


PCOS & PCOD
6 September 2023 को अपडेट किया गया
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrom) एक ऐसा हार्मोनल डिसॉर्डर है जिसमें कई तरह के बाहरी लक्षण दिखाई देने लगते हैं; जैसे- हार्मोनल इंबैलेंस, अनियमित पीरियड, वज़न का बढ्ना, मुँहासे आदि. ऐसा होने पर एक महिला की रोज़मर्रा की ज़िंदगी डिस्टर्ब होने लगती है और डॉक्टर से परामर्श करना ज़रूरी हो जाता है.
जब ये लक्षण लगातार बने रहते हैं तो डॉक्टर पीसीओएस की संभावना को कंफर्म करने के लिए कुछ टेस्ट करवाते हैं. इनमें फिज़िकल एक्सामिनेशन से लेकर पेल्विक अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट और एंड्रोजन लेवल को चेक करने से जुड़े टेस्ट होते हैं जिनके बारे हम आगे विस्तार से बात करेंगे. साथ ही हार्मोनल लेवल और ब्लड ग्लूकोज असेस्मेंट भी किया जाता है जिसके आधार पर पेशेंट का ट्रीटमेंट प्लान तैयार होता है.
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पीसीओएस टेस्ट (PCOS test in Hindi) की ज़रूरत ख़ासतौर पर तब पड़ती है जब महिलाओं में ओवरी से जुड़ी असामान्यताएँ दिखने लगती हैं; जैसे- अनियमित पीरियड्स, बालों का असामान्य रूप से बढ़ना (hirsutism), मुँहासे और बिना किसी स्पष्ट कारण के वज़न का तेज़ी से बढ़ना. ये लक्षण अक्सर हार्मोनल इंबैलेंस का संकेत होते हैं जो पीसीओएस के अंडरलाइन कारणों में से एक है. इसके अतिरिक्त, यदि कोई गर्भधारण की कोशिश कर रहा है और लंबे समय तक ट्राई करने के बाद भी सफलता न मिले या रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी समस्याएँ होने लगें तो पीसीओएस टेस्ट करवाना ज़रूरी हो जाता है क्योंकि यह स्थिति ओव्यूलेशन और फर्टिलिटी को भी बुरी तरह से प्रभावित करती है.
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आइये अब जानते हैं कि PCOS टेस्ट (PCOS test kaise hota hai?) कौन- कौन से होते हैं.
पीसीओएस के लक्षणों को चेक करने के लिए डॉक्टर्स सबसे पहले शारीरिक परीक्षण करते हैं और कुछ ख़ास तरह के लक्षण; जैसे- अस्वाभाविक रूप से बालों का बढ़ना (hirsutism), मुँहासे और स्किन में बदलाव से इसे पहचानने की कोशिश की जाती है.
इसमें ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड से ओवरीज़ को चेक किया जाता है. पीसीओएस होने पर अक्सर ओवरीज़ बढ़ी हुई दिखती हैं साथ ही, कई बार उनमें छोटे-छोटे फॉलिकल्स की ग्रोथ भी दिखाई देती है जिन्हें "स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स" कहते हैं.
अल्ट्रासाउंड के अलावा कई तरह के ब्लड टेस्ट भी पीसीओएस की पहचान के लिए किए जाते हैं; जैसे-
इसमें, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH), फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH), टेस्टोस्टेरोन और सेक्स हार्मोन-बाइंडिंग ग्लोब्युलिन (SHBG) जैसे हार्मोन्स के लेवल को चेक करते हैं. पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में अक्सर एलएच और टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ा हुआ देखने को मिलता है.
पीसीओएस में इंसुलिन रेसिस्टेंस आम है. फास्टिंग ब्लड शुगर और फास्टिंग इंसुलिन लेवल से डॉक्टर्स को इंसुलिन सेंसिटिविटी का पता लगाने में मदद मिलती है. जबकि कुछ मामलों में ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (OFTT) भी करवाया जाता है.
थायराइड डिसॉर्डर का पता लगाने के लिए थायराइड फ़ंक्शन चेक करना ज़रूरी है जिसके लक्षण पीसीओएस की तरह ही होते हैं.
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पीसीओएस के साथ हार्ट प्रॉब्लंस को भी जोड़कर देखा जाता है इसलिए डॉक्टर्स लिपिड लेवल; जैसे कि कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स की जाँच भी करवा सकते हैं.
एक्सट्रा एण्ड्रोजन या मेल हार्मोन पीसीओएस का एक मुख्य लक्षण है. इसे चेक करने के लिए 24 घंटे का यूरिन कलेक्शन लेकर टेस्ट किया जाता है.
यदि पीरियड्स अनियमित हो या फिर समय से पहले ही बंद हो जाएँ तो डॉक्टर गर्भाशय की अंदरूनी परत जिसे एंडोमेट्रियम कहा जाता है, उसमें असामान्यता की जाँच के लिए एंडोमेट्रियल बायोप्सी करवाते हैं.
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पीसीओएस की जाँच के लिए किए जाने वाले इन (Pcos ka test kaise hota hai in hindi) टेस्ट के बाद आइये अब जानते हैं कि पीसीओडी टेस्ट क्या होता है.
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पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसीज़ (Polycystic Ovarian Disease) के लिए किया जाने वाला टेस्ट भी (PCOD Test in Hindi) अलग-अलग तरह की जाँच का एक कॉम्बिनेशन होता है. इसमें क्लीनिकल इवेल्यूएशन की शुरुआत के लिए सबसे पहले मेडिकल हिस्ट्री चेक की जाती है और साथ ही फिजिकल एग्जामिनेशन भी किया जाता है. पीसीओडी में एलएच (LH), एफएसएच (FSH), टेस्टोस्टेरोन और इंसुलिन जैसे हार्मोन्स के लेवल को चेक करने के लिए डॉक्टर्स ब्लड टेस्ट भी करवाते हैं. ओवरीज़ की हेल्थ और साइज़ चेक करने के लिए पेल्विक अल्ट्रासाउंड इमेजिंग का प्रयोग करते हैं जिसमें पीसीओडी होने पर अक्सर छोटी- छोटी फॉलिकल ग्रोथ होने लगती है.
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भारत में पीसीओएस टेस्ट की कीमत बड़े शहर और छोटे कस्बों में कम या ज़्यादा हो सकती हैं. साथ ही डॉक्टर का नाम और लैब की रेपुटेशन, टेस्ट के प्रकार और पेशेंट के हेल्थ कंडीशन के आधार पर भी कम या ज़्यादा होती है. इसमें हार्मोन लेवल चेक करने के लिए किए जाने वाले ब्लड टेस्ट; जैसे कि एलएच, एफएसएच, टेस्टोस्टेरोन और इंसुलिन पर लगभग 1,000 से 3,000 रुपये तक खर्चा आता है. ओवरीज़ की हेल्थ चेक करने के लिए किए जाने वाले ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड का खर्च लगभग 1,500 रुपये से 3,000 रुपये के बीच होता है जबकि थायराइड फ़ंक्शन टेस्ट और ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट भी यदि करवाने पड़ें तो इनके लिए अलग-अलग 500 से 1,500 तक का खर्च आता है.
इसी तरह पीसीओडी टेस्ट की लागत भी कई फ़ैक्टर्स के आधार पर अलग-अलग हो सकती है जिसमें शहर और डॉक्टर के अलावा टेस्ट के प्रकार और मेडिकल इन्शुरेंस के कवरेज जैसी चीज़ें इस की लागत को कम या ज़्यादा कर सकती हैं. एक मोटे अनुमान से हार्मोनल टेस्ट; जैसे- एलएच, एफएसएच, टेस्टोस्टेरोन, आदि पर लगभग ₹200 से ₹1,000 तक का खर्च आता है जबकि पेल्विक अल्ट्रासाउंड की कीमत ₹500 से ₹2,000 के बीच हो सकती है जो इस बात पर निर्भर करती है कि यह ट्रांसवेजाइनल है या पेट का अल्ट्रासाउंड है. इसके अलावा, इंसुलिन रेसिस्टेंस टेस्ट (फास्टिंग इंसुलिन और ग्लूकोज) के लिए ₹200 से ₹1,000, थायराइड फंक्शन टेस्ट के लिए लगभग ₹200 से ₹500 और लिपिड प्रोफाइल के लिए ₹200 से ₹800 तक का खर्च आता है.
वैसे, पीसीओएस और पीसीओडी को मैनेज करने के लिए आप माइलो मायो-इनोसिटोल च्यूएबल टैबलेट्स (Myo-inositol Chewable Tablets for PCOS & PCOD) का सेवन कर सकते हैं. यह टैबलेट मुँहासों व वज़न को कम करने में मदद करती हैं और मासिक धर्म चक्र (menstrual cycle) को नियमित करने में मदद करती है. इतना ही नहीं, यह टैबलेट्स बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल को कम करने के अलावा फर्टिलिटी और हार्मोनल बैलेंस को भी सही करती हैं.
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पीसीओडी और पीसीओएस दोनों ही ऐसी समस्याएँ हैं जिनके इलाज़ के लिए दवाओं के साथ-साथ लाइफस्टाइल में सुधार और भोजन से संबंधित अनियमितताओं को ठीक करना बेहद ज़रूरी है. समय पर खाने, सोने और व्यायाम के साथ साथ कुछ हर्बल सप्लीमेंट्स भी इसमें आपकी बहुत मदद कर सकते हैं; जैसे कि माइलो पीसीओएस और पीसीओडी टी (Mylo PCOS & PCOD Tea). यह शंखपुष्पी, कैमोमाइल, मंजिष्ठा और शतावरी के गुणों वाले 100% नेचुरल टी बैग्स हैं जो पीसीओएस के लक्षणों को कंट्रोल करने में बेहद इफेक्टिव है.
1. Christ JP, Cedars MI. (2023). Current Guidelines for Diagnosing PCOS. Diagnostics (Basel).
2. Rasquin LI, Anastasopoulou C, Mayrin JV. (2022). Polycystic Ovarian Disease.
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Kavita Uprety
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