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    Sensory Processing Disorder in Children in Hindi | बच्चों में सेंसरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर का पता कैसे लगाते हैं?

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    Sensory Processing Disorder in Children in Hindi | बच्चों में सेंसरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर का पता कैसे लगाते हैं?

    10 August 2023 को अपडेट किया गया

    बिहेवियर और लर्निंग डिस्ऑर्डर की समस्या से पीड़ित के माता-पिता से सवाल किया जाए कि क्या उनका बच्चा सेंसरी प्रोसेसिंग में समस्या महसूस करता है, तो ज्यादातर लोगों का जवाब हां होगा. हालांकि, ऐसा सामान्य रूप में माना जाता है कि ऑटिस्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर से पीड़ित बच्चों के सेंसरी इंपुट को इंटीग्रेट करने में समस्या होती है, और यह भी देखा गया है कि जो बच्चे स्पेक्ट्रम में नहीं हैं उन्हें भी अलग-अलग तरह से इसकी समस्या हो सकती है.

    सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर क्या होता है? (What Is Sensory Processing Disorder?)

    सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर (एसपीडी) एक न्यूलॉजिकल स्थिति है जो दिमाग की सेंस को प्रोसेस करने वाली सेंसरी प्रोसेसिंग क्षमता को प्रभावित करती है. वे किस तरह से इससे प्रभावित हैं, इस बात पर निर्भर करते हुए, सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर से प्रभावित लोग सेंसरी जानकारियों के प्रति अति संवेदनशील या नीरस हो सकते हैं. सेंसरी जानकारी वे चीजें होती हैं जिन्हें हम देखते, सुनते, सूंघते, चखते या छूते हैं. यह डिस्ऑर्डर बताता है कि आप उन चीजों के प्रति ज्यादा उत्तेजित हो जाते हैं या संवेदनशील हैं जो बाकी लोगों के लिए सामान्य हैं.
    वयस्कों की तुलना में बच्चे एसपीडी से अधिक पीड़ित होते हैं. हालांकि, वयस्कों में भी इसके लक्षण देखे जा सकते हैं. सामान्य तौर पर वयस्कों में देखे जाने वाले ऐसे लक्षण उनके बचपन से उनमें मौजूद थे, लेकिन उन्हें इस डिस्ऑर्डर से निपटना और दूसरों के सामने इसे जाहिर न करना आ गया. उदाहरण के तौर पर, जिन बच्चों को सेंसरी समस्या होती है उन्हें वे चीजें नपसंद होती हैं जो उनके सेंस को जरूरत से ज्यादा उत्तेजित कर देती हैं, जैसे शोर शराबा, तेज रौशनी, और तेज खुशबू. या ऐसे बच्चे उस वातावरण में और भी उत्तेजना लाने की कोशिश करते हैं जहां उनके सेंस को बहुत उत्तेजना नहीं मिल पाती.
    चिकित्सकों के बीच इस बात को लेकर बहस है कि सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर अलग से कोई डिस्ऑर्डर है या यह किसी डिस्ऑर्डर का लक्षण मात्र है जैसे, ऑटिस्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर, हाइपरएक्टिविटी अटेंशन डिफेक्ट डिस्ऑर्डर और एंग्जाइटी. हालांकि, सेंसरी समस्या या प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर के बारे में अभी बहुत कम जानकारी है और इस दिशा में अध्ययन की जरूरत है.

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    सेंसरी प्रोसेसिंग क्या होता है? (What Is Sensory Processing?)

    आपने अपने प्राथमिक स्कूल में पांच सेंस के बारे में पढ़ा होगा, लेकिन हकीकत में, आप दुनिया को इन पांच सेंस के अलावा भी कई तरह से जान पाते हैं.
    सेंसरी प्रोसेसिंग आम तौर पर आठ प्रकार में बांटा गया है, जिनमें शामिल हैं:

    1. प्रोप्रियोसेप्शन (Proprioception) :

    यह अपने शरीर के होने के ज्ञान का आंतरिक अहसास है. यही आपको पॉश्चर बनाए रखने और मोटर कंट्रोल में मदद करता है. उदाहरण के तौर पर, यह आपको यह भी बताता है कि आपको कैसे चलना है या किस प्रकार जगह लेनी है.

    2. वेस्टीब्यूलर (Vestibular) :

    इस शब्द का संबंध अंदरूनी कान के स्पाटियल रिकग्निशन से होता है. यही आपमें संतुलन और समन्वय बनाता है.

    3. इंट्रोसेप्शन (Interoception) :

    यह शब्द आपके उस अहसास से संबंधित है जो आपको बताता है कि आपके शरीर में क्या हो रहा है. इसे समझने के लिए आपको देखना होगा कि आप कैसा महसूस करते हैं, जिनमें ठंडा या गर्म महसूस करना या भावनाएं महसूस करना शामिल है.

    4. पांच सेंस (Five senses) :

    पांच सामान्य सेंस होते हैं - महसूस करना, सुनना, स्वाद लेना, सूंघना और देखना.
    इस डिस्ऑर्डर का पता लगाने के लिए अभी रिसर्च आधारित साक्ष्यों की कमी है. ज्यादातर चिकित्सकों और विशेषज्ञों का मानना है कि सेंसरी समस्या किसी अन्य डिस्ऑर्डर या स्थिति का हिस्सा है, जैसे ऑटिस्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर. "सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर" शब्द अक्सर ऑक्यूपेशनल थेरेपी में इस्तेमाल होता है.

    सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर के लक्षण क्या हैं? (What Are The Signs And Symptoms Of Sensory Processing Disorder?)

    बच्चा किस तरह से चीजें महसूस करता है, इस बात पर निर्भर करते हुए, सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर की समस्याओं के लक्षण सबमें अलग अलग हो सकते हैं. उदाहरण के तौर पर, जो बच्चे आसानी से उत्तेजित हो जाते हैं उन्हें हाइपरसेंस्टिविटी हो सकती है. इसका मतलब यह है कि वे रौशनी, आवाज और स्पर्श जैसे सेंसरी इनपुट के प्रति ज्यादा सेंस्टिव होते हैं. नतीजतन, इस प्रकार के सेंसेशन उन्हें परेशान कर सकते हैं, और बहुत ज्यादा सेंसरी इंफ़ॉर्मेशन के होने पर उनका ध्यान भटकता रहता है, या फिर ऐसे में वे प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं.
    कुछ बच्चे हाइपोसेंस्टिविटी से पीड़ित भी हो सकते हैं. इसका मतलब यह है कि सेंसरी आउटपुट के प्रति उनकी सेंस्टिविटी कम होती है. व्यक्ति ऐसे में किस प्रकार की सेंस्टिविटी महसूस करता है यह उसके लक्षणों से पता चलता है. उदाहरण के तौर पर, हाइपरसेंस्टिव बच्चे महसूस करते हैं मानों हर चीज बहुत तेज आवाज वाली है या बहुत तेज रौशनी वाली है. इस कारण, ऐसे बच्चों को बहुत शोर वाले कमरे में रहने में समस्या होती है या महक से उनपर विपरीत प्रभाव पड़ता है. सेंसरी हाइपरसेंस्टिविटी के कारण नीचे दिए लक्षण सामने आते हैं:

    1. दर्द बर्दाश्त करने में कमी
    2. अव्यवस्थित नजर आना
    3. सुरक्षा का ख्याल रखे बिना भाग जाना
    4. अक्सर आंख और कान बंद करना
    5. भोजन में चुनाव, या किसी खास तरह का भोजन करते समय उबकाई आना
    6. गले मिलने या किसी खास स्पर्श से बचना
    7. कोमल स्पर्श को भी कठोर मानना
    8. भावनाएं संभालने में समस्या
    9. ध्यान लगाने में समस्या
    10. प्रतिक्रिया स्वीकारने में समस्या
    11. व्यवहार में समस्या

    इसके विपरीत, हाइपोसेंस्टिव बच्चे कम सेंस्टिविटी की समस्या महसूस करते हैं और अपने आस पास की दुनिया से संपर्क बनाने की कोशिश करते रहते हैं. वे अपने वातावरण से ज्यादा संपर्क बनाते हैं ताकि उन्हें ज्यादा प्रतिक्रिया मिल सके. इस कारण वे हाइपोेएक्टिव हो जाते हैं. बल्कि, वे अपने सेंस को ज्यादा काम पर लगाने की कोशिश करते हैं. सेंसरी हाइपोेसेंस्टिविटी के नीचे दिए लक्षण नजर आते हैं:

    1. बर्दाश्त करने की अधिक सीमा
    2. दीवार पर हाथ पैर मारना
    3. चीजों को महसूस करना
    4. सामान मुंह में डालना
    5. गले लगते रहना
    6. लोगों को धक्का देना या सामान फेंकना
    7. अपनी निजी स्पेस का सम्मान न करना
    8. उछलते कूदते रहना

    बच्चों में सेंसरी समस्याओं का क्या कारण है? (What Causes Sensory Issues In Children?)

    बच्चों में सेंसरी समस्याओं का कारण स्पष्ट नहीं है. हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि इसका संबंध दिमाग के उस सेंसरी मार्ग से होता है जो जानकारी को प्रोसेस और संगठित करता है. ऑटिस्म से पीड़ित लोगों को सेंसरी प्रोसेसिंग की समस्या होती है. हालांकि, इसका कोई प्रमाण नहीं है कि सेंसरी समस्याएं स्वतंत्र रूप में सामने आती हैं या कोई अन्य डिस्ऑर्डर की वजह से होती हैं. हालांकि, स्वास्थ्य जगत में कई लोगों का मानना है कि सेंसरी प्रोसेसिंग की समस्या डायग्नोसिस से ज्यादा खतरे का निशान है.

    एक रिव्यू और लघु अध्ययन बताता है कि गर्भावस्था और प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं का संबंध सेंसरी प्रोसेसिंग समस्या से है, इनमें शामिल हैं:

    1. समय से पहले प्रसव
    2. जन्म से समय कम वजन
    3. माता-पिता से तनाव
    4. गर्भावस्था के दौरान शराब पीना या धूर्मपान करना

    सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर का कारण बनने वाले खतरों में किसी खास रसायन में ज्यादा समय बिताना, या बचपन में सेंसरी उत्तेजना में कमी शामिल हैं. दिमाग की असामान्य गतिविधियां भी दिमाग का सेंस या उत्तेजना के प्रति प्रतिक्रिया को प्रभावित करती है.

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    क्या सेंसरी समस्या किसी अन्य स्थिति का हिस्सा हैं? (Are Sensory Issues Part Of Another Condition?)

    बहुत से चिकित्सक सेंसरी डिस्ऑर्डर को अलग डिस्ऑर्डर नहीं मानते हैं. लेकिन यह प्रमाणित है कि कुछ लोगों को महसूस करने, देखने, सूंघने, चखने या सुनने में समस्या आती है. अधिकतर मामलों में, सेंसरी समस्याएं बच्चों में होती हैं, लेकिन वयस्क भी इनसे पीड़ित हो सकते हैं. सेंसरी प्रोसेसिंग की समस्या से पीड़ित कुछ बच्चे ऑटिस्म स्पेक्ट्रम के अंतर्गत आते हैं.

    सेंसरी समस्याओं से संबंधित स्थितियां या डिस्ऑर्डर नीचे दिए गए हैं:

    1.Autism spectrum disorder(ASD) ऑटिस्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर (एएसडी) :

    ऑटिस्म से पीड़ित लोगों को दिमाग के उस न्यूरल पाथवे पर समस्या हो सकती है जो सेंसरी इंफ़ॉर्मेशन को प्रोसस करने का काम करता है.

    2.Attention deficit hyperactivity disorder(ADHD) अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर (एडीएचडी) :

    एडीएचडी गैरजरूरी जानकारी को भूलने की क्षमता को प्रभावित करता है जिस कारण सेंसरी ओवरलोड हो जाता है.

    3.Schizophrenia स्किट्जोफ़्रेनिया :

    इस स्थिति के लोगें में, दिमाग के सेंसरी पाथवे पर असामान्य मकेनिस्म होने लगती है और यह ऐसे न्यूरोन के बीच संपर्क बना देती है जिससे सेंसरी और मोटर प्रोसेसिंग पर प्रभाव पड़ता है.

    4.Sleep disorders स्लीप डिस्ऑर्डर :

    स्लीप डिस्ऑर्डर जैसे स्लीप डेप्रिवेशन से डेलीरियम हो सकता है, जिससे अस्थाई रूप से सेंसरी प्रोसेसिंग समस्या हो सकती है.

    5.Development delay धीमा विकास :

    सेंसरी समस्याओं से पीड़ित लोगों में धीमा विकास आम बात है.

    6.Brain injury दिमागी चोट :

    शोध के मुताबिक, दिमाग की गंभीर चोट सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर का कारण बन सकती हैं.

    हालांकि, ऐसा आम तौर पर देखा गया है कि एडीएचडी से पीड़ित बच्चे सेंसरी समस्या से पीड़ित अन्य बच्चों की तुलना में कई अलग कारणों से ज्यादा हाइपरएक्टिव होते हैं. एडीएचडी से पीड़ित लोगों को ध्यान लगाने या खाली बैठने में समस्या होती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे अपने आसपास की दुनिया से सेंसरी संपर्क बनाने की कोशिश करते हैं और अपने वातावरण से बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं.

    सेंसरी समस्याओं का पता कैसे लगाया जाता है? (How Are Sensory Issues Diagnosed?)

    सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर आधिकारिक रूप से स्वीकृत न्यूरोलॉजिकल स्थिति नहीं है. इसका मतलब यह है कि इसका पता लगाने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं है. बल्कि, जो विशेषज्ञ सेंसरी प्रोसेसिंग की समस्या से ग्रस्त बच्चों का उपचार करते हैं वे बच्चे को उसके व्यवहार और दूसरों के साथ उसके संपर्क के तरीके पर गौर करते हैं.
    इसके अलावा, कुछ मामलों में, विशेषज्ञ प्रश्नावली का सहारा भी ले सकते हैं, जैसे सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर टॉड्लर्स क्विज़ या टेस्ट या सेंसरी प्रोसेसिंग मेज़र (एसपीएम). इस प्रकार के टेस्ट चिकित्सकों और अध्यापकों को बच्चे की सेंसरी क्रियाओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद करते हैं.

    अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को सेंसरी समस्या है, तो नीचे दिए कुछ लक्षणों को देखकर आप चिकित्सकीय परामर्श ले सकते हैं :
    · उसका व्यवहार दैनिक जीवन पर प्रभाव डालता हो
    · लक्षणों में अचानक बड़े बदलाव आने लगें
    · प्रतिक्रियाओं को संभालना आसान न हो
    · सेंसरी समस्याओं से उनकी सीखने की क्षमता प्रभावित हो गई हो

    चिकित्सक से पूछे जाने वाले सवाल (Questions To Ask A Doctor)

    अगर आप अपने बच्चे की सेंसरी समस्या के लिए चिकित्सकीय परामर्श लेने जा रहे हैं, तो बच्चे के व्यवहार से संबंधित आप जितने चाहें उतने प्रश्न कर सकते हैं साथ ही यह भी जानने की कोशिश कर सकते हैं कि आप उनकी किस प्रकार मदद कर सकते हैं. नीचे दिए कुछ प्रश्न भी आप चिकित्सक से पूछना चाहेंगे :
    · मेरे बच्चे के व्यवहार का स्पष्ट रूप से पता लगाने के लिए क्या कोई डाएग्नोसिस है?
    · क्या आप कोई थेरेपी बता सकते हैं जो बच्चे की मदद कर सके?
    · क्या बच्चे के बड़े होने के साथ उसकी सेंसरी समस्या खत्म हो जाएगी?
    · घर या अलग अलग वातावरण में मैं अपने बच्चे की किस प्रकार मदद कर सकता हूं?
    · स्कूल में मैं अपने बच्चे की किस प्रकार मदद कर सकता हूं?
    · सेंसरी ओवरलोड महसूस होने पर मैं अपने बच्चे की किस प्रकार मदद कर सकता हूं?
    · सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर से पीड़ित बच्चे की मैं किस प्रकार मदद कर सकता हूं?

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    सेंसरी समस्याओं का क्या उपचार है? (What Is The Treatment For Sensory Issues?)

    सेंसरी समस्या या सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर का कोई उपचार नहीं है. लेकिन कुछ थेरेपी मदद कर सकती हैं.

    1. ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Occupational therapy) :

    ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट बच्चे को वह सभी एक्टिविटी सिखाता या करवाता है जिनसे वह सेंसरी समस्या के चलते बचना चाहता है. स्कूल में थेरेपिस्ट बच्चे की कक्षा में उसकी सेंसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षक की मदद कर सकता है.

    2. फ़िज़िकल थेरेपी (Physical therapy) :

    फ़िज़िकल थेरेपिस्ट बच्चे की सेंसरी डाएट बनाने में मदद करता है. यह उन सभी गतिविधियों की सूचि होती है जो बच्चे के सेंसरी इनपुट की चाह को पूरा करती हैं, इनमें जंपिंग जैक या किसी जगह पर भागना शामिल हो सकता है. इसके अलावा भारी या सेंसरी बनियान या निश्चित सेंसरी बे्रक भी लाभ पहुंचा सकते हैं.

    3. सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी (Sensory integration therapy) :

    ऑक्यूपेशनल थेरेपी और फ़िज़िकल थेरेपी दोनों ही सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी आधारित हैं. इससे बच्चों को अपने सेंस को समझते हुए सही से प्रतिक्रिया देने में मदद करते हैं. यह उन्हें इस बात का भी अहसास कराने में मदद करता है कि उनके अनुभव किस प्रकार अलग हैं ताकि वे जटिल प्रतिक्रियाओं को समझ सकें.

    4. सेंसरी डाएट (Sensory diet) :

    अक्सर एक सेंसरी डाएट अन्य सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर में मददगार होती हैं. सेंसरी डाएट आपकी सामान्य फ़ूड डाएट नहीं होती है. बल्कि यह घर और स्कूल में बच्चे के लिए कुछ ऐसी गतिविधियों की सूचि होती है जिससे बच्चे को दिन भर अपने काम में ध्यान लगाने और व्यवस्थित बने रहने में मदद मिलती है. सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी की तरह ही, सेंसरी डाएट भी बच्चे की जरूरत के अनुसार तैयार की जाती है.

    उदाहरण के तौर पर, स्कूल के लिए सेंसरी डाएट में ये बातें शामिल हो सकती हैं :

    1. हर घंटे में वह समय जब आपका बच्चा दस मिनट के लिए टहलने जा सकता है.
    2. दिन में दो बार बच्चे के लिए दस मिनट खेलने का समय.
    3. काम के समय, क्लास में हेडफ़ोन इस्तेमाल करने की अनुमति ताकि बच्चा संगीत सुन सके.
    4. डेस्क चेयर बंजी कॉर्ड के इस्तेमाल की अनुमति ताकि बच्चे को कक्षा में बैठते समय पैर हिलाने में सुविधा हो.

    एक और प्रश्न यह आता है कि क्या इस प्रक्रिया के खर्च को हेल्थ इंश्योरेंस में कवर किया जाता है? अगर बीमारी आधिकारिक रूप से स्वीकृत नहीं है तो सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर के खर्च को इंश्योरेंस में कवर नहीं किया जाएगा. ऑक्यूपेशनल थेरेपी जैसे उपचार की सेवाओं के बारे में विस्तार से जानने के लिए अपनी इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क करें. आपके बच्चे की सेंसरी प्रोसेसिंग की समस्या को इंश्योरेंस कवर तब मिल सकता है अगर वह किसी अन्य डिस्ऑर्डर का हिस्सा हों, और यह डिस्ऑर्डर अधिक गंभीर हो. आपको किस प्रकार के कवर मिल रहे हैं इस बारे में आपको इंश्योरर से डबल चेक कर लेना चाहिए.

    माता-पिता किस प्रकार मदद कर सकते हैं (Ways Parents Can Help)

    माता-पिता सेंसरी समस्या से जूझ रहे अपने बच्चे का साथ देकर उनकी मदद कर सकते हैं ताकि उन्हें आपसे वह सहयोग मिल सके जिसकी उन्हें सख्त जरूरत है. इनमें नीचे दी बातें शामिल हैं:

    1. बच्चे के सेंसरी प्रोसेसिंग के बारे में चिकित्सक या बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें.
    2. बच्चे के सेंसरी प्रोसेसिंग डिस्ऑर्डर के बारे में उसके शिक्षक और स्कूल के सपोर्ट स्टाफ़ से बात करें.
    3. ऑक्यूपेशनल थेरेपी और फ़िज़िकल थेरेपी जैसी मदद उपलब्ध करवाना.
    4. बच्चे से जानने की कोशिश करते रहना कि उसे कैसा महसूस हो रहा है.
    5. बच्चे को यह सिखाना कि अगर उन्हें ब्रेक चाहिए या वह अतिउत्तेजित महसूस कर रहे हैं तो वे बड़ों को इसके बारे में कैसे बता सकते हैं.
    6. अभ्यास करवाकर अपने बच्चे की ऑक्यूपेशनल या फ़िज़िकल थेरेपी के लक्ष्य को पूरा करना.

    सेंसरी समस्याओं से पीड़ित बच्चों के लिए क्या आशा है? (What Is The Prospect For Kids With Sensory Issues?)

    सेंसरी समस्याओं का कोई उपचार नहीं है. कुछ बच्चों को कम समस्या हो सकती है, वहीं कुछ अपने अनुभव के साथ इनसे निपटना सीख जाते हैं. एल्टर सेंसरी प्रोसेसिंग वाले बच्चों के संदर्भ में अभी बहुत अध्ययन नहीं किया गया है. इनका संबंध मानसिक सेहत की स्थितियों से हो सकता है.
    कुछ चिकित्सक सेंसरी डिस्ऑर्डर समस्याओं का स्वतंत्र उपचार नहीं करते, बल्कि वे डाएग्नोस हुई स्थिति जैसे ऑटिस्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर या एडीएचडी के उपचार में लक्षणों पर खास ध्यान देते हैं. अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को केवल अपने सेंस को समझने में समस्या है और उसे कोई अन्य बीमारी नहीं है तो सटीक उपचार के विकल्प सीमित हो जाते हैं. क्योंकि इसे आधिकारिक रूप से डिस्ऑर्डर नहीं माना गया है, इसलिए हर कोई इसके समाधान को तलाशने या उपचार करने में रुचि नही रखता जिस कारण अभी तक व्यवहार में प्रभावी असर देखने को नहीं मिल पाया.

    निष्कर्ष (Conclusion)

    हमारे सेंस हमें दुनिया की समझ देते हैं, कि आस पास कैसी महक है या कोई ऐसी आवाज जिसे सुनकर हम सचेत हो सकते हैं. अगर आपके बच्चे को इस प्रकार के सेंसरी इनपुट को समझने में कठिनाई आती है तो उन्हें सेंसरी समस्या हो सकती है. इनमें संतुलन और समन्वय बिठाने में समस्या हो सकती है, साथ ही अजीब आवाजें निकालना, ध्यान खींचने के लिए उग्र व्यवहार करना, या अक्सर ऊपर नीचे उछलते रहने जैसे लक्षण शामिल हो सकते हैं.
    हालांकि, सेंसरी समस्याओं से जूझ रहे बच्चों और वयस्कों की ऑक्यूपेशनल थेरेपी से मदद की जा सकती है ताकि वे अपने आस पास की दुनिया में आसानी से रहना सीख सकें. उपचार का मुख्य उद्देश्य जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया को कम करना और उनके सेंसरी अनुभव के लिए बेहतर विकल्प तलाशना है.

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    Written by

    Parul Sachdeva

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