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    Ghee During Pregnancy in Hindi | क्या प्रेग्नेंसी में घी का सेवन करना सुरक्षित है?

    Diet & Nutrition

    Ghee During Pregnancy in Hindi | क्या प्रेग्नेंसी में घी का सेवन करना सुरक्षित है?

    8 August 2023 को अपडेट किया गया

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    हर भारतीय किचन में बतौर ट्रेडिशनल कुकिंग एजेंट घी का सेवन किया जाता है और घी और प्रेगनेंसी का गठजोड़, प्रेगनेंट महिलाओं के लिए एकदम सही कॉम्बिनेशन है। यह एक घरेलू स्टेपल है, और ज़्यादातर पेरेंट्स यही सलाह देते हैं कि पेट दर्द, खांसी और जुकाम जैसी कॉमन बीमारियों से लड़ने के लिए हमें एक चम्मच घी रोज़ाना खाना चाहिए। प्रेगनेंट महिलाओं को अक्सर घी खाने के लिए कहा जाता है, खासकर परिवार के बुजुर्ग ऐसा जरूर कहते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह डिलीवरी में मददगार होता है। हालाँकि, इसका कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है। साथ ही, कुछ लोगों का यह भी मानना ​​है कि प्रेगनेंसी के दौरान घी पीने से डाइज़ेशन में मदद मिलती है और इंटेस्टाइन भी रिलेक्स होता है।.

    घी भारतीय शब्द है, जिसका मतलब क्लैरिफाईड बटर होता है जो फैट का बहुत अच्छा सोर्स है। यह संस्कृत शब्द 'घृता' से आया है, जिसे स्प्रिंकल के नाम से भी जाना जाता है। यह कर्ड या दही में से मक्खन और पानी को अलग करके प्राप्त किया जाता है। इस प्रक्रिया को दही का मथना भी कहा जाता है। मलाई वाले दही से पानी को सुखाकर फैट को अलग़ किया जाता है और घी बनाया जाता है, जिसे गर्म करने पर लिक्विड घी बनाया जा सकता है। घी में मौजूद एलिमेंट्स में विटामिन A, D, E, और K, ओमेगा 6 और 9, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, ब्यूटिरिक एसिड और बीटा कैरोटीन शामिल हैं। आम आदमी के लिए घी के कॉमन फ़ायदे नीचे दिए गए हैं:

    • घी में ब्रेन फ्रेंडली फैट जैसे ओमेगा 3 और 6 का अच्छा रेश्यो होता है, जो नर्व और ब्रेन के लिए उपयुक्त होते हैं और मैमोरी बढ़ाते हैं।
    • यह फैट सेल्स को मोबिलाईज़ करने और उन्हें एक हद तक श्रिंक करने में भी मदद करता है क्योंकि इसमें ज़रूरी अमीनो एसिड जो होता है।
    • यह फ्री रेडिकल्स का बनना कम करके कैंसर को रोकता है।
    • पेट के एसिड के सेक्रेशन में मदद करके डाइज़ेशन को प्रमोट करता है ।
    • जो लोग लैक्टोज इन्टॉलरेंट होते हैं वह भी इसे टॉलरेट कर सकते हैं ।
    • यह भूख बढ़ा सकता है क्योंकि घी वजन घटाने में सहायक होता है।
    • यह हृदय रोगों के रिस्क को कम करता है क्योंकि इसमें ज़रूरी फैटी एसिड होता है।

    क्या प्रेगनेंसी के दौरान घी का सेवन करना सुरक्षित है?

    जब आप प्रेगनेंट हैं, तो हर रोज़ मॉडरेट अमाउंट में घी का सेवन करना सुरक्षित होता है। चूंकि घी को अन्य डेयरी प्रोडेक्ट के मुक़ाबले डाइजेस्ट करना आसान है और यह मेटाबोलिज़्म को स्टिम्युलेट्स भी करता है, पर अग़र आप ज़्यादा वजनी या मोटे हैं तो आप इसके सेवन को कंट्रोल कर सकते हैं। इसके अलावा, घी अक्सर मक्खन और तेल का एक बेहतर सब्सीट्यूट होता है क्योंकि यह हेल्दी फैट का सोर्स होता है। हालांकि, इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट करना अच्छा होता है।

    प्रेगनेंसी के दौरान आप कितना घी खा सकती हैं?

    प्रेगनेंसी के दौरान लगभग दो से तीन चम्मच घी खाया सकता है। डॉक्टर आपकी डाइट में प्रतिदिन छह बड़े चम्मच फैट रेकमंड करते हैं, जिसमें से आप 10 से 12% घी जैसे सैचुरेटेड फैट को शामिल कर सकते हैं।

    क्या आप प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में घी का सेवन कर सकती हैं?

    प्रेगनेंसी के दौरान शुरू से अंत तक घी का सेवन किया जा सकता है। हालांकि, अगर वजन को लेकर कोई कंसर्न है, तो इसके सेवन को लेकर आपको अलर्ट रहना चाहिए।

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    थर्ड ट्राइमेस्टर में घी का सेवन

    चूंकि घी में लैक्सटिव गुण होते हैं, इसलिए यह माना जाता है कि यह लेबर इंड्यूस करने में भी मददगार है। कहा जाता है कि थर्ड ट्राइमेस्टर के दौरान, घी के सेवन से बोवेल(आंत) में जलन होती है, जिससे यूट्रस का कॉन्ट्रेक्शन बढ़ जाता है, जिससे लेबर इंड्यूस होता है। यह भी माना जाता है कि घी वेजाइना को चिकना बनाता है और आसान लेबर में मदद करता है। हालाँकि, इसे साबित करने के लिए कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है। फिर भी, घी को फैट का एक हेल्दी सोर्स है जो आपको और बच्चे दोनों को फ़ायदा पहुँचाता है।

    प्रेगनेंसी के दौरान घी का सेवन करने के क्या फ़ायदे हैं?

    चूंकि घी में ओमेगा फैटी एसिड, एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल्स का कॉम्बिनेशन होता है, इसलिए यह प्रेगनेंसी के दौरान कई सारे फ़ायदे देता है। इनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:

    • घी डाइज़ेशन में सुधार करता है: चूंकि प्रेगनेंट महिलाएं खराब डाइज़ेशन से परेशान रहती हैं, इसलिए उन्हें घी रेकमेंड किया जाता है क्योंकि इसमें एंटी-वायरल गुण होते हैं। इसमें ब्यूटिरिक एसिड भी होता है, एक शॉर्ट-चेन फैटी एसिड जो इंटेस्टाइन, कोलन सेल्स और पूरे डाइज़ेशन हेल्थ में मददगार होता है। घी के कुछ चम्मच शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकाल सकते हैं और डाइज़ेशन और इम्युनिटी को बढ़ा सकते हैं।
    • स्ट्रेस से लड़ता है: कई नुट्रिशनिस्ट्स वजन घटाने के लिए डाइट में घी शामिल करने की सलाह देते हैं। यह हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने के लिए जरूरी है। चूंकि प्रेगनेंट महिलाओं को स्ट्रेस संबंधी कई दिक्क़तें होती हैं, इसलिए घी उनकी हेल्थ और इम्युनिटी के लिए फ़ायदेमंद होता है। चूंकि घी में विटामिन और ब्यूटिरेट होता है, इसलिए यह फ्री रेडिकल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से लड़ने में मदद करता है। यह आपके शरीर की सुस्ती भगाने में भी मदद करता है।
    • स्वाद बनाए रखता है और जंक फूड से बचने में मदद करता है: घी एक स्वादिष्ट और फैट का अच्छा स्रोत है और हर डिश के स्वाद और सुगंध को बढ़ाता है। प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला को प्रतिदिन लगभग 200-300 एक्स्ट्रा कैलोरी की ज़रूरत होती है। यह ज़रूरी कैलोरी उन्हें घी तड़का या चपाती के ऊपर लगाकर दी जा सकती है। प्रेगनेंसी के दौरान खाने में घी में बने ड्राई फ्रूट लड्डू उनकी फ़ूड क्रेविंग्स को सैटिस्फैक्शन देने और उन्हें नरिश करने के लिए दिए जाते हैं।
    • स्किन को हैल्दी बनाने में मददगार: चूंकि घी में मॉइस्चराइजिंग इफ़ेक्ट होता है, जो स्किन को हाइड्रेट करता है, इसलिए इस्तेमाल अक्सर आयुर्वेदिक मालिश पैक में कंपोनेंट के रूप में किया जाता है। इसमें हीलिंग के गुण भी होते हैं जो स्वैलिंग को ठीक कर देते हैं।
    • बच्चे के डेवलपमेंट में फायदेमंद: घी प्रेगनेंट महिलाओं के लिए विटामिन से भरपूर सुपरफूड है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड DHA होता है जो मैमोरी और कॉग्निटिव एबिलिटीज के लिए सूटेबल है। यह यूट्रस में बच्चे की प्रॉपर ग्रोथ और बच्चे के ब्रेन के डेवलपमेंट को बूस्ट करता है क्योंकि इसमें हेल्दी फैट होता है, और ह्यूमन ब्रेन फैट से बना होता है। यह हड्डियों के डेवलपमेंट में भी मददगार है क्योंकि इसमें विटामिन A, D और K होता है।
    • मेटाबोलिज़्म को बूस्ट करता है और डिलीवरी के बाद वजन घटाता है: घी प्रेगनेंसी के दौरान मेटाबोलिज़्म को बूस्ट करने और डिलीवरी के बाद एक्स्ट्रा फैट को कम करने में मदद करता है। फैट कम करने वाली डाइट में भी घी ज़रूरी है क्योंकि यह DHA और CLA से भरपूर होता है।
    • ओवरऑल इम्युनिटी को बूस्ट करने और ब्रेस्ट मिल्क के फ़्लो में मददगार है: घी आर्टरीज़ में एक्स्ट्रा कैल्शियम जमा होने से होने वाले ब्लॉकेज से बचाता है क्योंकि इसमें विटामिन K2 होता है। घी में पाया जाने वाला CLA खराब कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है और शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त, यह डाइज़ेशन में भी मदद करता है और सूजन के साथ-साथ ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी कम करता है। प्रेगनेंसी के कमजोर फेस के दौरान, यह इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है और प्रेगनेंसी को आसान बनाता है। प्रेगनेंसी के बाद मदर मिल्क के फ़्लो को बढ़ाने के लिए भी पंजीरी जैसे भोजन में घी मिलाया जाता है।
    • प्रेगनेंसी के स्ट्रेच मार्क्स कम करता है: प्रेगनेंसी के दौरान स्ट्रेच मार्क्स आना आम बात है क्योंकि बच्चे के लिए जगह बनाने के लिए स्किन तेजी से फैलती है। हालाँकि, जैसे-जैसे प्रेगनेंसी आगे बढ़ती है, पेट सबसे ज़्यादा स्ट्रेच होता है और हाथ,पैर और बटॉक्स तक स्ट्रेच हो सकते हैं। घी को इफेक्टिव एरिया पर धीरे-धीरे लगाना स्ट्रेच मार्क्स को दूर करने का एक घरेलू उपाय है।

    ऊपर दिए गए फ़ायदों का कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं हैं। हालांकि, बहुत से लोग इन पर विश्वास करते हैं।

    प्रेगनेंसी के दौरान घी का सेवन करने के क्या साइड इफेक्ट हैं?

    घी का सेवन करने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, क्योंकि घी नैचुरल होता है और इसमें आयुर्वेदिक गुण होते हैं। बच्चे के न्यूट्रिशन के लिए प्रेगनेंट महिलाओं को नार्मल डाइट से एक्स्ट्रा 300 कैलोरी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। हालांकि,हर चीज को मॉडरेट अमाउंट में खाना जरूरी है। बहुत ज़्यादा घी खाने से नीचे दी गई चीजें हो सकती हैं:

    • आप और आपके बच्चे का जरुरत से ज़्यादा वजन बढ़ना। प्रेगनेंसी के अंतिम कुछ हफ्तों में एक्स्ट्रा घी के खाने के साथ कम फ़िज़िकल एक्टिविटी नार्मल प्रेगनेंसी को भी मुश्किल बना सकता है।
    • अगर आप हाई कैलोरी वाली डाइट ले रहे हैं या अक्सर जंक फूड का सेवन करते हैं, तो यह मोटापे की वज़ह बन सकता है,जो आपके सांस फूलने का कारण बन सकता है।
    • डिलीवरी के बाद एक्स्ट्रा वजन कम करने में काफी मुश्किल हो सकती है।

    अपनी प्रेगनेंसी डाइट में घी कैसे शामिल करें?

    खाना बनाते समय इसे कच्चा या डिशेस में डाला जा सकता है। आप घी का इस्तेमाल ऐसे भी कर सकते हैं:

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    • आपके पराठे, चावल, रोटी या चपाती पर टॉपिंग के रूप में।
    • इसका इस्तेमाल स्वादिष्ट चावल या मिक्स वेजिटेबल करी तैयार करने के लिए किया जा सकता है।
    • लड्डू, खीर और भी बहुत सी मिठाइयां बनाएं ।
    • दूध के साथ भी ले सकते हैं।

    प्रेगनेंसी के 9वें महीने में घी खाने के फ़ेक्ट

    यह एक सच्चाई है कि प्रेगनेंसी के पूरे पीरियड के दौरान महिलाओं को हेल्दी, बैलेंस्ड डाइट लेना चाहिए। विशेष रूप से 9वें महीने के दौरान, प्रेगनेंट महिलाओं को ऐसे फ़ूड सब्स्टेंस खाने की सलाह दी जाती है जो कॉन्ट्रैक्शंस और आसान डिलीवरी में मदद करते हैं। प्रेगनेंसी के लास्ट फेस के दौरान घी खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें कॉन्स्टिपेशन को रोकने का गुण होता है और लेबर(प्रसव) में मदद करता है। हालाँकि, इसे साबित करने के लिए कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है, इसलिए इसे ठीक-ठाक अमाउंट में खाना चाहिए।

    आयुर्वेद में प्रेगनेंसी के लिए देसी घी का क्या महत्व है?

    आयुर्वेद में प्रेगनेंसी में ज़्यादा से ज़्यादा देसी घी का यूज़ करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह सर्दी और फ्लू जैसी बीमारियों से बचाता है। देसी घी गाय के दूध से मिलता है जिसमें हाई पर्सेंटेज विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट एजेंट होते हैं। इसके जबरदस्त हीलिंग इफ़ेक्ट के कारण, घी बहुत ज़्यादा वैलुएबल है।

    • घी एक नैचरल एजेंट है जो बच्चे के ब्रेन के डेवलपमेंट को प्रमोट करता है। इसे दूध के साथ एक चुटकी हल्दी और एक चम्मच शहद के साथ सेवन किया जा सकता है।
    • देसी घी डाइज़ेशन से जुड़े प्रॉब्लम्स को दूर कर सकता है।
    • प्रेगनेंसी के प्रॉसेस के दौरान, यह मां और बच्चे को नरिश करता है।

    कनक्लूजन

    हालांकि प्रेगनेंसी के दौरान घी खाने से एक्स्ट्रा वजन बढ़ने के अलावा कोई दूसरा अनजाना रिस्क नहीं है, लेकिन इसे मॉडरेट अमाउंट में ही खाने की सलाह दी जाती है। प्रेगनेंसी के दौरान बैलेंस्ड डाइट ज़रूरी है क्योंकि यह आपको और बच्चे को नरिश करता है। घी को भी उचित मात्रा में अपनी डाइट में शामिल किया जा सकता है क्योंकि यह ओमेगा फैट का एक अच्छा सोर्स है। हालांकि प्रेगनेंसी के दौरान घी के कई फ़ायदे हैं, लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है। प्रेगनेंसी के दौरान जब भी आप डाइट चेंज करने का प्लान बनाएं तो हमेशा डॉक्टरों की सलाह लेने की भी रिकमेन्डेशन की जाती है।

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    Written by

    Priyanka Verma

    Priyanka is an experienced editor & content writer with great attention to detail. Mother to an 11-year-old, she's a skilled writer and has written about many niches, in both English & Hindi. She has been playing with words for 13 years.

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