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अक्सर हवा के साथ आने वाली धुंध से हमें साफ़ साफ़ देखने में दिक्कत आती है और कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत तक होने लगती है. लेकिन अब नयी रिसर्च यह भी कह रही हैं कि प्रदूषण के कारण छाने वाली यह धुंध आपके बच्चों के दिमाग के कमजोरी की वजह भी बन सकती है. कई रिसर्च में यह बात बार बार साबित हो रही है कि बढ़ता हुआ प्रदूषण बच्चों कि कोग्निटिव ऐबिलिटी को डैमेज कर सकता है.
बोस्टन यूनिवरसिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक सहायक प्रोफेसर, और उनके सहयोगियों ने 200 से अधिक बच्चों के ऊपर उनके जन्म से ले कर दस साल का होने तक एक रिसर्च किया. इस रिसर्च में उन्होंने पाया कि ब्लैक कार्बन के हाई लेवल के संपर्क में आने वाले बच्चे मेमोरी और वर्बल तथा नौन वर्बल आई क्यू के टेस्ट में बेहद कम स्कोर कर पाये.
ऐसी ही एक और रिसर्च जो कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेलमैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में कि गयी जिसमें न्यूयॉर्क शहर के कुछ बच्चों को उनके जन्म से पहले से लेकर 6 या 7 साल तक का होने तक स्टडी किया गया. इस रिसर्च में भी ये बात निकल कर आयी कि जो अर्बन ऐयर पोल्ल्युटेंट के हाई लेवल वाले वातावरण में थे उनमें अटेन्शन प्रोब्लंस के साथ साथ एंक्साइटी और डेप्रेशन जैसी समस्याओं का खतरा अधिक था.
भारत में की गयी कई सारी रिसर्च भी यह बताती हैं कि ऐयर पोल्यूशन का बढ़ता हुआ स्तर न फेफड़ों और हार्ट की बीमारियों का कारण बन जाता है बल्कि यह गंदी हवा हमारे दिमाग के लिए भी बेहद खराब है. दीवाली के आस-पास प्रदूषण के कारण होने वाले धुंधलापन ज्यादा देखने को मिलता है जिसे स्मौग कहा जाता है.
आइये जानते हैं किस तरह हमारे बच्चे इस प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं.
सबसे पहली बात तो यह कि इस प्रदूषण का असर बच्चों पर अधिक पड़ रहा है और आप यह भी कह सकते हैं कि बच्चे सांस के जरिए हवा नहीं बल्कि जहर अपने भीतर ले रहे हैं.
यह प्रदूषण गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी उतना ही जानलेवा होता जा रहा है.
पोल्युटेड ऐयर से बच्चे शारीरिक व मानसिक दोनों स्तर पर प्रभावित हो रहे हैं हालांकि लोग इसे केवल फिजिकल प्रौब्लंस से जोड़ कर ही देख पाते हैं और इसके दिमाग पर पड़ने वाले असर पर उनका ध्यान ही नहीं जा पाता.
यह खतरा इस स्टडी से भी कनफर्म होता है कि ऐयर पोल्यूशन में रहने वाले बच्चों का आई क्यू लेवल उन बच्चों से भी ज्यादा कमजोर था जिन बच्चों की मां दिन में 10 सिगरेट रोजाना पीती हैं. ऐसे बच्चों की वोकेबिलिरी और सीखने समझने की ऐबिलिटी भी औसत से बेहद कम पायी गयी.
ऐयर पोल्यूशन दिमागी सूजन व नुकसान का कारण भी बनता है.
ट्रैफिक पॉल्यूशन भी इसका एक बड़ा कारण है जिससे पैदा होने वाले बच्चों का आई क्यू (IQ) स्तर कम होने का बड़ा खतरा रहता है.
अन्य रिसर्च के मुताबिक ट्रैफिक पॉल्यूशन सेकिंड हैंड स्मोक की तरह काम करता है जो गर्भ में पल रहे भ्रूण की मानव कोशिकाओं को प्रभावित करता है जिससे आगे चलकर कई नई समस्यायें पैदा हो सकती हैं.
कैसे किया जाए इसका समाधान?
1.एयर प्योरिफाइयर्स – आपको कई अच्छे एयर प्योरिफाइयर्स मार्केट में मिल जाएँगे और आप अपने बजट और ज़रूरत के हिसाब से एयर प्योरिफाइयर्स ले कर अपने घर की हवा को शुद्ध रख सकते हैं.
2. फ़ेस मास्क – पॉल्यूशन से बचाने के लिए फ़ेस मास्क एक बहुत अच्छा तरीका है. लेकिन ध्यान रखें कि आप अच्छी क्वालिटी का मास्क लें जो पॉल्यूशन को रोकने के लिए कारगर हो और आपके नाक और मुंह को अच्छे से ढक सके.
3. पानी पिएँ – आप जितना ज़्यादा पानी पिएंगे, उतना ही आपको पॉल्यूशन से बचाव में मदद मिलेगी क्योंकि पानी से शरीर के अंदर के पोल्ल्युटेंट और नुकसानदायक पदार्थ काफी हद तक बाहर निकाल जाते हैं.
4. एयर फिल्टर – आपके आस पास की हवा से पोल्ल्युटेंट और जहरीले पार्टिकल्स को फ़िल्टर करके आपको साफ हवा देने का एक बढ़िया तरीका है एयर फिल्टर का इस्तेमाल. आप एक अच्छे एयर फिल्टर को चुन कर अपने घर में लगा सकते हैं.
5. अच्छी डाइट – आप अपनी इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए एक सेहतमंद और बैलेन्स्ड डाइट लें जिससे शरीर प्रदूषण से लड़ने के लिए तैयार रहेगा. इम्युनिटी बढ़ाने वाले कुछ अच्छी चीज़ें हैं अखरोट, बीन्स, तुलसी, हरी सब्जियाँ, अदरक, लहसुन, फल इत्यादि.
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Written by
Mylo Editor
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