Get MYLO APP
Install Mylo app Now and unlock new features
💰 Extra 20% OFF on 1st purchase
🥗 Get Diet Chart for your little one
📈 Track your baby’s growth
👩⚕️ Get daily tips
OR
Article Continues below advertisement
Fertility Problems
20 February 2024 को अपडेट किया गया
Medically Reviewed by
Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
View Profile
मेल इनफर्टिलिटी के अधिकांश मामलों में शुक्राणुओं की कमी एक मुख्य कारण है जिसे ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) भी कहा जाता है. लो स्पर्म काउंट एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें वीर्य (Semen) में शुक्राणुओं (Sperm) की संख्या सामान्य से कम हो जाती है और इसका असर फर्टिलिटी पर पड़ने लगता है. हालाँकि इसकी कोई स्टेंडर्ड कटऑफ संख्या नहीं है लेकिन सामान्यतः प्रत्येक मिलीलीटर वीर्य में 15 मिलियन से कम स्पर्म का होना लो स्पर्म काउंट (low sperm count in Hindi) माना जाता है. ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) के कई कारण हो सकते हैं. आइये इन्हें विस्तार से समझते हैं.
लो स्पर्म काउंट के कुछ मुख्य कारण (Reason of low sperm count in Hindi) इस प्रकार हैं;
इसमें स्क्रोटम (scrotum) के भीतर की नसों का साइज़ बढ़ जाता है जिससे टेस्टिकल्स में स्पर्म की संख्या कम होने लगती है.
Article continues below advertisment
हार्मोनल विकार जैसे हाइपोगोनाडिज्म (hypogonadism), हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया (hyperprolactinemia) और थायराइड इंबैलेंस (thyroid problems) स्पर्म काउंट को प्रभावित कर सकते हैं.
इन्फेक्शन; जैसे कि एपिडीडिमाइटिस (epididymitis), क्लैमाइडिया (chlamydia) या गोनोरिया (gonorrhea) जैसी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के कारण भी स्पर्म काउंट में कमी आ सकती है.
रेट्रोगेट इजेकुलेशन (retrograde ejaculation) जैसी समस्याएँ भी स्पर्म काउंट में कमी लाती हैं.
इसे भी पढ़ें : स्पर्म मोटिलिटी का क्या होता है फर्टिलिटी से कनेक्शन?
अंडकोष का न उतरना (cryptorchidism), टेस्टिकल्स में चोट लगना (testicular injury) या फिर टेस्टिकल्स का कैंसर (testicular cancer) और इसकी सर्जरी, रेडिएशन या कीमोथेरेपी के कारण भी स्पर्म काउंट प्रभावित हो सकता है.
Article continues below advertisment
लो स्पर्म काउंट के कारण (causes of low sperm count in Hindi) जानने के बाद आइये अब जानते हैं कि लो स्पर्म काउंट की समस्या के क्या लक्षण (low sperm count symptoms in Hindi) होते हैं.
लो स्पर्म काउंट को इन संकेतों (Symptoms of low sperm count in Hindi) से पहचाना जा सकता है.
शुक्राणुओं की संख्या में कमी आने पर सबसे पहले प्रेग्नेंसी में रुकावट आने लगती है.
यदि स्खलन के दौरान वीर्य की मात्रा बेहद कम हो जाए तो यह भी शुक्राणुओं में कमी का संकेत हो सकता है.
कई बार हार्मोनल असंतुलन या किसी अंडरलाइन मेडिकल कंडीशन के कारण भी शुक्राणुओं की संख्या में कमी आ जाती है.
Article continues below advertisment
कुछ मामलों में लो स्पर्म काउंट वाले पुरुषों में टेस्टिकल्स सामान्य से छोटे होते हैं या उनमें गांठें हो सकती हैं जो एक असामान्यता का संकेत है.
इसे भी पढ़ें :प्री-इजैक्युलेशन फ्लूइडः क्या प्री-इजैक्युलेशन से प्रेगनेंसी हो सकती है
लो स्पर्म काउंट होने पर मेल फर्टिलिटी से जुड़ी कई तरह की दिक्कतें आने लगती हैं जैसे कि
1. शुक्राणुओं की संख्या में कमी आने के कारण प्रेग्नेंसी न हो पाना.
2. लो स्पर्म मोबिलिटी जिसके कारण शुक्राणु के लिए अंडे तक पहुंचना और उसके साथ फ्यूज़ होना कठिन हो जाता है.
Article continues below advertisment
3. स्पर्म के आकार में भी खराबी (Impaired morphology) आना जिससे शुक्राणु पूरी तरह से फर्टिलाइज नहीं हो पाते हैं.
4. गर्भधारण करने में अधिक समय लगना और सामान्य से अधिक बार संभोग करने की आवश्यकता पड़ना.
5. एज़ोस्पर्मिया (azoospermia) के कारण इंफर्टिलिटी होना जिसमें प्राकृतिक रूप से प्रेग्नेंसी नहीं हो पाती है.
6. इंफर्टिलिटी या प्रेग्नेंसी न हो पाने पर इमोशनल और साइकोलॉजीकल स्ट्रेस के कारण तनाव और निराशा का शिकार हो जाना.
लो स्पर्म काउंट का इलाज़ व्यक्ति के लक्षण, रोग की तीव्रता और कारण पर निर्भर करता है. इसके इलाज़ के कई तरीक़े हैं जिनमें से कुछ के बारे में हम यहाँ बात करेंगे.
Article continues below advertisment
लाइफस्टाइल में कुछ ख़ास तरह के बदलाव; जैसे कि सिगरेट और शराब छोड़ने के अलावा, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार अपनाने से स्पर्म काउंट बढ़ाने में मदद मिलती है.
लो स्पर्म काउंट के इलाज के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (hormone replacement therapy) और इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक्स भी दी जाती हैं.
शारीरिक असामान्यता होने पर सर्जिकल तरीक़े अपनाए जाते हैं; जैसे कि वैरिकोसल रिपेयर.
प्राकृतिक गर्भधारण की संभावना बिल्कुल न होने पर प्रेग्नेंसी के लिए आई यू आई ((IUI) या आई वी एफ (IVF) जैसी टैक्निक का प्रयोग किया जाता है.
स्पर्म काउंट बेहद कम होने पर या स्खलन में कोई भी स्पर्म मौजूद न होने पर टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन (Testicular sperm extraction - TESE) या परक्यूटेनियस एपिडीडिमल स्पर्म एस्पिरेशन (Percutaneous epididymal sperm aspiration - PESA) जैसे तरीक़ों का प्रयोग किया जाता है.
Article continues below advertisment
लो स्पर्म काउंट के साथ प्रेग्नेंसी होना वाकई चुनौतीपूर्ण है लेकिन कुछ ख़ास चीजों का ध्यान रखकर प्रेग्नेंसी की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है; जैसे-
1. बच्चा प्लान करने का सही समय चुनें और ओव्यूलेशन टाइम के आसपास नियमित रूप से सेक्स करें.
2. सेक्शुअल हेल्थ को मज़बूत रखने के लिए लुब्रिकेंट्स के प्रयोग से बचें जिससे स्पर्म मोबिलिटी ख़राब होती है.
3. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएँ. इससे स्पर्म की हेल्थ में तेज़ी से सुधार आता है और ओवरऑल फर्टिलिटी पर प्रभाव पड़ता है.
4. जिंक, सेलेनियम, विटामिन सी (vitamin C) और विटामिन ई (vitamin E) कोएंजाइम Q10(coenzyme Q10) को डाइट में शामिल करें जो स्पर्म की हल्थ के लिए बेहद लाभकारी होते हैं.
Article continues below advertisment
5. फलों, सब्ज़ियों, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन से भरपूर हेल्दी डाइट स्पर्म काउंट और क्वालिटी में सुधार करने में बेहद मददगार होती है.
इसे भी पढ़ें- महिला और पुरुषों दोनों की सेक्शुअल हेल्थ का ध्यान रखती है शतावरी!
अगर आप स्पर्म काउंट बढ़ाना चाहते हैं तो इन बातों का ख़ास ख्याल रखें.
1. एक हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाएँ और सैर, योग या व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएँ.
2. तनाव से दूर रहें और इसके लिए अपने आपको किसी हॉबी में इंगेज करें.
Article continues below advertisment
3. फल, सब्ज़ियों, होल ग्रेन, हेल्दी फैट और नट्स से भरपूर पौष्टिक भोजन लें.
4. भरपूर पानी पिएँ क्योंकि हाइड्रेटेड रहने से स्पर्म प्रोडक्शन में मदद मिलती है.
5. तेज़ गर्मी में न रहें और हॉट टब, सॉना बाथ या टाइट अंडरवियर का प्रयोग न करें.
6. प्रत्येक रात 7-8 घंटे की गहरी नींद लें.
7. जहरीले केमिकल्स और वातावरण के संपर्क में आने से बचें; जैसे कि पेस्टिसाइड और रेडिएशन आदि.
Article continues below advertisment
8. बार-बार स्खलन (दिन में एक से अधिक बार) से बचें क्योंकि इससे स्पर्म काउंट कुछ समय के लिए कम हो जाता है.
लो स्पर्म काउंट होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि कोई पुरुष पिता बनने का सुख नहीं ले सकता. शुक्राणुओं की संख्या में कमी के बावजूद ऐसे व्यक्ति दवाओं और मेडिकल हेल्प के द्वारा नेचुरल रूप से एक नन्ही-सी जान को इस दुनिया में ला सकते हैं.
1. Leslie SW, Soon-Sutton TL, Khan MAB. (2023). Male Infertility
2. Ferlin A, Garolla A, Ghezzi M, Selice R, Palego P, et al. (2021). Sperm Count and Hypogonadism as Markers of General Male Health.
3. Sunder M, Leslie SW. (2023). Semen Analysis.
Article continues below advertisment
Low Sperm Count Signs in English , Low Sperm Count Signs in Bengali, Low Sperm Count Signs in Tamil, Low Sperm Count Signs in Telugu
Yes
No
Medically Reviewed by
Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
View Profile
Written by
Kavita Uprety
Get baby's diet chart, and growth tips
Best Sex Positions to Help You Get Pregnant Fast in Hindi | जल्दी प्रेग्नेंट होना है? ट्राई करें ये सेक्स पोजीशन!
Diabetes in Children in Hindi | बच्चे को भी हो सकती है शुगर, इग्नोर ना करें ये शुरूआती लक्षण
Pregnancy Symptoms Week By Week in Hindi | 33 से लेकर 40 वें हफ़्ते तक ऐसे होते हैं प्रेग्नेंसी के लक्षण! (Part 5)
Pregnancy Symptoms Week By Week in Hindi | 25 से लेकर 32वें हफ़्ते तक ऐसे होते हैं प्रेग्नेंसी के लक्षण! (Part 4)
Pregnancy Symptoms Week By Week in Hindi | 17 से लेकर 24 हफ़्तों तक ऐसे होते हैं प्रेग्नेंसी के लक्षण! (Part 3)
Early Intrauterine Pregnancy in Hindi | आख़िर क्या होती है अर्ली इंट्रायूटेराइन प्रेग्नेंसी?
Mylo wins Forbes D2C Disruptor award
Mylo wins The Economic Times Promising Brands 2022
At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:
baby carrier | baby soap | baby wipes | stretch marks cream | baby cream | baby shampoo | baby massage oil | baby hair oil | stretch marks oil | baby body wash | baby powder | baby lotion | diaper rash cream | newborn diapers | teether | baby kajal | baby diapers | cloth diapers |