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    मातृत्व अवकाश कितने दिनों का मिलता है? 

    Pregnancy

    मातृत्व अवकाश कितने दिनों का मिलता है? 

    4 April 2023 को अपडेट किया गया

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    मातृत्व लाभ

    मां बनना हर महिला के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय है और इसलिए भारत सरकार द्वारा कामकाजी महिलाओं को मातृत्व अवकाश या मैटरनिटी लीव का विशेषाधिकार दिया गया है जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलीवरी के तुरंत बाद माँ और बच्चे की शुरुआती देखभाल में मदद मिल सके. इसके लिए सरकार द्वारा मैटरनिटी बेनीफिट् ऐक्ट लागू किया गया जिसके तहत प्रेग्नेंट माँ को 180 दिन की छुट्टी और कई तरह की अन्य सुविधाओं का प्रावधान है.

    अगर आप भी एक कामकाजी महिला हैं तो आइये आपको बताते हैं कि मातृत्व क्या है? और मातृत्व लाभ 2022 की गणना कैसे करें?

    मातृत्व लाभ अधिनियम 2017, राज्य सरकार द्वारा नोटिफाइड ऐसे सभी प्रतिष्ठानों, सरकारी संस्थानों या फिर प्राइवेट कंपनी जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं उन पर लागू होता है. ऐसी महिला कर्मचारी के गर्भवती होने की स्थिति को मातृत्व कहा जाता है और इस स्थिति में उस महिला को मिलने वाली सुविधाओं को मातृत्व लाभ या मैटरनिटी बेनीफिट कहा जाता है.

    वर्तमान नियमों के अनुसार प्रेग्नेंट फ़ीमेल एम्प्लौयी को उसके पहले दो बच्चों के जन्म पर कुल 26 हफ्ते या 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जाएगा जबकि तीसरे बच्चे का जन्म होने पर 12 हफ्ते का अवकाश दिया जाएगा. इस अवधि में महिला एम्प्लोयी को मैटरनिटी बेनीफिट लीव पे मिलती रहती है जिसका कैल्कूलेशन उसके पिछले 3 महीने के एवरेज डेली वेजेज़ के आधार पर किया जाता है.

    आइये अब आपको बताते हैं कि मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 कब लागू हुआ और इसमें बदलाव कब किया गया.

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    मातृत्व लाभ अधिनियम कब लागू किया गया?

    मातृत्व लाभ अधिनियम सबसे पहले 1961 में पारित हुआ था जिसे प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम1961 के नाम से भी जाना जाता था. सरकार ने 2017 में मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम पारित किया जिसके बाद कामकाजी महिलाओं को प्रेग्नेंसी में दी जाने वाली सुविधाओं का दायरा और बढ़ा दिया गया.

    अगर आप इस बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं तो आप इंटरनेट से आसानी से मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 pdf free download करके इसके सभी नियम और प्रावधानों की जानकारी ले सकते हैं.

    मातृत्व अवकाश अधिनियम, 1961 या मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 (in English) ने वाकई महिलाओं की मातृत्व और प्रसव के तुरंत बाद होने वाली मुश्किलों को दूर करने में बहुत मदद की है. मातृत्व लाभ अधिनियम यानि कि Maternity Benefits Act 2017 में अमेंडमेंट के बाद सरकार ने तीन माह से कम उम्र का बच्चा अडौप्ट करने वाली महिलाओं और सेरोगेसी के माध्यम से माँ बनने वाली महिलाओं को भी इन सुविधाओं का अधिकार दिया जो अपने आप में एक रेवोल्यूशनरी कदम था.

    मातृत्व लाभ अधिनियम के उद्देश्य

    • इस ऐक्ट का मुख्य उद्देश्य बच्चे के जन्म से पूर्व एवं डिलीवरी के बाद महिला वर्कर के रोजगार की रक्षा करना है.

    • 1961 में बनाए गए इस इस ऐक्ट में संशोधन किया गया क्योंकि डब्ल्यूएचओ के अलावा हेल्थ के फील्ड से जुड़े हुए कई सारे संगठनों का भी यह मानना था कि मां एवं बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए वर्किंग मदर्स को कम से कम 24 हफ्ते का मातृत्व अवकाश मिलना ज़रूरी है.

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    • इसका एक और उद्देश्य बच्चे के सर्वाइवल रेट में इंप्रूवमेंट लाना भी है जिसके लिए उसे कम से कम 24 से 26 हफ्ते तक ब्रेस्ट फीड कराना आवश्यक है.

    • अक्सर बहुत सी महिलाएं छुट्टियों के अभाव में, नौकरी छूटने और वेतन की सुरक्षा न होने के कारण काम पर लौटने को मजबूर हो जाती हैं जो उन के लिए और उनके शिशु की देखभाल में एक समस्या है.

    • इसका एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य महिलाओं के साथ वेतन संबंधी भेदभाव होने से रोकना भी है.

    मातृत्व अवकाश नियम

    • मैटरनिटी बेनीफिट्स के लिए पात्र महिला, भारत की नागरिक होनी चाहिए.

    • उस महिला का पिछले 12 माह में कम से कम 80 दिन तक उस प्रतिष्ठान या कंपनी में कर्मचारी के रूप में कार्य करना ज़रूरी है.

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    • मैटरनिटी लीव पे का भुगतान उसके औसत दैनिक वेतन के आधार पर होगा.

    • मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम के अंतर्गत महिलाओं को वर्क फ़्रौम होम की भी सुविधा दी गई है. हालांकि ये पूरी तरह से महिला के काम की प्रकृति पर आधारित है.

    • 2017 के मैटरनिटी बेनिफिट ऐक्ट में संशोधन (2017) के बाद गर्भवती महिलाओं को 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव दी जाएगी.

    • 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव में से आप अपनी डिलीवरी की ड्यू डेट से 8 हफ्ते पहले मैटरनिटी लीव पर जा सकती हैं.

    • इस दौरान सभी गेजेटेड हौलीडेज़, संडे और दूसरी गवर्नमेंट छुट्टियां भी मैटरनिटी लीव में शामिल होती हैं.

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    • 12 या 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव के दौरान महिला को वेतन मिलता रहेगा.

    • ऐक्ट में 2017 में किए गए संशोधन के बाद उन माताओं को भी 12 हफ्ते की पेड़ लीव देने का नियम बनाया गया जिन्होंने तीन माह या उससे छोटे शिशु को गोद लिया हो या जिन्हें सरोगेसी के जरिये बच्चा हुआ है.

    • जिस वक़्त से महिला को शिशु मिल जाता है उसी वक्त से इस मैटरनिटी पेड़ लीव का कैलकुलेशन किया जाता है.

    • मैटरनिटी बेनीफिट ऐक्ट के अनुसार ऐसी कोई भी कंपनी या प्रतिष्ठान जहां 50 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं वहाँ ऐसी माताओं के लिए कहीं आसपास क्रैश की व्यवस्था करनी होगी.

    • ऐक्ट के अनुसार ऐसी कामकाजी माँ दिन भर में चार बार तक क्रैश में जा कर अपने बच्चे को फीड करा सकती है.

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    अलग अलग राज्यों में मैटरनिटी बेनीफिट अमेंडमेंट ऐक्ट अपने मूल नियमों और प्रावधानों के साथ प्रयोग में है जैसे महाराष्ट्र में इसे मातृत्व लाभ कायदा 1961 मराठी में कहा जाता है जबकि मातृत्व अवकाश नियम छत्तीसगढ़ के अनुसार भी कामकाजी महिलाओं को गर्भावस्था और डिलीवरी के दिन से ही 180 दिन की मैटरनिटी लीव और पे बेनीफिट्स अन्य सुविधाओं के साथ दिये जाने का प्रावधान है.

    तो इस पोस्ट में आपको मैटरनिटी लीव की समय सीमा और उस से जुड़े नियमों और प्रावधानों के बारे में जानकारी दी गयी. आशा है ये पोस्ट आपको पसंद आई होगी और आप के सभी सवालों के जवाब मिले होंगे.

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    Written by

    Kavita Joshi

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