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     ब्रीच पोजीशन: गर्भ में बच्चा उल्टा हो तो, उसे सही पोजिशन में लाने के लिए क्या करें ?

    Pregnancy

    ब्रीच पोजीशन: गर्भ में बच्चा उल्टा हो तो, उसे सही पोजिशन में लाने के लिए क्या करें ?

    24 April 2024 को अपडेट किया गया

    गर्भ में शिशु अपनी पोजिशन बदलता रहता है और प्रसव के लिए शिशु की सबसे अच्छी पोजिशन वह होती है; जब उसका सिर नीचे और पैर ऊपर की तरफ़ होते हैं. लेकिन, तीन से पांच प्रतिशत मामलों में वह अच्छे से घूम नहीं पाता, जिससे उसका सिर ऊपर की तरफ़ रहता है. ऐसी स्थिति को ब्रीच पोजिशन कहते हैं. ऐसी स्थिति में शिशु का सिर अटकने की संभावना बढ़ जाती है और इससे बच्चे को ऑक्सीजन ना मिलने का चांस भी रहता है, जिस वजह से इस स्थिति में डॉक्टर गर्भवती महिला को सी-सेक्शन से डिलीवरी करने की सलाह देते हैं.

    ब्रीच पोजिशन के प्रकार

    बता दें, ब्रीच पोजिशन मुख्यतौर पर तीन तरह से हो सकती है-

    1. कंपलीट ब्रीच : इस पोजिशन में शिशु ऐसा नज़र आता है, जैसे कि वह गर्भ में बैठा हुआ हो क्योंकि इसमें शिशु के दोनों घुटने मुड़े होते हैं और उसके पैर व कूल्हा नीचे प्रसव नलिका के क़रीब होता है. 
    2. फ्रैंक ब्रीच : इस पोजिशन में शिशु का सिर व पैर ऊपर की तरफ़ और कूल्हा प्रसव नलिका के क़रीब होता है.
    3. फ़ुटलिंग ब्रीच : इस पोजिशन में शिशु गर्भ में अपने दोनों पैरों को क्रॉस करके बैठा होता है.

    ध्यान देने योग्य बात: इन तीनों पोजिशन में शिशु का सिर ऊपर की तरफ़ और कूल्हा प्रसव नलिका के क़रीब होता है.

    गर्भ में बच्चा उल्टा हो तो, उसे सही पोजिशन में लाने के लिए उपाय

    36 से 37वें सप्ताह तक अगर बच्चा सही पोजिशन में नहीं आता, तो एक्सटर्नल सेफालिक वर्शन तकनीक की मदद से बच्चे को सही स्थिति में लाने की कोशिश की जाती है. इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले डॉक्टर गर्भवती महिला को कुछ दवाइयां या इंजेक्शन देते हैं; जिससे गर्भाशय की मांसपेशियों को आराम मिलता है और इससे बच्चे को सही स्थिति में लाने की प्रक्रिया भी आसान होती है.

    इस प्रक्रिया में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के जरिए गर्भ में शिशु की पोजिशन को देखते हुए; गर्भवती महिला के पेट को हल्के से दबाते हुए शिशु को सही स्थिति में लाते हैं. हालाँकि, यह प्रक्रिया महिला के लिए थोड़ी पीड़ाजनक होती है और पचास फ़ीसदी मामलों में यह प्रक्रिया सफल होती है. विशेषतौर पर तब जब इस प्रक्रिया को गर्भावस्था के 35 से 37वें सप्ताह के भीतर किया जाए.

    ख़्याल रखें

    • अगर आपका पहला बच्चा सीजेरियन हो, तो एक्सटर्नल सेफालिक वर्शन तकनीक अपनाने की सलाह नहीं दी जाती.
    • बीपी के बढ़ने, रक्तस्राव या बच्चे के स्वस्थ ना होने पर, इसकी सलाह नहीं दी जाती.
    • प्रसव के वक्त किसी एक्सपर्ट डॉक्टर की मदद लें क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि बच्चे के सिर, हाथ और पांव को इस स्थिति में बाहर कैसे निकालना है.
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    Written by

    Parul Sachdeva

    A globetrotter and a blogger by passion, Parul loves writing content. She has done M.Phil. in Journalism and Mass Communication and worked for more than 25 clients across Globe with a 100% job success rate. She has been associated with websites pertaining to parenting, travel, food, health & fitness and has also created SEO rich content for a variety of topics.

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