


Hormones
4 April 2023 को अपडेट किया गया
हार्मोन महिला के सामान्य हेल्थ पर बहुत ज्यादा असर डालते हैं। कई लक्षणों से पता चल जाता है कि हार्मोन का संतुलन बिगड़ गया है। हार्मोनल असंतुलन को सही करने के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं।
शरीर हार्मोन्स को एक कैमिकल मैसेंजर की तरह इस्तेमाल करता है। ये कैमिकल एंडोक्राइन ग्लैंड्स (endocrine glands) से बनते हैं और पूरे शरीर के टिश्यू और ऑर्गन्स में जाते हैं। ये शरीर के सभी क्रिटिकल फंक्शन का हिस्से होते हैं, जैसे कि रिप्रोडक्शन और मेटाबॉलिज्म ।
जब भी आप हार्मोनल बदलाव या असंतुलन महसूस करते हैं, तो शरीर में या तो किसी हार्मोन की मात्रा बहुत ज्यााद बढ़ जाती है या बहुत ज्यादा कम हो जाती है। यहां तक कि बहुत छोटे से बदलाव भी आपके पूरे शरीर पर असर डाल सकते हैं।
हार्मोन महिला के सामान्य हेल्थ पर बहुत ज्यादा असर डालते हैं। अलग-अलग लक्षणों से पता चल जाता है कि शरीर में हार्मोन का संतुलन बिगड़ गया है। हार्मोनल बदलाव के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं क्योंकि ये इस पर निर्भर करता है कि हार्मोन काम कैसे कर रहे हैं।
महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के लक्षण के बारे में जानें
थकान होना और मसल्स में कमजोरी महसूस करना
वजन का बढ़ना और हार्ट रेट का कम होना
ब्रेस्ट (स्तन) में दर्द महसूस होना
बाल झड़ना
हड्डियों का कमजोर होना
त्वचा पर रैशेज या चकत्ते आना
ब्लड प्रेशर बढ़ना या कम होना
क्लिटोरिस clitoris का बढ़ना
प्यास लगना
आंखें (नजर) कमजोर होना
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
महिलाओं में सबसे ज्यादा पाए जाने वाला हार्मोनल असंतुलन को पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) के नाम से जाना जाता है, जो अनियमित मासिक धर्म (पीरियड्स) चक्र और एमेनोरिया के कारण होता है।
इनफर्टिलिटी :
पीसीओएस (PCOS) जैसी हार्मोनल समस्याएं इनफर्टिलिटी पैदा कर सकती हैं। इनफर्टिलिटी भी हार्मोनल इंबैलेंस होने का लक्षण हैं।
हार्मोन ह्यूमन कॉरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी): इस स्थिति में मां के ब्लड और यूरिन में, कुछ हार्मोन का लेवल पहले ही बहुत ज्यादा होता है। ज्यादा एचसीजी लेवल होने से व्यक्ति बेचैनी का सामना करता है और और बीमार हो जाता है।
एस्ट्रोजन: गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अपने साधारण जीवन की तुलना में ज्यादा एस्ट्रोजन पैदा करती हैं। पहली ट्रिमेस्टर में एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ने से कुछ महिलाओं को मिचली या उलटी आ सकती है। दूसरी ट्रिमेस्टर के दौरान मिल्क डक और स्तन में बदलाव देखे जा सकते हैं।
प्रोजेस्टेरोन : गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन का स्तर असाधारण रूप से अधिक होता है। यह गर्भाशय को एक पीयर-शेप्ड में विस्तारित करने में सहायता करता है जो एक पूरे बच्चे को धारण कर सकता है।
शादी के बाद महिलाओं में हार्मोनल बदलाव
शारीरिक संबंध से हार्मोन में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिसका प्रभाव शरीर पर भी पड़ सकता है। इसमें ये चीजें शामिल हैं:
· अनियमित चक्र (पीरियड साइकल)
· ब्रेस्ट में बदलाव
· त्वचा में बदलाव आना
मासिक धर्म के पहले दिन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का लेवल सबसे कम होता है। जब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर गिर जाता है (FSH) तो पिट्यूटरी ग्लैंड से हार्मोन का उत्पादन होता है। एफएसएच (FSH) फॉलिकल्स को बढ़ाने में मदद करता है।
एस्ट्रोजेन के लेवल के बढ़ने से ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) भी बढ़ता है, जो 12 से 14 दिनों के बीच फॉलिकल्स से एग्स बनाता है
अगर 28वें दिन तक अंडे को फर्टिलाइज नहीं किया जाता है, तो एस्ट्रोजन के लेवल में गिरावट आती रहती है और पहले वाली साइकल शुरू हो जाती है।
युवा अवस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण ओवरी एस्ट्रोजन पैदा करना शुरू कर देती है, जिससे ब्रेस्ट के टिश्यू में फैट जमा हो जाता है। बढ़े हुए फैट के कारण ब्रेस्ट का साइज बढ़ने लगता है, जो मिल्क डक को भी बढ़ावा देता है।
हालांकि मैनोपॉज के बाद, कम एस्ट्रोजन का उत्पादन होता है, जिसके ब्रेस्ट का साइज भी कम हो जाता है।
ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन और एंडोर्फिन जैसे कैमिकल्स यौन संबंध के बाद पैदा होने लगते हैं। ये हार्मोन तनाव को कम करने में मदद करते हैं। ऑर्गेज्म के दौरान बहुत सारा ऑक्सीटोसिन निकलता है।
महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के इलाज में ये चीजें शामिल हैं:
· बर्थ कंट्रोल पिल्स या हार्मोन थेरेपी) Birth control pills or hormone therapy - इन हार्मोन-कंट्रोल करने वाली दवाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन होते हैं, जो मासिक धर्म चक्र और संबंधित लक्षण को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। रिंग, टैबलेट, शॉट या इंट्रॉटेरिन डिवाइस जैसी चीजें बर्थ कंट्रोल (आईयूडी) करने के लिए उपलब्ध हैं।
· एंटी-एंड्रोजन दवाएं ( Anti-androgen drugs)- ये दवाएं एंड्रोजन हार्मोन को रोककर मुंहासे कम कर सकती हैं, बालों की ग्रोथ कम कर सकती हैं और बालों के झड़ना भी कम कर सकती हैं
हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी ( Hormonal replacement therapy) - ये दवाएं मैनोपॉज के लक्षण जैसे- हॉट फ्लैश का इलाज करती हैं
क्लोमीफीन के साथ लेट्रोज़ोल (Letrozole with clomiphene )- बेहतर ओव्यूलेशन के लिए, ये दवाएं आमतौर पर पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) या इनफर्टिलिटी वाली महिलाओं को दी जाती हैं
वैजिनल एस्ट्रोजन (Vaginal estrogen)- कोई भी महिला वैजिनल ड्राइनेस से राहत पाने के लिए सीधे वैजिनल टिश्यू पर एस्ट्रोजन वाली क्रीम लगा सकती है। वैजिनल ड्राइनेस को कम करने के लिए एस्ट्रोजन की गोलियां और रिंग भी उपलब्ध हैं।
असिस्टेड रिप्रॉडिक्टिव टेक्नोलॉजी (·Assisted reproductive technology ) - इन विट्रो फर्टिलाइजेशन जैसी टेक्नोलॉजी का उपयोग पीसीओएस के इलाज और गर्भवती होने के लिए किया जा सकता है।
हार्मोन कई जरूरी शारीरिक काम को नियंत्रित करते हैं और हार्मोनल असंतुलन से पैदा होने वाले लक्षण बहुत अलग हो सकते हैं।
हार्मोनल असंतुलन के लिए जल्द से जल्द इलाज की तलाश करना जरूरी है, क्योंकि इससे कई समस्याएं हो सकती हैं। हार्मोन असंतुलन के इलाज में एक जरूरी पहला कदम यह है कि जैसे ही आप अपने शरीर में किसी भी बदलाव को देखते हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें।

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Priyanka Verma
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