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    Formula Milk Vs Cow Milk in Hindi | फॉर्मूला मिल्क या काऊ मिल्क: बेबी की ग्रोथ के लिए क्या है बेहतर?

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    Formula Milk Vs Cow Milk in Hindi | फॉर्मूला मिल्क या काऊ मिल्क: बेबी की ग्रोथ के लिए क्या है बेहतर?

    21 August 2023 को अपडेट किया गया

    अक्सर पेरेंट्स के लिए थोड़ा मुश्किल होता है कि वह अपने बेबी के लिए किस मिल्क को चुनें- फॉर्मूला या फिर काऊ मिल्क! अगर आप भी अपने बेबी के लिए सही मिल्क चुनने में कंफ्यूज़ हो रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है. इस आर्टिकल के ज़रिये हम आपको फॉर्मूला मिल्क और काऊ मिल्क (गाय के दूध) की न्यूट्रिशन वैल्यू के बारे में बताएँगे. इसके साथ ही हम आपको बताएँगे कि बेबी के लिए कौन-सा विकल्प बेहतर है.

    फॉर्मूला मिल्क क्या होता है? (Formula milk in Hindi)

    फॉर्मूला मिल्क (फॉर्मूला दूध) एक तरह का आर्टिफिशियल मिल्क पाउडर होता है. यह काऊ मिल्क, शुगर, विटामिन, फैट, कार्बोहाइड्रेट, और प्रोटीन को मिलाकर बनाया जाता है, जो कि बेबी की ग्रोथ के लिए ज़रूरी होते हैं. इसके अलावा, फार्मूला दूध आयरन, कैल्शियम और विटामिन डी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो गाय के दूध में पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं होते हैं. आप इसे पाउडर पर आधारित मिल्क भी कह सकते हैं. बाज़ार में यह पाउडर, लिक्विड कंसन्ट्रेट और रेडी-टू-यूज़ रूप में उपलब्ध है. आमतौर पर फॉर्मूला मिल्क बेबी को ब्रेस्ट मिल्क के विकल्प के तौर पर दिया जाता है.

    काऊ मिल्क क्या होता है? (Cow milk in Hindi)

    गाय से मिलने वाले दूध को काऊ मिल्क कहा जाता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन होते हैं. साथ ही इसमें 90 प्रतिशत पानी होता है, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है. हालाँकि, गाय के दूध में कैल्शियम और फास्फोरस जैसे प्रोटीन और मिनरल का अनुपात अधिक होता है, लेकिन वसा और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है.

    फॉर्मला मिल्क के फ़ायदे (Formula milk benefits in Hindi)

    फॉर्मूला मिल्क के कई फ़ायदे होते हैं, जैसे कि

    1. सुविधाजनक विकल्प (Convenient option)

    फॉर्मूला मिल्क उन माँओं के लिए एक सुविधाजनक विकल्प है, जो किसी कारण से अपने बच्चे को स्तनपान (ब्रेस्टफ़ीडिंग) नहीं करवा पाती हैं. फॉर्मूला मिल्क को बनाना बहुत ही आसान होता है. वर्किंग मॉम्स के लिए यह एक अच्छा विकल्प होता है. इसके अलावा, माँ के व्यस्त होने या उसकी गैरमौजूदगी में परिवार या जान-पहचान को कोई भी व्यक्ति बच्चे को फॉर्मूला मिल्क पिला सकता है.

    2. न्यूट्रिशन से भरपूर (Fortified with nutrients)

    फॉर्मूला दूध आयरन, कैल्शियम और विटामिन डी जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है. बच्चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए यह बहुत ही ज़रूरी है.

    3. बेबी के ब्रेन के लिए फ़ायदेमंद (Good for baby's brain)

    बाज़ार में ऐसे कई ऐसे फॉर्मूला मिल्क होते हैं, जिनमें पर्याप्त मात्रा में डीएचए (Docosahexaenoic acid) मौजूद होता है. यह बेबी के ब्रेन और फिजिकल डेवलपमेंट के लिए ज़रूरी होता है.

    4. एनीमिया से बचाए (Prevents anemia)

    फॉर्मूला मिल्क आयरन, कैल्शियम और विटामिन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इसलिए यह बच्चे को एनीमिया से बचाने में मदद करता है.

    फॉर्मूला मिल्क के नुक़सान (Disadvantage of formula milk in Hindi)

    फ़ायदों के साथ ही फॉर्मूला मिल्क के कई नुक़सान भी होते हैं; जैसे कि :-

    1. पाचन में परेशान (Slower digestion)

    ब्रेस्ट मिल्क की तुलना में फॉर्मूला मिल्क को पचाना मुश्किल होता है. इसके कारण बेबी को गैस और कब्ज़ की समस्या हो सकती है.

    2. खर्चा (Cost)

    फॉर्मूला मिल्क महंगा होता है. पाउडर मिल्क के साथ-साथ पेरेंट्स को दूध की बोतल और निप्पल पर भी खर्च करना होता है.

    3 एंटीबॉडीज की कमी (Lack of antibodies)

    जो एंटीबॉडी माँ के दूध में होते हैं, वो फॉर्मूला दूध में शामिल नहीं होते हैं. इसलिए यह बच्चे को बीमारियों से सुरक्षा नहीं दे सकता है.

    काऊ मिल्क के फ़ायदे (Benefits of cow milk in Hindi)

    काऊ मिल्क यानी कि गाय के दूध से बेबी को ये फ़ायदे होते हैं;

    1. नेचुरल सोर्स (Natural source)

    गाय का दूध एक नेचुरल सोर्स है. इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल होते हैं. बेबी की ग्रोथ के लिए यह ज़रूरी होते हैं.

    2. किफ़ायती (Economical)

    फॉर्मूला मिल्क की तुलना में काऊ मिल्क किफ़ायती होता है. साथ ही, यह फ्रेश भी होता है.

    3. हड्डियों को मज़बूत बनाए (Strengthen bones)

    गाय के दूध के नियमित सेवन से बच्चे को कैल्शियम की कमी नहीं होती है. हड्डियों के साथ ही काऊ मिल्क बच्चे की मांसपेशियों का विकास करने में भी सहायक है.

    4. ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाए (Improves blood circulation)

    गाय के दूध से बच्चे के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी अच्छा रहता है. इससे बच्चा हेल्दी रहता है.

    काऊ मिल्क के नुक़सान (Disadvantages of cow milk in Hindi)

    गाय के दूध से बच्च को जहाँ फ़ायदे होते हैं, वहीं इसके कुछ नुक़सान भी हैं; जैसे कि

    1. एलर्जी होना (Allergy)

    शुरुआती एक साल में अगर बच्चे को गाय का दूध पिलाया जाता है, तो कई तरह के साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं. इसमें बच्चे की त्वचा पर लाल रैशेज होना, पॉटी में ब्लड आना, उल्टी, पेट दर्द, गैस और डायरिया जैसे लक्षण शामिल हैं.

    2. एनीमिया का खतरा (Risk of anemia)

    गाय के दूध में आयरन और विटामिन डी जैसे आवश्यक पोषक तत्व नहीं होते हैं. यह बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं. इसलिए इसके कारण बच्चे को एनीमिया का खतरा रहता है.

    बेबी के लिए क्या है बेहतर - काऊ मिल्क या फॉर्मूला मिल्क? (Cow milk VS Formula milk in Hindi)

    बच्चे को काऊ मिल्क कब दे सकते हैं? यह एक ऐसा सवाल है जो अक्सर पेरेंट्स द्वारा पूछा जाता है. ध्यान रखें, एक साल से पहले बच्चे को गाय का दूध न दें. साथ ही, एक साल से पहले काऊ मिल्क को माँ के दूध या फॉर्मूला मिल्क के विकल्प के रूप में नहीं दिया जाना चाहिए. कुछ रिसर्च के अनुसार, एक साल से पहले बच्चे को काऊ मिल्क देने से नुक़सान हो सकते हैं. दरअसल, गाय के दूध में मिनरल और प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है, जिसका असर बच्चे की किडनी पर पड़ सकता है.

    शुरुआती एक साल में अगर माँ बच्चे को ठीक से ब्रेस्टफ़ीड नहीं करवा पाती है, तो ऐसी स्थिति में फॉर्मूला मिल्क को एक विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है. बच्चे के लिए ऐसा फॉर्मूला मिल्क चुनें जो उसकी पोषण संबंधित ज़रूरतों को पूरा करता हो. हालाँकि, अगर आप ऐसी जगह पर रहते हैं, जहाँ पर गाय का दूध (काऊ मिल्क) आसानी से मिल सकता है, तो आप इस विकल्प को चुन सकते हैं. लेकिन ध्यान रहें, बच्चे को काऊ मिल्क एक साल के बाद ही देना है. साथ ही, जब भी आप अपने बच्चे को काऊ मिल्क दें, तब उसे धीरे-धीरे और कम मात्रा में दें, ताकि बेबी को होने वाली एलर्जी का पता पहले ही लगाया जा सके.

    फॉर्मूला मिल्क और काऊ मिल्क दोनों के अपने फ़ायदे- नुक़सान है. आप अपनी बच्चे की ज़रूरत के अनुसार ही उसके लिए इन विकल्प को चयन करें. इस बारे में आप एक बार अपने डॉक्टर से भी परामर्श कर सकते हैं.

    प्रो टिप (Pro Tip)

    बच्चे की न्यूट्रिशन संबंधित ज़रूरत का ख़्याल रखना आपकी ज़िम्मेदारी है. ध्यान रखें, शुरुआती 6 महीनों तक बेबी को ब्रेस्टमिल्क ही दिया जाना चाहिए. अगर किसी कारण से बच्चे को स्तनपान (ब्रेस्टफ़ीडिंग) करवाने में परेशानी आती है, तो डॉक्टर की सलाह से फॉर्मूला मिल्क पर विचार किया जा सकता है. एक साल के बाद आप बच्चे की ज़रूरत के अनुसार फॉर्मूला मिल्क या काऊ मिल्क मे से किसी को भी चुन सकते हैं.

    रेफरेंस

    1. Udall JN Jr, Suskind RM. (1999). Cow's milk versus formula in older infants: consequences for human nutrition.

    2. Ziegler EE. (2007). Adverse effects of cow's milk in infants.

    3. Griebler U, Bruckmüller MU, Kien C, et al. (2016). Health effects of cow's milk consumption in infants up to 3 years of age: a systematic review and meta-analysis.

    4. Caroli M, Vania A, Tomaselli MA, Scotese I, et al. (2021). Breastfed and Formula-Fed Infants: Need of a Different Complementary Feeding Model?

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    Written by

    Jyoti Prajapati

    Jyoti is a Hindi Content Writer who knows how to grip the audience with her compelling words. With an experience of more

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