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    PCOS with Regular Periods in Hindi | पीरियड्स रेगुलर होने पर भी हो सकता है पीसीओएस! जानें इसके शुरुआती लक्षण

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    PCOS with Regular Periods in Hindi | पीरियड्स रेगुलर होने पर भी हो सकता है पीसीओएस! जानें इसके शुरुआती लक्षण

    5 September 2023 को अपडेट किया गया

    अक्सर अनियमित पीरियड्स को पीसीओएस का लक्षण माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं पीरियड्स नियमित होने पर भी पीसीओएस की समस्या हो सकती है. चलिए इस आर्टिकल के ज़रिये आपको डिटेल में बताते हैं कि पीरियड्स नियमित होने पर पीसीओएस के लक्षण कैसे होते हैं और इस समस्या से आप कैसे राहत पा सकते हैं.

    क्या पीरियड्स रेगुलर होने पर पीसीओएस हो सकता है? (Can you have PCOS with regular periods in Hindi)

    पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या उस समय होती है, जब शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है. हार्मोन्स असंतुलन का असर महिलाओं के पीरियड्स पर देखने को मिलता है. ऐसी स्थिति में महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं. हालाँकि, कुछ स्टडी की मानें तो पीसीओएस की समस्या उन महिलाओं को भी हो सकती है, जिनके पीरियड्स नियमित होते हैं.

    इसलिए सिर्फ़ अनियमित पीरियड्स को ही पीसीओएस का एकमात्र लक्षण न मानें; बल्कि पीसीओएस के अन्य लक्षणों पर भी ग़ौर करें.

    इसे भी पढ़ें: अनियमित पीरियड्स से परेशान? ये उपाय कर सकते हैं आपकी मदद

    रेगुलर पीरियड्स होने पर पीसीओएस के कैसे लक्षण दिखते हैं? (Symptoms of PCOS with regular periods in Hindi)

    पीरियड्स रेगुलर होने पर महिलाओं को कुछ इस तरह के लक्षण देखने को मिल सकते हैं;

    1. बालों की अधिक ग्रोथ होना (Excessive hair growth)

    पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के बाल असमान्य तरीक़े से बढ़ते हैं, इस समस्या को हिर्सुटिज़्म के नाम से जाना जाता है. यह बाल आमतौर पर चेहरे, छाती, पेट या पीठ पर देखे जाते हैं.

    2. मुँहासे (Acne)

    पीसीओएस के कारण महिलाओं को लगातार मुँहासों यानी कि एक्ने की समस्या का सामना करन पड़ सकता है, जिसका इलाज करना मुश्किल होता है. दरअसल, पीसीओएस की समस्या होने पर हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं, जिसके कारण चेहरे पर एक्ने होने लगते हैं.

    3. वज़न बढ़ना (Weight gain)

    हार्मोनल असंतुलन के कारण महिलाओं को अधिक वज़न का सामना भी करना पड़ सकता है. इस दौरान वज़न बढ़ना बहुत ही आम होता है और इसे कंट्रोल करना भी मुश्किल होता है. हालाँकि, हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज करने से आपको फ़ायदा हो सकता है.

    4. इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance)

    पीसीओएस का इंसुलिन रेजिस्टेंस से गहरा संबंध होता है. यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें शरीर की कोशिकाएं हार्मोन इंसुलिन के प्रति कम प्रतिक्रियाशील हो जाती हैं. इसके कारण ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.

    5. मूड स्विंग्स (Mood swings)

    हार्मोन्स में बदलाव होने के कारण मूड स्विंग्स, एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएँ होने लगती हैं. इन लक्षणों का महिलाओं की ओवरऑल हेल्थ पर असर हो सकता है.

    6. थकान (Fatigue)

    जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या होती है, उन्हें अन्य महिलाओं की तुलना में जल्दी थकान महसूस होने लगती है. हार्मोनल असंतुलन, नींद की कमी और अन्य फैक्टर्स आदि के कारण थकान महसूस हो सकती है.

    7. फर्टिलिटी से संबंधित समस्याएँ (Fertility issues)

    रेगुलर पीरियड्स होने पर भी गर्भधारण करने में समस्या आ सकती है. दरअसल, पीसीओएस ओव्यूलेशन की प्रोसेस में बाधा डाल सकता है, जिसके कारण अन्य मेडिकल समस्याओं का जन्म हो सकता है.

    इसे भी पढ़ें: महिलाओं की फर्टिलिटी में सुधार करते हैं ये टॉप 5 हर्ब्स!

    रेगुलर पीरियड्स होने पर पीसीओएस होने के कारण क्या होते हैं? (Causes of PCOS with regular periods in Hindi)

    रेगुलर पीरियड्स होने पर पीसीओएस की समस्या क्यों होती है, इसके सटीक कारण बता पाना मुश्किल है. हालाँकि, यहाँ पर हम आपको कुछ आम कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं;

    1. हार्मोनल असंतुलन (Hormonal imbalances)

    रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स में असंतुलन होने पर पीसीओएस की समस्या हो सकती है. ख़ासकर एण्ड्रोजन (पुरुष हार्मोन) और इंसुलिन का स्तर बढ़ने पर. ये असंतुलन ओवरी की सामान्य कार्यप्रणाली को बाधित कर सकता है और इसके कारण सिस्ट की समस्या भी हो सकती है.

    2. आनुवंशिक (Genetic predisposition)

    कुछ मामलों में पीसीओएस की समस्या आनुवंशिक यानी कि जेनेटिक भी हो सकती है. इसका मतलब यह है कि परिवार में यदि किसी को पीसीओएस की समस्या रही है, तो पीरियड्स रेगुलर होने पर भी आपको यह समस्या हो सकती है.

    3. इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance)

    इंसुलिन रेजिस्टेंसआमतौर पर पीसीओएस से जुड़ी एक स्थिति है, जिसके कारण हार्मोनल असंतुलन और ओवरी में सिस्ट की समस्या हो सकती है.

    4. लाइफस्टाइल फैक्टर्स (Lifestyle factors)

    अनहेल्दी डाइट, खराब लाइफस्टाइल और अधिक तनाव लेने से भी पीसीओएस की समस्या हो सकती है. अगर समय रहते इन फैक्टर्स पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो स्थिति और भी बिगड़ सकती है. आप अपनी डाइट में माइलो पीसीओएस और पीसीओडी टी (Mylo PCOS & PCOD Tea) को शामिल करें. इसकी मदद से आप पीसीओएस की समस्या को नेचुरल तरीक़े से कंट्रोल कर सकते हैं.

    इसके अलावा, आप पीसीओएस और पीसीओडी के लिए मायो-इनोसिटोल च्यूएबल टैबलेट्स (Myo-inositol Chewable Tablets for PCOS & PCOD) को भी अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं. यह टैबलेट्स हार्मोन्स को संतुलित करने में मदद करती है. वज़न और मुँहासों को कंट्रोल करने में मदद करती हैं.

    इसे भी पढ़ें: PCOS को कंट्रोल करने में मदद करते हैं योगासन!

    क्या रेगुलर पीरियड्स होने पर ओव्यूलेशन होता है? (PCOS with regular periods, am I ovulating in Hindi)

    जिन महिलाओं के पीरियड्स रेगुलर होते हैं और फिर भी उन्हें पीसीओएस की समस्या होती है, तो उनके मन में एक सवाल होता है कि क्या वह ओव्यूलेट कर रही है. अगर अगर ओव्यूलेशन हो रहा है, तो इसे कैसे ट्रैक किया जा सकता है? चलिए आपको इन सवालों का जवाब देते हैं!

    1. बेसल बॉडी टेम्परेचर को ट्रैक करें (Tracking basal body temperature)

    अपने बॉडी के टेम्परेचर को ट्रैक करके आप जान सकते हैं कि आप ओव्यूलेट कर रही हैं या नहीं. बता दें कि ओव्यूलेशन होने पर शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ जाता है.

    2. ओव्यूलेशन प्रिडिक्टर किट (Ovulation predictor kit)

    ये किट ओव्यूलेशन से ठीक पहले होने वाले ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) में वृद्धि का पता लगाती है. ऐसे में पॉजिटिव रिज़ल्ट मिलने का अर्थ होता है कि अगले 24 से 36 घंटों के भीतर ओव्यूलेशन होने की संभावना है.

    3. हार्मोन ब्लड टेस्ट (Hormone blood test)

    ब्लड टेस्ट प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन के स्तर को माप सकता है. इससे आप जान सकते हैं कि ओव्यूलेशन हुआ है या नहीं. बता दें कि प्रोजेस्टेरोन का हाई लेवल ओव्यूलेशन की ओर इशारा करता है.

    प्रो टिप (Pro Tip)

    रेगुलर पीरियड्स होने पर पीसीओएस की समस्या हो सकती है. लेकिन ज़रूरी सावधानी और ट्रीटमेंट की मदद से आप इस समस्या को कंट्रोल कर सकते हैं.

    रेफरेंस

    1. Welt CK, Carmina E. (2013). Clinical review: Lifecycle of polycystic ovary syndrome (PCOS): from in utero to menopause. J Clin Endocrinol Metab.

    2. Carmina E, Lobo RA. (1999). Do hyperandrogenic women with normal menses have polycystic ovary syndrome? Fertil Steril.

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    Written by

    Jyoti Prajapati

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