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     खाँसी को दूर करता है सितोपलादि चूर्ण! जानें इस्तेमाल का सही तरीक़ा

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    खाँसी को दूर करता है सितोपलादि चूर्ण! जानें इस्तेमाल का सही तरीक़ा

    29 May 2023 को अपडेट किया गया

    सितोपलादि चूर्ण एक बेहद असरदार आयुर्वेदिक दवा है जो खांसी और सांस की दिक्कतों से जुड़ी हुई तकलीफ़ों में तेज़ी से असर करती है. इसके अलावा यह डाइज़ेशन और इम्यून सिस्टम को भी बैलेंस करने के लिए असरकारक है. छाती में जमा कफ, सूखी या गीली खांसी, सांस लेने में दिक्कत और ब्रोंकाइटिस जैसी स्थितियों में सितोपलादि चूर्ण सबसे अधिक फायदेमंद है. इस पोस्ट में जानेंगे सितोपलादि चूर्ण सामग्री (Sitopaladi churna ingridients in Hindi) के बारे में और ये भी कि इसके इस्तेमाल का सही तरीका क्या है.

    सर्दी-खाँसी का आयुर्वेदिक तरीक़ा है सितोपलादि चूर्ण (Sitopaladi is an ayurvedic solution for cold & cough)

    बच्चों को सर्दी-जुकाम और छाती में कफ जमने की समस्या सबसे ज्यादा परेशान करती है जिसमें अक्सर डौक्टर एंटी एलर्जिक दवाइयाँ देने की सलाह देते हैं. हालांकि कुछ खास घरेलू उपाय और आयुर्वेदिक इलाज इसका एक बेहतर और सुरक्षित विकल्प है और ऐसे में आप दादी-नानी द्वारा वर्षों से आजमाये हुये सितोपलादि चूर्ण (Sitopaladi churna) का प्रयोग कर सकते हैं.

    इससे खांसी-जुकाम की समस्या का जड़ से इलाज़ होता है और इसका स्वाद ऐसा है कि आप इसे आसानी से छोटे बच्चों को भी खिला सकते हैं. सितोपलादि चूर्ण पुरानी से पुरानी खांसी-जुकाम को भी ठीक करता है और साइनस की समस्या में खास तौर पर मददगार है. आप चाहें तो सितोपलादि चूर्ण को घर में भी बना सकते हैं.

    इसे भी पढ़ें : काली खांसी: लक्षण, जोखिम और रोकथाम

    आइये जानते हैं सितोपलादि चूर्ण के कई सारे फ़ायदों के बारे में विस्तार से.

    सितोपलादि चूर्ण के फ़ायदे (Sitopaladi churna benefits in Hindi)

    • खांसी करे कम - सितोपलादि चूर्ण में कमाल के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिससे यह सभी प्रकार की खांसी में तेज़ी से असर करता है. प्रेग्नेंसी में खांसी या कफ हो जाने पर भी सितोपलादि चूर्ण से इसका बिना किसी साइड एफेक्ट के सुरक्षित इलाज़ किया जा सकता है.

    • गले की खराश में आराम – पिप्पली, वंशलोचन और दालचीनी जैसे असरदार कौंबिनेशन से बना सितोपलादि चूर्ण गले की खराश तो तुरंत कम करता है. इस आयुर्वेदिक कोंबिनेशन में एंटी- माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गले में होने वाली समस्याओं जैसे कि फेरेंजाइटिस और टोंसलाइटिस का एक शक्तिशाली इलाज़ हैं.

    • सूखी और गीली खांसी में दे आराम - गीली खांसी या कफ वाली खांसी में छाती और फेफड़ों में बलगम जमा हो जाता है. सितोपलादि चूर्ण के एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण इस कफ को पिघलाने का काम करते हैं जिससे ये आसानी से खांसी के साथ बाहर निकलने लगता है. गीली खांसी होने पर भी सुबह शाम सितोपलादि का सेवन करने से इंफेक्शन कम होता है और फेफड़े साफ हो जाते हैं. सितोपलादि चूर्ण में दोनों ही तरह की खांसी को शांत करने की अद्भुद क्षमता होती है.

    • एंटी एलर्जिक – जिन लोगों को एंटीहिस्टामिनिक यानि कि एलर्जी की दवाइयों को लगातार लेना पड़ता है वो अगर नियमित रूप से सितोपलादि चूर्ण का सेवन करते हैं तो उन्हें इससे बहुत फायदा होता है. यह आँखों से बहने वाले पानी, बहती नाक और गले में खराश जैसे एलर्जी के लक्षणों से राहत दिलाने में असरदार रूप से मदद करता है.

    • टौंसलाइटिस में लाभकारी – टॉन्सिल्स के सूज जाने का दर्द वाकई असहनीय होता है लेकिन इन्फेक्टेड या सूजे हुए टॉन्सिल्स को आप सितोपलादि चूर्ण के सेवन से बेहद जल्दी ठीक कर सकते हैं. इसके मुख्य घटक जैसे कि वंशलोचन, पिप्पली, दालचीनी इत्यादि आयुर्वेदिक तत्व वायरल और जीवाणु इन्फेक्शन को खत्म करते हैं जिससे सूजे और फूले हुए टॉन्सिल्स नौर्मल होने लगते हैं.

    सितोपलादि चूर्ण एक आजमाया हुआ और बेहद प्रचलित आयुर्वेदिक नुस्खा है जिसका प्रयोग भारतीय परिवारों में पुराने समय से ही होता आया है. लेकिन आजकल कई लोगों को ये लगता है कि इसे घर में बनाना एक कठिन काम है और इसलिए वह बाजार से बना बनाया हुआ ही खरीदते हैं. हालांकि ऐसा नहीं है. सितोपलादि चूर्ण को आप घर पर भी आसानी से बना कर इस्तेमाल कर सकते हैं. तो, आइए जानते हैं सितोपलादि चूर्ण सामग्री और इसे बनाने का सही तरीका (sitopaladi churna recipe in hindi) (sitopaladi churna benefits) सितोपलादि चूर्ण सामग्री (Sitopaladi churna ingridients in Hindi)

    सितोपलादि चूर्ण बनाने की विधि (Sitopaladi churna recipe)

    सितोपलादि, मिश्री, हरी इलायची, दालचीनी, वंशलोचन और पिप्पली से मिलकर बनता है. इसके लिए आप नीचे बताई गयी मात्रा में इन पाँच चीजों को ले लें.

    • मिश्री - 160 ग्राम

    • वंश लोचन - 80 ग्राम

    • पिप्पली - 40 ग्राम

    • छोटी इलायची - 20 ग्राम

    • दालचीनी - 10 ग्राम

    अब सबसे पहले मिश्री को मिक्सर में पीस कर पाउडर जैसा महीन बना लें. अगर आप बड़ी मिश्री खरीद रहे हैं तो पहले उसे कूट लें फिर मिक्सर में पीस लें. इसके बाद वंश लोचन और पिप्पली को भी इसी तरह बारीक पीस लें. अब छोटी इलायची को छील लें और इसके दानों को अलग निकाल लें. अब दालचीनी और इलायची दोनों को मिला कर एक साथ पीस लें. सभी पिसी हुई सामग्री को एक साथ एक बड़े बर्तन में अच्छे से मिलाएं और आपका चूर्ण तैयार है. इसे एक एयर टाइट कंटेनर में भर कर स्टोर कर लें जिसे आप बड़े और बच्चे दोनों के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.

    अब आपको बताते हैं बच्चों को सितोपलादि चूर्ण खिलाने का सही तरीका.

    बच्चों को कैसे दें सितोपलादि चूर्ण? (How to give sitopaladi churn to kids in Hindi)

    कई लोग इस संशय में रहते हैं कि क्या बच्चों को सितोपलादि चूर्ण देना सुरक्षित है. अगर हाँ तो इसे इतनी मात्रा में और कैसे खिलाना चाहिए. आइये जानते हैं इसका सेवन करने का सही तरीका.

    • 1-3 साल तक के बच्चे को आप 100 से 250 मिली ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार शहद या घी के साथ दे सकते हैं.

    • इस से बड़े बच्चे को आप 1-2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ खिलाएँ.

    • बड़ों को 2 – 4 ग्राम चूर्ण शहद या घी के साथ दिन में दो बार लेना चाहिए.

    • इस के सेवन के आधा घंटा पहले और बाद कुछ ना खाएं जिससे आपको इसका पूरा लाभ मिलेगा.

    • सामान्यतः सर्दी-जुकाम या खांसी होने उचित मात्रा में सितोपलादि चूर्ण को देसी घी में मिला कर खाना चाहिए.

    • शिशु या फिर छोटे बच्चे के लिए इसका प्रयोग करते हुए इसे छोटे चम्मच में मिलाएं और उसे चटा दें.

    • अगर बच्चा न खा पाये तो उसकी नाभि पर हल्का गर्म कर के लगा दें.

    • सितोपलादि को अगर रात या शाम को लेना हो तो इसे शहद में मिला कर लें. बड़े और बच्चे, दोनों के लिए ही इसके प्रयोग का यही तरीका है.

    सितोपलादि चूर्ण एक प्रभावकारी दवा है और इसका पूरा लाभ लेने के लिए आप इसे सही मात्रा और कौंबिनेशन में खाएं. कभी भी बताई गयी मात्रा से अधिक सेवन ना करें क्योंकि ऐसा करने से पेट की समस्याएं या अन्य दोष पैदा हो सकते हैं.

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