VIEW PRODUCTS
Article Continues below advertisement
Getting Pregnant
10 October 2023 को अपडेट किया गया
Medically Reviewed by
Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
View Profile
Article Continues below advertisement
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर (premature ovarian failure in hindi) एक ऐसी स्थिति है जब कम उम्र में ही एक महिला की ओवरीज़ सामान्य रूप से एस्ट्रोजन हार्मोन बनाना बंद करने लगती हैं या यह कह सकते हैं कि ओवरीज़ से रेगुलर एग्स की रिलीज़ बंद हो जाती है. इस स्थिति को प्राइमरी ओवेरियन इंसफिशिएंसी (Primary ovarian insufficiency) भी कहा जाता है और अधिकतर मामलों में यह इंफर्टिलिटी का कारण बनती है.
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर के लक्षण मेनोपॉज जैसे ही होते हैं; जैसे- इरेगुलर पीरियड्स या पीरियड्स फिर का रुक जाना. ऐसा प्रेग्नेंसी के बाद या बर्थ कण्ट्रोल पिल्स बंद करने के बाद भी हो सकता है और यह स्थिति कई सालों तक बनी रहती है. कोशिश करने के बाद भी प्रेग्नेंट ना हो पाना, शरीर का गर्म रहना और रात में बहुत ज़्यादा स्वेटिंग होना, वेजाइना में ड्राइनेस, चिड़चिड़ाहट और सेक्स ड्राइव में कमी इसके कुछ आम लक्षण हैं.
इसे भी पढ़ें : ओवरियन सिस्ट क्या है और इसके शुरुआती लक्षण क्या होते हैं?
अगर किसी की फैमिली हिस्ट्री में यह समस्या पहले से है तो उसे इसका खतरा बढ़ जाता है. कुछ रिसर्च के अनुसार इन जेनेटिक फ़ैक्टर्स का रिस्क अधिकतर सिंगल फैमिलीज़ में होता है और कुछ ख़ास जेनेटिक डिसऑर्डर भी इससे जुड़े होते हैं.
इस स्थिति में आपका इम्यून सिस्टम ही ओवेरियन टिश्यूज़ के खिलाफ एंटीबॉडी बना देता है. और फॉलिकल्स को नुकसान पहुँचाकर अंडों को डैमेज करने लगता है. ऐसा माना जाता है कि किसी वायरस के संपर्क में आने से ऐसा होता है. इसमें सबसे आम थायराइड (Thyroid), एड्रेनल (Adrenals) और पैंक्रियास (Pancreas) से जुड़े डिसऑर्डर हैं.
Article continues below advertisment
ऑन्कोलॉजिकल थेरेपी (Oncological Therapy) जैसे कीमोथेरेपी और रेडिएशन भी ओवेरियन फंक्शन पर प्रभाव डाल सकती हैं. हालाँकि, रेडिएशन और कीमोथेरेपी का प्रभाव रोगी की उम्र, थेरेपी के प्रकार और डोज़ के आधार पर अलग-अलग हो सकता है.
हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy) जैसी सर्जरी भी आपकी बॉडी में कई बदलाव लाती है. यूटरस को निकाल देने का ख़राब असर ओवरीज़ पर पड़ता है जिससे मेनोपॉज जैसी स्थिति बन सकती है. जिन महिलाओं की दोनों ओवरीज़ नेचुरल मेनोपॉज की उम्र से पहले ही हटा दी जाएँ उन्हें भी प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर का सामना करना पड़ता है.
कई रिसर्च के अनुसार लगातार या काफ़ी लंबे समय तक पोल्युटेड और टॉक्सिक वातावरण में रहने से भी प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर का सामना करना पड़ सकता है. उदाहरण के तौर पर, सिगरेट पीने वाली महिलाएँ, स्मोकिंग न करने वाली महिलाओं की तुलना में लगभग दो साल पहले ही मेनोपॉज की स्टेज तक पहुँच सकती हैं.
उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं की ओवरी कमज़ोर होने लगती हैं और फर्टिलिटी भी घट जाती है जिससे 30-35 की उम्र में भी धीरे-धीरे मेनोपॉज की स्थिति आ सकती है.
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर (premature ovarian failure in hindi) से जूझ रही महिलाओं में रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी समस्याएँ होना आम है; जैसे कि-
Article continues below advertisment
सामान्यतः महिलाओं को हर 24 से 38 दिनों में पीरियड्स आते हैं जो आमतौर पर लगभग 3 से 7 दिन तक चलते हैं. प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर वाली महिलाओं को वर्षों तक इरेगुलर पीरियड्स होते रहते हैं और कभी-कभी पीरियड्स पूरी तरह से बंद भी हो जाते हैं.
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर की स्थिति में महिला की ओवरीज़ 40 वर्ष की आयु से पहले ही एस्ट्रोजन हार्मोन बनाना कम या बंद कर देती है जिससे एग रिलीज़ बंद हो जाती है. एग की क्वालिटी और क्वांटिटी में कमी आने से फर्टिलिटी पर सीधा असर पड़ता है.
इसे भी पढ़ें : डोनर एग से कैसे होता है गर्भधारण?
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर वाली महिलाओं में मासिक के अनियमित या फिर समय से पहले बंद होने और ओवरीज़ के एस्ट्रोजन हार्मोन कम या ना बनाने के कारण प्रेग्नेंसी में रुकावट आने लगती है.
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर में 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं की ओवरीज़ के सामान्य फंक्शन में रुकावट आ जाती है जिसके अपने शारीरिक और साइक्लोजिकल प्रभाव पड़ते हैं; जैसे कि फर्टिलिटी पर असर और डिप्रेशन जैसी समस्याएँ, जिससे इंफर्टिलिटी का रिस्क बढ़ जाता है.
Article continues below advertisment
इसे भी पढ़ें : क्या 35 की उम्र के बाद भी हो सकता है गर्भधारण?
मेनोपॉज के बाद प्रेग्नेंसी नहीं हो सकती और यह अक्सर 50 वर्ष के अधिक उम्र की महिलाओं में होता है. लेकिन प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर में 40 वर्ष से कम उम्र की महिला में भी वही सिंपटम्स देखने को मिलते हैं, जो मेनोपॉज में होते हैं और इससे वह अर्ली मेनोपॉज (early menopause meaning in Hindi) की स्थिति में आ जाती हैं.
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर ((premature ovarian failure in hindi) की पहचान के लिए डॉक्टरी जाँच के अलावा कई तरह के टेस्ट करने ज़रूरी हैं.
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर की जाँच करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले फिज़िकल टेस्ट करते हैं जिसमें खासकर पेल्विक एरिया की जाँच की जाती है. पेशेंट की हेल्थ हिस्ट्री; जैसे कि पीरियड साइकिल, पिछली प्रेग्नेंसी और बर्थ कण्ट्रोल के आपके तरीक़ों के बारे में भी डिटेल में जानकारी ली जाती है.
डॉक्टर हॉर्मोन लेवल की जाँच करने के लिए ब्लड टेस्ट करते है; जैसे- फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH), एस्ट्राडियोल हार्मोन (estradiol) और वह हार्मोन जो ब्रेस्टमिल्क के प्रोडक्शन को बढ़ाता है. इसके अलावा थायराइड लेवल भी चेक किया जाता है.
Article continues below advertisment
डॉक्टर ओवरीज़ का ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड भी करवाते हैं. प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर वाली महिलाओं में आमतौर पर फॉलिकल्स की संख्या कम और ओवरीज़ छोटे साइज़ की होती हैं. टेस्ट में ऐसा दिखने पर डॉक्टर इसे गहराई से चेक करने के लिए कुछ और टेस्ट भी करवा सकते हैं.
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर की जाँच के लिए जेनेटिक टेस्टिंग भी की जाती है. इसके लिए रोगी के ब्लड और लार के सैंपल लिये जाते हैं. इसके बाद लैब में जीन के सीक्वेंस की जाँच के लिए DNA को प्रोसेस किया जाता है ताकि प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर के कारण का पता लगाया जा सके.
इन सभी टेस्ट के अलावा प्रीमैच्योर प्रेग्नेंसी टेस्ट और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की जाँच के लिए एंटीबॉडी टेस्ट भी किया जाता है. जरूरत पड़ने पर डॉक्टर कुछ और एडवांस टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते है.
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर का इलाज करने के कई तरीक़े होते हैं और यह पेशेंट की उम्र, लक्षण और प्रेग्नेंसी प्लान कर निर्भर करता है.
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी में आपके शरीर को वो हार्मोन दिये जाते हैं जो आपकी ओवरीज़ में नहीं बन रहे हैं. इस थेरेपी में एस्ट्रोजन या फिर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों दिये जाते हैं. इससे प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है और पीरियड्स रेगुलर होने लगते हैं. हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी को कई तरह से दिया जाता है; जैसे- पिल्स, क्रीम, जेल, पैच या वेजाइनल रिंग.
Article continues below advertisment
जिन महिलाओं में रेडिएशन या कीमोथेरेपी की वजह से प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर हो जाता है उनके इलाज के लिए इन विट्रो मैच्योरेशन (In vitro maturation) एक अच्छा तरीक़ा है. हालाँकि, यह तरीक़ा तभी अपनाया जाता है जब इलाज के लिए बहुत देर हो चुकी हो या कोई दूसरा इलाज कारगर न हो पाए.
इसे भी पढ़ें : भारत में IVF ट्रीटमेंट में कितना खर्चा होता है?
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर से जूझ रही महिलाओं को इमोशनल स्ट्रेस होना स्वाभाविक है. रिसर्च कहती हैं कि 10 में से लगभग 9 महिलाओं को अपने रोग के बारे में पता चलने पर एक इमोशनल शॉक लगता है. इस स्थिति में लाइफ पार्टनर, परिवार और दोस्तों का सपोर्ट बहुत काम आता है. साथ ही, प्रोफेशनल काउन्सलिंग से भी स्ट्रेस को कम करने में मदद मिलती है.
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर के कारण ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) का रिस्क बहुत बढ़ जाता है इसलिए ऐसी महिलाओं को हर दिन कम से कम 1,200 से 1,500 मिलीग्राम कैल्शियम और 1000 IU विटामिन D जरूर लेना चाहिए जिससे शरीर में कैल्शियम की कमी न हो. बीच-बीच में हड्डियों की जाँच के लिए बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट (Bone Mineral Density Test) भी करवाना चाहिए.
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर से जुड़े सिंपटम्स से निपटने के लिए अपनी जीवन शैली में बदलाव करें. मन को खुश रखने के लिए हल्की एक्सरसाइज या योग करें. कैफीन और अल्कोहल लेना बंद कर दें इससे बॉडी में जलन और पसीना कम आएगा. साथ में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी लें. सेक्स सम्बंधित प्रॉब्लम्स के लिए आप डॉक्टर की सलाह से टेस्टोस्टेरोन (testosterone) हॉर्मोन भी ले सकती हैं.
Article continues below advertisment
ओवरीज़ से जुड़े डिसऑर्डर और समय से पहले ओवेरियन फेलियर होना एक कॉम्प्लेक्स स्थिति है लेकिन ऐसा होने पर घबराएँ नहीं. समय पर मेडिकल ट्रीटमेंट और लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर आप इसे ठीक कर सकती हैं और इंफर्टिलिटी में बदलने से रोक सकती हैं.
1. Jankowska, K. (2017). Premature ovarian failure. Menopausal Review, 2, 51–56.
2. Sopiarz, N., & Sparzak, P. B. (2023). Primary Ovarian Insufficiency. PubMed; StatPearls Publishing.
Premature ovarian failure in English
Article continues below advertisment
Yes
No
Medically Reviewed by
Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
View Profile
Written by
Kavita Uprety
Get baby's diet chart, and growth tips
White Spot On The Nipple in Hindi| प्रेग्नेंसी के दौरान निप्पल पर क्यों होते हैं व्हाइट स्पॉट?
Pregnancy Medicine List in Hindi | प्रेग्नेंसी में कौन-सी मेडिसिन ले सकते हैं?
Is It Safe to Drink Milk During Pregnancy in Hindi | क्या प्रेग्नेंसी के दौरान दूध पीना सुरक्षित होता है?
Baby Vomiting After Feeding in Hindi | दूध पीने के बाद बेबी उल्टी कर देता है? जानें क्या हो सकते हैं कारण!
Poha During Pregnancy in Hindi | क्या प्रेग्नेंसी में पोहा खा सकते हैं?
Azoospermia Meaning in Hindi | पुरुषों से पिता बनने का सुख छीन सकता है एजुस्पर्मिया!
At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:
baby carrier | baby soap | baby wipes | stretch marks cream | baby cream | baby shampoo | baby massage oil | baby hair oil | stretch marks oil | baby body wash | baby powder | baby lotion |