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12 December 2022 को अपडेट किया गया
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गर्भावस्था के अंतिम दिनों में शिशु का सर नीचे की तरफ और उसके सिर का पिछला हिस्सा हल्का सा माँ के पेट के सामने की तरफ आ जाना चाहिए. इस अवस्था में शिशु पेल्विस में ठीक से फिट हो जाता है और उसका जन्म अपेक्षाकृत जल्दी और आसानी से हो जाता है, क्योंकि,
संकुचनों के दौरान शिशु के सिर के ऊपरी भाग से सर्विक्स पर दबाव पड़ने से उसको चौड़ा होने में मदद मिलती है. साथ ही शरीर प्रसव के लिए जरुरी हॉर्मोन पैदा करता है.
जोर लगाने पर शिशु इस तरह से खिसकता है कि उसके सिर का सबसे छोटा हिस्सा पहले बाहर आए.
वह अपना सिर हल्का सा मोड़ लेता है, ताकि उसके सिर का सबसे चौड़ा हिस्सा आपकी पेल्विस के सबसे चौड़े क्षेत्र में हो.
प्रसव के वक़्त पोस्टीरियर अवस्था क्या है?
पोस्टीरियर अवस्था में शिशु का सिर तो नीचे की तरफ होता है, मगर उसके सिर का पिछला हिस्सा माँ की रीढ़ की तरफ होता है. यह स्थिति प्रसव को जटिल बना सकती है. जैसे कि
रीढ़ की हड्डी की तरफ जोर पड़ने से माँ को पीठ दर्द हो सकता है.
प्रसव की शुरुआत में ही पानी की थैली फट सकती है.
प्रसव लंबे समय तक और संकुचन बीच-बीच में रुक सकते हैं.
शिशु को प्रसव की सबसे उपयुक्त अवस्था में आने के लिए करीब 180 डिग्री तक घूमना पड़ता है जिसमें थोड़ा समय लग सकता है.
शिशु को बाहर निकालने के लिए फोरसेप्स या वेंटूस की जरुरत पड़ सकती है.
कुछ शिशु पोस्टीरियर अवस्था में क्यों होते हैं?
पेल्विस के संकरे और अंडाकार (ऐंथ्रोपॉइड पेल्विस) अथवा चौड़े और दिल के आकार के कारण.
साथ ही अधिक देर तक कुर्सी पर बैठकर टीवी देखने या काम करने से
यदि आप सीधे खड़े होकर बहुत से कार्य करती हैं, तो शिशु के आपके पेल्विस क्षेत्र में नीचे की तरफ या एंटीरियर पोज़िशन में जाने की अधिक संभावना होती है क्योंकि ऐसे में आपकी पेल्विस आगे की तरफ झुकी रहती है.
शिशु को एंटीरियर (आगे की ओर) कैसे लाया जाये?
जब आप बैठी हों, तो अपने पेल्विस का झुकाव पीछे की बजाय आगे की तरफ रखने का प्रयास करें.
ध्यान रखें कि आपकी सीट नीचे की ओर धंसी हुई न हो जिससे कूल्हे नीचे और घुटने ऊपर की तरफ हो जायें.
फर्श पर पोछा लगाएं जिससे शिशु के सिर का पिछला हिस्सा आपके पेट के सामने की तरफ आ जाता है.
ज्यादा समय तक बैठे न रहकर बीच-बीच में चलती-फिरती रहें और बीच में विश्राम भी करें.
कूल्हों को ऊंचा रखने के लिए कुशन के ऊपर बैठें.
गर्भावस्था के अंतिम चरण में करवट से सोएँ और दिन में दो बार 10-10 मिनट के लिए हाथों और घुटनों के बल बैठने से भी शिशु को एंटीरियर अवस्था में लाने में मदद मिल सकती है.
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Written by
Parul Sachdeva
A globetrotter and a blogger by passion, Parul loves writing content. She has done M.Phil. in Journalism and Mass Communication and worked for more than 25 clients across Globe with a 100% job success rate. She has been associated with websites pertaining to parenting, travel, food, health & fitness and has also created SEO rich content for a variety of topics.
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