Second Trimester
Written on 19 December 2018
एक स्वस्थ गर्भावस्था की तैयारी गर्भधारण से ही शुरू कर देनी चाहिए जिससे माँ और शिशु दोनों के लिए यह समय आसान हो जाता है. गर्भावस्था के तीन ट्राइमेस्टर्स होते हैं और पंद्रहवां सप्ताह दूसरे ट्राइमेस्टर में आता है. तीनों ट्राइमेस्टर्स में दूसरे ट्राइमेस्टर को थोड़ा आसान माना जाता है क्योंकि इसमें मार्निंग सिकनेस और थकान कम हो जाती है. इस लेख में जानिए पंद्रहवें सप्ताह में होने वाले शारीरिक बदलाव और अपनी देखभाल से सम्बंधित बेहद काम के सात टिप्स.
वजन बढ़ना
इस सप्ताह में शिशु के बढ्ने पर पेट का बढ़ना भी शुरू हो जाता है और माँ के वजन में करीब 2 पाउंड की वृद्धि हो जाती है. कभी कभी इस कारण महिला को दर्द भी महसूस होता है. अगर आपका वजन इससे अधिक बढ़े तो चिकित्सक की सलाह जरूरी है.
इमम्यून सिस्टम पर असर
इस वक़्त गर्भवती महिला की प्रतिरोधक प्रणाली थोड़ी कमजोर हो सकती है जिसके कारण सर्दी और फ्लू का संक्रमण होने का खतरा रहता है. फ्लू से बचें और इसके लिए आप हमेशा हाइड्रेटेड रहें यानि कि शरीर में पानी की कमी न होने दें.
बच्चे का विकास
पंद्रहवें हफ्ते में बच्चे की लंबाई लगभग चार इंच और वजन 100 ग्राम के करीब बढ़ जाता है और बच्चा गर्भाशय में सक्रिय हो जाता है. वह खाना निगलना शुरू करने के साथ बाहर की आवाजों को भी सुनने लगता है. बच्चे के पैर हाथों के मुकाबले लंबे होते हैं और शरीर भी सिर से ज्यादा बड़ा होता है. स्वाद ग्रंथियां विकसित हो रही होती हैं, साथ ही हाथ और पैर के नाखून भी बढ़ने लगते हैं.
हल्के गरम पानी से नहायें
इस दौरान कई महिलाओं के शरीर में दर्द की शिकायत होने लगती है और गर्भाशय का विस्तार होने से पेट में खिंचाव और ऐंठन भी महसूस हो सकती है. शरीर में दर्द होने पर गर्म पानी से स्नान करें. इससे दर्द में राहत मिलेगी.
ढीले कपड़े पहनें
इस दौरान गर्भवती के शरीर में संक्रमण का खतरा भी रहता है और इस प्रति सावधान रहना चाहिए. संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक को दिखायें. संक्रमण रोकने के लिए साफ और ढीले-ढाले कपड़े पहनें. स्विमिंग पूल या गर्म पानी के टब में ज्यादा समय रहने से बचें. इत्र और बॉडी स्प्रे का भी इस्तेमाल कम से कम करें.
सोते वक्त ध्यान दें
अब आपके शिशु का विकास तेजी से हो रहा है और समय के साथ आपका पेट और ज्यादा बढ़ेगा. जब तक आपका पेट कम बढ़ा हुआ हो तो आप कमर के बल सो सकती हैं, लेकिन बाद में आपके लिए करवट लेकर सोना ही फायदेमंद है. पीठ के बल सोने से हृदय पर और शिशु को रक्त की आपूर्ति करने वाली इनफीरियर वेन पर दबाव बढ़ सकता है. करवट लेकर सोने से इस तरह की समस्या कम होगी. इस अवस्था में पैरों को थोड़ा ऊंचा रखने के लिए अपने घुटनों के बीच में एक तकिया रख कर सोने की कोशिश करें.
सम्पूर्ण आहार लें
गर्भधारण करने से पहले ही महिला को फोलिक एसिड की अतिरिक्त गोलियों के साथ प्रोटीनयुक्त डायट का सेवन शुरू कर देना चाहिए. पंद्रहवें सप्ताह में एक माँ के दैनिक भोजन में भरपूर मात्रा में विटामिन और प्रोटीन युक्त आहार जरूर होना चाहिए.
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