Growth & Development
Written on 21 December 2018
जन्म से लेकर एक साल तक माता पिता को शिशु का विशेष ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि यह वो वह समय होता है जब शिशु अपने पैरों पर खड़े होना, पलटना और सामाजिक दुनिया से तालमेल बिठाने की कोशिश करता है. वहीं, जब शिशु अपने सिर को ऊपर उठाने में सक्षम हो जाता है तो इसके बाद वो पलटना सीखता है. यानी कि अब आपका शिशु पीठ के बल लेटे हुए पलटकर पेट के बल मुड़ सकता है. इस दौरान आपके शिशु की सिर और गर्दन की मांसपेशियां मज़बूत हो रही है और अब वो जल्द ही पलटना सीख जाएगा. इसके अलावा अब वो चलने फिरने के लिए भी बहुत मेहनत करता है. तीसरे महीने के अंत और चौथे महीने की शुरुआत होते ही यानी कि आपका शिशु छह या सात महीने की उम्र में पलटना शुरु कर देगा. इस वक्त तक उसकी गर्दन और बाजुओं की मांसपेशियां मजबूत हो चुकी होंगी और अब वो बिस्तर पर कभी पेट के बल या पीठ के बल घूमना शुरू कर देगा या अपना सिर उठाने लगेगा. ऐसे में शिशु को नियमित तौर पर एक करवट पर सुलाते रहना चाहिए ताकि उसका सिर गोल बना रहे. लेकिन इस दौरान आप अपने शिशु को ऊंची जगह जैसे- पलंग या सोफ़े पर कभी भी अकेला न छोड़ें. वहीं अगर आप बेड पर लिटाकर शिशु की लंगोट बदल रही हैं, तो अपने एक हाथ को हमेशा शिशु के ऊपर ही रखें.
नीचे बताए गए टिप्स को अपनाएं और अपने बच्चे के लिए पलटने की प्रक्रिया को आसान बनाएं;
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