Teething
Written on 21 December 2018
बच्चों में दूध के दांत निकलना जहां माता-पिता के लिए खुशी के पल होते हैं वहीं ऐसे समय में बच्चों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर बच्चों के दूध के दांत 6 से 8 महीनों में निकलने लगते हैं। दांत निकलने के दौरान बच्चों को काफी दर्द होता है जिसके कारण वो दिनभर रोते रहते हैं और चिड़चिड़े हो जाते हैं। ऐसे समय में बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है ताकि उन्हें दर्द में राहत दिलाई जा सके और इंफेक्शन से बचाया जा सके। इस दौरान दर्द के अलावा भी बच्चों को कई परेशानियां होती हैं जिनके बारे में आपको पहले से पता होना चाहिए।
मसूड़ों में आ जाती है सूजन
दांत निकलने की प्रक्रिया आमतौर पर 6 से 8 महीने में शुरू हो जाती है। पहले-पहल निकले दांतों को ही हम दूध के दांत कहते हैं। दांत निकलने के दौरान बच्चों के मसूड़ों में सूजन आ जाती है और कई बार तो मसूड़े लाल हो जाते हैं। इसी कारण बच्चों को दर्द होता है और वे रोते हैं।
बुखार आ सकता है
दांत निकलने की प्रक्रिया के दौरान बच्चों में बुखार एक आम समस्या है। अगर बच्चे के दांत निकल रहे हैं और उसे बुखार आ जाता है तो घबराएं नहीं बल्कि चिकित्सक से सलाह लें। आमतौर पर पैरासीटामाल से ये बुखार ठीक हो जाता है लेकिन चिकित्सक की सलाह के बिना कोई भी दवा बच्चों को न दें।
भूख कम लगती है
दांत निकलने के समय बच्चों को भूख कम लगती है इसलिए वे दूध पीते समय रोते रहते हैं और शांत नहीं होते हैं। ऐसे में बच्चों को जबरदस्ती दूध न पिलाएं नहीं तो उन्हें अपच या कब्ज हो सकती है और बच्चे उल्टी कर सकते हैं। अगर बच्चा 6 महीने से ज्यादा का है तो उसे दूध के अलावा भी कुछ तरल पदार्थ या खाने की बहुत मुलायम चीज दे सकते हैं।
डायरिया हो सकता है
दांत निकलने के समय दर्द के कारण बच्चे आसपास की चीजों को उठाकर मुंह में भरने लगते हैं इसलिए इंफेक्शन के कारण कई बार उन्हें डायरिया भी हो जाता है। इससे बचाव के लिए बच्चों को साफ जगह पर रखें और उसके आसपास की चीजों को भी अच्छी तरह साफ कर दें। इसके अलावा जब बच्चा कोई चीज मुंह में भरे तो उसे गाजर या कोई भी कड़ा फल दे सकते हैं जिसे वो मसूड़ों से काट न पाए।
चिड़चिड़े हो जाते हैं बच्चे
दांत निकलने के दौरान बच्चे लगातार दर्द के कारण चिड़चिड़े हो जाते हैं और दिनभर रोते रहते हैं। इसके कारण कई बार बच्चे रात में सोते-सोते उठ जाते हैं जिससे आपकी परेशानी बढ़ जाती है। चिड़चिड़ेपन के कारण बच्चों में आंख मसलना, बालों को खींचना, खरोंच मारना और चीजों को मुंह में भरना आदि कई लक्षण देखे जा सकते हैं।
बच्चों की करें मालिश
बच्चों को शांत करने के लिए उनके पैरों को मालिश करना आसान उपाय है। पैरों में मालिश करने से बच्चों को अच्छा लगता है जिससे उन्हें दर्द का एहसास कम होता है और वे जल्दी ही शांत हो जाते हैं। मालिश से उन्हें नींद भी आने लगती है और वे सो जाते हैं।
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