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    IVF Cost in India in Hindi | भारत में IVF ट्रीटमेंट में कितना खर्चा होता है?

    In Vitro Fertilization (IVF)

    IVF Cost in India in Hindi | भारत में IVF ट्रीटमेंट में कितना खर्चा होता है?

    4 August 2023 को अपडेट किया गया

    दुनिया में बढ़ते तनाव के साथ, लोगों में हार्मोनल असंतुलन होता है जिससे इनफर्टिलिटी होती है. ऐसे मामलों में डॉक्टर कपल को आईवीएफ ट्रीटमेंट कराने की सलाह दे सकते हैं.

    आईवीएफ, जिसे इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन के रूप में भी जाना जाता है, महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में मदद करता है. आईवीएफ प्रोसीजर के दौरान महिला के शरीर के बाहर एक टेस्ट ट्यूब में शुक्राणु और अंडे को फर्टिलाइज़ किया जाता है.

    आईवीएफ क्या है?

    आईवीएफ महिला को कृत्रिम तरीके से प्रेग्नेंट करने का एक तरीका है. इस प्रोसेस में अंडाणु और शुक्राणु को कृत्रिम रूप से ज़ाइगोट बनाने के लिए मिलाया जाता है. एक बार जब ज़ाइगोट ट्रांसप्लांट के लिए तैयार हो जाता है, तो इसे उस महिला के अंदर रखा जाता है जो प्रेग्नेंट होना चाहती है. महिला के शरीर को प्रेग्नेंसी के लिए तैयार करने के लिए उसको आईवीएफ की दवा दी जाती है.

    आईवीएफ कब करवाना चाहिए?

    आईवीएफ निम्नलिखित मामलों में कराया जा सकता है:

    नसबंदी से पहले

    प्रेग्नेंसी को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए ट्यूबल लिगेशन नामक प्रोसीजर के दौरान फैलोपियन ट्यूब को काट दिया जाता है या ब्लॉक कर दिया जाता है। अगर आप अपनी ब्लॉक हुई ट्यूब के साथ प्रेग्नेंट होना चाहती हैं तो ट्यूबल लिगेशन रिवर्सल सर्जरी से बेहतर ऑप्शन आईवीएफ हो सकता है.

    अंडरलाइंग मेडिकल कंडीशन

    जब फैलोपियन ट्यूब में रुकावट हो या कोई चोट लगती है, तो अंडे का फर्टिलाइज़ होना या एम्ब्रियो का यूटेरस में जाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. ऐसे में आईवीएफ की सलाह दी जाती है.

    यूटेरस ट्यूमर

    फाइब्रॉएड यूटेरस एक आम ट्यूमर है. 30 और 40 की उम्र में महिलाओं में ये काफी आम हैं. फाइब्रॉएड फर्टिलाइज़्ड अंडे को ठीक से इम्प्लांट होने से रोक सकता है.

    ओवेरियन डिस्फ़न्क्शन

    अगर ओव्यूलेशन कम या बिलकुल नहीं है तो फर्टिलाइज़ेशन के लिए कम अंडे उपलब्ध होते हैं.

    अनअकॉउंटेड फर्टिलिटी के लिए

    टेस्ट करने के बावजूद भी कारण का न पता चल पाना अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी है.

    कैंसर जैसी पुरानी और क्रोनिक बीमारियां

    आईवीएफ आपके लिए एक ऑप्शन हो सकता है अगर आप कैंसर का इलाज शुरू करने वाले हैं जो आपकी फर्टिलिटी पर प्रभाव डाल सकता है. महिलाएं अपने अंडे हार्वेस्ट करवा सकती हैं, जिन्हें बाद में इस्तेमाल के लिए अनफर्टिलाइज़्ड फ्रोज़न किया जा सकता है. इसके अलावा, अंडों को फर्टिलाइज़ करके भी फ़्रीज़ किया जा सकता है.

    शुक्राणुओं की संख्या या उनकी गुणवत्ता में कमी

    लो कंसंट्रेशन, लिमिटेड मूवमेंट (कम गतिशीलता), या आकार और रूप में असामान्यताएं होने पर शुक्राणु को अंडे को फर्टिलाइज़ करने में दिक्कत हो सकती है. वीर्य में असामान्यताओं का पता चलने पर इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट से सलाह की ज़रुरत पड़ सकती है.

    एंडोमेट्रिओसिस

    यह तब होता है जब युटरीन लाइनिंग के जैसा टिशू इम्प्लांट होता है और यूटेरस के बाहर फैलता है जिससे यह अक्सर ओवरी, यूटेरस और फैलोपियन ट्यूबों को ख़राब करता है.

    जेनेटिक कंडीशन

    आप आईवीएफ चुन सकते हैं अगर आप या आपका स्पाउस से बच्चे को कोई जेनेटिक कंडीशन पास होने का खतरा है. हालांकि सभी जेनेटिक इशू पता नहीं चल सकते, अंडे को निकालने और फर्टिलाइज़ करने के बाद कुछ विशिष्ट जेनेटिक समस्याओं के लिए उसकी जांच की जाती है. ऐसा एम्ब्रियो जिसके बारे में किसी इशू का न पता चला हो, उसे यूटेरस में रखा जा सकता है.

    आईवीएफ ट्रीटमेंट क्या है?

    आईवीएफ एक मल्टी-स्टेप, चुनौतीपूर्ण प्रोसीजर है. इसमें औसतन चार से छह हफ्ते लगते हैं. इसमें अंडा प्राप्त करने से पहले की अवधि से लेकर प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आने तक का समय शामिल है.

    लोग आईवीएफ कई कारणों से चुनते हैं, जैसे कि इनफर्टिलिटी की समस्या या जब कपल को पहले से कोई बीमारी हो. कुछ लोग आईवीएफ तब चुनते हैं जब पहले कराए गए फर्टिलिटी ट्रीटमेंट उनके लिए काम नहीं आए या अगर उनकी उम्र 35 वर्ष से ज़्यादा हैं. आईवीएफ समान-सेक्स वाले कपल के लिए भी एक संभव प्रोसीजर है.

    भारत में आईवीएफ ट्रीटमेंट की कॉस्ट

    भारत में आईवीएफ ट्रीटमेंट की कॉस्ट 1 से 3 लाख रुपये के बीच है. इसमें रजिस्ट्रेशन फीस, हार्मोन, दवाएं, कंसल्टेशन चार्ज, प्रोसीजर और फॉलो-अप शामिल है.


    निष्कर्ष

    इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन का मतलब महिला के शरीर के बाहर नर शुक्राणु और मादा अंडे का कृत्रिम रूप से फर्टिलाइज़ कराना है. यह प्रोसीजर उन कपल द्वारा अपनाया जाता है जो स्वाभाविक रूप से बच्चे पैदा करने में सक्षम नहीं होते हैं, जैसे समान-लिंग वाले जोड़े या सिंगल माता-पिता शुक्राणु या अंडा कपल का अपना या फिर किसी डोनर का हो सकता है. डोनर के मामले में पूरी तरह से उसे गुमनाम रखा जाता है. अगर आप आईवीएफ के बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं, तो आज ही अपने डॉक्टर से मिलें.

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    Written by

    Priyanka Verma

    Priyanka is an experienced editor & content writer with great attention to detail. Mother to an 11-year-old, she's a ski

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