Arogyavardhini Vati Uses in Hindi | आरोग्यवर्धिनी वटी के क्या फ़ायदे होते हैं और इसे इस्तेमाल करने का सही तरीक़ा क्या होता है?
hamburgerIcon

Search for Ba

Orders

login

Profile

STORE
Skin CareHair CarePreg & MomsBaby CareDiapersMoreGet Mylo App

Get MYLO APP

Install Mylo app Now and unlock new features

💰 Extra 20% OFF on 1st purchase

🥗 Get Diet Chart for your little one

📈 Track your baby’s growth

👩‍⚕️ Get daily tips

OR

Cloth Diapers

Diaper Pants

This changing weather, protect your family with big discounts! Use code: FIRST10This changing weather, protect your family with big discounts! Use code: FIRST10
ADDED TO CART SUCCESSFULLY GO TO CART

Article Continues below advertisement

  • Home arrow
  • Ayurveda & Homepathy arrow
  • Arogyavardhini Vati Uses in Hindi | आरोग्यवर्धिनी वटी के क्या फ़ायदे होते हैं और इसे इस्तेमाल करने का सही तरीक़ा क्या होता है? arrow

In this Article

  • आरोग्यवर्धिनी वटी क्या है? (Arogyavardhini vati meaning in Hindi)
  • आरोग्यवर्धिनी वटी के फ़ायदे (Arogyavardhini vati benefits in Hindi)
  • 1. कील, मुँहासे और फुंसियां (Pimples, Pimples and Pimples)
  • 2. क़ब्ज़ (Constipation)
  • 3. मोटापा (Obesity)
  • 4. अपच (Indigestion)
  • 5. एनोरेक्सिया या भूख न लगना (Anorexia or loss of appetite)
  • 6. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS)
  • 6. एनीमिया (Anemia)
  • 7. क्रोनिक फीवर (chronic fever)
  • आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग कैसे करते हैं? (Arogyavardhini vati use in Hindi)
  • आरोग्यवर्धिनी वटी के इंग्रेडिएंट (Arogyavardhini Vati Ingredients in Hindi)
  • 1. शिलाजीत (Asphaltum)
  • 2. गुग्गुल (Guggul)
  • 3. हरीतकी (Haritaki)
  • 4. बिभीतकी (Bibhitaki)
  • 5. अमलाकी (Amalaki)
  • 6. नीम (Neem)
  • 7. कुटकी (Kutki)
  • 8. चित्रक (Chitrak)
  • 9. विदांगा (Vidanga)
  • 10. दारुहरिद्रा (Daruharidra)
  • 11. शुद्ध शिलाजीत (Shudh shilajit)
  • 12. ताम्र भस्म (Tamra bhasma)
  • 13. अभ्रक भस्म (Abhrak bhasma)
  • आरोग्यवर्धिनी वटी के साइड इफेक्ट्स (Precautions and side effects in Hindi)
  • प्रो टिप (Pro Tip)
  • रेफरेंस
  • Tags
Arogyavardhini Vati Uses in Hindi | आरोग्यवर्धिनी वटी के क्या फ़ायदे होते हैं और इसे इस्तेमाल करने का सही तरीक़ा क्या होता है?

Ayurveda & Homepathy

views icons3999

Arogyavardhini Vati Uses in Hindi | आरोग्यवर्धिनी वटी के क्या फ़ायदे होते हैं और इसे इस्तेमाल करने का सही तरीक़ा क्या होता है?

24 October 2023 को अपडेट किया गया

आयुर्वेद की कई लाभदायक औषधियों में से एक बेहद पॉपुलर दवा का नाम है- आरोग्यवर्धिनी वटी (arogyavardhini vati in Hindi), जो एक ऐसा आयुर्वेदिक कंपोज़िशन है जिससे ओवरऑल हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद मिलती है. जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है "आरोग्य" का अर्थ है अच्छा स्वास्थ्य और "वर्धिनी" का मतलब है सुधार करने वाली यानी कि एक ऐसी मेडिसिन जो स्वास्थ्य में सुधार करती है.

इस आर्टिकल में आपको बताएँगे इस के कई सारे (arogyavardhini vati benefits in Hindi) फ़ायदों के बारे में.

आरोग्यवर्धिनी वटी क्या है? (Arogyavardhini vati meaning in Hindi)

आरोग्यवर्धिनी शरीर में वात, पित्त और कफ से जुड़े दोषों को बैलेंस करने (arogyavardhini vati uses in Hindi) का काम करती है और इसलिए इसका उपयोग बहुत-सी हेल्थ कंडीशंस को ठीक करने के लिए किया जाता है; जैसे- डाइजेस्टिव सिस्टम से जुड़ी समस्याएँ, स्किन प्रॉब्लम्स, मेटाबोलिज्म को इंप्रूव करने के लिए, और ब्लड प्यूरिफिकेशन आदि.

Article continues below advertisment

आरोग्यवर्धिनी वटी के फ़ायदे (Arogyavardhini vati benefits in Hindi)

आरोग्यवर्धिनी वटी के कई प्रयोग (arogyavardhini vati use in Hindi) हैं; जैसे कि-

1. कील, मुँहासे और फुंसियां (Pimples, Pimples and Pimples)

आयुर्वेद के अनुसार जब शरीर में कफ़ बढ़ता है तो सीबम (sebum) का प्रोडक्शन बढ़ जाता है. इससे स्किन के पोर्स बंद हो जाते हैं और त्वचा पर वाइट और ब्लैक हेड्स (white and blackheads) बन जाते हैं. इसी तरह पित्त बढ़ने से पस वाले मुँहासे और फुंसियां उभर आती हैं. आरोग्यवर्धिनी वटी के सूजनरोधी (anti-inflammatory) गुणों से पित्त और कफ बैलेंस होता है जिससे मुँहासे और फुंसियों को ठीक करने में मदद करती है. इसके अलावा, यह बॉडी से टॉक्सिन्स (toxins) को साफ़ करती है जिससे ब्लड की शुद्धि (blood purification) होती है.

2. क़ब्ज़ (Constipation)

आयुर्वेद के अनुसार वात दोष के कारण क़ब्ज़ होता है. इसके अलावा जंक फूड, चाय-कॉफी का अधिक सेवन, देर रात तक उठना, स्ट्रेस और डिप्रेशन भी कुछ ऐसे कारण होते हैं जो वात को प्रभावित करते हैं जिससे क़ब्ज़ होने लगती है. आरोग्यवर्धिनी वटी वात को बैलेंस करती है और इसके लेक्सेटिव प्रभाव (laxative) के कारण क़ब्ज़ की प्रॉब्लम को दूर करने में मदद मिलती है.

3. मोटापा (Obesity)

ग़लत खान-पान और व्यायाम की कमी होने से इनडाइज़ेशन की समस्या होने लगती है जिससे कुछ समय के बाद अपच की समस्या हो जाती है जो आगे चलकर मोटापे को जन्म देती है. आरोग्यवर्धिनी वटी के दीपन (appetizer) और पाचक (digestive) गुण वज़न कम करने में मदद करते हैं. साथ ही, यह शरीर को डिटॉक्सिफाई (detoxify) करके वेस्ट प्रोडक्ट को हटाने में भी मदद करती है.

4. अपच (Indigestion)

शरीर में पित्त इम्बैलेंस के कारण अपच होने लगती है जिससे खाने का ठीक से न पचना, हमेशा पेट भरा महसूस होना, पेट फूलना और दर्द जैसी समस्याएँ होती हैं. खाया हुआ भोजन बिना पचे ही पेट में रह जाता है. लेकिन आरोग्यवर्धिनी वटी से अपच की समस्या को दूर करने में बेहद मदद मिलती है.

Article continues below advertisment

5. एनोरेक्सिया या भूख न लगना (Anorexia or loss of appetite)

अपच होने पर पेट में आँव बनने लगता है जिससे वात, पित्त और कफ तीनों का बैलेंस खराब हो जाता है. ऐसा होने पर पेट में गैस्ट्रिक जूस कम बनता है और खाना बिना पचे ही रह जाता है. इससे एनोरेक्सिया या भूख न लगने की समस्या शुरू हो जाती है लेकिन आरोग्यवर्धिनी वटी इस समस्या में भी असरदार रूप से मदद करती है और वात, पित्त, कफ को बैलेंस भूख बढाती है.

6. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS)

आई बी एस के मुख्य कारण हैं- दस्त, अपच और तनाव. अपच की समस्या से पेट में आँव बनता है जिसका अर्थ है म्यूकस (mucus). भोजन के न पचने पर बार-बार पोट्टी आती है जो कभी ढीली और कभी टाइट होती है जिसके साथ में म्यूकस भी निकलता है. आरोग्यवर्धिनी वटी आँव को ठीक करती है और पेट को रेगुलेट करती है.

6. एनीमिया (Anemia)

एनीमिया को आयुर्वेद में पांडु रोग भी कहते हैं जो पित्त इंबैलेंस के कारण होता है. एनीमिया रेड ब्लड सेल्स (red blood cells) की कमी के कारण होता है. कुपोषण (malnutrition), खराब खान-पान, कमज़ोर डाइज़ेशन और खून की कमी इसके अन्य कारण हैं. आरोग्यवर्धिनी वटी से पित्त को बैलेंस करके एनीमिया को ठीक करने में मदद मिलती है. साथ ही इससे भूख बढ़ती है और खाना ठीक से पचने लगता है.

7. क्रोनिक फीवर (chronic fever)

क्रोनिक फीवर यानी कि 10 से लेकर 14 दिन या उससे भी अधिक समय तक रहने वाला बुख़ार जो टॉक्सिन्स या किसी वायरस के कारण होता है. आरोग्यवर्धनी वटी इस बुख़ार को कम करने में मदद करती है. इसके प्रयोग से भूख बढ़ जाती है और खाना ठीक से पचने लगता है. शरीर से टॉक्सिन्स और वायरस बाहर निकल जाते हैं और इस तरह बुख़ार को कंट्रोल करने में मदद मिलती है.

इसके फ़ायदों को जानने के बाद (arogyavardhini vati ke fayde) आइये अब बात करते हैं इसके प्रयोग के सही तरीक़े के बारे में.

Article continues below advertisment

आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग कैसे करते हैं? (Arogyavardhini vati use in Hindi)

आरोग्यवर्धिनी वटी को आमतौर पर दिन में एक या दो बार, शहद, अदरक के रस, पानी या दूध के साथ 120 से 500 मिलीग्राम की मात्रा में भोजन से पहले या बाद में लिया जाता है. डॉक्टर की सलाह पर इसे 4 से 6 महीने तक लिया जा सकता है लेकिन अगर आप कोई एलोपैथिक मेडिसिन ले रहे हैं तो इस कंडीशन में इसके प्रयोग से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें. अगर आप दोनों मेडिसिन ले रहे हैं तो पहले एलोपैथिक मेडिसिन लें और उसके 30 मिनट बाद ही आयुर्वेदिक मेडिसिन लें. आयुर्वेदिक मेडिसिन को डॉक्टर की सलाह से होम्योपैथिक मेडिसिन और दुसरे हेल्थ सप्लीमेंट्स के साथ भी लिया जा सकता है.

आरोग्यवर्धिनी वटी के इंग्रेडिएंट (Arogyavardhini Vati Ingredients in Hindi)

आरोग्यवर्धिनी वटी के इंग्रेडिएंट इस प्रकार हैं;

1. शिलाजीत (Asphaltum)

शिलाजीत अपने कायाकल्प (rejuvenating) गुणों के लिए जाना जाता है जो ऊर्जा के स्तर (energy level) को बेहतर बनाता है और समग्र जीवनी शक्ति (overall vitality) को बढ़ाता है.

2. गुग्गुल (Guggul)

गुग्गुल एक गोंद जैसा अर्क (resin extract) है जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को ठीक रखता है (healthy cholesterol level) और वेट कम करने (weight management) में मददगार है.

3. हरीतकी (Haritaki)

हरीतकी एक नेचुरल डिटॉक्सिफायर है जो बॉडी से टॉक्सिन्स को हटाने में मदद करती है और डाइज़ेशन को इंप्रूव (healthy digestion) करती है.

Article continues below advertisment

4. बिभीतकी (Bibhitaki)

बिभीतकी अपने एंटी माइक्रोबायल (antimicrobial) गुणों के लिए प्रसिद्ध है और इम्यून सिस्टम (immune system) को मज़बूत बनाने में मदद करती है.

5. अमलाकी (Amalaki)

अमलाकी को इंडियन गूज़बेरी और आँवला भी कहते हैं जो विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट (antioxidants) से भरपूर होता है. ये इम्यून सिस्टम की मज़बूती में मदद करता है (immunity) और स्किन को हेल्दी (healthy skin) रखता है.

6. नीम (Neem)

नीम अपने स्ट्रांग एंटी बैक्टीरियल (antibacterial) और एंटीफंगल (antifungal) गुणों के कारण स्किन प्रॉब्लम्स के लिए फ़ायदेमंद है.

7. कुटकी (Kutki)

कुटकी एक कड़वी जड़ी बूटी है जो लिवर की हेल्थ को इंप्रूव करती है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने (detoxification) में सहायता करती है.

8. चित्रक (Chitrak)

चित्रक डाइज़ेशन (digestion) और मेटाबॉलिज्म में सुधार करता है और हेल्दी वेट बढ़ाता है.

Article continues below advertisment

9. विदांगा (Vidanga)

विदांगा आंतों के कीड़ों को खत्म करता है और पाचन को मज़बूत करता है.

10. दारुहरिद्रा (Daruharidra)

दारुहरिद्रा में सूजन घटाने वाले (anti-inflammatory) गुण होते हैं और यह लिवर फंक्शन को बूस्ट करता है.

11. शुद्ध शिलाजीत (Shudh shilajit)

शुद्ध शिलाजीत, शिलाजीत का शुद्ध रूप है जो जीवनी शक्ति (vitality) और सेक्शुअल हेल्थ (sexual health) को बेहतर बनाने में मदद करता है.

12. ताम्र भस्म (Tamra bhasma)

ताम्र भस्म एक ताँबे से बनाया गया मिनरल है जो डाइज़ेशन और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है.

13. अभ्रक भस्म (Abhrak bhasma)

अभ्रक भस्म भी एक आयुर्वेदिक मिनरल है जो इम्यूनिटी (immunity) को बढ़ाने में मदद करता है.

Article continues below advertisment

इसे भी पढ़ें : महिला और पुरुष दोनों को होते हैं दालचीनी से ये ज़बरदस्त फ़ायदे!

आरोग्यवर्धिनी वटी के साइड इफेक्ट्स (Precautions and side effects in Hindi)

आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन सामान्यतः सुरक्षित होता है, लेकिन आपको इसके मामूली साइड इफेक्ट्स के बारे में भी पता होना चाहिए.

  1. अधिक मात्रा में इस दवा के सेवन से पेट दर्द, पेट की परेशानी और गैस्ट्राइटिस हो सकती है.

  1. हालाँकि, यह वटी कई बीमारियों का बढ़िया इलाज करती है लेकिन कभी-कभी कुछ लोगों में मेटल के प्रयोग के कारण चक्कर आना, मुँह में छाले होना और ब्लीडिंग (bleeding) भी हो सकती है.

  1. किडनी या हार्ट प्रॉब्लम के पेशेंट को इसे नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे उनकी बीमारी बढ़ सकती है.

    Article continues below advertisment

  1. प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफ़ीडिंग कराने वाली महिलाएँ भी इसे ना लें.

प्रो टिप (Pro Tip)

किसी भी अन्य दवा की तरह बिना डॉक्टर की सलाह के आरोग्यवर्धिनी वटी का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए. साथ ही इसके सेवन के दौरान अगर किसी भी तरह की प्रॉब्लम लगे तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें.

रेफरेंस

1. Singh SK, Rajoria K. (2015).Ayurvedic management of life-threatening skin emergency erythroderma: A case study. Ayu.

2. Padhar BC, Dave AR, Goyal M. (2019). Clinical study of Arogyavardhini compound and lifestyle modification in management of metabolic syndrome: A double‑blind placebo controlled randomized clinical trial. Ayu.

Tags

Arogyavardhini vati benefits in English

Article continues below advertisment

Is this helpful?

thumbs_upYes

thumb_downNo

Written by

Kavita Uprety

Get baby's diet chart, and growth tips

Download Mylo today!
Download Mylo App

RECENTLY PUBLISHED ARTICLES

our most recent articles

foot top wavefoot down wave

AWARDS AND RECOGNITION

Awards

Mylo wins Forbes D2C Disruptor award

Awards

Mylo wins The Economic Times Promising Brands 2022

AS SEEN IN

Mylo Logo

Start Exploring

wavewave
About Us
Mylo_logo

At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:

  • Mylo Care: Effective and science-backed personal care and wellness solutions for a joyful you.
  • Mylo Baby: Science-backed, gentle and effective personal care & hygiene range for your little one.
  • Mylo Community: Trusted and empathetic community of 10mn+ parents and experts.