Pregnancy
18 May 2023 को अपडेट किया गया
आजकल महिलाओं की ओवरी में सिस्ट होना एक आम बात है। कम उम्र की लड़कियों में भी यह बीमारी देखी जा रही है। ओवरियन सिस्ट, ओवरी के चारों ओर बढ़ने वाली गांठ है। अक्सर यह ओवरी के अंदर भी पाई जाती है। इस तरह के असामान्य ग्रोथ के कई प्रकार होते हैं। इन फ्लुइड या सेमी-सॉलिड मैटिरियल से भरी गांठों को ओवरी सिस्ट कहते हैं। इसकी वजह से होने वाली किसी भी कठिनाई को पहचानना आसान है।
ओवरी में सिस्ट बनने और उसकी वजह से दिखने वाले लक्षणों का सामना करना चुनौती भरा काम हो सकता है। इससे बचने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए। सिस्ट बनने के शुरुआती वर्षों में, ज्यादातर महिलाओं को ओवरियन सिस्ट के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। इससे सही समय पर जरूरी इलाज और दवा नहीं मिल पाने की चिंता और बढ़ जाती है।
यहां पर कई तरह के ओवरियन सिस्ट, उनकी ग्रोथ के कारण, संभावित लक्षण, और सही उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है, ताकि बीमार व्यक्ति जल्दी ही मेडिकल से जुड़ी मदद ले सके।
ओवरियन सिस्ट आम तौर पर इस तरह के होते हैं:
हर महीने पीरियड के समय में फंक्शनल सिस्ट बड़ा होता है। इस तरह के सिस्ट अक्सर खतरनाक नहीं होते और ज्यादा समय तक नहीं रहते। इसके उलट, दूसरी तरह के सिस्ट में सेल्स की असामान्य बढ़ोतरी ओवरियन सिस्ट का कारण बनते हैं। हालांकि ऐसा कम होता है, लेकिन पैथोलॉजिकल ओवरियन सिस्ट के कारण शरीर को ज्यादा नुकसान होता है। इस तरह के सिस्ट को इन कैटगरी में बांटा जा सकता है-
1. साधारण सिस्ट, जिनमे कैंसर के सेल में बढ़ने की संभावना शून्य के बराबर होती है।
2. घातक सिस्ट, जिसे कैंसर वाले सिस्ट के रूप में भी पहचाना जा सकता है।
इस तरह, अगर आप यह सोच रहे हैं कि ओवरियन सिस्ट खतरनाक नहीं होते हैं या नहीं, तो जवाब है- हां। अलग ओवरी के चारों तरफ गांठ बहुत बड़ी हो गई हो, तो वे खतरनाक हो सकते हैं। कुछ इस तरह के अन्य सिस्ट भी ओवरी में पाए जा सकते हैं-
ओवरी में सिस्ट होने के क्या मतलब हैं? आगर आपने यह समझ लिया, तो अब ओवरियन सिस्ट के कारण के बारे में जान लेना भी फायदेमंद होगा।
ओवरियन सिस्ट क्या है इसे समझ लेने पर ही हम इसका ख्याल रखना शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा,इन बीमारियों के पीछे होने वाली वजहों को जानना भी जरूरी है। किसी महिला के ओवरी में सिस्ट के विकसित होने के कुछ सामान्य कारणों में शामिल है -
शरीर में हार्मोन के असामान्य बदलाव से पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। इसे आम बोलचाल की भाषा में PCOS कहते हैं। इस स्थिति में, ओवरी में फॉलिकल के रूप में कई सिस्ट बनने लगते हैं, जिनका इलाज करना एक चुनौती भरा काम बन जाता है।
ओवरी में सिस्ट बनने की एक और वजह एक्टोंपिक की जगहों पर गर्भाशय के टिश्यू की मौजूदगी है। साथ ही, कुछ कारक ऐसे है जिनकी वजह से ओवरी में सिस्ट बनने में मदद मिलती है। इनमें शरीर में हार्मोन के लेवल में बदलाव, गर्भ ठहरने या ज्यादा उम्र में गर्भ ठहरने और गंभीर किस्म के पेल्विक संक्रमण शामिल है।
ओवरी में सिस्ट के लक्षणों में बताए गए कुछ संकेतों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। भले ही गर्भाशय में सिस्ट के लक्षण देर से दिखाई दें, इससे संबंधित मेडिकल हिस्ट्री वाले व्यक्ति को मेडिकल चेक-अप और शुरुआती दौर में ही इसका इलाज करवाना चाहिए।
बीमारी के शुरुआती और एडवांस लेवल को पहचानने के लिए कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं:
हालांकि, हेल्थ एक्स्पर्ट का मानना है कि दूसरे शारीरिक कामों की तुलना में बच्चे को जन्म देने की स्थिति पर ओवरियन सिस्ट का असर कम होता है।
कुछ मामलों में, लक्षण दिखने पर अगर समय पर इलाज नहीं होता, तो इससे मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ओवरी में सिस्ट बनने से कुछ गंभीर मुश्किलें आ सकती हैं:
शुरुआती लक्षण दिखाई देते ही ओवरियन सिस्ट के उपचार के तरीकों को अपनाना जरूरी हो जाता है।
यहाँ पढ़ें: जानिए ओवेरियन सिस्ट के कारण, लक्षण और उपचार
ओवरियन सिस्ट को कम करने, राहत देने या ठीक करने के लिए हेल्थकेयर पेशेवर इलाज के बहुत से तरीके अपना सकते हैं। हालांकि, मरीज की शारीरिक हालत को देखते हुए इलाज का तरीका अलग-अलग हो सकता है। जैसे, अगर किसी को मेनोपॉज हो चुका है तो उसकी उम्र, सिस्ट का आकार,और पिछले लक्षणों की जांच।
ये दो तरीके ओवरियन सिस्ट के उपचार के लिए पेशेवर अपनाते हैं:
अचानक से ओवरियन सिस्ट दिखने की स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। अगर पेल्विक एरिया में जरूरत से ज्यादा दर्द, सांस तेज़ होना, कमजोरी, या अगर शरीर का तापमान अचानक बढ़ता है, तो डॉक्टर की सलाह लें। इसके अलावा, लक्षण दिखते ही डॉक्टर से मिलें, भले हीर ओवरियन सिस्ट की पहचान ना हुई हो।
एक सेहतमंद महिला होने के लिए आपको ओवरियन सिस्ट के बारे में खुद को जागरूक रखना होगा, क्योंकि बच्चे को जन्म देने के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी ये खास बात है। रोग से बचने और देखभाल के लिए जागरूक रहें और इलाज के लिए समय -समय पर खुद की जांच करवाते रहे
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