hamburgerIcon
login
STORE

VIEW PRODUCTS

ADDED TO CART SUCCESSFULLY GO TO CART

Article Continues below advertisement

  • Home arrow
  • Karyotype Test in Hindi | कैरियोटाइप टेस्ट क्या है और यह क्यों किया जाता है? arrow

In this Article

    Karyotype Test in Hindi | कैरियोटाइप टेस्ट क्या है और यह क्यों किया जाता है?

    Getting Pregnant

    Karyotype Test in Hindi | कैरियोटाइप टेस्ट क्या है और यह क्यों किया जाता है?

    4 October 2023 को अपडेट किया गया

    Medically Reviewed by

    Dr. Shruti Tanwar

    C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)

    View Profile

    Article Continues below advertisement

    कैरियोटाइप टेस्ट एक डायग्नोस्टिक टूल है जिसका उपयोग डॉक्टर्स क्रोमोसोम की जाँच और अनालिसिस के लिए करते हैं. यह जेनेटिक डिसॉर्डर के मामलों में प्रयोग किया जाता है. आइये कैरियोटाइप टेस्ट के (Karyotype test in Hindi) बारे में और अधिक जानते हैं.

    कैरियोटाइप टेस्ट क्या होता है? (Karyotype test meaning in Hindi)

    इस टेस्ट में ब्लड या अन्य कोशिकाओं के सैंपल के द्वारा क्रोमोसोम्स की इमेज को कैप्चर किया जाता है. इन इमेज को एक कैरियोग्राम (karyogram) में व्यवस्थित किया जाता है जिससे एक्सपर्ट्स को क्रोमोसोम्स की संख्या, आकार और संरचना को विजुलाइज करने में मदद मिलती है. इससे क्रोमोसोमल असामान्यताओं का पता लगाने में मदद मिलती है; जैसे कि एन्यूप्लोइडीज़ (aneuploidies) यानी कि क्रोमोसोम्स की असामान्य संख्या या स्ट्रक्चरल दोष. कैरियोटाइप टेस्ट, प्रीनेटल स्क्रीनिंग और कई तरह की जेनेटिक स्टडी में मंहत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

    किसे पड़ती है कैरियोटाइप टेस्ट की ज़रूरत? (Who should consider karyotyping test in Hindi)

    कैरियोटाइप टेस्ट (Karyotype test meaning in Hindi) उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है जिनमें क्रोमोसोमल असामान्यताओं का रिस्क होता है; जैसे कि-

    1. गर्भवती महिलाओं के अंदर पल रहे बच्चे में क्रोमोसोमल डिसॉर्डर का पता लगाने के लिए.
    2. बार-बार गर्भपात होने पर भी कैरियोटाइपिंग के द्वारा ये चेक किया जाता है कि क्या ऐसा क्रोमोसोमल डिसॉर्डर के कारण हो रहा है.
    3. डेवलपमेंटल और बौद्धिक विकास से जुड़ी हुई विसंगतियों वाले बच्चों के लिए.
    4. इंफर्टिलिटी से जूझ रहे कपल्स की जाँच के लिए.
    5. क्रोमोसोमल डिसॉर्डर की हिस्ट्री वाले व्यक्तियों को फैमिली प्लान करने से पहले इस टेस्ट की जरूरत पड़ सकती है ताकि बच्चे में इसके रिस्क का पता चल सके.
    6. कैरियोटाइपिंग (Karyotyping test in Hindi) का उपयोग कुछ ख़ास तरह के मामलों में सस्पेक्टेड जेनेटिक सिंड्रोम (suspected genetic syndromes) के डाइग्नोस्टिक के रूप में भी किया जा सकता है.

    इसे भी पढ़ें : FSH, LH, Prolactin टेस्ट क्या होते हैं? फर्टिलिटी पर इनका क्या असर होता है

    कैरियोटाइप टेस्ट से किन समस्याओं का पता लगाया जाता है? (Common genetic diseases detected by karyotype blood test in Hindi)

    कैरियोटाइप टेस्ट (Karyotype test meaning in Hindi) से कई तरह के क्रोमोसोमल डिसऑर्डर का पता लगाया जा सकता है; जैसे कि -

    Article continues below advertisment

    1. डाउन सिंड्रोम (Down syndrome)

    यह सबसे कॉमन क्रोमोसोमल डिसऑर्डर में से एक है, जो क्रोमोसोम 21 की एक एक्सट्रा कॉपी के कारण होता है और इससे बच्चे के विकास में देरी, इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी जैसे लक्षण दिखते हैं.

    2. एडवर्ड्स सिंड्रोम (Edwards syndrome):

    क्रोमोसोम 18 की एक एक्सट्रा कॉपी के कारण यह स्थिति होती है जहाँ गंभीर डेवलपमेंटल और फिजिकल एब्नार्मेलिटीज होती हैं, जो अक्सर लाइफ थ्रेटनिंग हो सकती हैं.

    3. पटौ सिंड्रोम (Patau syndrome):

    ये क्रोमोसोम 13 की एक एक्सट्रा कॉपी से होता है और गंभीर डेवलपमेंटल एब्नार्मेलिटीज के साथ ही ऑर्गन्स में डिफ़ेक्ट भी पैदा कर सकता है.

    4. टर्नर सिंड्रोम (Turner syndrome):

    यह स्थिति उन महिलाओं में होती है जिनमें एक्स क्रोमोसोम गायब या आंशिक रूप से गायब होता है, जिससे छोटा कद, इंफर्टिलिटी और अन्य हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं.

    5. क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter syndrome):

    क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम वाले व्यक्तियों की कोशिकाओं में एक एक्सट्रा एक्स क्रोमोसोम होता है, जो इंफर्टिलिटी समस्याओं का कारण बन सकता है.

    Article continues below advertisment

    6. ट्रिपल एक्स सिंड्रोम (Triple X syndrome)

    ट्रिपल एक्स सिंड्रोम वाली महिलाओं में एक एक्सट्रा एक्स क्रोमोसोम होता है, जिसके कारण शरीर की अभिव्यक्ति और सीखने की क्षमता में अंतर पाया जाता है.

    7. एक्स वाई वाई सिंड्रोम (XYY syndrome):

    XYY सिंड्रोम वाले पुरुषों में एक अतिरिक्त Y क्रोमोसोम होता है जिसकी वजह से कद असामान्य रूप से लंबा हो सकता है लेकिन इससे किसी अन्य तरह की हेल्थ प्रॉब्लम का खतरा नहीं होता है.

    इसे भी पढ़ें : गर्भधारण में परेशानी? ये फर्टिलिटी टेस्ट कर सकते हैं आपकी मदद!

    कैरियोटाइप टेस्ट फर्टिलिटी से संबंधित समस्याओं का पता लगाने में कैसे करता है मदद? (How karyotype testing can help diagnose fertility issues in Hindi)

    कैरियोटाइप टेस्ट फर्टिलिटी इशूज की डायग्नोसिस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ख़ासकर तब जब बार-बार गर्भपात हो रहा हो. एक कपल में दोनों के क्रोमोसोम की जाँच करके कैरियोटाइपिंग के ज़रिये क्रोमोसोमल डिसऑर्डर की पहचान की जाती है जैसे महिलाओं में टर्नर सिंड्रोम या पुरुषों में क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम जैसी स्थितियां फर्टिलिटी को प्रभावित करती हैं. इसके अतिरिक्त, कैरियोटाइपिंग स्ट्रक्चरल क्रोमोसोमल एब्नार्मेलिटीज (structural chromosomal abnormalities) का पता लगा सकती है जो असफल प्रेग्नेंसी या बच्चों में अक्सर जेनेटिक डिसऑर्डर का कारण बनती हैं.

    इसे भी पढ़ें: फर्टिलिटी पर कैसे होता है एंडोमेट्रियोसिस और एडिनोमायोसिस का असर?

    Article continues below advertisment

    कैरियोटाइप टेस्ट के फ़ायदे (Benefits of karyotype testing in Hindi)

    1. कैरियोटाइपिंग (Karyotyping test in Hindi) से डाउन सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम और क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम जैसे कई सारे क्रोमोसोमल डिसऑर्डर की पहचान कर सकते हैं.
    2. प्रेग्नेंसी में कैरियोटाइपिंग से एम्ब्र्यो में क्रोमोसोमल असामान्यताओं के रिस्क का अंदाज़ा लगाने में मदद मिलती है जिसे माता पिता प्रेग्नेंसी के बारे में एक इन्फॉर्म्ड डिसीजन ले सकें.
    3. इंफर्टिलिटी या रिपीट मिसकैरेज होने पर इससे जेनेटिक कारणों का पता लगाया जा सकता है.
    4. कैरियोटाइपिंग जेनेटिक काउन्सलिन्ग में भी मदगार है जबकि साइंटिस्ट को इसकी मदद से जेनेटिक इन्वेन्शन से जुड़ी रिसर्च और स्टडी में मदद मिलती है.

    कैरियोटाइप टेस्ट की सीमाएँ (Limitations of karyotype testing in Hindi)

    कैरियोटाइप टेस्ट की अपनी लिमिटेशन भी हैं; जैसे कि-

    1. कैरियोटाइपिंग बारीक जेनेटिक म्यूटेशन (small-scale genetic mutations) या क्रोमोसोमल स्ट्रक्चरल रिअरेंजमेंट (structural rearrangements) का पता नहीं लगा पाती है.
    2. कैरियोटाइप टेस्ट डीएनए में सिंगल न्यूक्लियोटाइड चेंजेज़ (single nucleotide changes in DNA) की पहचान नहीं कर पाता है.
    3. कैरियोटाइपिंग से जेनेटिक मोज़िएक कंडीशन (Mosaic Conditions) का पता नहीं चलता है जिसमें व्यक्ति में सामान्य और असामान्य सेल लाइंस का मिक्स्चर होता है.
    4. कैरियोटाइप तैयार करना और उसका असेसमेंट एक टाइम टेकिंग प्रोसेस है.
    5. कैरियोटाइप टेस्ट एक महँगा ऑप्शन है.

    कैरियोटाइप टेस्ट की प्रोसेस (Karyotype testing process in Hindi)

    कैरियोटाइप टेस्ट में कई स्टेप्स होते हैं; जैसे कि-

    1. सैंपल कलेक्शन (Sample Collection)

    पेशेंट का एक छोटा सा सेंपल लिया जाता है, जो ब्लड, एमनियोटिक फ्लुइड या बोन मैरो से लिया जाता है.

    इसे भी पढ़ें : टेस्टिकुलर अल्ट्रासाउंड क्या होता है जानें इसकी कंप्लीट प्रोसेस

    2. सेल कल्चरिंग (Cell Culturing)

    सेल डिविजन और मल्टीप्लिकेशन को प्रोत्साहित करने के लिए इस सेंपल को एक ख़ास ग्रोथ मीडियम में रखा जाता है.

    Article continues below advertisment

    3. क्रोमोसोम हार्वेस्टिंग (Chromosome Harvesting)

    जब कोशिकाएँ पर्याप्त बढ़ जाती हैं, तो उन्हें एक कैमिकल के साथ ट्रीट करते हैं जिससे बेहतर विजुलाइजेशन और कैप्चरिंग हो पाए.

    4. क्रोमोसोम स्टेनिंग (Chromosome Staining)

    प्रत्येक क्रोमोसोम के ख़ास पैटर्न को हाइलाइट करने के लिए इन सेल्स को एक विशेष डाई टेक्निक से कलर किया जाता है.

    5. क्रोमोसोम एनालिसिस (Chromosome Analysis)

    माइक्रोस्कोप का प्रयोग करते हुए एक अनुभवी साइटोजेनेटिकिस्ट (cytogeneticist) दाग वाले क्रोमोसोम्स को कैरियोग्राम में अरेंज करता है.

    6. रिज़ल्ट इंटरप्रिटेशन (Result Interpretation)

    साइटोजेनेटिकिस्ट कैरियोग्राम के इंटरप्रिटेशन से क्रोमोसोमल अब्नोर्मेलिटी को चेक करता है.

    7. रिपोर्ट बनाना (Report Generation)

    रिजल्ट्स को एक डिटेल्ड रिपोर्ट में संकलित किया जाता है, जिससे डॉक्टर्स उचित परामर्श दे सकें.

    Article continues below advertisment

    कैरियोटाइप टेस्ट के बाद क्या होता है? (What happens after karyotype test in Hindi)

    कैरियोटाइप टेस्ट में क्रोमोसोमल असामान्यता कंफर्म होने पर डॉक्टर पेशेंट या फिर प्रीनेटल टेस्टिंग के मामलों में भावी माता-पिता को रिपोर्ट फ़ाइंडिंग्स के बारे में बताते हैं साथ ही, उचित परामर्श भी देते हैं. जेनेटिक डिसॉर्डर से पीड़ित व्यक्तियों को ख़ास तरह से बनाए गए ट्रीटमेंट प्लान लेने की सलाह दी जाती है जिससे उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार लाया जा सके. यदि कैरियोटाइप टेस्ट में किसी जेनेटिक कंडीशन के दोबारा होने का रिस्क दिखाई दे तो डॉक्टर्स ऐसे कपल को भविष्य में प्रेग्नेंसी से जुड़े रिस्क के बारे में समझने में मदद करता है.

    प्रो टिप (Pro Tip)

    कैरियोटाइप टेस्ट एक ख़ास उद्देश्य से किया जाता है जिसका मकसद पेशेंट और उनके परिवार को गंभीर स्थितियों और होने वाले बच्चे को जेनेटिक डिसऑर्डर से बचाना होता है. इसलिए टेस्ट के रिज़ल्ट्स के आधार पर डॉक्टर्स द्वारा दी गयी सलाह को हमेशा गंभीरता से लें.

    रेफरेंस

    1. Ozkan E, Lacerda MP. (2022). Genetics, Cytogenetic Testing And Conventional Karyotype.

    2. Shemilt L, Verbanis E, Schwenke J, Estandarte AK, Xiong G, Harder R, Parmar N, Yusuf M, Zhang F, Robinson IK. (2015). Karyotyping human chromosomes by optical and X-ray ptychography methods.

    Article continues below advertisment

    Tags

    Karyotype Test in English

    Is this helpful?

    thumbs_upYes

    thumb_downNo

    Medically Reviewed by

    Dr. Shruti Tanwar

    C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)

    View Profile

    Written by

    Kavita Uprety

    Get baby's diet chart, and growth tips

    Download Mylo today!
    Download Mylo App

    RECENTLY PUBLISHED ARTICLES

    our most recent articles

    Mylo Logo

    Start Exploring

    wavewave
    About Us
    Mylo_logo

    At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:

    • Mylo Care: Effective and science-backed personal care and wellness solutions for a joyful you.
    • Mylo Baby: Science-backed, gentle and effective personal care & hygiene range for your little one.
    • Mylo Community: Trusted and empathetic community of 10mn+ parents and experts.