Scans & Tests
Written on 4 January 2019
गर्भावस्था के वक्त माँ और शिशु दोनों स्वस्थ रहें. इसके लिए कई तरह की जांच की जाती हैं और उन्हीं में से एक है यूरीन टेस्ट. इन टेस्ट के द्वारा डॉक्टर्स उन संकेतों को पहचानने की कोशिश करते हैं जो आगे चलकर आपके लिए कई तरह की बीमारियाँ पैदा कर सकते है और यह आपके व आपके शिशु के लिए जोखिम भरी हो सकती हैं और यही वजह है कि डॉक्टर आपको यूरीन टेस्ट करवाने और हर अपॉइमेंट के दौरान उसकी रिपोर्ट दिखाने के लिए कहते हैं.
सामान्यतः यह पहले प्रीनेटल चेकअप के दौरान करवाया जाता है और इसके बाद ज़रूरत पड़ने पर समय-समय पर होने वाले चैकअप्स के दौरान भी करवाया जा सकता है.
इससे यूरीन में मौजूद प्रोटीन, नाइट्राइट और शुगर लेवल के आधार पर कई तरह की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. आगे बताई गयी कुछ ऐसी ही बीमारियां हैं जिन्हें गर्भावस्था के दौरान यूरीन टेस्ट के ज़रिए पहचान कर उनका उचित इलाज किया जा सकता है.
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूटीआई
जब यूरीन में नाइट्राइट और व्हाइट सेल्स के साथ असामान्य मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है तो यह यूटीआई का संकेत हो सकता है. ये कन्फ़र्म करने के लिए कि क्या ये यूटीआई है; इसके लिए आपको कई अन्य टेस्ट भी करवाने पड़ सकते है. यूटीआई प्रीमैच्योर बर्थ का कारण भी बन सकता है इसलिए इस इंफेक्शन को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक्स द्वारा इसका तुरंत इलाज किया जाता है.
जेस्टेशनल डायबिटीज़
इस तरह की डायबिटीज़ प्रेग्नेंसी में ही होती है और इससे प्रीमैच्योर लेबर और डिलिवरी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इससे आगे चलकर बच्चे में टाइप 2 डायबिटीज़ और मोटापा जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं. यूरीन में बढ़ी हुई शुगर होना इसका संकेत होता है. इसे कंफर्म करने के लिए ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट किया जाता है.
प्रीक्लेम्पज़िया
यह हाई ब्लड प्रेशर से संबंधित है और इससे बच्चे के विकास में बाधा आने जैसे प्रेग्नेंसी कॉम्प्लीकेशंस आ सकते हैं. प्रीक्लेम्पज़िया का समय पर पता लगा लेने से इसका वक़्त रहते इलाज किया जा सकता है. इसके लिए नियमित यूरीन टेस्ट और ब्लड प्रेशर चैकअप करवाना ज़रूरी है, क्योंकि इसके लक्षण आमतौर पर आसानी से दिखाई नहीं देते. तेज़ सिरदर्द, चेहरे या हाथ-पांव में एकदम से सूजन आ जाना, देखने में परेशानी होना जैसी समस्याएं प्रीक्लेम्पज़िया के लक्षण माने जाते हैं.
कई गंभीर स्थितियों का पता लगाने में यूरीन टेस्ट बेहद मददगार होता है इसलिए डॉक्टर की सलाह के मुताबिक जाँच के दौरान ये टेस्ट भी ज़रूर करवा लेना चाहिए.
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