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    Late Ovulation in Hindi | लेट ओव्यूलेशन क्या होता है और गर्भधारण की संभावनाओं पर कैसे होता है इसका असर?

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    Late Ovulation in Hindi | लेट ओव्यूलेशन क्या होता है और गर्भधारण की संभावनाओं पर कैसे होता है इसका असर?

    23 February 2024 को अपडेट किया गया

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    अगर आप फैमिली प्लानिंग के बारे में सोच रहे हैं तो आपको मासिक धर्म चक्र (Menstrual cycle) और ओव्यूलेशन कैलेंडर (Ovulation calender in Hindi) के बारे में सही जानकारी होना ज़रूरी है. आपके मासिक चक्र की औसत लेंथ क्या है और आपका ओव्यूलेशन पीरियड (Ovulation period in Hindi) कब होता है, जैसे सवालों का जवाब आपको पता होना चाहिए. पीरियड्स या ओव्यूलेशन में गड़बड़ी होने पर गर्भधारण मुश्किल हो जाता है. इस आर्टिकल में हम आपको लेट ओव्यूलेशन (Late ovulation in Hindi) के बारे में डिटेल में जानकारी देंगे!

    लेट ओव्यूलेशन क्या होता है? (Delayed ovulation meaning in Hindi)

    जब महिलाओं के मासिक धर्म चक्र में ओव्यूलेशन औसत समय के बाद होता है, तो ऐसी स्थिति को लेट ओव्यूलेशन (Late ovulation in Hindi) कहा जाता है. मासिक चक्र का औसत समय 28 दिन का होता है. हालाँकि, जिन महिलाओं का मासिक चक्र 21 से 35 दिन का होता है, वह भी नॉर्मल माना जाता है. जिन महिलाओं का मासिक चक्र 28 दिन का होता है, उनका ओव्यूलेशन 14वें दिन होता है. लेकिन जिन महिलाओं का मासिक चक्र छोटा या बड़ा होता है, उनके ओव्यूलेशन पीरियड में देरी हो सकती है.

    अगर आप फैमिली प्लानिंग के बारे में सोच रही हैं, तो आपको अपने मासिक चक्र को ट्रैक करना चाहिए, ताकि समय रहते आपको मासिक चक्र या ओव्यूलेशन की अनियमितता का पता चल सकें.

    इसे भी पढ़ें : क्या ओव्यूलेशन की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है?

    लेट ओव्यूलेशन के कारण (Late ovulation causes in Hindi)

    ओव्यूलेशन में देरी होने के कई कारण हो सकते हैं. यहाँ पर हम आपको कुछ कॉमन कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं, ताकि आप समय रहते सही क़दम उठा सकें

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    1. हार्मोनल बदलाव (Hormonal imbalances)

    हार्मोन्स में उतार-चढ़ाव होने पर ओव्यूलेशन पर असर होता है. एस्ट्रोजन का हाई लेवल या ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) का लो लेवल, ओव्यूलेशन प्रोसेस को प्रभावित कर सकता है और इसके कारण लेट ओव्यूलेशन हो सकता है.

    2. तनाव (Stress)

    स्ट्रेस का हाई लेवल हार्मोन प्रोडक्शन को प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण ओव्यूलेशन अनियमित या देरी से हो सकता है. अक्सर जो महिलाएँ अधिक तनाव लेती हैं, उन्हें लेट ओव्यूलेशन (Late ovulation in Hindi) का सामना करना पड़ता है.

    3. मेडिसिन (Medicine)

    अगर आप नियमित तौर पर कोई मेडिसिन लेते हैं या आपका कोई इलाज चल रहा है, तो ऐसी स्थिति में आपके हार्मोन्स असंतुलित हो सकते हैं, जिसके कारण आपको लेट ओव्यूलेशन (Late ovulation in Hindi) का सामना करना पड़ सकता है.

    4. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome (PCOS)

    पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी कि पीसीओएस एक बहुत ही कॉमन समस्या है, जिसके कारण हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं और पीरियड्स अनियमित होते हैं. इसके कारण ओव्यूलेशन में देरी (Delayed ovulation in Hindi) होती है.

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    5. हायपरप्रोलैक्टिनीमिया (Hyperprolactinemia)

    कुछ मामलों में हायपरप्रोलैक्टिनीमिया के कारण भी मासिक चक्र लंबा होता है और ओव्यूलेशन पीरियड अनियमित हो सकता है. ऐसी स्थिति में प्रोलैक्टिन हार्मोन का स्तर नॉर्मल से अधिक हो जाता है. इसके कारण एस्ट्रोजन का स्तर कम हो सकता है, जिसके कारण मासिक धर्म चक्र में गड़बड़ी हो सकती है. मासिक चक्र अनियमित होने पर ओव्यूलेशन पीरियड पर भी असर होता है.

    6. हायपोथायराॅयडिज्म (Hypothyroidism)

    जब शरीर में पर्याप्त थायराइड हार्मोन का प्रोडक्शन नहीं हो पाता है, तो ऐसी स्थिति को हायपोथायराॅयडिज्म कहा जाता है. हायपोथायराॅयडिज्म के कारण लेट ओव्यूलेशन की समस्या हो सकती है.

    7. उम्र (Age)

    जैसे-जैसे महिलाएँ पेरिमेनोपॉज़ या मेनोपॉज के करीब पहुँचती हैं, वैसे-वैसे हार्मोन्स में उतार-चढ़ाव होता है. ऐसी स्थिति में भी ओव्यूलेशन देरी (Delayed ovulation in Hindi) से होता है.

    इसे भी पढ़ें : जानिए ओव्यूलेशन के दौरान पेट फूलने के इन कारणों के बारे में

    लेट ओव्यूलेशन का गर्भधारण की संभावनाओं पर असर (Can late ovulation affect conception in Hindi)

    ओव्यूलेशन में देरी होने पर गर्भधारण की संभावनाओं पर नेगेटिव असर हो सकता है. लेट ओव्यूलेशन होने पर गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है. अगर आप फैमिली प्लानिंग के बारे में सोच रही हैं, तो ऐसी स्थिति में आपको अपने ओव्यूलेशन पीरियड (Ovulation date in Hindi) पर नज़र रखना चाहिए. अगर 4 से 5 माह तक आपका ओव्यूलेशन का समय अनियमित होता है, तो आपको डॉक्टर से मिलने में देरी नहीं करना चाहिए.

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    इसे भी पढ़ें : शीघ्र गर्भधारण करने के कुछ असरदार उपाय - पूरी जानकारी इस लेख में

    हर माह ओव्यूलेशन को कैसे करें ट्रैक? (How to track ovulation every month in Hindi))

    ओव्यूलेशन को ट्रैक करने के कई तरीक़े हो सकते हैं; जैसे कि-

    1. कैलेंडर मेथड (Calendar method or standard days method)

    इस मेथड में ओव्यूलेशन का अनुमान लगाने के लिए आपके मासिक चक्र की लेंथ पर ध्यान दिया जाता है. इसमें आपके पीरियड्स के पहले और अंतिम दिन को दर्ज किया जाता है. इसकी मदद से फर्टाइल विंडो का समय का अनुमान लगाया जाता है.

    2. ओव्यूलेशन प्रिडिक्टर किट (Ovulation predictor kit)

    ओव्यूलेशन टेस्ट किट ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) में वृद्धि का पता लगाती है, जो कि ओव्यूलेशन से 24-36 घंटे पहले होता है. अगर आप भी अपने ओव्यूलेशन पीरियड को ट्रैक करना चाहते हैं तो आप माइलो ओव्यूलेशन टेस्ट किट (Mylo Ovulation Test Kit) को इस्तेमाल कर सकते हैं.

    3. बेसल बॉडी टेम्परेचर (Basal body temperature method)

    इस मेथड में आपको सुबह उठते ही अपनी बॉडी के टेम्परेचर को ट्रैक करना होता है. बॉडी का बढ़ा हुए टेम्परेचर ओव्यूलेशन की ओर इशारा करता है.

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    4. सर्वाइकल म्यूकस मेथड (Cervical mucus method)

    इस मेथड में आपको सर्वाइकल म्यूकस पर ग़ौर करना होता है. ओव्यूलेशन के दौरान यह म्यूकस अधिक क्लियर और स्ट्रेची होता है. इसका रंग अंडे की तरह सफ़ेद होता है.

    5. ओव्यूलेशन कैलकुलेटर (Ovulation calculator)

    ओव्यूलेशन को ट्रैक करने का सबसे आसान तरीक़ा है- ओव्यूलेशन कैलकुलेटर. ओव्यूलेशन कैलकुलेटर (Ovulation calculator in Hindi) में आपको बस अपने पिछले पीरियड्स की तारीख और अपने मासिक चक्र (Menstrual cycle) की औसत लेंथ की जानकारी देनी होती है. इसके बाद आपको ओव्यूलेशन का एक अनुमानित समय पता चल जाता है.

    इसे भी पढ़ें: इन कारणों की वजह से महिलाओं को कंसीव करने में आती हैं परेशानी

    प्रो टिप (Pro Tip)

    लेट ओव्यूलेशन होने की स्थिति में गर्भधारण करना मुश्किल तो है, लेकिन असंभव नहीं. आप कुछ बातों का ध्यान रखकर अपने ओव्यूलेशन पीरियड को नियमित कर सकती हैं. इसके लिए आपको अपने वज़न को मॉनिटर करना है, मासिक चक्र को ट्रैक करना है, स्ट्रेस को मैनेज करना है, और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श करना है.

    रेफरेंस

    1. Wilcox AJ, Dunson D, Baird DD. (2000). The timing of the "fertile window" in the menstrual cycle: day specific estimates from a prospective study.

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    2. Soumpasis I, Grace B, Johnson S. (2020). Real-life insights on menstrual cycles and ovulation using big data.

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    Written by

    Ishmeet Kaur

    Ishmeet is an experienced content writer with a demonstrated history of working in the internet industry. She is skilled in Editing, Public Speaking, Blogging, Creative Writing, and Social Media.

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