Growth & Development
Written on 21 December 2018
आपका बच्चा पैदा होते ही बोल नहीं पाता है, लेकिन वह बातूनी होता है. वह आपके चेहरे के भावों की नकल करने की कोशिश करता है. जिसका मतलब है कि वह आपसे बात करने की कोशिश कर रहा है. वहीं, अगर आप अपने बच्चे की तरफ अपनी जीभ को बाहर करके मुंह खोले और बंद करें. तो आपको देखकर शायद वह भी यह करने की कोशिश करेगा. अगर वह आपकी नकल ना भी करें, तो भी उसे आपका अटेंशन पसंद आएगा.
बच्चे की इंद्रियों के विकास में कैसे करें मदद
आप रोज़मर्रा के कामों से अपने बच्चे की इंद्रियों को आसानी से विकसित कर सकती हैं. इन गतिविधियों में दूध पिलाना, डायपर बदलना, बच्चे की मालिश करना और उसे सुलाना जैसी चीज़ें शामिल हैं.
• जब बच्चा अपने झूले या मैट पर लेटा हो तो उसे अलग-अलग तरह की चीज़ें दिखाएं. उसे घर के अलग-अलग हिस्सों में लिटाएं, ताकि उसे हर रोज़ नई चीज़ें देखने को मिले.
• अपने बच्चे को दिन में कम से कम 3 बार पेट के बल लिटाएं. धीरे-धीरे आप टमी टाइम को बढ़ा सकती हैं, जब तक कि बच्चा एक घंटे तक पेट के बल ना खेलें. जब वह शारीरिक रूप से एक्टिव हो जाए तो ध्यान रखें कि उसे रोल करने और घूटने के बल चलने के लिए सुरक्षित जगह मिले. जिससे उसे चोट ना लगे.
• आप जो भी कर रही हैं (जैसे सीढ़ियां चढ़ना, खाना बनाना), उस बारे में अपने बच्चे को बताती रहें. अगर आपको लगे कि वह किसी बात में रुचि ले रहा है तो उससे इस बारे में और बात करें. अगर बच्चा रुचि लेकर काम करेगा तो वह जल्दी सीख पाएगा.
• जब आप बच्चे का डायपर बदल रही हैं तो उसे इस बारे में बताएं. उसे गीले वाइप्स, साफ डायपर दें, ताकि वह छूकर उनके टेक्स्चर को महसूस कर सके.
• जब आप अपने बच्चे की मालिश कर रही हो तो उसके लिए गाना गाए या कोई गाना बजा दें. अगर मालिश के बाद बच्चे को सुलाना है तो आप लोरी गा सकती हैं. वहीं, अगर नहलाने से पहले मालिश कर रही हैं तो नर्सरी की कविताएं बजा सकती हैं.
• बच्चे को नहलाते वक्त उसे तैरने और डूबने, ठंडा और गर्म, गीला और सूखे के बारे में समझाएं. उन्हें पानी को अलग-अलग चीज़ों जैसे कप, बोतल में दिखाएं, ताकि वह इसमें रुचि लेकर इसे समझने की कोशिश कर सके.
• जब आप बच्चे को दूध पिला रही हो, तब उसकी पीठ को प्यार से सहलाएं और उससे आई कॉन्टेक्ट करें. इससे आप दोनों के बीच भावनात्मक रिश्ता मज़बूत होगा. जब बच्चा सॉलिड खाना खाने लगे तो उसे इनके अलग-अलग टेक्स्चर और टेस्ट के बारे में बताएं. उसे अपने हाथों और मुंह में लेकर से इसे महसूस करने दें. इससे भले ही थोड़ी गदंगी फैलेगी, लेकिन बच्चा रुचि के साथ यह सीखेगा.
• अपने बच्चे को अलग-अलग तरीकों से खिलौने को हिलाना, मारना, तोड़ना-मोड़ना और थपथपाना सिखाएं. इससे उसे खिलौनों को समझने में मदद मिलेगी. जब वह अपने पहुंच में रखे खिलौने को मेहनत से उठाए या किसी नए खिलौने को चलाना सीखे तो अपनी खुशी ज़ाहिर करें. इससे बच्चे का कॉन्फिडेंस बढ़ेगा.
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