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    एपीड्यूरल से जुड़ी ये ज़रूरी बातें जो हर गर्भवती महिला को पता होनी चाहिए

    12 December 2022 को अपडेट किया गया

    एपीड्यूरल एक तकनीक है जिसमें पेनकिलर्स छोटे ट्यूब्स के ज़रिए पीठ के रास्ते दिए जाते हैं। इन ड्रग्स को रीजनल एनेस्थेटिक के नीचे दिए जाते हैं। इससे पेट सुन्न पड़ जाता है जिससे दर्द से राहत मिलती है। लेबर के समय दर्द देने वाले नर्व को पेनकिलर की मदद से ठीक किया जाता है।

    एपिड्यूरल लेने के क्या फायदे हैं?

    • यह प्रसव के दौरान दर्द से राहत का सबसे प्रभावी तरीका है।
    • एपिड्यूरल सही जगह लग जाने के बाद अनुभवी नर्स या डॉक्टर द्वारा आमतौर पर टॉप-अप दिया जा सकता है। इसका मतलब है कि एनेस्टथेटिस्ट का इंतजार करने की जरुरत नहीं होती।
    • आपको संकुचनों का पता चलता रहेगा और सारी स्थिति समझ पा रही होंगी, मगर आपको कोई दर्द महसूस नहीं होगा।
    • यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर हो, तो इसे घटाने में यह मदद कर सकता है।
    • यदि आपातकालीन सीजेरियन ऑपरेशन की जरुरत हो, तो इसे अधिक प्रभावी स्थानीय एनेस्थेटिक के साथ टॉप-अप किया जा सकता है।

    एपिड्यूरल लेने के क्या नुकसान हैं?

    • एपिड्यूरल लगाते समय दर्द हो सकता है। हालांकि, इस दौरान आपका यथासंभव स्थिर रहना जरुरी है, ताकि एपिड्यूरल गलत जगह न लग पाए।
    • शुरुआत में हो सकता है यह सही से काम न करे। आप पाएंगी कि आपके पेट के कुछ हिस्से ही सुन्न हुए हैं। यदि एपिड्यूरल के शुरु होने के आधे घंटे बाद भी आपको दर्द महसूस हो, तो एनेस्थेटिस्ट शायद दोबारा प्रयास करेंगे।
    • इससे आपको कंपकंपी महसूस हो सकती है।
    • आपको खुजलाहट भी हो सकती है, खासकर यदि आपको संयुक्त स्पाइनल एपिड्यूरल (सीएसई) दिया हो, मगर यह आमतौर पर गंभीर नहीं होती।
    • आपको बुखार भी हो सकता है।
    • आपको बिस्तर में ही रहना होगा क्योंकि आपकी टांगों में शायद कमजोरी या भारीपन रहेगा। चाहे आप बिस्तर पर हिल-डुल पा रही हों, मगर आप चल-फिर नहीं सकेंगी। अधिकांश अस्पतालों में मोबाइल एपिड्यूरल की सुविधा नहीं होती।
    • यह आपकी मूत्रत्याग की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, इसलिए डॉक्टर एक कैथेटर लगाएंगी। शिशु के जन्म के बाद आमतौर पर यह ज्यादा समय तक लगाए नहीं रखा जाता। इसका इस्तेमाल आपके मूत्राशय को पूरी तरह खाली करने के लिए किया जाएगा। मगर यदि आपका प्राकृतिक या सीजेरियन प्रसव बहुत मुश्किलों से हुआ है, तो आपको यह कैथेटर ज्यादा लंबे समय तक लगाए रखना पड़ सकता है।
    • आपको अधिक निगरानी की जरुरत होगी। आपके शिशु की दिल की धड़कन पर एपिड्यूरल शुरु होने के बाद 30 मिनट तक लगातार नजर रखी जाएगी। इसके बाद हर अतिरिक्त खुराक देने के बाद भी शिशु की धड़कन पर ध्यान दिया जाएगा। एपिड्यूरल शुरु होने के बाद 30 मिनट तक हर पांच मिनट में आपका रक्तचाप मापा जाएगा। हर अतिरिक्त खुराक देने के बाद भी आपका रक्तचाप इसी तरह लिया जाएगा।

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    Written by

    Ishmeet Kaur

    Ishmeet is an experienced content writer with a demonstrated history of working in the internet industry. She is skilled in Editing, Public Speaking, Blogging, Creative Writing, and Social Media.

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