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      BMI in Pregnancy in Hindi | क्या हाई बीएमआई का प्रेग्नेंसी पर असर होता है?

      Health & Wellness

      BMI in Pregnancy in Hindi | क्या हाई बीएमआई का प्रेग्नेंसी पर असर होता है?

      3 September 2023 को अपडेट किया गया

      प्रेग्नेंसी के दौरान किसी औरत के बीएमआई की देखरेख करना ज़रूरी है ताकि यह तय किया जा सके कि मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर गलत असर ना पड़े. प्रेग्नेंसी में मोटापा प्रेग्नेंसी के दौरान परेशान कर सकता है और इसलिए, बीएमआई को कंट्रोल में रखना एक अच्छा आइडिया है.

      क्या हाई बीएमआई मेरी कंसीव करने की काबिलियत में दखल दे सकता है? (Could High BMI Interfere with my Ability to Conceive in Hindi)

      हाई बीएमआई रेगुलर ओव्यूलेशन को रोकता है, और इस तरह, एक औरत के बच्चा पैदा करने की काबिलियत पर गलत असर डाल सकता है. कभी-कभी, रेगुलर ओव्यूलेट करने वाली औरतों को भी हाई बीएमआई होने पर कंसीव करना मुश्किल हो सकता है. मोटापे वाली औरत या हाई बीएमआई वाली औरत को प्रेग्नेंट होने में सामान्य से ज़्यादा समय लग सकता है. कुछ रिसर्च से यह यह भी पता चलता है कि हाई बीएमआई होने से आईवीएफ़ (इन विट्रो फ़र्टिलाइजेशन) का असर बेकार हो जाता है, जिससे आर्टिफ़िशियल तरीके से कंसीव करना मुश्किल हो जाता है.

      हाई बीएमआई मेरी प्रेग्नेंसी पर कैसे असर डाल सकता है?(How might a high BMI affect my pregnancy in Hindi)

      इस सवाल का जवाब देने के लिए सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि प्रेग्नेंसी में मोटापा क्या है. जब किसी व्यक्ति का बीएमआई 30 से ज़्यादा या उसके बराबर होता है तो उसे मोटापे से ग्रस्त कहते हैं. बीएमआई को किसी व्यक्ति के वजन को किलो में मीटर स्क्वायर में हाइट से डिवाइड करके कैलकुलेट किया जा सकता है.

      टेबल 1: बीएमआई रेंज (Table 1: BMI Ranges)

      1. बीएमआई वजन < 18.5
      2. कम वजन 18.5 से 24.9
      3. स्टैंडर्ड 25 से 29.9
      4. ज़्यादा वजन >= 30

      मोटापा- प्रेग्नेंसी में मोटापा परेशानियों के रिस्क को बढ़ाता है और मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है.

      टेबल 2: प्रेग्नेंसी में मोटापे से होने वाली परेशानियां (Table 2: Obesity Pregnancy Complications)

      मां

      1. मिसकैरेज जो एकबार या बार-बार होते हैं.
      2. मरा बच्चा पैदा होना.
      3. प्रीक्लेम्पसिया या किडनी और लीवर को नुकसान.
      4. हाई ब्लड प्रेशर
      5. दिल से जुड़ी समस्याएं
      6. स्लीप एपनिया.
      7. सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद घाव भरने में देरी या इन्फ़ेक्शन.

      बच्चे

      1. जन्म से ही डिसऑर्डर.
      2. फ़ीटल मैक्रोसोमिया या एवरेज़ से ज़्यादा वजन के साथ पैदा होना.
      3. बढ़ने में समस्याएं.
      4. दिमागी विकास में देरी और परेशानियां.
      5. बचपन का मोटापा.
      6. बचपन का अस्थमा.

      प्रेग्नेंसी के दौरान मेरा कितना वजन होना चाहिए? (How much weight should I gain during pregnancy in Hindi)

      प्रेग्नेंसी के दौरान किसी औरत के बीएमआई पर ध्यान देने के बजाय, उनके प्रेग्नेंसी से पहले के वजन और बीएमआई पर ध्यान देना ज़्यादा फायदेमंद होता है. इससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान कितना वजन बढ़ना सुरक्षित है. गायनोक्लॉजिस्ट और ऑब्स्टट्रिशन से रेगुलर सलाह के साथ-साथ इसकी मदद से भी प्रेग्नेंसी में बीएमआई तय किया जा सकता है.

      टेबल 3: प्रेग्नेंसी के दौरान वजन बढ़ना (Table 3: Weight Gain During Pregnancy)

      1. प्रेग्नेंसी टाइप
      2. बीएमआई
      3. सुझाया गया वज़न
      4. सिंगल प्रेग्नेंसी
      5. 30 या ज़्यादा
      6. 5 किलोग्राम से 9 किलोग्राम
      7. मल्टीपल प्रेग्नेंसी
      8. 30 या ज़्यादा
      9. 11 किलोग्राम से 19 किलोग्राम

      सुरक्षित वजन बढ़ाने के लिए एक तय फ़िगर बता पाना मुश्किल है. इसलिए, ज़्यादातर डॉक्टर सलाह देते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत ज़्यादा वजन बढ़ने से बचना और प्रेग्नेंसी में मोटापे को दूर रखना सबसे अच्छा है.

      इसे भी पढ़ें: जानिए प्रेग्नेंसी के दौरान आपका वज़न कितना होना चाहिए

      क्या मुझे प्रेग्नेंट होने पर खास इलाज़ की ज़रूरत पड़ेगी? (Will I require specialist treatment while pregnant in Hindi)

      अगर प्रेग्नेंसी में बीएमआई 30 से ऊपर है तो मां को खास देखभाल की जरूरत होगी. ऐसे मामलों में हेल्थकेयर प्रोफ़ेशनल द्वारा दी जाने वाली कुछ सलाह नीचे दी गई हैं -

      1. गेस्टेशनल डायबिटीज़ की पहचान

      आमतौर पर, एक स्क्रीनिंग टेस्ट जिसे ग्लूकोज चैलेंज के रूप में जाना जाता है, औरतों में शुरुआती गेस्टेशनल डायबिटीज़ की एवरेज़ से हाई रिस्क की जांच के लिए किया जाता है. अगर प्रेग्नेंसी के दौरान किसी औरत का बीएमआई 30 से ज़्यादा है, तो डॉक्टर पहली प्रीनेटल विज़िट पर इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं. अगर टेस्ट में नॉर्मल रेंज आती है, तो प्रेग्नेंसी के 24वें और 28वें हफ़्ते के बीच दोबारा टेस्ट करना होगा. अगर टेस्ट में ग्लूकोज लेवल हाई दिखाई देता है, तो फिर ब्लड शुगर को मॉनिटर करना होगा.

      2. फ़ीटल अल्ट्रासाउंड

      प्रेग्नेंसी के 18 से 20 हफ़्ते के बीच, बच्चे के बढ़ने और एनाटॉमी फॉर्मेशन की जांच के लिए एक स्टैण्डर्ड फ़ीटल अल्ट्रासाउंड किया जाता है. लेकिन अगर प्रेग्नेंसी में मोटापा है, तो अल्ट्रासाउंड वेव से एक्सेस फ़ैट टिशू को समझना मुश्किल हो सकता है, जिसकी वजह से एक अनक्लियर या गलत रीडिंग हो सकती है.

      3. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया टेस्टिंग

      स्लीप एपनिया एक बहुत ही गंभीर हालत है जिसमें नींद में अचानक और बार-बार सांस रुकना और चलना होता है. जिन प्रेग्नेंट औरतों की पहले से ही यह हालत है, उनमें प्रीक्लेम्पसिया का खतरा बढ़ जाता है.

      एक सुरक्षित प्रेग्नेंसी तय करने के लिए मैं क्या कर सकती हूँ? (What can I do to ensure a safe pregnancy in Hindi)

      हाई बीएमआई प्रेग्नेंसी से मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है. लेकिन कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाकर एक मां समस्या को कंट्रोल से बाहर होने से रोक सकती है:

      1. प्रीकनसेप्शन अपॉइंटमेंट (Preconception appointment)

      बीएमआई 30 या ज़्यादा होने पर डॉक्टर की सलाह से प्रेग्नेंसी में मोटापे को रोका जा सकता है. प्रेग्नेंट होने से पहले मां को सुरक्षित वजन तक पहुंचने में मदद करने के लिए डॉक्टर प्रीनेटल विटामिन और एक हेल्दी डाइट लिख सकते हैं.

      2. रेगुलर प्रीनेटल देखभाल (Regular prenatal care)

      प्रीनेटल स्वास्थ्य जांच को याद रखना ज़रूरी है. इससे डॉक्टर को मां और बच्चे के स्वास्थ्य की निगरानी करने और मोटापा प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए सुधार करने वाले उपाय देने में मदद मिलती है.

      3. डाइट (Diet)

      प्रेग्नेंसी में बीएमआई को कम करने के लिए हेल्दी डाइट बनाए रखना एक नॉन-निगोशिएबल फ़ैक्टर है.

      इसे भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में कुछ ऐसी होनी चाहिए आपकी डाइट

      4. फ़िजिकल फ़िटनेस (Physical fitness)

      प्रेग्नेंसी के दौरान एक्टिव रहने से बीएमआई प्रेग्नेंसी को भी कंट्रोल में रखा जा सकता है.

      5. नशीले पदार्थों का सेवन छोड़ना (Quitting substance abuse)

      शराब, धूम्रपान और गलत दवाइयां लेने से भी प्रेग्नेंसी में ख़तरा होता है. इनसे बचना सबसे बढ़िया है

      .इसलिए हेल्दी लाइफ़स्टाइल जीना और एक औरत को प्रेग्नेंसी के दौरान बीएमआई को हर समय कंट्रोल में रखने के लिए डॉक्टर से रेगुलर सलाह लेना ज़रूरी है.

      रेफेरेंस

      1. Addo VN. Body Mass Index, June(2010) .Weight Gain during Pregnancy and Obstetric Outcomes. Ghana Med J

      2. Simko M, Totka A, Vondrova D, Samohyl M, Jurkovicova J, Trnka M, Cibulkova A, Stofko J, Argalasova L. May (2019). Maternal Body Mass Index and Gestational Weight Gain and Their Association with Pregnancy Complications and Perinatal Conditions. Int J Environ Res Public Health.

      Tags

      BMI in Pregnancy in English, BMI in Pregnancy in Bengali, BMI in Telgu

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