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Written on 29 May 2019
लेबर पेन के नाम से ही अधिकतर महिलाओं के मन में डर बैठा होता है। खास तौर पर पहली बार माँ बनने वाली महिलाएं क्योंकि न तो उन्हें इसका कोई अनुभव होता है और न ही लेबर पेन के लक्षण पता होते हैं। लेकिन यह बात बिलकुल सच है कि प्रसव पीड़ा का अपने निश्चित समय पर प्राकृतिक रूप से शुरू हो जाना बेहद ज़रूरी है. पुराने जमाने में हमारी दादी-नानी लेबर पैन बढाने के उपाय के तौर पर कई घरेलू उपचारों का प्रयोग करती थीं, ताकि बच्चा आसानी से बाहर आ सके. आज मेडिकल साइंस की तरक्की के दौर में भी ये लेबर पेन लाने के उपाय उतने ही लोकप्रिय हैं. ऐसे ही कुछ तरीके तरीके आज इस लेख में हम बताएँगे.
लेबर पेन लाने के उपाय में पहला और बेहद सरल प्राकृतिक उपाय है खजूर का सेवन। रिसर्च बताती हैं कि प्रेग्नेंसी के अंतिम हफ्तों में नियमित रूप से खजूर खाने से सर्विक्स को प्रसव के लिए मैच्योर होने और फैलने में मदद मिलती है जिससे शरीर समय से प्रसव के लिए तैयार हो जाता है और सही वक़्त पर लेबर पेन शुरू हो जाते हैं।
क्या आप जानते हैं डिलीवरी की तारीख नजदीक आने पर एक अनुभवी ऐक्यूपंकचरिस्ट की मदद ले कर एक्यूपंचर द्वारा प्रसव पीड़ा शुरू करवाने में मदद मिल सकती है. हालांकि लेबर पेन लाने के उपाय के लिए एक्यूपंचर द्वारा की गई प्रसव पीड़ा कभी सफल होती है और कभी नहीं भी, लेकिन यह तरीका बच्चे और माँ के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है.
निप्पल को उत्तेजित करने पर ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन का स्राव होता है जो स्तनों से दूध बाहर निकलने की प्रोसैस और गर्भाशय में कौंट्रैकशन या संकुचन पैदा करता है ठीक उसी तरह जैसे प्रसव पीड़ा की शुरुवात होती है. एक स्वस्थ प्रेग्नेंसी में चालीस हफ्ते से ऊपर होने पर आप इसे हल्के हाथों से दिन में तीन बार आधे से एक घंटे तक कर सकती हैं. बहुत से लोग इसे एक बड़ा एफेक्टिव लेबर पैन बढाने का उपाय मानते हैं, हालांकि साइंस के द्वारा इस बात का कोई प्रूफ आज तक नहीं मिला है।
लेबर पेन जल्दी लाने के उपाय के तौर पर नियमित रूप से वॉक करना बेहद कारगर है।
वॉकिंग प्राकृतिक रूप से प्रसव पीड़ा प्रारंभ करने में मदद करती है क्योंकि इसके कारण आपके बच्चे को गर्भाशय से सर्विक्स की ओर आने में सहायता मिलती है.
लेबर पैन बढाने के दूसरे उपाय में अनानास का सेवन भी कारगर माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अनानास में पाया जाने वाला ब्रोमेलैन नामक एंजाइम प्रसव पीड़ा को उत्तेजित करने में सहायक होता है. यह गर्भाशय को नरम करता है और इसलिए चालीस महीने की प्रेग्नेंसी हो जाने के बाद आप ताज़े अनानास खाकर भी प्रसवपीड़ा शुरू करवा सकती हैं। लेकिन इस बात का खास ख्याल रखें कि इसे अधिक मात्रा में न खाएं क्योंकि इससे डायरिया होने का खतरा होता है।
प्रेग्नेंसी के बत्तीसवें सप्ताह के बाद रैस्पबेरी की पत्तियों की चाय पीने से गर्भाशय की मांसपेशियां प्रभावी रूप से उत्तेजित हो सकती हैं और शरीर को प्राकृतिक रूप से प्रसव में जाने के लिए मदद मिलती है। रैसस्पबेरी की पत्तियाँ प्राकृतिक टोनर के साथ साथ यूट्रस के लिए आयरन का भी अच्छा स्रोत हैं जो मां बनने वाली महिलाओं को एनीमिक होने से बचाता है.
ऐसा होने के पीछे बहुत से कारण हैं जो वैज्ञानिक रूप से सही लगते हैं और इसीलिए इसे लेबर पेन जल्दी लाने के उपाय की तरह प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए सेक्स प्लेजर के दौरान शरीर ऑक्सीटोसिन हॉरमोन प्रोड्यूस करता है जो वही हॉरमोन है जिससे गर्भाशय के संकुचन भी पैदा होते हैं। शायद यही कारण है कि कई महिलाओं ने यह अनुभव किया है कि अपने साथी से संबंध बनाने के बाद उनके गर्भाशय में कॉन्ट्रैक्शंस शुरू हो गयीं.
इसके पीछे एक और संभावित कारण हो सकता है. संभोग के पश्चात स्रावित होने वाले वीर्य में प्रोस्टाग्लैंडीन हॉरमोन होता है जो सर्विक्स को नरम करने में मदद करता है जिससे प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है। लेकिन एक बार वॉटर बैग अगर लीक होना शुरू हो जाये तो उसके बाद आपको सेक्स से पूरी तरह दूर रहना चाहिए।
कैस्टर ऑइल पेट साफ करता है तथा कुछ मामलों में यह प्रसव पीड़ा को भी उत्तेजित कर सकता है. डॉक्टर की सलाह से इसकी एक या दो औंस मात्रा को संतरे के रस में मिलाकर लेने पर आपका स्टूल पतला हो जाता है और प्रोस्टाग्लैंडीन रिलीज़ होता है जिसके कारण गर्भाशय में कॉन्ट्रैक्शंस आना शुरू हो जाते हैं.
लेबर पेन जल्दी लाने के उपाय में कुछ होम्योपैथिक दवाएं भी कारगर साबित हुई हैं। बहुत सी महिलाओं ने पल्सेटिला और कौलोफाइलम जैसी होम्योपैथिक दवाईयां का उपयोग किया और पाया कि इससे लेबर पेन शुरू करने में वाकई सहायता मिलती है. लेकिन इन्हें किसी अच्छे होम्योपैथ के मार्गदर्शन में ही लेना चाहिए।
गरम पानी से नहायें क्योंकि यह भी आपके लिए लेबर पैन बढाने के उपाय की तरह काम कर सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गरम पानी में शरीर को डुबाने से मसल्स को आराम मिलता है और शारीरक और मानसिक तनाव दूर होता है। कई बात आपका तनाव और एंग्ज़ाइटी ही लेबर पेन के समय से शुरू न होने या न बढ्ने का कारण बन जाते हैं इसलिए मालिश और स्नान दोनों ही ऐसे मामलों में फायदेमंद हैं।
यह ध्यान रखें कि यह पानी बहुत ज़्यादा गरम न हो क्योंकि वह शिशु के लिए ठीक नहीं होगा. नहाने के इस पानी में लैवेंडर तेल की 1-2 बूंदे भी डाल सकते हैं.
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