Pregnancy
11 August 2023 को अपडेट किया गया
प्रेग्नेंसी में खून की कमी जिसे एनीमिया कहा जाता है वह मां और बच्चे दोनों के लिए ही खतरनाक साबित हो सकती है. हालांकि शुरुआती टेस्ट में ही एनीमिया का पता चल जाता है लेकिन इसकी समय से जांच और इलाज़ करना बहुत ही ज़रूरी है. क्या आप जानते हैं प्रेग्नेंसी में आयरन की कमी से कई तरह के रोग हो सकते हैं?
गर्भावस्था के दौरान शरीर में लोहे की कमी से शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती जो शिशु के उचित विकास के लिए बहुत जरूरी है. इसके अलावा
प्रेग्नेंसी में होने वाले एनीमिया को जानने के लिए आपको इस बात की सही जानकारी होना ज़रूरी है कि गर्भवती महिला में कितना खून होना चाहिए और साथ ही एक सामान्य गर्भावस्था में कुल कितने आयरन की आवश्यकता होती है?
आयरन, माँ और बच्चे को खून की कमी और कई तरह के संक्रमण से बचाता है और बच्चे की ग्रोथ और ब्रेन डेवलपमेंट के लिए ज़रूरी है. गर्भधारण के लिए एक स्वस्थ महिला को प्रतिदिन 18 मिलीग्राम आयरन लेना चाहिये ताकि खून की कमी न होने पाये.
प्रेग्नेंसी एस्टेब्लिश हो जाने के बाद होने वाली माँ के लिए प्रति दिन 27 मिलीग्राम आयरन लेना ज़रूरी है. डब्ल्यू एच ओ के अनुसार प्रेग्नेंट महिलाओं को हर रोज़ 0.5 मि.ग्रा फॉलिक एसिड और 30 से 60 मि.ग्रा. आयरन ज़रूर लेना चाहिए.
प्रेग्नेंसी के तीनों ट्राइमेस्टर में भी हीमोग्लोबिन का स्तर बदलता रहता है जैसे कि गर्भावस्था के 5 माह के दौरान हीमोग्लोबिन स्तर 9.7 से 14.8 ग्राम प्रति 100 एम एल या 97 से 148 ग्राम प्रति लीटर होना चाहिए.
इसी तरह गर्भावस्था के 7 माह के दौरान हीमोग्लोबिन स्तर और गर्भावस्था के 9 माह के दौरान हीमोग्लोबिन स्तर यानि कि अंतिम ट्राइमेस्टर में हीमोग्लोबिन 9.5 से 15 ग्राम प्रति 100 एम एल या 95 से 150 ग्राम प्रति लीटर होना चाहिए.
गर्भावस्था में डॉक्टर्स आयरन की गोली लेने की सलाह न सिर्फ एनीमिक बल्कि सभी गर्भवती महिलाओं को देते हैं. दूसरे ट्राइमेस्टर से शरीर की आयरन की जरूरत अधिक बढ़ जाती है जिस वजह से आयरन सप्लीमेंट्स लेना जरूरी हो जाता है. आप डॉक्टर की सलाह से प्रेग्नेंसी के 13वें हफ्ते के बाद आयरन की गोलियां लेना शुरू कर सकते हैं.
अपने नियमित आहार में कुछ खास तरह की चीजों को शामिल करके आप शरीर में प्राकृतिक तरह से आयरन की पूर्ति कर सकते हैं. अगर आप नौन वेजिटेरियन हैं तो आप को रेड मीट और सी फूड जैसे मछली और चिकन तथा अंडों का सेवन करना चाहिए. शाकाहारी लोगों के लिए आयरन से भरपूर होलग्रेन्स, सभी तरह की बीन्स जैसे राजमा छोले इत्यादि, चने और दालें, पालक और चौलाई, सूखे मेवे खासतौर पर किशमिश और मुनक्का नियमित रूप से खाने चाहिए.
शरीर में लोहे की आपूर्ति के लिए इन आयरन रिच फूड आइटम्स को अपनी डेली खुराक में शामिल करें. जैसे
आयरन से भरपूर चुकंदर को खाने से शरीर में खून की कमी नहीं होती. इसको रोज अपने खाने में सलाद या सब्जी की तरह प्रयोग करें.
एनीमिया में अंजीर और किशमिश का सेवन बहुत फायदेमंद है जो खून की कमी दूर करता है.
नियमित रूप से पालक खाएं जो एनीमिया से बचाता है. पालक में विटामिन और आयरन की प्रचुरता से खून की कमी दूर होती है.
विटामिन सी से भरपूर टमाटर से बीटा केरोटिन और विटामिन ई भी मिलता है जो आयरन की कमी को दूर करता है. इसे सलाद या सूप में मिलाएँ.
एक बड़ा अंडा1 ग्राम आयरन दे सकता है इसलिए इसका नियमित सेवन करें.
इसके अलावा फिश जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड के अलावा आयरन ज़बरदस्त मात्रा में पाया जाता है एनीमिया से लड़ने में मददगार है.
अनार भी विटामिन सी और आयरन का बढ़िया स्रोत है. इसके सेवन से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और एनीमिया से बचाव होता है.
बादाम भी एक आयरन रिच फूड है और एक मुठ्ठी बादाम रोज़ खाने से शरीर में आयरन की कमी को 6 प्रतिशत तक पूरा किया जा सकता है.
प्रेग्नेंसी में आयरन के अलावा कैल्शियम की कमी होने से भी कई तरह की दिक्कतें पैदा हो सकती हैं. जिसमें हाई ब्लड प्रेशर, प्रीमैच्योर बर्थ, जन्म के समय बच्चे के वजन में कमी, उंगलियों में झनझनाहट, गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में रुकावट और उसकी हड्डियों को पर्याप्त कैल्शियम न मिल पाने के कारण हड्डियों में कमजोरी जैसी दिक्कतें होने लगती हैं.
हमारे शरीर में कैल्शियम और आयरन के एब्ज़ोर्ब्शन का आपस में सीधा संबंध है और इनकी गोलियां लेते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है. कैल्शियम आयरन के एब्ज़ोर्ब्शन में रुकावट डालता है इसलिए कैल्शियम और आयरन के सल्पिमेंट्स एक ही समय पर न लेते हुए इनको कुछ गैप रखकर खाना चाहिए. प्रेग्नेंसी में आयरन के साथ साथ कैल्शियम की कमी भी नहीं होनी चाहिए इसलिए अगर आपको इस से संबन्धित लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अपने डॉक्टर की सलाह लें.
Garzon S, Cacciato PM, Certelli C, Salvaggio C, Magliarditi M, Rizzo G.(2020) Iron Deficiency Anemia in Pregnancy: Novel Approaches for an Old Problem.
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