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    Gynecological Laparoscopy in Hindi | गाइनेकोलोजी लैप्रोस्कोपी क्या है और कब पड़ती है इसकी ज़रूरत?

    Pregnancy

    Gynecological Laparoscopy in Hindi | गाइनेकोलोजी लैप्रोस्कोपी क्या है और कब पड़ती है इसकी ज़रूरत?

    26 October 2023 को अपडेट किया गया

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    गाइनेकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी एक मेडिकल प्रोसीजर है जिसमें पैल्विक एरिया चेक करने के लिए लैप्रोस्कोप (एक कैमरे के साथ एक पतली ट्यूब) का उपयोग किया जाता है. इससे डॉक्टर को उस एरिया में असामान्यताओं या वृद्धि की जांच करने में मदद मिलती है. इसका इस्तेमाल ओवेरियन सिस्ट को हटाने, लैप्रोस्कोपी (हिस्टेरेक्टॉमी) द्वारा यूटेरस को हटाने या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी जैसी प्रमुख सर्जरी करने में डॉक्टरों की सहायता के लिए किया जाता है. गाइनेकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी भी ओपन सर्जरी का एक सुरक्षित ऑप्शन है.

    यह क्यों किया जाता है?

    गाइनेकोलोजी लैप्रोस्कोपी का इस्तेमाल निम्नलिखित मेडिकल कंडीशन पहचानने के लिए किया जाता है.

    • एंडोमेट्रियोसिस
    • ओवेरियन ट्यूमर या अल्सर
    • फाइब्रॉएड
    • पेल्विक स्कार टिशु
    • पेल्विक सूजन
    • पेल्विक पस
    • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी
    • ओवेरियन कैंसर
    • पेल्विक प्रोलैप्स

    गाइनेकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी का इस्तेमाल निम्नलिखित स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है.

    • ओवरी रिमूवल (ऊफोरेक्टॉमी)
    • यूटेरस निकालने के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (हिस्टेरेक्टॉमी)
    • फाइब्रॉएड हटाना
    • ट्यूबल लिगेशन (गर्भावस्था को रोकने के लिए फैलोपियन ट्यूब को ब्लॉक करना)
    • एक्टोपिक गर्भावस्था को हटाना
    • असंयम (पेशाब पर नियंत्रण की कमी)
    • बढ़ा हुआ यूटेरस

    प्रोसीजर की तैयारी

    लैप्रोस्कोपिक गाइनेकोलॉजिस्ट कंडीशन की जांच करने के लिए कुछ टेस्ट कराती है. व्यक्ति को डॉक्टर को अपनी दवाओं और अपनी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी बताना चाहिए. डॉक्टर आपको प्रोसीजर से कुछ दिन पहले उन दवाओं को बंद करने के लिए कह सकते हैं. गाइनेकोलॉजिस्ट लैप्रोस्कोपी में मेडिकल कंडीशन चेक करने में 30 से 60 मिनट लगते हैं. कुछ मेडिकल कंडीशन में अधिक समय भी लग सकता है.

    प्रोसीजर के दौरान

    प्रोसीजर के दौरान मरीज़ को कोई दर्द महसूस न हो, इसके लिए डॉक्टर जनरल एनेस्थीसिया देते हैं. कार्बन डाइऑक्साइड गैस से भरी एक छोटी सुई पेट में डाली जाती है जो प्रोसीजर के दौरान अंगों को नुकसान से बचाती है.

    नाभि पर एक छोटा चीरा लगाया जाता है, और लैप्रोस्कोप डाला जाता है. स्क्रीन पर स्पष्ट पिक्चर दिखती है. इससे डॉक्टर असामान्यताओं की जांच और कंडीशन पता कर पाते हैं. यूटेरस की लैप्रोस्कोपी के मामले में, कई कट लगाए जाते हैं, और इन कटों के माध्यम से अन्य उपकरण डाले जाते हैं. सर्जन लैप्रोस्कोप के मार्गदर्शन में प्रोसीजर करता है.

    प्रोसीजर पूरा हो जाने के बाद, सभी उपकरण हटा दिए जाते हैं. चीरों को साफ किया जाता है, सिला जाता है और ठीक से पट्टी बांधी जाती है. एनेस्थीसिया के प्रभाव को कम करने के लिए मरीज़ को रिकवरी रूम में ले जाया जाता है.

    प्रोसीजर के बाद

    नर्सें निगरानी करेंगी और एनेस्थीसिया का प्रभाव खत्म होने की प्रतीक्षा करेंगी। प्रोसीजर के प्रकार के आधार पर, रोगी उसी दिन या कुछ दिनों के बाद घर जा सकता है. नाभि में दर्द होना और चोट के निशान विकसित होना सामान्य है. रोगी को घर भेजने से पहले लैप्रोस्कोपिक गाइनेकोलॉजिस्ट सुझाव देंगी. निर्देशों के साथ, डॉक्टर संक्रमण के रिस्क को कम करने के लिए दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स भी लिखेंगे. व्यक्ति कुछ हफ्तों या एक महीने में अपनी दैनिक गतिविधियां फिर से कर सकता है.


    यूटेरस को हटाने पर क्या होता है?

    यूटेरस लैप्रोस्कोपिक सर्जरी एक मेडिकल प्रोसीजर है जिससे यूटेरस को हटाने में लैप्रोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है। लैप्रोस्कोपी गाइनेकोलॉजिस्ट सर्जरी को पूरा करते हैं और वजाइना के माध्यम से यूटेरस को हटा देते हैं।

    यूटेरस लैप्रोस्कोपी के फ़ायदे

    ओपन सर्जरी की तुलना में लैप्रोस्कोपिक यूटेरस रिमूवल के निम्नलिखित लाभ हैं।

    • कम दर्द
    • मिनिमम ब्लड लॉस
    • अस्पताल में कम समय तक रहना
    • तेज़ रिकवरी
    • इन्फेक्शन का कम रिस्क

    क्या लैप्रोस्कोपिक सर्जरी सुरक्षित है?

    यूटेरस या अन्य किसी मेडिकल कंडीशन के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी ओपन सर्जरी की तुलना में ज़्यादा सुरक्षित और प्रभावी मानी जाती है। आगे बढ़ने से पहले इस प्रोसीजर के रिस्क और लाभों को समझने के लिए लैप्रोस्कोपी गाइनेकोलॉजिस्ट से सलाह लें।

    रिस्क/कॉम्प्लीकेशन्स

    गाइनेकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी के बाद निम्नलिखित कारक कॉम्प्लिकेशन्स का रिस्क बढ़ा सकते हैं।

    • मोटापा
    • क्रोनिक बोवेल रोग
    • पेल्विक इन्फेक्शन
    • गंभीर एंडोमेट्रियोसिस
    • ह्रदय सर्जरी
    • पेट की सर्जरी
    • फेफड़े की स्थिति
    • ह्रदय की हालत
    • कम वजन
    • बुढ़ापा

    गाइनेकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी के बाद एक व्यक्ति को निम्नलिखित कॉम्प्लिकेशन्स का सामना करना पड़ सकता है।

    • एलर्जिक रिएक्शन
    • नर्व डैमेज
    • ब्लड क्लॉट
    • पेशाब करने में परेशानी
    • यूटेरस या पेल्विक स्ट्रक्चर को नुकसान
    • ब्लीडिंग
    • दर्द
    • चोटें
    • जी मिचलाना
    • व्यथा
    • थकान
    • कंधे का दर्द
    • हरनिया
    • इन्फेक्शन

    डॉक्टर को कब दिखाएं

    यूटेरस लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद लंबे समय तक निम्नलिखित लक्षण दिखने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

    • ज़्यादा बुखार
    • ब्लीडिंग
    • सर्जरी की जगह पर इन्फेक्शन
    • गंभीर पेट दर्द
    • उल्टी आना और जी मिचलाना
    • लालपन
    • सूजन
    • साँस लेने में कठिनाई
    • भारी मासिक धर्म प्रवाह

    निष्कर्ष


    गाइनेकोलॉजिकल लैप्रोस्कोपी एक मेडिकल प्रोसीजर है जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों की पहचान करने और उनके उपचार के लिए किया जाता है। यह ओपन सर्जरी का एक सुरक्षित और प्रभावी ऑप्शन है। अल्सर, फाइब्रॉएड या रिप्रोडक्टिव कैंसर वाले व्यक्तियों के लिए सही है। कुछ व्यक्तियों को ब्लीडिंग, इन्फेक्शन या हर्निया जैसी कॉम्प्लीकेशन्स का सामना करना पड़ सकता है। तेज बुखार, पेट में तेज दर्द और जी मिचलाने जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

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    Written by

    Priyanka Verma

    Priyanka is an experienced editor & content writer with great attention to detail. Mother to an 11-year-old, she's a skilled writer and has written about many niches, in both English & Hindi. She has been playing with words for 13 years.

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