाने की ज़रूरत है जिसमें व्यायाम, स्ट्रेस मैनेजमेंट और डाइट का सही कंबिनेशन होना चाहिए. लेकिन याद रखें कि हर व्यक्ति की प्रकृति अलग होने के कारण, डाइट (pcos diet chart in hindi) के प्रति बॉडी का रिएक्शन भी अलग-अलग हो सकता है. इसलिए पीसीओएस में एक्सपर्टीज़ रखने वाले किसी अनुभवी न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह से एक अपने लिए एक सही डाइट चार्ट (PCOS diet chart in Hindi) चुनें और पेशेंस के साथ कुछ समय तक उसे फॉलो करें. जल्द ही आपको अच्छे रिज़ल्ट दिखाई देंगे.
1. Szczuko M, Kikut J, Szczuko U, Szydłowska I, et al. (2021). Nutrition Strategy and Life Style in Polycystic Ovary Syndrome-Narrative Review. Nutrients.
2. Xenou M, Gourounti K. (2021). Dietary Patterns and Polycystic Ovary Syndrome: a Systematic Review.
3. Douglas CC, Gower BA, Darnell BE, Ovalle F, Oster RA, Azziz R. (2006). Role of diet in the treatment of polycystic ovary syndrome.
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