Lowest price this festive season! Code: FIRST10
Male Infertility
25 October 2023 को अपडेट किया गया
इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile dysfunction in Hindi) पुरुषों में सेक्स से जुड़ी एक ऐसी स्थिति है जिसमें सेक्स के दौरान पर्याप्त इरेक्शन होने या लगातार बनाए (Erection problem in Hindi) रखने में दिक्कत आती है. यह कंडीशन व्यक्ति के सामान्य रूप से सेक्स क्रिया करने में बाधा उत्पन्न करती है. अक्सर पुरुष इस बात को बाहर नहीं कह पाते हैं लेकिन इससे उनके आत्मसम्मान पर असर पड़ सकता है साथ ही यह स्थिति उनकी मैरिड लाइफ में भी दिक्कतें पैदा कर सकती है. आइये इरेक्टाइल डिसफंक्शन को विस्तार (Meaning of Erectile dysfunction in Hindi) से समझते हैं.
इरेक्टाइल डिसफंक्शन को स्तंभन दोष भी कहते हैं (Erectile dysfunction meaning in Hindi) और आम शब्दों में "नपुंसकता" भी कहा जाता है क्योंकि इसमें संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन नहीं हो पाता है. अगर हो भी जाए तो वह पूरे समय तक बना नहीं रहता. इसकी वजहों में शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और लाइफस्टाइल से जुड़े कारणों के अलावा न्यूरोलोजिकल डिसऑर्डर तक हो सकते हैं. वर्तमान में ईडी (What is Erectile dysfunction in Hindi) मेल हेल्थ और फर्टिलिटी से जुड़ी हुई एक बड़ी समस्या बन गयी है.
इसे भी पढ़ें : पुरुषों में भी होती फर्टिलिटी की समस्या! जानें लक्षण
इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile dysfunction Hindi meaning) शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों तरह के कारणों से हो सकता है जिनमें शामिल हैं;
एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis), हाई बीपी, या अन्य तरह की हार्ट प्रॉब्लम के कारण पेनिस में ब्लड फ़्लो कम हो जाता है तो इससे इरेक्शन की क्षमता कम या ख़राब हो सकती है.
मल्टीपल स्केलेरोसिस, पार्किंसंस रोग, या किसी अन्य तरह की चोटों के कारण इरेक्शन को नियंत्रित करने वाली नसें प्रभावित होती हैं और यह भी ईडी का कारण बन सकता है.
लो टेस्टोस्टेरोन लेवल भी ईडी की समस्या उत्पन्न करता है.
हाई बीपी, डिप्रेशन और प्रोस्टेट के इलाज के लिए प्रयोग की जाने वाली कुछ प्रिस्क्रिप्शन दवाओं के साइड इफेक्ट के रूप में भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो सकता है.
रोज़मर्रा का स्ट्रेस, एंजाइटी, डिप्रेशन और रिलेशनशिप से जुड़ी समस्याओं के कारण पैदा होने वाले इमोशनल उतार-चढ़ाव भी इसका कारण बन सकते हैं.
सिगरेट और शराब का अधिक सेवन, नशीली दवाओं का उपयोग, मोटापा और सिडेंटरी लाइफ स्टाइल भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन पैदा करने वाले मुख्य कारणों में से एक है.
पेनिस से जुड़े हुए कुछ जन्मजात या अन्य स्ट्रक्चरल इशू; जैसे- पेरोनी रोग आदि से भी इरेक्शन लाने और बनाए रखने में मुश्किल आ सकती है.
ऐसी सर्जरी या चोट जो पेल्विक एरिया, रीढ़ की हड्डी या फिर प्रोस्टेट को प्रभावित करती हैं उनके कारण भी ईडी की समस्या हो सकती है.
तो ये थे इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कुछ आम कारण. आगे आपको बताएँगे उन सिंपटम्स के बारे में जिनसे ईडी की पहचान की जाती है.
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के मुख्य लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं;
सेक्स क्रिया के लिए पर्याप्त इरेक्शन लाने और बनाए रखने में दिक्कत आना.
ओवर ऑल सेक्स ड्राइव में कमी आ जाना.
सेक्स के दौरान स्खलन के समय को कंट्रोल करने में कठिनाई होना और समय से पहले ही पेनिस का नरम पड़ जाना.
ऐसा इरेक्शन होना जो नॉर्मल से कम कठोर हो.
कभी-कभी इरेक्शन ठीक से होना लेकिन कभी- कभी उसे प्राप्त करने या बनाए रखने में बहुत ज़्यादा कठिनाइयाँ आना.
व्यक्ति का अपनी सेक्शुअल परफ़ॉर्मेंस को लेकर असामान्य रूप से प्रेशर में आना और चिंता करना भी इस समस्या को बढ़ा सकता है.
सेक्स डिसऑर्डर के कारण पार्टनर के साथ होने वाला स्ट्रेस या रिलेशनशिप इशूज़ भी ईडी को जन्म दे सकते हैं.
सेक्शुअल परफ़ॉर्मेंस को लेकर खुद के बारे में हीन भावना रखना और इस कारण आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में कमी आना.
ईडी के लिए कोई एक फिक्स टेस्ट नहीं है (Erectile dysfunction test in Hindi); बल्कि इस को चेक करने की प्रोसेस में कई तरह के टेस्ट किये जाते हैं; जैसे कि-
1. सबसे पहले डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछते हैं जिसमें रोगी की हेल्थ कंडीशन, वर्तमान में ली जा रही दवाइयाँ और सेक्शुअल हिस्ट्री शामिल होती है.
2. इसके साथ ही नर्व फंक्शन और ब्लड फ्लो जैसे कारणों को चेक करने के लिए फिज़िकल चेकअप किया जाता है.
3. इसके अलावा डायबिटीज, हार्मोनल इंबैलेंस या हार्ट प्रॉब्लम जैसी अंडरलाइन कंडीशन की पहचान के लिए कुछ ब्लड टेस्ट भी करवाए जाते हैं.
4. ज़रूरत पड़ने पर एक प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट द्वारा समस्या से जुड़े मनोवैज्ञानिक कारणों का असेसमेंट भी किया जा सकता है; जैसे- तनाव, चिंता या डिप्रेशन आदि.
5. ईडी के लिए एक ख़ास तरह का टेस्ट भी किया जाता है जिसे नॉक्टर्नल पेनाइल ट्यूमेसेंस (NPT) टेस्ट कहते हैं. यह टेस्ट रात के समय स्वतः ही होने वाले इरेक्शन को मापता है, जो एकदम नॉर्मल है. एनपीटी के न होने को, ईडी से जुड़ी किसी शारीरिक समस्या का संकेत माना जाता है.
6. ऐसा ही दूसरा एक और टेस्ट है जिसे पेनाइल अल्ट्रासाउंड कहते हैं. यह एक इमेजिंग टेक्निक है जिसमें पेनिस में ब्लड सर्कुलेशन और किसी अन्य तरह के वेस्कुलर इशूज़ की संभावना को चेक किया जाता है.
7. ईडी का तीसरा टेस्ट है इंजेक्शन टेस्ट, जिसमें डॉक्टर इरेक्शन लाने और उसे टेस्ट करने के लिए पेनिस में सीधे एक दवा इंजेक्ट करते हैं जिससे यह चेक किया जाता है कि पेनिस में आने वाला ब्लड फ्लो इरेक्शन लाने के लिए पर्याप्त है या नहीं.
8. कुछ ख़ास मामलों में, वेस्कुलर और स्ट्रक्चरल इशूज़ का पता लगाने के लिए पेनाइल डॉपलर अल्ट्रासाउंड (penile Doppler ultrasound) या कैवर्नोसोग्राफी (cavernosography) जैसे अडवांस टेस्ट का उपयोग भी किया जा सकता है.
इसे भी पढ़ें : पुरुषों के लिए कैसे मुसीबत बनता है स्पर्म क्रैम्प?
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के उपचार (Erectile dysfunction treatment in Hindi) के कई पहलू हैं जिनमें से सबसे पहला और महत्वपूर्ण है,
संतुलित आहार और नियमित शारीरिक व्यायाम या सैर करें जिससे ओवर ऑल हेल्थ में इंप्रूवमेंट आएगा. ऐसा ख़ासकर तब ज़रूरी है जब मोटापे या हार्ट संबंधी दिक्कतें आपको पहले से ही हों.
अगर सिगरेट पीते हैं तो तुरंत बंद कर दें जिससे वेस्कुलर हेल्थ में सुधार होगा.
शराब का सेवन कम से कम करें और नशीली दवाओं या मादक पदार्थों को बिल्कुल बंद कर दें.
चिंता, स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसे मनोवैज्ञानिक कारण भी ईडी को बढ़ाने में मददगार हैं. इनके लिए प्रोफेशनल थेरेपी से फ़ायदा हो सकता है.
सिल्डेनाफिल (Viagra), टैडालफिल (Cialis), और वॉर्डनफिल (Levitra) जैसी दवाएँ पेनिस में ब्लड फ़्लो को बढ़ाती हैं, जिससे इरेक्शन आने में मदद मिलती है. ये दवाएँ डॉक्टर की सलाह से सेक्स से पहले ली जाती हैं.
जहाँ लो टेस्टोस्टेरोन लेवल के कारण ईडी की समस्या होती है वहाँ हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है.
इस मेथड में पेनिस में ब्लड फ्लो बढ़ाने के लिए वैक्यूम का प्रयोग करते हैं, जिससे इरेक्शन पैदा होता है. फिर इरेक्शन बनाए रखने के लिए पेनिस की जड़ में एक रिंग लगाया जाता है.
इस टेक्निक में पेनिस में इरेक्शन पैदा करने के लिए एल्प्रोस्टैडिल जैसी दवाओं को सीधे इंजेक्ट किया जाता है.
इस मेथड में, इरेक्शन होने और उसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए दवा को सपोसिटरी के रूप में यूरेथ्रा या मूत्रमार्ग में डाला जाता है.
यह एक सर्जिकल प्रोसेस है जिसमें इरेक्शन लाने के लिए इन्फ़्लेटेबल रॉड को पेनिस में ट्रांसप्लांट किया जाता है जिससे व्यक्ति को इरेक्शन की अवधि और पेनिस की कठोरता को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.
सिवियर वेस्कुलर प्रॉब्लम के मामलों में, पेनिस में ब्लड फ़्लो को बढ़ाने और बेहतर लाने के लिए सर्जरी भी की जाती है.
इसमें कपल थेरेपी या सेक्स थेरेपी पर फोकस किया जाता है जिससे ऐसे रिलेशनशिप इशू को साल्व करने में मदद मिलती है जो ईडी की समस्या को और भी ज़्यादा बढ़ा सकते हैं.
ईडी के इलाज के लिए जिन आयुर्वेदिक तरीक़ों ( (Erectile dysfunction treatment in ayurveda Hindi) को अपनाया जाता है उनमें मुख्य हैं;
1. संतुलित और पौष्टिक भोजन लें. इसके अलावा कुछ ख़ास जड़ी-बूटियाँ; जैसे- अश्वगंधा, गोक्षुरा और शिलाजीत, सेक्शुअल हेल्थ में सुधार करती हैं (Erectile dysfunction treatment in Hindi) और ईडी में विशेष रूप से लाभकारी हैं.
2. व्यक्ति की प्रकृति और रोग के अनुसार हर्बल ट्रीटमेंट और सप्लीमेंट (Erectile dysfunction ayurvedic medicine in Hindi) भी दिये जाते हैं जिनके मुख्य कम्पोनेंट हैं- अश्वगंधा, गोक्षुरा, सफ़ेद मूसली और शतावरी जैसी जड़ी-बूटियाँ.
3. एक आयुर्वेदिक जीवन शैली शरीर और दिमाग़ को संतुलित रखने में मदद करती है. ऐसी हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए स्ट्रेस कम करने की टेक्निक का अभ्यास, नियमित योगासन और गहरी नींद लें.
4. तेल मालिश जिसे आयुर्वेद में अभ्यंग कहा जाता है ये भी ईडी के इलाज़ का एक ख़ास तरीक़ा है. आयुर्वेद में माना जाता है कि औषधीय तेलों का उपयोग करके पेल्विक एरिया में की जाने वाली तेल मालिश से ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाना संभव है.
5. इसके अलावा पंचकर्म प्रक्रिया का भी प्रयोग किया जाता है जो शरीर से विषाक्त पदार्थ यानी कि टॉकसिन्स को बाहर निकालने और बॉडी में बैलेंस लाने में असरदार होती है.
6. ईडी से निपटने के लिए स्ट्रेस और चिंता को कम करना ज़रूरी है. आयुर्वेद में इसके लिए योग, ध्यान, और माइंडफुलनेस जैसी रेलेक्सेशन टेक्निक का प्रयोग किया जाता है.
7. बस्ती या एनीमा थेरेपी से भी शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने और सेक्शुअल हेल्थ में सुधार लाने में मदद मिलती है. ईडी के लक्षणों को कम करने के लिए इसका प्रयोग भी करवाया जाता है.
8. ओवर ऑल हेल्थ और जीवनी शक्ति को बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक फॉर्मूले; जैसे- च्यवनप्राश, अश्वगंधा चूर्ण और मूसली पाक जैसे आयुर्वेदिक टॉनिक इस ट्रीटमेंट का एक और हिस्सा है.
ईडी के लक्षणों में से किसी एक का कभी-कभी होना क्रोनिक ईडी का संकेत नहीं माना जाता है और ऐसा होना नॉर्मल है. लेकिन अगर इनमें से एक से ज़्यादातर लक्षण लगातार बने रहने या रेगुलर होने लगे तो डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है.
1. Lowy, M., & Ramanathan, V. (2022). Erectile dysfunction: causes, assessment and management options. Australian Prescriber, 45(5), 159–161.
2. Sooriyamoorthy, T., & Leslie, S. W. (2022). Erectile Dysfunction. PubMed; StatPearls Publishing.
Yes
No
Written by
Kavita Uprety
Get baby's diet chart, and growth tips
Poppy Seeds During Pregnancy in Hindi | क्या प्रेग्नेंसी में खसखस खा सकते हैं?
Is Turmeric Safe During Pregnancy in Hindi | प्रेग्नेंसी में हल्दी का दूध पीना कितना सुरक्षित?
Is Jumping During Pregnancy Safe in Hindi | प्रेग्नेंसी में उछल-कूद पड़ सकती है भारी! बढ़ सकता है मिसकैरेज का खतरा
Arogyavardhini Vati Uses in Hindi | आरोग्यवर्धिनी वटी के क्या फ़ायदे होते हैं और इसे इस्तेमाल करने का सही तरीक़ा क्या होता है?
Best Age To Get Pregnant in Hindi | प्रेग्नेंट होने की सही उम्र क्या होती है? [Part 2]
Best Age To Get Pregnant in Hindi | प्रेग्नेंट होने की सही उम्र क्या होती है? [Part 1]
Mylo wins Forbes D2C Disruptor award
Mylo wins The Economic Times Promising Brands 2022
At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:
baby carrier | baby soap | baby wipes | stretch marks cream | baby cream | baby shampoo | baby massage oil | baby hair oil | stretch marks oil | baby body wash | baby powder | baby lotion | diaper rash cream | newborn diapers | teether | baby kajal | baby diapers | cloth diapers |