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Birthing and Childcare Classes for Pregnant Women
12 December 2022 को अपडेट किया गया
एक बच्चे का आना आपकी ज़िन्दगी में खुशियों के साथ-साथ कुछ चुनौतियां भी लाता है - वो चुनौतियां जिनका अक्सर आपको पहले से कोई अनुभव नहीं होता. समाधान जाने दीजिये, कई बार तो यह भी पता नहीं होता कि कौन सी समस्या एक नए माता पिता के सामने आ सकती है. इसीलिए आजकल प्री-बर्थ या पेरेंटिंग क्लासेज़ बहुत ज़्यादा चलन में हैं. चलिए जानते हैं इनसे मिलने वाले 7 बेहतरीन फायदे-
जब डिलीवरी डेट नज़दीक होती है तब कई बार कॉन्ट्रैक्शंस होने से ऐसा महसूस होता है कि यही लेबर पेन है मगर ऐसा होता नहीं है. इस तरह की क्लासेज़ में ऐसे फाल्स अलार्म और असली लेबर पेन में फर्क करना सिखाया जाता है जो कि आम तौर पर थोड़ा मुश्किल होता है.
लेबर पेन के समय एक-एक मिनट भारी लगता है और हॉस्पिटल चाहे कितना भी पास क्यों न हो, पहुँचने तक हालत ख़राब हो जाती है. इसीलिए ये बेहद ज़रूरी है कि आप अपने आप को कंट्रोल में रखें और अपने बर्थ पार्टनर से सपोर्ट लें. इस तरह खुद पर कंट्रोल रखने की अलग-अलग टेक्निक्स भी प्री-बर्थ या पेरेंटिंग क्लासेज़ में सिखाई जाती हैं.
ये क्लासेज़ आपको नेचुरल या सिज़ेरियन, दोनों डिलीवरी के फायदे और नुकसान के बारे में डिटेल मे बताते हैं. यहाँ आपको बहुत सारे ऐसे योगा, एक्सर्साइज़ और फिजिकल एक्टिविटीज़ कराये जाते हैं जो नेचुरल बर्थ के लिए आपकी बॉडी को हेल्प करते हैं. साथ ही, ये आपको किसी लास्ट मिनट चेंज को एक्सेप्ट करने के लिए भी मानसिक रूप से तैयार करते हैं जो कई बार एमेर्जेंसी में जरुरी होता है.
आपकी ब्रीथिंग का आपके लेबर और डिलीवरी, दोनों ही समय बहुत जरूरी योगदान होता है जो कि काफी हद तक आपके पेन की हद तय करता है. इन क्लासेज़ में आपको ब्रीथिंग एक्सर्साइज़ के साथ रिलेक्सेशन के अलग-अलग तरीके भी सिखाए जाते हैं जो लेबर पेन की कठिनाई को कम करते हैं.
पैरेंट बनना दोनों के लिए ही एक नयी ज़िम्मेदारी है. कई बार हम ऊपरी तौर पर तो तैयार होते हैं मगर गहराई में कुछ कमियां रह जाती हैं जिनका हमें पहले से एहसाह भी नहीं होता. यहाँ के एक्सपर्ट्स हमें ऐसी बहुत सारी परिस्थितयों के बारे में बताते हैं और ग्रूमिंग कर के मानसिक रूप से तैयार करते हैं कि किस तरह हमें एक टीम के जैसे बेबी के आने पर होने वाले बदलाव और चुनौतियों को समझना है.
इन क्लासेज़ में पेरेंट्स को बेबी के रोज के रूटीन के बारे में भी गहराई से बताया जाता है जो आने वाले दिनों में आप और आपके पार्टनर, दोनों के बहुत काम आएगा. पहले से जानकारी होने पर आप ये सब काम बिना घबराये कर पाते हैं जैसे कि बेबी को कैसे नहलाना है, सुलाना है, दूध पिलाना है, बर्प दिलाना है या किस तरह उसे कोलिक पेन (पेट दर्द) से आराम दिलाना है.
नए पेरेंट्स के रूप में आप काफी समय तक बेबी के व्यवहार को पूरी तरह समझ नहीं पाते. बेबी के पास अपनी हर बात को कहने का एक ही तरीका है- रोना!! चाहे वो भूखा हो, पेन में हो या बोर महसूस कर रहा हो. इन क्लासेज़ में बेबी की ज़रूरतें और उन्हें समझने के टिप्स दोनों ही अच्छे से बताये जाते हैं.
प्री-बर्थ या पेरेंटिंग क्लासेज़ आप ग्रुप में ज्वाइन करते हैं जहाँ अपने जैसे और पेरेंट्स के साथ अनुभव साझा कर के आप अपना सफर आसान बना सकते हैं.
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Written by
Mittali Khurana
Mittali is a content writer by profession. She is a dynamic writer with 04+ years of experience in content writing for E-commerce, Parenting App & Websites, SEO.
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