Male Infertility
Written on 30 March 2019
आज की इस बदलती व भागदौड़ वाली जीवनशैली की वजह से पुरुष की सेक्स लाइफ़ पर नकारात्मक असर पड़ता है या उसके प्राइवेट पार्ट का पूर्ण रूप से उत्थान ना होने की वजह से वह स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाने से कतराने लगता है. जिस वजह से उसे ज़िंदगी नीरस लगने लगती है. ऐसे में इस लेख में ऐसे योगासन के बारें में बताया गया है, जिसकी मदद से पुरुष नपुंसकता जैसी समस्या से आसानी से निजात पा सकता है.
पश्चिमोत्तानासन
सबसे पहले आप जमीन पर बैठते हुए, अपने दोनों को सामने की तरफ़ फ़ैलायें. इसके बाद, पीठ को हल्का छोड़े और फिर साँस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर की तरफ़ लेकर जायें. इसके बाद, साँस छोड़ते हुए आगे की तरफ़ झुकें. इसमें आपको अपने पैरों की उंगलियों को पकड़ते हुए अपनी नाक को घुटने से सटाने की कोशिश करनी चाहिए. इस दौरान, आपको साँस को धीरे-धीरे लेना व छोड़ना चाहिए. रोज़ाना इसका नियमित रूप से अभ्यास करें.
बद्धकोणासन
इस आसन में आप अपने पैरों को स्ट्रैच करते हुए सीधा बैठें. अब धीरे से साँस लेते हुए, आपको अपने घुटनों को इस तरह से मोड़ना चाहिए कि आपकी एड़ी पेल्विक मसल्स की तरफ हो. इस वक्त आप अपनी एड़ियों को पेल्विस के पास जितना ला सकते है लायें और फिर अपने हाथ के अंगूठे और पहली अंगुली का उपयोग करते हुए पैर के अंगूठे को पकड़ें. ध्यान रखें, इस वक्त अपनी कमर और कंधे को सीधा रखें और अपने जांघ की हड्डियों को जमीन से छूने की कोशिश करें. इस स्थिति में 1-5 मिनट तक रहें. फिर धीरे-धीरे से साँस लेते हुए अपने घुटने को उठाते हुए पैरों को फैलायें.
उत्तानासन
समतल जगह पर पैरों में थोड़ी दूरी रखते हुए खड़े हो जायें और फिर कंधों को एकदम सीधा रखें. फिर अपने पैरों के पंजे पर अपना वजन नियंत्रण रखते हुए शक्तिशाली तरीके से खड़े रहें. अब आप साँस लेते हुए, नीचे की तरफ़ झुक जायें. आप ऐसी मुद्रा में झुकें कि आपकी छाती आपके घुटने को ना छू पायें. इस आसन से सामान्य स्थिति में आने के लिए अपने हाथों को अपने नितम्ब पर रखकर सहारा दे और फिर साँस लेते हुए पहले की स्थिति में आ जायें.
धनुरासन
ज़मीन पर पेट के बल लेटते हुए, पैरों में नितंब जितना फासला रखें और फिर दोनों हाथ शरीर के दोनों ओर सीधे रखें. अब धीरे से घुटनों को मोड़ते हुए अपनी कमर के पास रखें और फिर घुटिका को हाथों से पकड़ें. इसके बाद, साँस भरते हुए छाती को ज़मीन से उपर उठायें और फिर पैरों को कमर की तरफ़ खींचे. इस आसन में स्थिर रहने के साथ अपनी श्वासोश्वास पर ध्यान रखें. आपकी जितनी क्षमता हो आप उसी के अनुसार करें व 15-20 सेकेन्ड बाद, श्वास छोड़ते हुए अपनी छाती व पैरों को ज़मीन पर नीचे-नीचे से धीरे लायें.
जानुशीर्षासन
इस आसन में अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए, अपने पैरों को सामने की ओर सीधे फैलायें. फिर अपने बाएं घुटने को मोड़ते हुए, अपने बाएँ पैर के तलवे को दाहिनी जांघ के पास रखें. ध्यान रखें, बायां घुटना ज़मीन पर ही रहें. इसके बाद, धीरे से साँस भरते हुए दोनों हाथों को सिर से ऊपर उठाएं, खींचें और कमर को दाहिनी तरफ घुमा लें. इसके बाद, धीरे से साँस को छोड़ते हुए कूल्हों के जोड़ से आगे झुकें और रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए अपनी ठुड्डी को पंजों की तरफ़ बढ़ायें. अगर मुमकिन हो तो अपने पैरों के अंगूठों को पकड़ते हुए, कोहनी को जमीन पर लगाएं और अंगुलियों को खींचते हुए आगे की तरफ़ बढ़ें. फिर पहले साँस रोकें, साँस भरें और फिर सांस छोड़ते हुए ऊपर उठें. इसके बाद, हाथों को बगल से नीचे लेकर आयें. अब इस आसन की पूरी प्रक्रिया को अपने दाएं पैर के साथ दोहराएं.
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