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    कैसे पता लगाएं ये कंट्रक्शन है ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन या रियल कंट्रक्शन? 

    Pregnancy

    कैसे पता लगाएं ये कंट्रक्शन है ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन या रियल कंट्रक्शन? 

    12 December 2022 को अपडेट किया गया

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    आप अपने सोफे पर आराम से बैठकर अपना फेवरेट टीवी शो देख रहे होते हैं कि अचानक आपके पेट में कुछ मरोड़ से उठने लगते हैं. एक बार को आप सोचने लगते हैं कि क्या ऐसा डिनर में नाचोस खाने से हो रहा है लेकिन फिर आपको लगने लगता है कि ये थोड़ा अलग है. बिल्कुल, ये कंट्रक्शन यानी संकुचन ही है. ये सही है कि कंट्रक्शन आपकी लेबर का संकेत देते हैं लेकिन हर बार कंट्रक्शन होने का मतलब ये नहीं कि आपकी डिलीवरी का समय आ चुका है. कभी-कभी ये रियल कॉन्ट्रैक्शंस न होकर ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन भी हो सकते हैं जिन्हे फाल्स लेबर भी कहा जाता है. तो कैसे पता लगाएं दोनों में अंतर. ये आर्टिकल आपको कंट्रक्शन को समझने और पहचानने में मदद करेगा.

    रियल लेबर कॉन्ट्रैक्शंस

    कंट्रक्शन तब होती है जब गर्भाशय (यूट्रस) के आस-पास की मासपेशियां में ऐंठन व दबाव पड़ता है, और ये आपकी प्रेगनेंसी के किसी भी पड़ाव में हो सकता है. लेकिन रियल कंट्रक्शन तभी होती हैं जब लेबर शुरू होती है. और इस तरह का संकुचन दर्दनीय और दर्द धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. ऐसा होने से सर्विक्स (गर्भाश्य ग्रीवा) का आकार बढ़ने लगता है ताकि डिलीवरी हो सके.

    ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शंस

    इस तरह का संकुचन भी लेबर से पहले हो सकता है. ये कंट्रक्शन प्रेगनेंसी के पहले 6 हफ़्तों में शुरू हो सकती है लेकिन दूसरी या तीसरी तिमाही में ही इन्हे महसूस किया जा सकता है. ऐसा होने से सर्विक्स की ओपनिंग नहीं खुलती और न ही डिलीवरी का समय होता है.

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    रियल कंट्रक्शन और ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन में अंतर

    1. स्थिरता

    रियल कंट्रक्शन 30 से 70 सेकंड तक होती हैं और एक नियमित रूप में होती हैं लेकिन ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन इस तरह का पैटर्न फॉलो नहीं करतीं.

    1. बार बार होना (फ्रीक्वेंसी)

    प्रसव संकुचन यानी रियल कंट्रक्शन, लेबर का समय नजदीक आने पर बार-बार होती हैं लेकिन ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन की फ्रीक्वेंसी नहीं बढ़ती.

    1. असहजता

    रियल कंट्रक्शन में ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन के मुकाबले बहुत ज्यादा दर्द होता है. ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन होने पर असहजता बढ़ सकती है लेकिन दर्द नहीं होता.

    1. असहजता होने की जगह

    रियल कंट्रक्शन पेट और लोअर बैक में महसूस होती हैं और ये दर्द टांगों तक पहुंच जाता है. दूसरी तरफ ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन पेट के सामने वाले हिस्से में ही असहजता पहुंचाता है.

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    1. मूवमेंट पर असर

    जब आप अपनी पोज़िशन को बदलते हैं या दूसरी तरफ करवट लेते हैं तो ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन खत्म हो जाती हैं लेकिन इस तरह की कोई भी मूवमेंट रियल कंट्रक्शन पर असर नहीं करती.

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    Written by

    Mittali Khurana

    Mittali is a content writer by profession. She is a dynamic writer with 04+ years of experience in content writing for E-commerce, Parenting App & Websites, SEO.

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