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Garbha Sanskar
12 December 2022 को अपडेट किया गया
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प्रकृति का करिश्मा ही है कि गर्भ में विकसित हो रहे शिशु का शरीर प्रतिदिन आश्चर्यजनक क्षमतायें विकसित करता है, यहाँ तक कि आपकी कही बातों को सुनता और समझता है. वैज्ञानिक भी यह प्रमाणित कर चुके हैं कि शिशु गर्भ में ही कई चीज़ें सीख लेते हैं और वो भी सिर्फ बाहर की आवाज़ें सुनकर. इस लेख में आपको बताएंगे ऐसे ही कुछ आश्चर्यजनक तथ्य.
चौबीसवें हफ्ते यानि कि छंटे महीने के बाद शिशु में सुनने की क्षमता विकसित होने लगती है. इस दौरान बच्चे का चेहरा और बाकी अंग भी विकसित होते हैं.
बच्चे गर्भ में ही मुस्कुराना भी सीख लेते हैं. आधुनिक टेक्नोलॉजी ने इस बात को सिद्ध किया है कि बच्चा अपनी माँ के गर्भ में मुस्कुराता है.
28 वें सप्ताह में बच्चे की सूंघने की क्षमता का विकास भी होने लगता है.
अमूमन बच्चे गर्भ से निकलते ही रोते हैं और बच्चे का रोना उसके स्वस्थ होने का संकेत माना जाता है पर आश्चर्यजनक बात यह है कि बच्चे गर्भ में ही रोना सीख लेते हैं.
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एक रिसर्च ने इस बात को सिद्ध किया है कि गर्भ में ही बच्चे सांस लेने की कोशिश करना शुरू कर देते हैं. हालांकि, उन्हें माँ द्वारा ऑक्सीजन मिलता है, लेकिन शोध कहता है कि भ्रूण गर्भ में 9 हफ्ते के बाद से ही सांस लेने की कोशिश करना आरम्भ कर देता है.
गर्भ में विकसित होता हुआ शिशु रोजाना कई औंस एमनियोटिक फ्लुइड पीता है जिसमें उन खाद्य और पेय पदार्थों की गंध और स्वाद होता है जिन्हें मां ने पिछले कुछ घंटों में खाया हो. इस आधार पर बच्चा उन पदार्थों के प्रति स्वाद विकसित कर लेता है और जन्म के बाद भी उसे वह पसंद आती हैं.
माँ और उसके गर्भस्थ शिशु के बीच शारीरिक कनेक्शन के साथ भावों का संबंध भी होता है. इसलिए माँ के मन के आ रहे सभी भाव जैसे खुशी, उदासी, थकान, हंसी, गुस्सा इत्यादि बच्चे पर भी असर करते हैं और उसका मूड माँ के मूड के मुताबिक़ बदलता है.
आधुनिक टेक्नोलॉजी ने यह भी साबित कर दिया है कि शिशु गर्भ में वाकई सोते हैं और सपने भी देखते हैं.
गर्भस्थ शिशु को मां के तनावग्रस्त होने पर तुरंत बोध हो जाता है और वह प्रतिक्रिया भी देता है. एक शोध में जब गर्भवती मां के चेहरे को ढकने का प्रयोग किया गया तो उसके शिशु ने तुरंत प्रतिक्रिया कर मां को सांस लेने पर मजबूर कर दिया जिससे उसे आराम मिल गया.
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शोध यह भी कहते हैं कि गर्भावस्था के 8 हफ़्तों बाद बच्चे वास्तव में किसी भी स्पर्श का जवाब अपने हाथ पैर हिलाकर देने लगते हैं, इसलिए जितनी बार आप अपने पेट को छुएंगी आपका बच्चा हर बार आपके स्पर्श को महसूस करेगा.
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Written by
Sanju Rathi
A Postgraduate in English Literature and a professional diploma holder in Interior Design and Display, Sanju started her career as English TGT. Always interested in writing, shetook to freelance writing to pursue her passion side by side. As a content specialist, She is actively producing and providing content in every possible niche.
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