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    शिशु की देखभाल करते-करते, अपने आप को ना जायें भूल

    Parenting Tips

    शिशु की देखभाल करते-करते, अपने आप को ना जायें भूल

    12 December 2022 को अपडेट किया गया

    पहली बार माता या पिता बनने वाले दंपत्ति को शिशु की परवरिश को लेकर कई तरह की चिंताएं सताने लगती हैं. दरअसल अनुभव ना होने के चलते उनको मालूम ही नहीं होता है कि बच्चे की देखभाल कैसे करें. जैसे- शिशु को गोद में कैसे लें, कैसे उसे दूध पिलाएं, कैसे उसे नहलाएं, आदि. इसी दौरान माता-पिता को नए-नए अनुभवों से गुजरना पड़ता है, जिस वजह से कभी-कभी कुछ माता-पिता तनाव में चले जाते है. क्योंकि, अब उनकी जिंदगी पहले जैसी नहीं रहती है. ऐसे में इन टिप्स की मदद से न केवल आप अपने लिए पहले की तरह समय निकाल पाएंगें, बल्कि शिशु की भी बेहतर तरीके से देखभाल कर पाएंगें. इसके लिए ज़रूरत है तो बस सकारात्मक सोच और धैर्य की.

    • अन्य लोगों की सहायता लें
      अगर आपकी एकल फैमिली है, तो जाहिर सी बात है शिशु की जरूरत से संबंधित सारी जिम्मेदारियां आपको खुद ही उठानी पड़ेंगी. ऐसे में मानसिक और भावनात्मक शक्ति की आवश्यकता होती है. परंतु, यदि आप ज्वाइंट फैमिली में रहती हैं तो आपके पास शिशु की देखभाल करने के लिए सास-ससुर, ताऊ-ताई व आदि लोग होते हैं. ऐसे में आप इन लोगों की बेझिझक मदद ले सकती हैं. वैसे, आप अपनी शिशु की देखभाल के लिए नर्स या नैनी भी रख सकती हैं. जिससे आप अपने लिए कुछ वक्त निकाल पाएंगी.
    • घर के अन्य सदस्यों के साथ बेहतर तालमेल बनाएं
      शिशु की अच्छी परवरिश के लिए जरूरी है कि आप अपने घर के अन्य सदस्यों जैसे- माता-पिता, सास-सुसर, पति, आदि के साथ मजबूत समर्थन प्रणाली बनाएं. दरअसल, शिशु के जन्म के वक्त और उसके बचपन के दौरान हमेशा आपको किसी की आवश्यकता होगी. ऐसे में अगर आप कामकाजी हैं तो आपको अपने काम करने के घंटों का चयन भी काफी समझदारी के साथ करना होगा.
    • अपनी केयर करें
      ज्यादातर महिलाएं शिशु के जन्म के बाद अपनी देखभाल करना भूल जाती हैं, ऐसे में जरूरी है कि आप शिशु के साथ-साथ अपनी देखभाल के लिए भी पूरा वक्त निकालें. जैसे- रोज़ाना स्नान करें, हेल्दी डाइट खाएं, एक्सरसाइज करें और पर्याप्त नींद लें. इसके लिए आप अपने पति की मदद ले सकती हैं. यानि कि शिशु के कुछ कामों की जिम्मेदारी आप अपने पति के साथ साझा करें.
    • दोस्तों या रिश्तेदारों से अवश्य मिलें
      हां, ये जरूरी है कि आप अपने शिशु के लिए पर्याप्त समय निकालें. परंतु, इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप अपने दोस्तों या रिश्तेदारों के साथ न मिलें और घर पर ही अपने बच्चे के साथ बैठी रहें. ऐसे में बेहतर है कि जब भी वक्त मिलें, तो अपने शिशु के साथ बाहर घूमने अवश्य जाएं.
    • एक दूसरे का साथ
      वहीं, शिशु के जन्म के पहले से ही उससे संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त कर लें. ऐसे में आपको बच्चे के जन्म के बाद उसकी सभी जरूरतें समझने में आसानी होगी. ध्यान रखें, इन सभी चीजों के दौरान आप अपने पार्टनर को शामिल करना ना भूलें. एक दूसरे के साथ से आप हर मुश्किल स्थिति को भी आसानी से पार कर लेंगी.
    • ध्यान रखें
      हां, यह सच है कि किसी भी इंसान की देखभाल करना थोड़ा मुश्किल होता है. परंतु, याद रखें कि आपके माता-पिता ने भी आपके लिए ऐसा किया था. अगर फिर भी किसी तरह का चिंता है तो अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें. इसके लिए याद रखें, कि आपके लिए हर नया दिन कुछ नया सीखने का है. हालांकि समय के साथ आप बहुत कुछ सीख सकती हैं, लेकिन पैरेंटिंग की कला सीखने के साथ-साथ आप अपना ध्यान भी जरूर रखें क्योंकि आप ही अपने शिशु की रोल मॉडल हैं.

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    Written by

    Jyoti Prajapati

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