VIEW PRODUCTS
Article Continues below advertisement
Low Lying Placenta
13 October 2023 को अपडेट किया गया
Article Continues below advertisement
प्रेग्नेंसी के नौ माह के सफ़र में एक महिला को कई तरह के बदलावों और जटिलताओं से गुज़रना पड़ता है. लो लाइंग प्लेसेंटा (Low-lying placenta in Hindi) इसी में से एक है. हालाँकि, बहुत कम ऐसे पेरेंट्स होते हैं, जिन्हें इस स्थिति के बारे में जानकारी होती है. अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं, तो परेशान न हो. इस लेख के ज़रिये हम आपको लो लाइंग प्लेसेंटा (Low-lying placenta meaning in Hindi) के बारे में कम्प्लीट जानकारी देंगे; जैसे कि प्लेसेंटा क्या है (Placenta in Hindi), लो लाइंग प्लेसेंटा क्या होता है? (What is low- lying placenta?), लो-लाइंग प्लेसेंटा के लक्षण क्या होते हैं (What are the symptoms of Low- lying placenta?), लो-लाइंग प्लेसेंटा कितनी तरह का होता है? (What are the types of low-lying placent?) और लो लाइंग प्लेसेंटा के लिए सीटिंग पोजीशन (Sitting position for low-lying placenta) क्या होती है!
तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कि प्लेसेंटा क्या होता है (Placenta kya hota hai)! प्लेसेंटा प्रेग्नेंसी के दौरान विकसित होने वाला एक अस्थायी अंग है, जो गर्भाशय की दीवार (Uterine wall) से जुड़ा हुआ होता है. इसका काम गर्भ में पल रहे शिशु तक ऑक्सीजन और ज़रूरी पोषक तत्व पहुँचाना होता है. इतना ही नहीं, यह शिशु के मल को भी बाहर निकालता है. प्लेसेंटा (Placenta meaning in Hindi) शिशु के साथ बढ़ता है और फिर जन्म के बाद शिशु के साथ ही बाहर निकल जाता है. ये विकसित होते भ्रूण के चारों तरफ एक प्रोटेक्टिव लेयर होती है.
जब प्लेसेंटा गर्भाशय के नीचे की ओर आ जाता है और सर्विक्स के पूरे हिस्से को कवर कर लेता है, तो इससे गर्भाशय की ओपनिंग बंद हो जाती है, इस स्थिति को ही लो लाइंग प्लेसेंटा (Low-lying placenta) कहा जाता है. लो लाइंग प्लेसेटा के कारण डिलीवरी के दौरान शिशु का वेजाइना से निकलने का रास्ता बंद हो जाता है. लो लाइंग प्लेसेंटा (Low- lying placenta) को प्लेसेंटा प्रिविया (Placenta previa) के नाम से भी जाना जाता है. लो लाइंग प्लेसेंटा की स्थिति होने पर प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान गंभीर ब्लीडिंग हो सकती है.
इसे भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी में पीठ के बल क्यों नहीं सोना चाहिए?
अगर प्रेग्नेंसी के 20वें हफ़्ते के बाद वेजाइना से भारी ब्लीडिंग होती है तो यह लो लाइंग प्लेसेंटा (Low-lying placenta) का पहला संकेत होता है. इसके अन्य लक्षण हैं –
Article continues below advertisment
इसे भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी में होने वाला दर्द - सामान्य या असामान्य?
लो-लाइंग प्लेसेंटा के चलते भारी ब्लीडिंग और सी-सेक्शन डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है. हालाँकि, इसके जोखिम कुछ अन्य कारकों पर भी निर्भर करता है-
1. प्लेसेंटा की पॉजीशन
2. प्रेग्नेंसी की स्टेज
3. माँ और होने वाले बच्चे की सामान्य सेहत
Article continues below advertisment
4. कम या भारी वेजाइनल ब्लीडिंग
5. यूटरस में बच्चे की पॉजीशन
इसे भी पढ़ें : गर्भावस्था के दौरान योनि में खुजली: लक्षण और इलाज
प्लेसेंटा की पॉजीशन के आधार पर 4 तरह के लो-लाइंग प्लेसेंटा या प्लेसेंटा प्रिविया होते हैं-
इसमें जन्म देने वाली नलिका का कुछ हिस्सा ही ब्लॉक होता है. स्थिति में नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है.
Article continues below advertisment
इस स्थिति में प्लेसेंटा जन्म देने वाली नली के बिल्कुल किनारे पर होता है. इस स्थिति में भी नॉर्मल डिलिवरी की संभावना होती है.
इस स्थिति में प्लेसेंटा आपकी जन्म नली के सामने से पुश करता है, जिससे ब्लीडिंग होने लगती है.
इस स्थिति में प्लेसेंटा पूरी तरह से जन्म देने वाली नली को कवर कर लेता है.
इसे भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी के दौरान पैरों के दर्द से कैसे राहत पाएँ?
लो-लाइंग प्लेसेंटा के कई कारण होते हैं. यहाँ देखिए इसके कुछ मुख़्य कारण-
Article continues below advertisment
1. माँ की उम्र 35 से ज़्यादा हो
2. स्मोकिंग या अन्य किसी तरह की नुकसानदायक आदत
3. पहली डिलीवरी सी-सेक्शन से होना
4. एक से ज़्यादा बच्चे जैसे - ट्वीन्स या ट्रिपलेट्स होने से
6. पहले भी लो-लाइंग प्लेसेंटा का होना
Article continues below advertisment
7. पहला मिसकैरेज होने पर
इसे भी पढ़ें : सर्विक्स की लंबाई का प्रेग्नेंसी पर कैसे पड़ता है असर?
आमतौर पर 20वें हफ़्ते में अल्ट्रासाउंड करवाने पर लो-लाइंग प्लेसेंटा के बारे में पता चलता है. प्रेग्नेंसी के शुरुआती हफ़्तों में प्लेसेंटा नीचे की तरफ़ रहना नॉर्मल है, लेकिन अगर 20वें हफ़्ते में भी ये नीचे की तरफ रहे तो ये चिंता की बात है. आपके बच्चे की पॉजीशन को चेक करने के लिए एक फिजिकल टेस्ट भी किया जाता है. कुछ लो-लाइंग प्लेसेंटा मामलों में भ्रूण साइड में हो जाता है.
लो-लाइंग प्लेसेंटा के लिए कई तरह के स्कैन होते हैं-
प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड से प्लेसेंटा की पॉजीशन के बारे में पता लगाया जाता है. इस प्रोसेस में स्कैनिंग डिवाइस को वेजाइना के अंदर रखा जाता है. इस स्कैनिंग में भ्रूण की साफ़ पिक्चर आती है, जिससे डॉक्टर प्लेसेंटा की पॉजीशन अच्छी तरह चेक कर सकते हैं.
Article continues below advertisment
यह सबसे कॉमन स्कैन है. इसमें एक हैंड हेल्ड स्कैनर को पेट पर मूव करवाया जाता है. हालाँकि, ये प्रेग्नेंसी के बाद के स्टेज में काम आता है, जब बच्चा एब्डोमेन के पास होता है.
एमआरआई तब करवाया जाता है जब प्लेसेंटा की पॉजीशन का सही पता नहीं लगता है. इस स्कैन से प्लेसेंटा की बिल्कुल सही पॉजीशन का पता चल जाता है और इसकी ख़ास बात ये है कि इसे प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में भी करवाया जा सकता है.
लो-लाइंग प्लेसेंटा का इलाज प्रेग्नेंसी के स्टेज, इस दौरान कितनी ब्लीडिंग हो रही है और मां-बच्चे की सेहत के आधार पर निर्धारित होता है.
1. अगर हल्की ब्लीडिंग हो रही है तो आपको पूरी तरह से बेड रेस्ट करने और किसी भी तरह की भारी एक्टिविटी ना करने की सलाह दी जाएगी.
2. अगर थोड़ी भी ज़्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो माँ को बहुत ध्यान से मॉनिटर किया जाएगा और उन्हें हॉस्पिटल में भी भर्ती करवाया जा सकता है. प्रेग्नेंसी के एडवांस स्टेज में इस स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी की ज़रूरत भी पड़ सकती है.
Article continues below advertisment
3. इससे बचने के लिए बाहर लंबी वॉक ना करें. घर में ही घूमें और अगर आपको बेड रेस्ट की सलाह दी गई है तो घर पर भी कम वॉक करें.
4. अगर आपको पता चल जाए कि प्लेसेंटा नीचे की तरफ़ है तो पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करना अवॉइड करें.
5. आयरन युक्त खाने पर ज़ोर दें और डॉक्टर की सलाह पर आयरन सप्लीमेंट्स भी लें. इससे आपको एनीमिया नहीं होगा.
6. अपनी पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान खुश और पॉजीटिव रहें. लो प्लेसेंटा की वजह से तनाव ना लें. ये आपके और बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
उम्मीद है कि इस आर्टिकल की मदद से आप लो लाइंग प्लेसेंटा की स्थिति को अच्छे से समझ गए होंगे.
Article continues below advertisment
रेफरेंस
1. Oppenheimer LW, Farine D, Ritchie JW, Lewinsky RM, Telford J, Fairbanks LA. (1991). What is a low-lying placenta? Am J Obstet Gynecol.
2. Gillieson MS, Winer-Muram HT, Muram D. (1982). Low-lying placenta.
3. Bronsteen R, Valice R, Lee W, Blackwell S, Balasubramaniam M, Comstock C. (2009). Effect of a low-lying placenta on delivery outcome.
Tags
Article continues below advertisment
Low-Lying Placenta in English , Low-Lying Placenta in Bengali, Low-Lying Placenta in Tamil, Low-Lying Placenta in Telugu
Trending Articles
एक हफ्ते में कितनी बार संबंध बनाना चाहिए | नार्मल डिलीवरी के संकेत | ओवरी में गांठ | नॉर्मल डिलीवरी के बाद पेट कम करना
Popular Articles
low lying placenta in hindi | जल्दी प्रसव के घरेलू उपाय | जघवास्थि के बाल | गर्भ में बच्चे का पोस्टीरियर पोजीशन
Article continues below advertisment
Yes
No
Written by
Jyoti Prajapati
Jyoti is a Hindi Content Writer who knows how to grip the audience with her compelling words. With an experience of more
Read MoreGet baby's diet chart, and growth tips
How Often Should You Have Sex to Get Pregnant in Hindi | प्रेग्नेंट होने के लिए कितनी बार सेक्स करना चाहिए?
Peeing after sex in Hindi | क्या सेक्स के तुरंत बाद यूरिन पास करना ज़रूरी होता है?
लेबर पेन लाने के लिए अपनाएं ये 9 घरेलू उपाय | 9 Ways to Induce Labor Pain in Hindi
जानिए ओव्यूलेशन के दौरान पेट फूलने के इन कारणों के बारे में
Sex During Periods Can Cause Pregnancy in Hindi | क्या पीरियड्स में सेक्स करने से प्रेग्नेंट हो सकते हैं?
Diet After Delivery in Hindi | डिलीवरी के बाद क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
Pregnancy Test With Salt in Hindi | नमक से प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करें?
Pregnancy Symptoms Week 1 in Hindi | प्रेग्नेंसी के पहले हफ़्ते में किस तरह के लक्षण नज़र आते हैं?
Reason of Irregular Periods After Marriage in Hindi | शादी के बाद आख़िर पीरियड्स क्यों हो जाते हैं अनियमित?
Period Pain Relief Tips in Hindi | पीरियड्स में बहुत दर्द होता है? ये टिप्स देंगे आपको राहत का एहसास!
At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:
baby carrier | baby soap | baby wipes | stretch marks cream | baby cream | baby shampoo | baby lotion | baby powder | baby body wash | stretch marks oil | baby massage oil | baby hair oil |