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    प्रीमैच्‍योर बर्थ के कारण शिशु को जीवन में आगे जाकर हो सकते हैं कई रोग. पूरी जानकारी इस लेख में.

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    प्रीमैच्‍योर बर्थ के कारण शिशु को जीवन में आगे जाकर हो सकते हैं कई रोग. पूरी जानकारी इस लेख में.

    15 March 2023 को अपडेट किया गया

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    कुछ अकस्मात परिस्थितियों के कारण अक्सर शिशुओं का जन्म नौ महीनों से पहले भी हो जाता है और उन्हें प्रीमैच्योर शिशु कहा जाता है. शोध कहते हैं कि प्रत्येक 13 बच्चों में से 1 बच्चा असमय पैदा होता है और यह आगे चलकर उनके जीवन में अनेक समस्याओं का कारण बन सकता है. आइए जानते हैं कि प्रीमैच्योर बच्चों को सामान्य बच्चों के मुकाबले किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

    1. कमज़ोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता

    समय से पहले पैदा होने के कारण इन बच्‍चों का वजन सामान्‍य की तुलना में कम होता है जिससे इनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी सामान्यतः कम होती है. अक्सर मौसम में हल्‍के से परिर्वतन को भी ऐसे बच्चे सह नहीं पाते और इन्हें इंफेक्‍शन होने का खतरा ज्‍यादा रहता है.

    1. दिमागी कमज़ोरी का खतरा

    बत्तीस हफ्तों से पहले शिशु का जन्म उसके दिमागी विकास पर असर डाल सकता है. ऐसे बच्चों की दिमागी क्षमता अन्य बच्चों के मुकाबले थोड़ी कम भी हो सकती है. साथ ही जीवन में उन्‍हें ब्रेन हेमरेज होने की सम्‍भावना भी बढ़ जाती है.

    1. फेफड़ों पर पड़ता है असर

    प्रीमैच्‍योर बच्चों को फेफड़ों और सांस से जुड़ी समस्याएँ जैसे अस्थमा, सांस लेने में परेशानी और फेफड़ों के असामान्य आकार से संबन्धित क्रॉनिक डिसीज ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेजिया भी हो सकता है. हालांकि फेफड़ों का आकार तो समय के साथ सही हो जाता है लेकिन अस्थमा जैसे लक्षण जीवनभर के लिए रह सकते हैं.

    1. मानसिक बीमारी की संभावना

    बच्चे का जन्म निर्धारित समय से पहले होने पर यह बुढ़ापे में उन्हें कई तरह की मानसिक बीमारी भी दे सकता है. कई अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि प्रीमैच्योर बच्चों को बाइपोलर डिसऔडर, डिप्रैशन, सीजोफ्रेनिया और साइकोसिस जैसी बीमारी की संभावना का खतरा अधिक रहता है.

    1. आंखों के रोग

    रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसकी वजह से रेटिना की नसें पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाती हैं और आगे चलकर बच्चों को देखने में परेशानी महसूस होती है. प्रीमैच्योर बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में आंखों से जुड़ी परेशानी अधिक होती है.

    1. आंतों की समस्या

    प्रीमैच्योर बच्चों के जन्‍म के शुरुआती दिनों में अक्‍सर देखा गया है कि वह दूध भी नहीं पचा पाते हैं और उल्टियां कर देते हैं. यहाँ तक कि कई बार इनमें आंत ब्लॉक होने की वजह से भोजन पचाने और पोषक तत्व प्राप्त करने तक में परेशानी हो सकती है.

    1. हाइपोथिमिया

    दरअसल प्रीमैच्‍योर बेबी के शरीर में सामान्‍य बच्चों की तरह वसा का जमाव नहीं होता जिसकी वजह से उनका शरीर गर्मी को रोक नहीं पाता और इनके शरीर का तापमान बहुत जल्‍दी गिर जाता है. ऐसे में इन्‍हें हाइपोथिमिया की समस्या हो सकती है जिसमें भोजन से मिली पूरी एनर्जी शरीर में गर्मी उत्पन्न करने में ही खप जाती है. इसका बच्‍चे के शारीरिक विकास पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है.

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    Written by

    Shaveta Gupta

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