Breastfeeding & Lactation
6 December 2023 को अपडेट किया गया
लगभग सभी पेरेंट्स ये सवाल पूछते हैं कि दूध पीते समय बच्चे क्यों सो जाते हैं? बच्चे जब ब्रेस्टफ़ीडिंग करते हुए गहरी नींद सो जाते हैं (Baby Sleeping While Breastfeeding in Hindi) तो अक्सर माँ को आश्चर्य होता है कि क्या बच्चे का ऐसा करना ठीक है? इसका उत्तर हाँ भी है और नहीं भी. अधिकतर मामलों में इससे कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन कई बार यह चिंता का विषय हो सकता है.
छोटे बच्चों का ब्रेस्टफ़ीडिंग करते हुए सो जाना (Baby Sleeping While Breastfeeding in Hindi) एक सामान्य व्यवहार है और ऐसा अक्सर कोलेसीस्टोकिनिन (cholecystokinin) या CCK नामक हार्मोन के कारण होता है. जैसे ही बच्चा ब्रेस्टफ़ीडिंग करना शुरू करता है, यह हार्मोन बच्चे की इंटेस्टाइन में रिलीज़ हो जाता है और बच्चे को पेट भरे होने और नींद का एहसास कराता है जिससे उसे नींद आने लगती है.
CCK हार्मोन के अलावा भी बच्चों के ब्रेस्टफ़ीडिंग के दौरान सो जाने (baby sleeps while feeding in Hindi) के कई और कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ के बारे में हम यहाँ बात करेंगे.
एक न्यूबोर्न बेबी दिन भर में चार से छह बार सुसू और तीन से चार बार पॉट्टी करता है और इसके बाद उसका पेट खाली हो जाने पर उसे भूख लगने लगती है; जैसे बड़े व्यक्तियों को भूख लगने पर खाना खाने से तृप्ति और आराम मिलता है. उसी तरह बच्चों को भी ब्रेस्टफ़ीडिंग से आराम मिलता है और वे रिलेक्स्ड फील करते हैं. ब्रेस्टफ़ीडिंग के दौरान पेट का भरना बच्चों को थका देता है और ऐसे में उनका सो जाना नेचुरल है. अगर आप ध्यान दें तो पाएँगे कि फ़ीडिंग शुरू करते समय बच्चों का शरीर स्ट्रेस्ड रहता है, और हाथों की मुठ्ठियाँ कसी हुई होती हैं, लेकिन जैसे-जैसे वो फ़ीड लेते हैं, उनकी मुठ्ठियाँ खुल जाती हैं और वे रिलेक्स्ड फ़ील करने लगते हैं.
बहुत से बच्चे ब्रेस्टफ़ीडिंग के बाद पेट भरने पर सो जाते हैं. कुछ बच्चों को तेज भूख लगती है और उनकी फ़ीड लेने की स्पीड भी तेज़ होती है. यह बच्चे कुछ ही मिनटों में ब्रेस्ट खाली कर देते हैं और संतुष्ट होकर सो जाते हैं. एक माँ को अपने अनुभव के आधार पर और दूध पिलाते समय निप्पल चूसने और दूध निगलने की आवाज़ से यह पता चल जाता है कि उसके बच्चे ने पर्याप्त दूध पी लिया है या नहीं.
अगर आपका बच्चा पर्याप्त ब्रेस्ट फ़ीड ले रहा है और फ़ीडिंग के बाद ठीक से गहरी नींद सो रहा है, तो इसका एक ही मतलब है कि उसकी अच्छी ग्रोथ हो रही है. हालाँकि, कुछ बच्चों में ग्रोथ के लक्षण उतने स्पष्ट नहीं होते लेकिन अगर आप उनका वज़न करेंगे तो पता चलेगा कि उनका विकास हो रहा है. ग्रोथ में तेज़ी के दौरान बच्चे का वज़न, लंबाई और सिर का आकार तेजी से बढ़ता है. जब बच्चे का विकास तेज़ से होता है तब भी उसे सामान्य से अधिक नींद की ज़रूरत हो सकती है जो एक या दो दिनों के अंदर सामान्य से साढ़े चार घंटे तक अधिक हो सकती है. रात में कम जागना या लंबी नींद लेना इस बात का संकेत भी हो सकता है कि बच्चा अपनी एनर्जी को बढ़ा रहा है.
नवजात शिशु बहुत जल्दी थक जाते हैं. जहाँ कुछ बच्चे जागने के एक-डेढ़ घंटे बाद ही थक जाते हैं. वहीं बहुत से बच्चे दो घंटे या उससे अधिक समय तक बिना थके खेलते रहते हैं. थकान होने पर बच्चे कान खींचना, मुट्ठियाँ बंद करना, जम्हाई लेना, पलकें फड़काना, हाथ और पैर तेज़ी से चलाना, भौंहें सिकोड़ना जैसे संकेत देते हैं. जिसका मतलब अक्सर यह होता है कि बच्चा सोना चाहता है.
उम्र के साथ जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है उसकी भूख भी बढ़ती जाती है. माँ के ज़्यादा बार फ़ीड कराने पर उसके ब्रेस्ट का दूध बच्चे की ज़रूरतों के अनुसार खुद ही बढ़ जाता है. जैसे-जैसे बच्चा दूध पीने लगता है, माँ का शरीर और अधिक ब्रेस्ट मिल्क बनाने लगता है. एक माँ के ब्रेस्ट से अच्छे मिल्क फ्लो के कई लक्षण होते हैं; जैसे- बच्चे की निप्पल चूसने की स्पीड में तेज़ी आना, निप्पल को लयबद्ध तरीक़े से चूसना, ब्रेस्ट में झुनझुनी या चुभन होना, ब्रेस्ट में अचानक से भारीपन महसूस होना, एक ब्रेस्ट से दूध पिलाते हुए दूसरी ब्रेस्ट से दूध का रिसना, माँ को ज़्यादा प्यास लगना, आदि. हालाँकि अगर माँ को किसी तरह की चिंता, तनाव या अत्यधिक थकान रहती है तो इसका नेगेटिव असर भी मिल्क फ़्लो पर पड़ता है. इसलिए ब्रेस्टफ़ीडिंग कराते हुए हमेशा तनावमुक्त रहना चाहिए.
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कभी-कभी बच्चे का ब्रेस्टफ़ीडिंग करते हुए सो जाना (baby sleeps while feeding in Hindi) सामान्य है लेकिन अगर बच्चा अक्सर ऐसा करने लगे तो माँ को लगता है कि बच्चा पर्याप्त दूध नहीं पी रहा है. अगर आपका बच्चा भी ब्रेस्टफ़ीडिंग के दौरान सो जाता है तो उसे जगाए रखने के लिए हम आपको देंगे कुछ असरदार उपाय जो काफ़ी मददगार हो सकते हैं.
अगर बच्चा ब्रेस्टफ़ीडिंग के दौरान बार-बार सो जाए, तो आप फ़ीडिंग कराते हुए अपनी पोजीशन बदलते रहें. इस आसान तकनीक को स्विच नर्सिंग टेक्निक (switch nursing technique) कहते हैं. जैसे ही बच्चा निप्पल चूसना कम कर दे और सुस्त पड़ जाए तो आप को पता चल जाता है कि उसे नींद आ रही है. फ़ीडिंग करते हुए जैसे ही वो सोने लगे तो आप उसे दूसरे ब्रेस्ट की तरफ ले जाएँ जिससे वो जाग जायेगा और दूसरे ब्रेस्ट से भी भरपूर दूध पी सकेगा.
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माँ और बच्चे का स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट बेहद ज़रूरी है क्योंकि यह बच्चे की हार्ट बीट और ब्रीदिंग को कंट्रोल करता है. माँ के साथ चिपक कर रहने में बच्चे को आराम और शांति मिलती है साथ ही इससे माँ के ब्रेस्ट में दूध भी ज़्यादा बनता है. बच्चे के साथ स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट रखने से उसकी भूख बढ़ती है और वो दूध पीने में ज़्यादा रूचि लेता है. माँ के शरीर से चिपका हुआ बच्चा ब्रेस्ट के नज़दीक होता है और कभी भी दूध पी सकता है. इसके साथ ही स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट से माँ अपने बच्चे में आने वाले छोटे से छोटे बदलाव को भी तुरंत नोटिस करती है जिससे उसकी उचित देखभाल में मदद मिलती है.
बच्चे को डकार दिलाना उसके भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. बच्चा जब ब्रेस्टफ़ीडिंग करता है तो साथ में उसके पेट में हवा भी जाती है और ये हवा के बुलबुले उसके पेट में फँसकर भारीपन पैदा कर सकते हैं. ऐसा होने पर बच्चा दूध पीना बंद कर देता है और सोने लगता है. जब आपको ऐसा लगे तो ब्रेस्ट फ़ीडिंग कराते हुए बीच में ब्रेक लेकर बच्चे को डकार दिलवाएँ. इससे पेट में फँसी गैस निकल जाएगी. बच्चे को राहत मिलते ही वो फिर से फ़ीड लेने लगेगा.
ब्रेस्टफ़ीडिंग कराते हुए बच्चे को जगाये रखने के लिए ब्रेस्ट कम्प्रेशन भी एक असरदार तरीक़ा है जिससे दूध का फ्लो बढ़ जाता है. यह प्रोसेस उन बच्चों के लिए बहुत हेल्पफुल है जिन्हें पूरा दूध पीने में परेशानी होती है. जब भी आपको लगे कि बच्चा ठीक से निप्पल नहीं चूस पा रहा है या दूध नहीं पी रहा है, तो आप अपने ब्रेस्ट को दबाएँ. लेकिन इतना जोर से नहीं कि आपको दर्द होने लगे. ऐसा करने पर आप महसूस करेंगी कि बच्चे ने तेज़ी से निप्पल चूसते हुए दूध पीना शुरू कर दिया है. अपनी ब्रेस्ट को तब तक दबाते रहें जब तक कि बच्चा फिर से दूध पीना बंद न कर दे. ऐसा आप लगातार कई बार तक कर सकती हैं.
ब्रेस्टफ़ीडिंग के दौरान बच्चे को जगाए रखने का एक और श्योर शॉट तरीक़ा है उससे बात करते रहना. ठीक से फ़ीड लेना यह कंफर्म करता है कि बच्चे को पर्याप्त भोजन मिल रहा है. इससे बच्चे को गहरी नींद आने में भी मदद मिलती है और उनकी दूध पीने के दौरान सो जाने की आदत में भी इंप्रूवमेंट आता है. अगर बच्चा ब्रेस्ट फ़ीड लेते हुए दूध पीना बंद कर दे और सो जाए तो उसके हाथों और पैरों को धीरे से सहलाएँ और उससे बातें करें. अक्सर माँ की आवाज़ सुनना ही बच्चे को जगाने के लिए पर्याप्त होता है. उसकी आँखें खुलने पर उससे नजरें मिलाएँ, उससे बातें करें या गाना गायें. इससे वह खुश होगा और ब्रेस्ट फ़ीडिंग के दौरान सोयेगा नहीं.
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फ़ीड लेते हुए बच्चे का सो जाना कोई चिंता का विषय नहीं है लेकिन साथ ही इस बात का ख़्याल रखा जाना ज़रूरी है कि बच्चे का पेट ठीक तरह से भर जाए जिससे उसे पोषण की कमी ना हो और उसका वेट उम्र के अनुसार बढ़ता रहे. ब्रेस्टफ़ीडिंग में आसानी और कंफर्ट लाने के लिए आप माइलो का सी शेप प्रेग्नेंसी और फ़ीडिंग पिलो भी यूज़ कर सकती हैं जिससे फ़ीडिंग के दौरान बच्चे को सही तरह से पोज़ीशन करने में आपको मदद मिलेगी. इसके अलावा आप सही लैचिंग टेक्निक और क्रैडल होल्ड, क्रॉस क्रैडल होल्ड, फुटबॉल होल्ड और साइड लाइंग जैसी ब्रेस्टफ़ीडिंग पोज़ीशन भी ट्राई करें जो बच्चे को जगाए रखने में मददगार होती हैं.
1. Abdul Jafar, N. K., Tham, E. K. H., Pang, W. W; et al. (2021). Association between breastfeeding and sleep patterns in infants and preschool children.
2. Demirci, J. R., Braxter, B. J., & Chasens, E. R. (2012). Breastfeeding and short sleep duration in mothers and 6–11-month-old infants.
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